ब्रिटिश प्रभाव का विस्तार (1765-1785 ई.) और अहस्तक्षेप की नीति (1785-1797 ई.)
ब्रिटिश प्रभाव का विस्तार
(1765-1785 ई.)
¯ कर्नाटक में अंग्रेजों और फ्रांसीसियों के बीच हुए युद्धों ने तथा प्लासी और बक्सर की लड़ाइयों ने भारत में ब्रिटिश सत्ता की स्थापना का मार्ग खोल दिया। लेकिन अभी भी दक्षिण भारत में मराठों के अलावा हैदराबाद और मैसूर के राज्य भी काफी शक्तिशाली थे।
¯ एक वर्ष से कुछ अधिक समय तक चले प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध में मैसूर का शासक हैदर अली मद्रास के काफी करीब पहुंच गया एवं मद्रास सरकार को विवश होकर 1769 ई. में अपमानजनक संधि करनी पड़ी।
¯ सन् 1772 ई. में वारेन हेस्टिंग्स बंगाल का गवर्नर बना।
¯ उसी साल से कलकत्ता बंगाल की वास्तविक राजधानी बना।
¯ सन् 1773 ई. में वारेन हेस्टिंग्स बंगाल का गवर्नर- जनरल बनाया गया।
¯ सन् 1775 से 1782 ई. तक अंग्रेज मराठों से लड़ते रहे।
¯ प्रथम आंग्ल-मराठा युद्ध (1775-82 ई.) तब शुरू हुआ जब अंग्रेजों ने पेशवा-पद के लिए माधवराव द्वितीय के विरुद्ध राघोबा के दावे का समर्थन किया। मगर उस समय अधिकतर मराठा सरदार किशोर पेशवा और मराठा नेता नाना फड़नवीस के समर्थक थे।
¯ अंततः सिंधिया की मध्यस्थता के बाद 1782 ई. में ‘सालबाई की संधि’ द्वारा युद्ध खत्म हुआ।
¯ इसके बाद बीस साल तक अंग्रेजों और मराठों के बीच शांति स्थापित रही।
¯ प्रथम आंग्ल-मैसूर युद्ध के बाद अंग्रेजों और हैदर अली के बीच जो संधि हुई थी उसमें दोनों पक्षों ने तय किया था कि यदि कोई तीसरी शक्ति उनमें से किसी पर हमला करती है, तो वे एक-दूसरे की मदद करेंगे। मगर जब मराठों ने मैसूर पर हमला किया तो अंग्रेजों ने हैदर अली को कोई मदद नहीं दी। फलतः हैदर अली अंग्रेजों के खिलाफ हो गया।
¯ अमरीका के स्वतंत्रता युद्ध के दौरान फ्रांस ने ब्रिटेन के विरुद्ध अमरीकी उपनिवेशों की मदद की थी।
¯ फ्रांस ने मराठों को भी सहायता देने की पेशकश की थी। बदले की भावना से अंग्रेजों ने फ्रांसीसी बंदरगाह माहे पर अधिकार कर लिया। यूरोप के साथ व्यापार के लिए माहे मैसूर राज्य का एकमात्र बंदरगाह था।
¯ हैदर अली ने 1780 ई. में अंग्रेजों पर हमला कर दिया।
¯ फ्रांसीसियों ने उसकी मदद की, मगर जब ब्रिटेन और फ्रांस के बीच शांति-समझौता हुआ तो फ्रांसीसियों ने मैसूर को मदद देना बंद कर दिया।
¯ 1782 ई. में हैदर अली की मृत्यु हो गई, परंतु उसके बेटे टीपू सुल्तान ने लड़ाई जारी रखी।
¯ दोनों पक्षों को आंशिक सफलता मिली तथा मार्च 1784 में मंगलोर की संधि द्वारा द्वितीय आंग्ल-मैसूर युद्ध खत्म हुआ। लड़ाई के पहले की स्थिति फिर से कायम हो गई।
अहस्तक्षेप की नीति (1785-1797 ई.)
¯ वारेन हेस्टिंग्स के उत्तराधिकारी कार्नवालिस और जाॅन शोर ने भारतीय शासकों के मामले से अपने को अलग रखने की कोशिश की, जिसे ‘अहस्तक्षेप की नीति’ कहते हैं।
¯ परंतु मैसूर के मामले में हस्तेक्षप न करने की नीति नहीं अपनाई गई।
¯ टीपू सुल्तान ने कूर्ग और त्रावणकौर के राज्यों पर हमले किए। इन राज्यों के शासकों के अंग्रेजों से मित्रता के सम्बन्ध थे।
स्मरणीय तथ्य ¯ बक्सर का युद्ध न्लासी के युद्ध से अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि यह भारत में ब्रिटिश शक्ति की पहचान बना था। साथ ब्रिटिश शक्ति को शासकीय शक्ति के रूप में स्थापित करने में इस युद्ध का बड़ा हाथ है। ¯ राबर्ट क्लाइव ने एक कोष की स्थापना की थी जो कि कंपनी के उन कर्मचारियों की मदद के लिए था जो आर्थिक रूप से कठिनाइयों में थे। ¯ वारेन हेस्टिंग्ज ने बंगाल के हर जिले में अंग्रेज जिलाधीश की नियुक्ति की ताकि वह कर वसूल सके और प्रशासन चला सके। उन्हें देशी अधिकारी मदद करते थे। ¯ वारेन हेस्टिंग्स ने व्यापार बढ़ाने के उद्देश्य से सुपारी, तंबाकू तथा नमक छोड़ कर हर वस्तु पर 2ण्5ः की छूट की घोषणा की थी। ¯ वारेन हेस्टिंग्स ने दो अपील अदालतों की स्थापना की। सदर दीवानी अदालत राजस्व सम्बन्धी मुकदमें सुनती थी जबकि सदर निज़ामत अदालत आपराधिक मुकदमें सुनती थी। ¯ वारेस हेस्टिंग्स के विरुद्ध मुख्य आरोप रोहिल्ला युद्ध, राजा चैत सिंह कांड, नंद कुमार का मुकदमा तथा अवध की बेगम की घटना थी। इसी कारण उस पर मुकदमा चला था। ¯ लार्ड कार्नवालिस ने व्यापारियों से सीधे ठेके करने की पुरानी परंपरा को फिर से चलाया। ¯ बक्सर के युद्ध के बाद मीर जाफर से हुए समझौते ने बंगाल पर कंपनी के अधिकार को कानूनी रूप दे दिया। ¯ दोहरी सरकार में सत्ता (सम्राट के अधीन) नवाब और कंपनी के बीच बँटी हुई थी। कंपनी के पास राजस्व शक्ति थी जबकि नवाब के पास न्यायिक और पुलिस प्रशासन। ¯ 1773 के रेग्यूलेटिंग एक्ट के अनुसार बंगाल की सरकार गवर्नर जनरल और एक चार सदस्यीय परिषद को सा®प दी गई थी। गवर्नर जनरल को बम्बई तथा मद्रास की प्रेसिडेंसियों की निगरानी का कार्य भी सा®पा गया था। ¯ 1784 के पिट्स इंडिया एक्ट के द्वारा छः कमिश्नर जो कि ”बोर्ड आफ कंट्रोल“ कहे जाते थे की स्थापना की गई। इनका कार्य भारत के मामलों को देखना था। धीरे-धीरे इस बोर्ड की सारी शक्ति इसके अध्यक्ष के हाथ में सिमट गई। ¯ लार्ड कार्नवालिस के बंगाल स्थायी व्यवस्था ;च्मतउंदमदज ैमजजसमउमदजद्ध के अनुसार जमींदारों से यह आशा की जाती थी कि वे अपने राजस्व का 89ः कंपनी को दे देंगे। ¯ मीरज़ाफर को कर्नल क्लाइव का गीदड़ ;श्रंबांसद्ध कहा जाता है। ¯ कार्नवालिस ने सभी जिला अपराधिक अदालतें (फौजदारी अदालतें) समाप्त कर दी, जिलाधीशों को ही सारे न्यायिक और प्रशासनिक अधिकार दे दिए गए जिससे एक नए वर्ग का उदय हुआ जिन्हें न्यायिक जिलाधिकारी कहा गया। |
बंगाल के नवाब नवाब शासन काल मुर्शीद कुली खां 1713.1727 शुजाउद्दीन 1727-1739 सरफराज खां 1739-1740 अली वर्दी खां 1740-1756 सिराजुद्दौला 1756-1757 मीर जाफर 1757-1760 मीर कासिम 1760-1763 मीर जाफर (दूसरी बार) 1763-1765 निजाम-उद्दौला 1765-1766 शैफउद्दौला 1766-1770 मुबारकउद्दौला 1770-1775 |
¯ साथ ही, अंग्रेज टीपू सुल्तान को दक्षिण भारत में अपनी शक्ति के विस्तार के मार्ग में सबसे बड़ा खतरा समझते थे।
¯ फलस्वरूप तृतीय आंग्ल-मैसूर युद्ध (1789-92) शुरू हुआ।
¯ 1792 ई. में टीपू की पराजय के बाद युद्ध खत्म हुआ तथा श्रीरंगपट्टनम् की संधि (1792 ई.) द्वारा टीपू ने लगभग आधा मैसूर राज्य अंग्रेजों को दे दिया।
¯ अंग्रेज अहस्तक्षेप की नीति पर तभी तक कायम रहे जब उससे उनका हित-साधन होता था।
¯ अंग्रेजों ने निजाम को मदद करने का वादा किया था, किंतु जब मराठों ने निजाम को हराया और उसके इलाकों से चैथ वसूल करने लगे तो अंग्रेज निजाम की मदद को नहीं आए।
¯ लेकिन उनके द्वारा चुने गए अवध के नवाब के उत्तराधिकारी का 1797 ई. में विरोध हुआ तो उन्होंने विरोधियों को कुचल डाला।
398 videos|676 docs|372 tests
|
1. ब्रिटिश प्रभाव का विस्तार (1765-1785 ई.) क्या है? |
2. अहस्तक्षेप की नीति (1785-1797 ई.) क्या है? |
3. ईस्ट इंडिया कंपनी की नीतियों के अंतर्गत कौन से विपणन और उत्पादन के लिए भारत का उपयोग किया गया? |
4. ब्रिटिश प्रभाव का विस्तार के दौरान ईस्ट इंडिया कंपनी ने कैसे ब्रिटिश सरकार के लिए बहुमत प्राप्त किया? |
5. अहस्तक्षेप की नीति के दौरान ईस्ट इंडिया कंपनी किसे और कैसे अपनी सत्ता को अधिक मजबूत करने के लिए इस्तेमाल की? |
398 videos|676 docs|372 tests
|
|
Explore Courses for UPSC exam
|