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भारत यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन (CERN) में शामिल हुआ | विज्ञान और प्रौद्योगिकी (Science & Technology) for UPSC CSE PDF Download

CERN के बारे में

  • फ्रांस-स्विट्जरलैंड सीमा पर स्थित जेनेवा में CERN की स्थापना की गयी है।
  • इसे 1954 में स्थापित किया गया था।
  • इसमें 22 सदस्य देश और चार सहयोगी सदस्य देश तथा अन्य सहयोगी सदस्य शामिल हैं जो पूर्ण सदस्यता प्राप्ति के चरण में हैं।
  • CERN में, वैज्ञानिक और इंजीनियर ब्रह्माण्ड की मूल संरचना के सम्बन्ध में शोध कर रहे हैं।
  • भारत को 2004 में CERN में 'पर्यवेक्षक' के रूप में शामिल किया गया था।

CERN से संबंधित परियोजनाएं

  • लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर: LHC दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे शक्तिशाली पार्टिकल एक्सीलरेटर है। इसका लक्ष्य ब्रह्मांड के मूलभूत सिद्धांतों का अध्ययन करना है।
  • कॉम्पैक्ट म्यूऑन सोलेनोइड (CMS): यह LHC में सामान्य उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त होने वाला एक डिटेक्टर है।
    • यह स्टैण्डर्ड मॉडल (हिग्स बोसान सहित) का अध्ययन करता है।
    • यह डार्क मैटर का निर्माण करने वाले एक्स्ट्रा डाइमेन्शन और कणों की भी खोज कर रहा है।
  • ALICE - ए लार्ज आयन कोलाइडर एक्सपेरिमेंट का संक्षिप्त रूप है।
    • यह बहुत ही सूक्ष्म पदार्थों की भौतिकी पर शोध करता है। जैसे- प्रोटॉन और न्यूट्रॉन का निर्माण करने वाले क्वार्क पर शोध

हाल ही में सुर्ख़ियों में क्यों ?

  • भारत हाल ही में दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु और अणु भौतिकी प्रयोगशाला यूरोपीय परमाणु अनुसंधान संगठन (European Organisation for Nuclear Research : CERN) का एक सहयोगी सदस्य (associate member) बना।
  • भारत दो वर्षों के उपरांत पूर्ण सदस्यता के लिए आवेदन कर सकता है या पांच वर्षों तक यथास्थिति बनाए रखने के विकल्प का चयन सकता है।

 CERN में भारत का योगदान

  • अनेक भारतीयों ने CERN में LHC एक्सीलरेटर, ALICE और CMS प्रयोगों के निर्माण में योगदान दिया है।
  • LHC में भारतीय वैज्ञानिको के योगदान से हिग्स बोसॉन की खोज में मदद मिली है।
  • इस बड़े पैमाने के कंप्यूटिंग क्षेत्र में भारत ने वर्ल्डवाइड लार्ज हेड्रोन कोलाईडर ग्रिड (WLCG) के लिए सॉफ्टवेयर का डिज़ाइन व उसका विकास और उसे इन्स्टॉल किया है।

CERN की सदस्यता के बारे में अन्य तथ्य

  • भारत को प्रत्येक वर्ष CERN की पूँजी या उसके कार्यक्रमों की परिचालन लागत के रूप में 11.5 लाख स्विस फ़्रैंक का योगदान करना होगा, जो एक देश को पर्यवेक्षक सदस्य के रूप में नहीं करना पड़ता था।
  • भारत को सहयोगी सदस्य का दर्जा प्राप्त होने के कारण भारतीय उद्योग अब निविदाओं और खरीद के लिए बोली लगा सकते हैं।

भारत के लिए महत्व

  • वैज्ञानिक प्रयोगों और नीति को तैयार करने में बड़ी भूमिका ।
  • भारत CERN परिषद् और इसकी समितियों (वित्त समिति और वैज्ञानिक नीति समिति) की बैठकों में भाग ले सकता है।
  • भारतीय वैज्ञानिकों को कर्मचारियों के रूप में नियुक्त किया जा सकेगा।
  • वित्तीय योगदान के अनुरूप विभिन्न सुविधाओं और औद्योगिक भागीदारी तक पहुँच।
  • परास्नातक और पीएचडी कर रहे छात्र CERN द्वारा आयोजित विभिन्न स्कूलों और कार्यशालाओं में भाग ले सकते हैं।
  • CERN में पोस्ट डॉक्टरेट और कर्मचारियों के पदों पर भी नियुक्ति हो सकेगी।
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