➤ सुझाव
मछुआरों के लिए कल्याण कार्यक्रम
उत्पादित मछलियों की प्रजातियाँ एवं मत्स्य उत्पादन के फलस्वरूप दूषित पर्यावरण के विरुद्ध सरकार के अंकुश
मछलियां दो प्रकार की होती है
(i) समुद्री मछलियां: इसके अन्तर्गत साइडाइन हेरिंग, सामन, ऐंकावी तथा शेड मछलियों का स्थान है। इसके बाद मैकरेल, पर्च, ज्यूफिश, कैट-फिश, ईल तथा दौराव आदि है।
(ii) ताजे जल की मछलियां: कुल पकड़ी जाने वाली मछलियों का एक तिहाई भाग इन मछलियों का ही होता है। इसके अन्तर्गत रोहू, कतला, कालाबासू, सौर मशीर, बचुआ, चिल्वा, बारिल, मुराल, मिंगन आदि मछलियां मुख्य है।
भारत दुनिया का सातवां सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक देश है तथा अन्तर्देशीय मत्स्य उत्पादन में संभवतः इसका दूसरा स्थान है। भारत में मछली पालन क्षेत्र के विकास की विशाल संभावना है। देश के पास 8041 किलोमीटर लम्बा समुद्री तट, 20 लाख 20 हजार वर्ग किमी. नदी क्षेत्र और अनेक खारे तथा स्वच्छ जल के स्रोत उपलब्ध हैं। इस क्षेत्र में अब तक के अनुसंधान और विकास से
वर्ष 1997.98 के सर्वेक्षण कार्यक्रम में चार व्यापक क्षेत्रों को लिया गया
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1. मत्स्य उद्योग क्या है? |
2. भारत में मत्स्य उद्योग का महत्व क्या है? |
3. मत्स्य उद्योग के लिए भारतीय भूगोल की क्या विशेषताएं हैं? |
4. भारत में मत्स्य उद्योग में आवश्यक सामग्री क्या है? |
5. मत्स्य उद्योग में आर्थिक सहायता के लिए सरकार क्या नीतियाँ बनाती है? |
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