UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  भूगोल (Geography) for UPSC CSE in Hindi  >  मत्स्य उद्योग - भारतीय भूगोल

मत्स्य उद्योग - भारतीय भूगोल | भूगोल (Geography) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

मत्स्य उद्योग

  • मत्स्य उद्योग के पिछड़े होने के कारण
  • मत्स्य उद्योग विकास के लिए सरकार के प्रयत्न तथा सुझाव
  • मत्स्य उद्योग कार्यक्रम के उद्देश्य तथा कार्यान्वयन
  • मछुआरों के लिए कल्याण कार्यक्रम
  • उत्पादित मछलियों की प्रजातियाँ एवं मत्स्य उत्पादन के फलस्वरूप दूषित पर्यावरण के विरुद्ध सरकार के अंकुश
  • मत्स्य पालन

मत्स्य उद्योग के पिछड़े होने के कारण

  • भारत में मछली पकड़ने में उद्योग का विकास न होने के निम्न कारण है
    (i) भारत में अधिकांश मछुआरे अशिक्षित एवं पिछड़े हुए है। मछली पकड़ने के ढंग पुराने है। घटिया जालों और छोटी-छोटी नावों से तटीय भागों में मछलियां पकड़ी जाती है।
    (ii) यातायात के शीघ्र साधन न होने से मारी गयी मछलियां शीघ्र ही बाजारों तक नहीं पहुंचायी जातीं। शीतगृहों की व्यवस्था न होने के कारण अधिकांश मछलियां सड़कर नष्ट हो जाती है।
    (iii) अधिकांश मछुआरे नवजात मछलियों को ही पकड़ लेते है। अतः भविष्य के लिए अधिक मछलियों की बड़ी किस्में नहीं पनप पाती है।
    (iv) भारत की नदियों और तालाबों, झीलों और निकटवर्ती सागरों में सैकड़ों किस्म की खाद्य मछलियां भरी है किंत अभी तक इन साधनों का केवल 5-6 प्रतिशत ही उपयोग में लाया जा सका है। अशिक्षा, यातायात, मछली पकड़ने की अभिनव तकनीक और सुविधाओं के अभाव के कारण इनका पूरा उपयोग नहीं किया जा सका है। इसलिए भारत  में मछली पकड़ने के व्यवसाय में पूर्ण उन्नति नहीं हो सकी है।

मत्स्य उद्योग विकास के लिए सरकार के प्रयत्न तथा सुझाव

  • मछली पकड़ने के व्यवसाय को सुदृढ़ करने के लिए केंद्रीय और राज्य सरकारों द्वारा कई प्रयत्न किये गये है। भारत को मछली उत्पादन के क्षेत्र में हमें इंडो-यू. एस. ए. टेक्निकल मिशन प्रोग्राम, इंडो-नार्वेजियन फिशरीज कम्युनिटी डवलपमेंट प्रोग्राम और खाद्य और कृषि संगठन के अंतर्गत सहायता मिल रही है।
  • मछुआरों को आधुनिक तरीकों से प्रशिक्षण देने के लिए सतपाटी (महाराष्ट्र), वेरावल (सौराष्ट्र) कोजन और तुतुकुण्डी (तमिलनाडु) में प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित किये गये है। कलकत्ता में केंद्रीय मछली गवेषण केंद्र में नदियों और झीलों या तालाबों में अधिक मछली पैदा करना सिखाया जाता है।
  • मछलियों को सुरक्षित रखने के लिए महाराष्ट्र में मालवान, रत्नागिरि, बंबई, चौंदिया, पुणे और अकोला में, तमिलनाड में मद्रास, तुतुकुण्डी, कुड्डलूर और भीलकराय में, केरल में कोजीखोड, कोचीन, किवलोन और तिरूवन्तपुरम में बर्फ के कारखाने स्थापित किये गये है।
  • मछलियों के नये साधनों की खोज के लिए भारत सरकार ने मुंबई में केन्द्रीय मत्स्य अनुसंधानशाला की स्थापना की। इसकी प्रमुख शाखाएं कलकत्ता, कटक और चेन्नई में है, इनमें मछलियों की पैदावार बढ़ाने, अच्छी नस्ल की मछलियों को पालने तथा अन्य प्रकार के अनुसंधान किये जाते है।
  • मछुआरों की दशा सुधारने के लिए महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु और उड़ीसा में लगभग 2,500 सहकारी समितियां स्थापित की गयी है।
  • भारत में 65 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में खारे पानी में मत्स्य पालन चल रहा है लेकिन इसमें 52 हजार हेक्टेयर में परंपरागत तरीके ही अपनाए जाते है। चेन्नई में मछली विशेषज्ञों ने खारे पानी में झींगा पालने की तकनीक उन्नत कर ली है। झींगा महंगा बिकता है और इसकी फसल 100-120 दिनों में तैयार हो जाती है। आंध्र प्रदेश में 6000 हेक्टेयर से अधिक खारे पानी के तालाबों में झींगा पाला जा रहा है।

सुझाव

  • ध्वनि विस्तार यंत्रो (इकोसाउन्ड) के द्वारा मत्स्य क्षेत्र ज्ञात किये जाने चाहिये अथवा खाद्योपयोगी अन्य जल-जीवों का पता लगाया जाना चाहिये।
  • मछलियों की नवीन जातियों के विषय में जानकारी प्राप्त की जाए और उनका क्या उपयोग हो सकता है।
  • मत्स्य क्षेत्रों में मछलियां नवीन विधियों द्वारा पकड़ने की व्यवस्था की जानी चाहिये।
  • गंगा-डेल्टा के दलदली भाग में मछली व्यवसाय के लिए विशेष सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
  • अलवणीय जल की मछली को विशेष प्रोत्साहन मिले जिससे अत्यधिक जनसंख्या को लाभ मिले।
  • देश के जलाशयों, तालाबों, झीलों में मत्स्य पालन को आधुनिक तरीकों से विकसित किया जाये।
  • ग्राम-अंचल पर इसके प्रशिक्षण की विशेष रूप से व्यवस्था की जाये।
  • खेती के साथ किसानों को मछली पालन के लिए विशेष प्रोत्साहन मिले। तदुपरांत ही मत्स्य उद्योग विकसित होगा और हमारा भारत आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर होगा।

मत्स्य उद्योग कार्यक्रम के उद्देश्य तथा कार्यान्वयन

  • मत्स्य विकास कार्यक्रम के मुख्य उद्देश्य है
    (i) मछली पालने वालों, मछुआरों और मत्स्य उद्योग का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाना;
    (ii) मछली के रूप में खाद्य पदार्थों का उत्पादन बढ़ाकर लोगों के भोजन की पौष्टिकता बढ़ाना;
    (iii) समुद्री उत्पादों का निर्यात बढ़ाकर विदेशी मुद्रा अर्जित करना;
    (iv) परंपरागत मछुआरों की सामाजिक आर्थिक स्थिति सुधारना;
    (v) रोजगार के अवसर बढ़ाना; और
    (vi) मछली की लुप्तप्राय प्रजातियों का संरक्षण।
  • उद्योग के विकास के लिए खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय ने अनेक कार्यक्रम शुरू किये है। इनमें शीतगृहों और प्राथमिक प्रसंस्करण सुविधाओं जैसे मूल संरचनात्मक विकास, बाजार सुविधाएं, कार्मिकों के प्रशिक्षण तथा नए क्षेत्रों में प्रसंस्करण सुविधाओं का विस्तार सम्मिलित है। 
  • इसके साथ ही उपभोक्ताओं को भी विश्व स्तर के बढ़िया उत्पाद स्पर्धात्मक मूल्यों पर मिलेंगे, उद्योगों में हजारों लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे तथा निर्यात से देश की बहुमूल्य विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होगी।

मछुआरों के लिए कल्याण कार्यक्रम

  • परंपरागत ढंग से मछली पकड़ने वाले मछुआरों के लिए तीन कार्यक्रम चलाए जा रहे है।
    ये है-
    (i) मछली पकड़ने का धंधा कर रहे मछुआरों के लिए सामूहिक दुर्घटना बीमा योजना; तथा तटवर्ती राज्यों में मछुआरों के लिए बचत व राहत कार्यक्रम।
    (ii) राष्ट्रीय कल्याण कोष पहले कार्यक्रम के अंतर्गत मछुआरों की मृत्यु हो जाने या स्थायी रूप से विकलांग हो जाने पर 35,000 रुपये दिए जाते है। आंशिक रूप से विकलांग हो जाने पर 17,500 रुपये दिए जाते है। बीमा के वार्षिक प्रीमियम का भुगतान केन्द्र और राज्य सरकार मिलकर करते है।
    (iii) दूसरे कार्यक्रम के तहत मछुआरों के कुल चुने हुए गांवों में आवास, पीने का पानी, मनोरंजन की सुविधा तथा ऋण प्राप्त करने जैसे नागरिक सेवाएं उपलब्ध कराने की योजना। मछुआरों के लिए आदर्श ग्राम विकास कार्यक्रम के तहत मूलभूत नागरिक सुविधाओंः जैसे - आवास, पेयजल और सामुदायिक हाल की व्यवस्था की जाती है।

उत्पादित मछलियों की प्रजातियाँ एवं मत्स्य उत्पादन के फलस्वरूप दूषित पर्यावरण के विरुद्ध सरकार के अंकुश

मछलियां दो प्रकार की होती है

(i) समुद्री मछलियां: इसके अन्तर्गत साइडाइन हेरिंग, सामन, ऐंकावी तथा शेड मछलियों का स्थान है। इसके बाद मैकरेल, पर्च, ज्यूफिश, कैट-फिश, ईल तथा दौराव आदि है।

(ii) ताजे जल की मछलियां: कुल पकड़ी जाने वाली मछलियों का एक तिहाई भाग इन मछलियों का ही होता है। इसके अन्तर्गत रोहू, कतला, कालाबासू, सौर मशीर, बचुआ, चिल्वा, बारिल, मुराल, मिंगन आदि मछलियां मुख्य है।

  • मत्स्य उत्पादन के लिए देश में बड़ी परियोजनाओं का पदार्पण हो रहा है, - जैसे उड़ीसा के चिल्का झील में टाटा द्वारा झींगा उत्पादन, थापर ग्रुप, सहारा ग्रुप आदि कंपनियां भी बड़ी परियोजनाओं द्वारा इस क्षेत्र में प्रवेश कर रही है। उपर्युक्त कंपनियां बड़े पैमाने पर प्राकृतिक जल संपदा अथवा जल प्लावित क्षेत्रों को अपने अनुसार परिवर्तित कर उनका दोहन करेंगी जिससे उन क्षेत्रों का पर्यावरण काफी प्रभावित होगा। इसलिये सभी मत्स्य उत्पादकों को पर्यावरण बोध कार्यक्रम जानने के लिए उत्साहित करना आवश्यक है।
  • भारत सरकार ने देश में सभी मत्स्य उत्पादन परियोजनाओं को स्थापित करने से पहले पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से उनका अनापत्ति आदेश प्राप्त करना आवश्यक कर दिया है। मंत्रालय इन परियोजनाओं का ”पर्यावरणीय मूल्यांकन“ अर्थात परियोजनाएं पर्यावरण की दृष्टि से संतुलित है अथवा नहीं ज्ञात कर अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करेगा। उसके फलस्वरूप ही परियोजनाएं स्वीकृत या निरस्त की जायेंगी।
  • इसके अतिरिक्त परियोजना पूर्ण रूप से कानूनी वाद विवाद रहित हो अन्यथा संविधान की धारा 19(1) (जी) मूलभूत अधिकार के तहत न्यायालय में किसी को भी इसे चुनौती देने का प्रावधान किया गया है।

मत्स्य पालन

भारत दुनिया का सातवां सबसे बड़ा मत्स्य उत्पादक देश है तथा अन्तर्देशीय मत्स्य उत्पादन में संभवतः इसका दूसरा स्थान है। भारत में मछली पालन क्षेत्र के विकास की विशाल संभावना है। देश के पास 8041 किलोमीटर लम्बा समुद्री तट, 20 लाख 20 हजार वर्ग किमी. नदी क्षेत्र और अनेक खारे तथा स्वच्छ जल के स्रोत उपलब्ध हैं। इस क्षेत्र में अब तक के अनुसंधान और विकास से

  • मछली पालन ग्रामीण क्षेत्र में एक भरोसेमंद उद्योग बन गया है।
  • छोटे तालाबों में मछली का उत्पादन 60 के दशक में 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष से बढ़कर 2000 किलोग्राम और बड़े जलाशयों में उपादन 5 किलो प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 80 किलो प्रति हेक्टेयर प्रति वर्ष हो गया है।
  • झींगा उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
  • सीप और घोंघे के उत्पादन में नई तकनीकों का समावेश
  • प्रसंस्करण और क्वालिटी कंट्रोल तकनीकों में सुधार हुआ।
  • झींगे के स्वाद वाले नूडल्स और अन्य खाद्य तथा मछली की आंतों से आपरेशन के लिए टांके का निर्माण
  • मछली-पालन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को शिक्षण-प्रशिक्षण।
  • सामुद्रिक उत्पादन स्थिर होने के कारण मछली फार्मिंग पर ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है। झींगा पालन का व्यवसाय देश में जड़ें जमा चुका है। जमीन और पानी के बेहतर इस्तेमाल द्वारा स्थान विशेष के अनुकूल समन्वित मछली पालन की तकनीकों का विकास करने की आवश्यकता है। कृषि क्षेत्र में विविधीकरण के प्रयासों में मछली पालन को सर्वोत्तम विकल्प के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए।

वर्ष 1997.98 के सर्वेक्षण कार्यक्रम में चार व्यापक क्षेत्रों को लिया गया

  • डेमर्सल संसाधन सर्वेक्षण परियोजनाएंः इनमें कांटिनेंटल शेल्फ तथा पश्चिम व पूर्वी तटों के साथ-साथ ढालों पर 500 मीटर तक की गहराइयों तक डेमर्सल संसाधन सर्वेक्षण और मछली भंडारों पर निगरानी शामिल हैं,
  • पेलाजिक संसाधन सर्वेक्षण परियोजना: इस परियोजना में उड़ीसा-पश्चिम बंगाल के तट के साथ-साथ समुद्र में ट्रालिंग के द्वारा तटवर्ती पेलजिक संसाधनों के सर्वेक्षण की व्यवस्था है,
  • समुद्र में ट्यूना/शार्क संसाधन सर्वेक्षण परियोजनाएं: ये परियोजनाएं उत्तर-पश्चिमी तट और अंडमान व निकोबार के समुद्र ट्यूना मछलियों के तथा निचले पूर्वी तट के साथ-साथ शार्क मछलियों के संसाधनों के सर्वेक्षण के लिए चलाई गईं और
  • प्रायोगिक परियोजनाएं शुरू की गईं। संस्थान सी.आई.एफ.एन.ई.टी., कोच्चि तथा शासकीय पाॅलीटेक्निक, पोर्ट ब्लेयर द्वारा नामित प्रत्यशियों को जहाज पर प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के लिए जन संसाधनों का विकास सके।
The document मत्स्य उद्योग - भारतीय भूगोल | भूगोल (Geography) for UPSC CSE in Hindi is a part of the UPSC Course भूगोल (Geography) for UPSC CSE in Hindi.
All you need of UPSC at this link: UPSC
55 videos|460 docs|193 tests

Top Courses for UPSC

FAQs on मत्स्य उद्योग - भारतीय भूगोल - भूगोल (Geography) for UPSC CSE in Hindi

1. मत्स्य उद्योग क्या है?
उत्तर: मत्स्य उद्योग एक आर्थिक व्यवसाय है जिसमें मछली और मत्स्य उत्पादों की खेती, पकड़ और प्रसंस्करण शामिल होता है। इसे समुद्री और सतही मत्स्य उद्योग में विभाजित किया जाता है।
2. भारत में मत्स्य उद्योग का महत्व क्या है?
उत्तर: भारत में मत्स्य उद्योग बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह देश का दूसरा सबसे बड़ा खाद्य उद्योग है। यह लाखों लोगों को रोजगार प्रदान करता है और अन्न सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत में बंगाली और केरली समुद्री मत्स्यों का विशेष महत्व है।
3. मत्स्य उद्योग के लिए भारतीय भूगोल की क्या विशेषताएं हैं?
उत्तर: भारत के भूगोलिक फीचर्स और नैदानिक वातावरण मत्स्य उद्योग के लिए अत्यंत उपयुक्त हैं। भारत के तटबंधों की लंबाई, विस्तारशील नदियों की मौजूदगी, इत्यादि इस उद्योग के विकास को संभव बनाते हैं।
4. भारत में मत्स्य उद्योग में आवश्यक सामग्री क्या है?
उत्तर: मत्स्य उद्योग में आवश्यक सामग्री में मछली बीज, जलवायु, जलाशय का उपयोग, जल-जीवन पदार्थों की उपलब्धता, खाद्य द्वारा प्रदान की जाने वाली पोषक तत्वों की जरूरत, इत्यादि शामिल होती है।
5. मत्स्य उद्योग में आर्थिक सहायता के लिए सरकार क्या नीतियाँ बनाती है?
उत्तर: सरकार मत्स्य उद्योग के लिए विभिन्न नीतियाँ बनाती है जो आर्थिक सहायता प्रदान करती हैं। इनमें समुद्री और तटीय क्षेत्रों के विकास, तकनीकी सहायता, ऋण प्रदान, बीमा योजनाएं, विदेशी निवेश योजनाएं, इत्यादि शामिल हो सकती हैं।
55 videos|460 docs|193 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Exam

,

video lectures

,

Summary

,

ppt

,

Viva Questions

,

Previous Year Questions with Solutions

,

past year papers

,

Extra Questions

,

practice quizzes

,

मत्स्य उद्योग - भारतीय भूगोल | भूगोल (Geography) for UPSC CSE in Hindi

,

Objective type Questions

,

MCQs

,

मत्स्य उद्योग - भारतीय भूगोल | भूगोल (Geography) for UPSC CSE in Hindi

,

Semester Notes

,

shortcuts and tricks

,

pdf

,

mock tests for examination

,

मत्स्य उद्योग - भारतीय भूगोल | भूगोल (Geography) for UPSC CSE in Hindi

,

Free

,

study material

,

Important questions

,

Sample Paper

;