UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi  >  महाजनपद और मगध साम्राज्य - बौद्ध एवं जैन धर्म, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस

महाजनपद और मगध साम्राज्य - बौद्ध एवं जैन धर्म, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

महाजनपद और मगध साम्राज्य

  • ईसा पूर्व छठी सदी से पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार में लोहे का व्यापक प्रयोग होने से बड़े-बड़े प्रादेशिक या जनपद राज्यों के निर्माण के लिए उपयुक्त परिस्थिति बन गई।
  • लोहे के हथियारों के कारण योद्धा वर्ग महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने लगे।
  • खेती के नए औजारों और उपकरणों से किसान अपनी आवश्यकता से अधिक अनाज पैदा करने लगे। अब राजा अपने सैनिक और प्रशासनिक प्रयोजनों के लिए इस अतिरिक्त अनाज को एकत्रित करवा सकता था।
  • शहरों को अपने कार्यकलाप का आधार बनाकर राज्यों को खड़ा होते देख लोगों में जनपद भावना प्रबल हुई। लोगों की जो प्रबल निष्ठा अपने जन या कबीले के प्रति थी, वह अब अपने जनपद या स्वसम्बद्ध भूभाग के प्रति हो गई।


महाजनपद

  • बुद्ध के समय में हम 16 बड़े-बड़े राज्य पाते हैं, जो महाजनपद कहलाते थे। इनमें अधिकतर राज्य विंध्य के उत्तर में थे और पश्चिमोत्तर सीमा प्रांत से बिहार तक फैले हुए थे।
  • साहित्यिक स्रोतों में जिन 16 महाजनपदों का उल्लेख है, वे इस प्रकार हैं - अंग, मगध, काशी, वत्स, कोसल, शूरसेन, पांचाल, कुरु, मत्स्य, चेदि, अवंति, गंधार, काम्बोज, अश्मक, वज्जि और मल्ल।
  • इनमें मगध, कोसल, वत्स और अवन्ति ये चार शायद अधिक शक्तिशाली थे। अधिकांश जनपदों के विकास में तीन रूप दिखाई पड़ते हैं -

(i) कुछ जनों या कबीलों ने अकेले ही जनपद की अवस्था प्राप्त कर ली। मत्स्य, चेदि, काशी, कोसल तथा कुछ अन्य जन इस श्रेणी में आते हैं।
 (ii) कुछ जनों में पहले संयोग हुआ और उसके पश्चात् उसका जनपद के रूप में विकास हुआ। इस प्रकार का उदाहरण पांचाल जनपद है, जिसमें पांच जनों का संयोग था।
 (iii) अनेक जन अधिक शक्तिशाली जनों के द्वारा विजितहोने के बाद, उन्हीं में मिला लिए गए। अंग जन इस प्रकार का एक उदाहरण है।

 

  • अंततः मगध राज्य सबसे शक्तिशाली बन गया और एक साम्राज्य स्थापित करने में सफल हुआ।
  • पालि साहित्य में मगध, उसके निवासियों और उसकी राजधानी गिरिव्रज (राजगीर) के संबंध में विस्तृत-वृतांत मिलता है। मगध में आधुनिक पटना और गया जिला तथा शाहाबाद का कुछ हिस्सा पड़ता है।


मगध की सफलता के कारण

  • मगध के चारों ओर प्राकृतिक सुरक्षा के साधन थे और निकटवर्ती जंगलों में पाई जानेवाली गजसेना से उसे पर्याप्त बल मिला।
  • मगध के आस-पास पाई गई लोहे की खानों से भांति-भांति के अó-शó बनाकर आर्य जाति को जंगलों को साफ करने में सहायता मिली और नए उद्योग-धंधों को बढ़ावा मिला।
  • मगध राज्य मध्य गंगा मैदान में पड़ता था और इस परम उर्वर प्रदेश में जंगलांे के साफ हो जाने के बाद यहां के किसान काफी अनाज पैदा कर लेते थे, और शासक कर के रूप में इस अतिरिक्त उपज को एकत्र करते थे।
  • गंगा नदी के पास होने के कारण व्यापारिक सुविधाएं बढ़ीं और आर्थिक दृष्टि से मगध का महत्व बहुत बढ़ गया। शासक अब वाणिज्य वस्तुओं पर चुंगी लगा सकते थे, और इस प्रकार अपनी सेना के खर्च के लिए धन एकत्र कर सकते थे।

मगध साम्राज्य के शासक
बिंबिसार (544-492 ई. पू.) : महावंश के अनुसार बिंबिसार 15 वर्ष की आयु में मगध नरेश बना। उसने गिरिव्रज (राजगृह) को अपनी राजधानी बनाकर हर्यंक वंश की नींव डाली। उसने पड़ोसी राज-परिवार की राजकुमारियों से वैवाहिक संबंध जोड़े। मगध के दक्षिण-पूर्व में अंग राज्य था जिसकी राजधानी आधुनिक भागलपुर के पास थी। बिंबिसार ने अंग राज्य को जीत लिया। अंग राज्य में गंगा के तट पर चंपा एक प्रसिद्ध बंदरगाह था, जहां से जहाज गंगा के मुहाने तक और आगे पूर्वी समुद्रतट के साथ-साथ दक्षिण भारत को जाते थे। दक्षिण भारत से ये जहाज मसाले और मणि-माणिक्य लेकर लौटते थे जिनसे मगध धनवान बन गया था।
 उसने मगध पर अच्छा शासन किया। उसकी मदद के लिए सलाहकारों की एक समिति थी। उसने गांवों के मुखिया को सीधे खुद से मिलने की अनुमति दे रखी थी, क्योंकि वह जानना चाहता था कि उसकी प्रजा क्या चाहती थी। वह दोषी पाए जाने पर पदाधिकारियों को भी दंडित करता था। उसने विभिन्न शहरों और गांवों को आपस में जोड़ने के लिए सड़कें बनवाईं और नदियों पर पुल बनवाए। राज्य की दशा स्वयं जानने के लिए उसने अपने सारे राज्य के दौरे किए। वह दूसरे राज्यों के साथ (अंग को छोड़कर) मित्रतापूर्ण संबंध बनाए रखना चाहता था। उसने सुदूर देशों को, यहां तक कि पश्चिमोत्तर भारत के गांधार राज्य को भी, अपने राजदूत भेजे थे।

स्मरणीय तथ्य
  • बौद्ध अनुयायियों की दृष्टि में त्रिपिटक सर्वाधिक पवित्र धर्मग्रंथ है।
  • बौद्ध सम्प्रदायों का कालक्रम है - स्थविरवादिन, सर्वास्तिवादिन, महायान और वज्रयान।
  • 'दीर्घ निकाय’ ग्रंथ में 25 मुख्य शिल्पों की चर्चा है। इसके महासुदस्सन सुत्त में चक्रवर्ती शासक का भव्य प्रसाद वर्णित है, जो 84,000 स्तम्भों तथा अन्य अनेक उपांगों से सुसज्जित कहा गया है। इस ग्रंथ के महापरिनिर्वाण सुत्त में पाटलिपुत्र नगर की निर्माण-योजना वर्णित है।
  • प्राक्-मौर्य काल में राजगृह मगध की राजधानी थी। यह नगर पांच पहाड़ियों के बीच स्थित था। जैन ग्रंथ ‘विविधि तीर्थकल्प’ में इन पहाड़ियों के नाम इस प्रकार दिए हैं - (i) विपुल गिरि (उत्तर), (ii) रत्नगिरि (पूर्व), (iii) उदयगिरि (दक्षिण-पूर्व), (iv)सोनगिरि (दक्षिण-पश्चिम),(v) वैभारगिरि (पश्चिम)।
  • बौद्ध साहित्य में महागोविन्द नामक कुशल शिल्पी का उल्लेख मिलता है जिसने ई. पूर्व पांचवीं शताब्दी में राजगृह आदि अनेक बड़े नगरों की निर्माण योजना प्रस्तुत की।
  • बौद्ध साहित्य में ‘स्तूप’ का प्रयोग मृत व्यक्ति की अस्थियों पर बनाई जाने वाली समाधि के लिए हुआ है, जिसका आकार आ®धे कटोरेनुमा टीले जैसा हो। बाद में ‘स्तूप’ शब्द उन स्मारकों के लिए भी प्रयुक्त होने लगा जो बुद्ध या उनके उपासकों की स्मृति या किसी घटना-विशेष की स्मृति हेतु बना दिए जाते थे।

अजातशत्रु (492-460 ई.पू.) : बौद्ध ग्रंथों के अनुसार बिंबिसार की मृत्यु अपने महत्वाकांक्षी पुत्र अजातशत्रु के हाथों हुई, परंतु जैन साहित्य में अजातशत्रु को पितृ-हत्या का दोषी नहीं ठहराया गया है। अजातशत्रु ने आरम्भ से ही विस्तार की नीति अपनाई। बिंबिसार के प्रति अजातशत्रु के व्यवहार से क्षुब्ध होकर उसके मामा कोशलराज प्रसेनजित ने काशी को मगध से वापस ले लिया। अजातशत्रु का कोसल से युद्ध हुआ। पहले तो प्रसेनजित की हार हुई किंतु कुछ समय बाद दोनों में संधि हो गई और अजातशत्रु को न केवल काशी का प्रदेश मिला, अपितु कोसल की राजकुमारी वाजिरा का हाथ भी। जैन ग्रंथ भगवती सूत्र के अनुसार अजातशत्रु का वज्जि संघ के साथ भी युद्ध हुआ। मगध सम्राट ने अपने कूटनीतिज्ञ मंत्री वत्सकार की सहायता से लिच्छवियों की शक्ति पर विजय पाई।

उदयन (460-444 ई. पू.) : उसने पटना में गंगा और सोनके संगम पर एक किला बनवाया। उदयन के बाद अनिरूद्ध, मुण्ड तथा दर्शक सिंहासन पर आए। महावंश नामक श्रीलंका के बौद्धों के इतिहास से ज्ञात होता है कि उनमें से प्रत्येक अपने-अपने पिता की हत्या करके सिंहासन पर बैठा था। सम्भवतः जनता ने 413 ई. पू. में अंतिम राजा को पदच्युत कर बनारस के उपराजा शिशुनाग को सिंहासन पर बिठाया।

शिशुनाग वंश (413-362 ई. पू.) : पुराणों के अनुसार शिशुनाग ने प्रद्योत वंश की सेना को नष्ट कर दिया। अवंति मगध साम्राज्य का भाग बन गया। इसी समय वत्स तथा कोसल पर भी शिशुनाग ने विजय पाई और इन राज्यों की विजय से मगध का बहुत विस्तार हो गया। कुछ समय के लिए राजधानी वैशाली ले आई गई।

नंद वंशः मगध का राज्य अब नंद वंश के हाथ में आ गया। इस वंश की स्थापना महानंदिन ने की, परंतु महापद नंद ने शीघ्र ही उसका वध कर दिया। वह एक शूद्र दासीपुत्र था। पुराणों में उसे सर्वक्षतांतक कहा गया है। पौराणिक अनुश्रुति के अनुसार महापद नंद के आठ पुत्र थे जिनमें से केवल अंतिम पुत्र धननंद के विषय में थोड़ी जानकारी मिलती है। धननंद उस समय मगध पर राज्य कर रहा था, जब भारत पर सिकंदर का आक्रमण हुआ। चंद्रगुप्त मौर्य ने चाणक्य की सहायता से मगध पर आक्रमण किया और धननंद को मारकर राजसिंहासन प्राप्त कर लिया।

The document महाजनपद और मगध साम्राज्य - बौद्ध एवं जैन धर्म, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi is a part of the UPSC Course इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi.
All you need of UPSC at this link: UPSC
398 videos|676 docs|372 tests

Top Courses for UPSC

FAQs on महाजनपद और मगध साम्राज्य - बौद्ध एवं जैन धर्म, इतिहास, यूपीएससी, आईएएस - इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

1. महाजनपद और मगध साम्राज्य के बीच क्या अंतर है?
महाजनपद और मगध साम्राज्य दोनों ही प्राचीन भारतीय इतिहास के महत्वपूर्ण अध्याय थे। लेकिन, महाजनपद और मगध साम्राज्य में कुछ मुख्य अंतर हैं। महाजनपद एक संगठित राज्य नहीं था, वहां अनेक छोटे-छोटे राज्य थे। वहां प्रशासकीय व्यवस्था कमजोर थी और जनसंख्या कम थी। वहां जलीय संसाधनों का अधिक उपयोग होता था और प्रमुख व्यापारिक केंद्र थे। वहां कृषि और पशुपालन भी मुख्य धंधा था। विपणन भी महत्वपूर्ण धंधा था। मगध साम्राज्य एक संगठित और मजबूत राज्य था। वहां प्रशासकीय व्यवस्था मजबूत थी और जनसंख्या भी अधिक थी। वहां भू-संपदा का अधिक उपयोग होता था और साम्राज्य का केंद्र थे। वहां कृषि, शिकार, युद्ध और व्यापार सभी मुख्य धंधे थे। वहां धार्मिक और साहित्यिक विकास भी था।
2. बौद्ध और जैन धर्म में क्या अंतर है?
बौद्ध और जैन धर्म दोनों ही महाजनपद और मगध साम्राज्य के समय में प्रभावशाली धर्म थे। लेकिन, बौद्ध और जैन धर्म में कुछ मुख्य अंतर हैं। बौद्ध धर्म में बुद्ध को अवतार माना जाता है, जबकि जैन धर्म में तीर्थंकर को मान्यता है। बौद्ध धर्म में अहिंसा का महत्व बहुत है, जबकि जैन धर्म में अहिंसा को उत्कृष्ट मान्यता है। बौद्ध धर्म में पालि और संस्कृत भाषा का उपयोग होता है, जबकि जैन धर्म में अपभ्रंश भाषा का उपयोग होता है। बौद्ध धर्म में धार्मिक ग्रंथ त्रिपिटक के रूप में मान्यता है, जबकि जैन धर्म में अगम सूत्र के रूप में मान्यता है।
3. महाजनपद क्या थे?
महाजनपद भारतीय इतिहास में छोटे-छोटे राज्यों को कहा जाता है, जो महाजनपद काल में महत्वपूर्ण थे। ये राज्य विभिन्न भू-संपदा के आधार पर विभाजित थे, जैसे जलीय संपदा, मृदा संपदा और वनस्पति संपदा। महाजनपदों में व्यापार, कृषि, पशुपालन और विपणन मुख्य धंधे थे।
4. मगध साम्राज्य की महत्वपूर्ण घटनाएं क्या थीं?
मगध साम्राज्य के इतिहास में कई महत्वपूर्ण घटनाएं थीं। कुछ महत्वपूर्ण घटनाएं निम्नलिखित हैं: - बिंबिसार के शासनकाल में मगध साम्राज्य का विस्तार हुआ और उसने अनेक राज्यों को अपने अधीन कर लिया। - अजातशत्रु के शासनकाल में मगध साम्राज्य ने अवधी साम्राज्य का अधीन किया। - चंद्रगुप्त मौर्य के शासनकाल में मगध साम्राज्य ने बहुत विस्तार किया और भारतीय इतिहास के प्रमुख साम्राज्यों में से एक बन गय
398 videos|676 docs|372 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

यूपीएससी

,

यूपीएससी

,

pdf

,

Objective type Questions

,

Exam

,

video lectures

,

practice quizzes

,

Summary

,

इतिहास

,

महाजनपद और मगध साम्राज्य - बौद्ध एवं जैन धर्म

,

आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

Sample Paper

,

Free

,

ppt

,

इतिहास

,

MCQs

,

Viva Questions

,

shortcuts and tricks

,

महाजनपद और मगध साम्राज्य - बौद्ध एवं जैन धर्म

,

इतिहास

,

Previous Year Questions with Solutions

,

महाजनपद और मगध साम्राज्य - बौद्ध एवं जैन धर्म

,

Semester Notes

,

आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

study material

,

आईएएस | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

,

यूपीएससी

,

past year papers

,

Extra Questions

,

Important questions

,

mock tests for examination

;