UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi  >  Politics and Governance (राजनीति और शासन): September 2023 UPSC Current Affairs

Politics and Governance (राजनीति और शासन): September 2023 UPSC Current Affairs | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

छठा राष्ट्रीय पोषण माह

चर्चा में क्यों?

महिला और बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Women and Child Development- MoWCD) सितंबर 2023 में छठा राष्ट्रीय पोषण माह मना रहा है।

राष्ट्रीय पोषण माह 2023 के प्रमुख बिंदु:

  • केंद्र बिंदु एवं उद्देश्य:
    • इसका उद्देश्य मिशन पोषण 2.0 के आधारजीवन-चक्र दृष्टिकोण के माध्यम से कुपोषण से व्यापक रूप से निपटना है। 
    • इसका केंद्र बिंदु पूरे भारत में बेहतर पोषण को बढ़ावा देने के लिये मानव जीवन के महत्त्वपूर्ण चरणों- गर्भावस्था, शैशवावस्था, बचपन और किशोरावस्था के बारे में व्यापक जागरूकता पैदा करना है। 
  • थीम:
    • "सुपोषित भारत, साक्षर भारत, सशक्त भारत" जो एक स्वस्थ और मज़बूत देश के निर्माण में पोषण, शिक्षा एवं सशक्तीकरण के महत्त्व पर ज़ोर देता है।
  • इस वर्ष की पहलें:
    • महीने भर चलने वाले इस आयोजन में स्तनपान और पूरक आहार जैसे प्रमुख विषयों पर ध्यान केंद्रित करने वाले अभियानों के माध्यम से ज़मीनी स्तर पर पोषण संबंधी जागरूकता बढ़ाने के लिये राष्ट्रव्यापी प्रयास किये जाएंगे। 
    • इन प्रयासों में निम्नलिखित गतिविधियाँ शामिल हैं:
      • बेहतर पोषण और समग्र कल्याण के लिये स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा को प्रोत्साहित करने हेतु स्वस्थ बालक प्रतिस्पर्द्धा (स्वस्थ बाल प्रतियोगिता)।
      • पोषण भी पढाई भी (पोषण और शिक्षा), मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिये जीवनशैली) के माध्यम से पोषण में सुधार, आदिवासी समुदायों को पोषण के विषय में संवेदनशील बनाना तथा टेस्ट, ट्रीट, टॉक दृष्टिकोण के माध्यम से एनीमिया को संबोधित करना।
  • वर्ष 2022 की प्रगति:
    • वर्ष 2022 में पोषण माह के दौरान पोषण से संबंधित प्रमुख विषयों पर ध्यान केंद्रित करते हुए 170 मिलियन से अधिक संवेदीकरण गतिविधियाँ हुईं।
    • प्रत्येक वर्ष पोषण पखवाड़ा (मार्च) और पोषण माह (सितंबर) के दौरान जन आंदोलन के हिस्से के रूप में 600 मिलियन से अधिक गतिविधियाँ आयोजित की गई हैं।

पोषण अभियान

  • परिचय: 
    • यह कुपोषण को व्यापक रूप से संबोधित करने के लिये भारत सरकार (GoI) की एक प्रमुख पहल है।
  • उद्देश्य:
    • इसका लक्ष्य एक एकीकृत पोषण सहायता कार्यक्रम तैयार करना है जो पोषण सेवाओं हेतु सामग्री, उनका वितरण, आउटरीच और समग्र परिणामों में वृद्धि करेगा।
    • इसका प्राथमिक उद्देश्य उन प्रथाओं को बढ़ावा देना है जो बीमारियों और कुपोषण की समस्या का समाधान कर व्यक्तियों के स्वास्थ्य, कल्याण तथा प्रतिरक्षा में सुधार करती हैं।
  • लक्षित आबादी:
    • यह गर्भवती महिलाओं, स्तनपान कराने वाली माताओं, किशोरियों और 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को लक्षित करता है।
  • पोषण ट्रैकर एप:
    • वर्ष 2021 में MoWCD ने पोषण ट्रैकर नामक एक एप्लीकेशन लॉन्च किया।
    • फरवरी 2022 तक पोषण ट्रैकर पर पंजीकृत लाभार्थियों की संख्या:
      Politics and Governance (राजनीति और शासन): September 2023 UPSC Current Affairs | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi

सक्षम आँगनवाड़ी और पोषण 2.0

परिचय:

  • वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत सरकार (GoI) ने एकीकृत बाल विकास सेवाओं (ICDS) और पोषण (प्रधानमंत्री समग्र पोषण योजना) अभियान को सक्षम आँगनवाड़ी और पोषण 2.0 में पुनर्गठित किया।
    • ICDS
    • पोषण अभियान
    • किशोरियों के लिये योजना (SAG)
    • राष्ट्रीय शिशु गृह योजना

वित्तीयन:

  • पोषण 2.0 को केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच लागत बँटवारे के अनुपात के आधार पर राज्य सरकारों/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रशासन के माध्यम से लागू किया जा रहा है, यह केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम है।

दृष्टिकोण:

  • यह 6 वर्ष तक के बच्चों, किशोरियों (14-18 वर्ष) और गर्भवती एवं स्तनपान कराने वाली महिलाओं के कुपोषण की चुनौतीपूर्ण स्थिति का समाधान करेगा।
  • सतत् विकास लक्ष्यों (शून्य भूख पर SDG 2 और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर SDG 4) की उपलब्धि इस कार्यक्रम के रुपरेखा में सबसे प्रमुख है।
  • मिशन बच्चों के स्वास्थ्य और वयस्क उत्पादकता में वृद्धि हेतु पोषण एवं बचपन की देखभाल तथा मौलिक शिक्षा के महत्त्व पर ध्यान केंद्रित करेगा।

घटक:

  • 06 माह से 6 वर्ष तक आयु वर्ग के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं (PWLM) को पूरक पोषण कार्यक्रम (SNP) के माध्यम से पोषण सहायता।
    • आकांक्षी ज़िलों और पूर्वोत्तर क्षेत्रों  में 14 से 18 वर्ष की आयु वर्ग की किशोरियों को पोषण सहायता।
  •  प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (3-6 वर्ष) एवं प्रारंभिक प्रोत्‍साहन (0-3 वर्ष);
  • आधुनिक, उन्नत सक्षम आँगनबाडी सहित आँगनबाडी बुनियादी ढाँचा।

एक राष्ट्र एक चुनाव

पृष्ठभूमि

आजादी के ठीक बाद, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव एक साथ आयोजित किए गए। यह 1952, 1957, 1962 और 1967 के चुनावों के लिए सही था। लेकिन इसे बंद कर दिया गया क्योंकि 1968-69 में कुछ राज्य विधानसभाओं को विभिन्न कारणों से पहले ही भंग कर दिया गया था।

वर्तमान में, राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव अलग-अलग आयोजित किए जाते हैं। वह तब होता है जब वर्तमान सरकार का पांच साल का कार्यकाल या तो समाप्त होता है या जब भी विधायिका भंग होती है। विधान सभाओं और लोकसभा की शर्तें एक दूसरे के साथ सिंक्रनाइज़ हो सकती हैं या नहीं भी हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, राजस्थान में 2018 के अंत में चुनाव हुए, जबकि तमिलनाडु में 2021 में ही चुनाव होंगे।

  • एक साल में औसतन 5-7 विधानसभा चुनाव होते हैं। इससे उत्पन्न होने वाली समस्याओं के कारण, चुनाव आयोग ने एक प्रणाली के गठन का सुझाव दिया ताकि राज्य विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ हो सकें।
  • जस्टिस रेड्डी की अध्यक्षता वाले 1999 के विधि आयोग ने भी एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की थी। 2015 में संसदीय स्थायी समिति की 79वीं रिपोर्ट ने एक साथ चुनाव कराने के समर्थन को दोहराया है।
  • एक साथ चुनाव कराने का विचार 2016 में प्रधान मंत्री मोदी द्वारा फिर से पेश किया गया था। तब से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने एक साथ चुनाव कराने के लिए एक मजबूत तर्क दिया है।
  • 2017 में नीति आयोग द्वारा एक साथ चुनाव पर वर्किंग पेपर तैयार किया गया था। यहां तक कि कानून आयोग भी 2018 में एक वर्किंग पेपर लेकर आया था और कहा था कि एक साथ चुनाव कराने की संभावना के लिए कम से कम पांच संवैधानिक बदलावों की आवश्यकता होगी।

हाल ही में भाजपा नेता श्री नकवी ने राजनीतिक दलों से एक साथ चुनाव कराने पर विचार करने का आह्वान किया है। लेकिन कई विपक्षी दल अभी भी इस विचार का विरोध करते हैं।

एक राष्ट्र एक चुनाव की आवश्यकता

एक साथ चुनाव की आवश्यकता के लिए विभिन्न तर्क दिए गए हैं। जैसे कि

  • हर साल देश में औसतन 5 से 7 विधानसभा चुनाव होते हैं, जिसका मतलब है कि भारत हमेशा चुनावी मोड में रहता है। यह केंद्र सरकार, राज्य सरकार, सरकारी कर्मचारियों, चुनाव ड्यूटी पर शिक्षकों, मतदाताओं, राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों जैसे सभी प्रमुख हितधारकों को प्रभावित करता है।
  • चुनाव के लिए चुनाव आयोग द्वारा आदर्श आचार संहिता लागू करने की आवश्यकता है-
    • संसदीय स्थायी समिति की 79वीं रिपोर्ट के अनुसार आदर्श आचार संहिता लागू होने से उस राज्य में जहां चुनाव हो रहा है, केंद्र और राज्य सरकार की सामान्य सरकारी गतिविधियों और कार्यक्रमों को स्थगित कर दिया जाता है। इससे नीतिगत पक्षाघात और सरकारी घाटा होता है।
  • बार-बार होने वाले चुनावों से केंद्र और राज्य सरकारों को भारी खर्च करना पड़ता है। इससे जनता के पैसे की बर्बादी होती है और विकास कार्य बाधित होता है।
  • चुनाव की स्थिति में भारी मात्रा में सुरक्षा बल भी तैनात करना पड़ता है। 16वीं लोकसभा चुनाव में, भारत के चुनाव आयोग ने चुनाव चलाने के लिए 10 मिलियन सरकारी अधिकारियों की सहायता ली।
  • लंबे समय तक आदर्श आचार संहिता लागू रहने से जनता का सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। बार-बार होने वाले चुनाव प्रचार के कारण भी ऐसा होता है।
  • बार-बार चुनाव होने के कारण जाति, सांप्रदायिक और क्षेत्रीय मुद्दे हमेशा सबसे आगे रहते हैं। कई लोग तर्क देते हैं कि इस तरह के मुद्दे निरंतर राजनीति से कायम हैं।
  • बार-बार होने वाले चुनाव भी शासन के फोकस को दीर्घकालिक नीति लक्ष्यों से अल्पकालिक नीति लक्ष्यों की ओर ले जाते हैं।
    • इस ध्वनि के कारण आर्थिक नियोजन पीछे हट जाता है और सरकार कई बार अत्यधिक व्यय में लिप्त हो जाती है।
  • एक भाजपा नेता श्री नकवी के अनुसार बार-बार होने वाले चुनाव भारतीय जनता को लोकतंत्र के पर्व के प्रति उदासीन बना देते हैं।

एक साथ चुनाव के लाभ

विधि आयोग के अनुसार, एक साथ चुनाव कराने के कई फायदे हैं। जैसे कि

  • जनता का पैसा बचाएं- यह बार-बार होने वाले चुनावों में लगने वाले भारी खर्च को कम करेगा।
  • प्रशासनिक ढांचे और सुरक्षा बलों पर बोझ कम करें- यह उस भारी जनशक्ति को कम करेगा जिसे हर बार चुनाव होने पर तैनात करना पड़ता है।
  • सरकारी नीतियों का समय पर कार्यान्वयन सुनिश्चित करें- साथ-साथ चुनाव सुनिश्चित करेंगे कि सत्तारूढ़ पार्टी लगातार चुनाव मोड में रहने के बजाय विकास पर ध्यान केंद्रित करे।

चूंकि आदर्श आचार संहिता बार-बार लागू नहीं होगी, इसलिए सरकारें समयबद्ध तरीके से नीतियों और कार्यक्रमों को लॉन्च करने में सक्षम होंगी। यह नीति की निरंतरता भी सुनिश्चित करेगा।

  • यह सुनिश्चित करेगा कि प्रशासनिक मशीनरी चुनाव प्रचार के बजाय विकास गतिविधियों में लगी रहे- यह शिक्षकों को छुट्टियों के डर के बिना काम करने में मदद करेगी। स्कूल और विश्वविद्यालय भी समय पर खुल सकेंगे।
  • विधि आयोग के अनुसार एक साथ चुनाव कराने से मतदान प्रतिशत भी बढ़ेगा।
  • एक साथ चुनाव वोट बैंक तुष्टिकरण की राजनीति के खिलाफ भी काम कर सकते हैं।

श्रेयस योजना

चर्चा में क्यों?

युवा अचीवर्स हेतु उच्च शिक्षा के लिये छात्रवृत्ति योजना (Scholarships for Higher Education for Young Achievers Scheme - SHREYAS) भारत में अनुसूचित जाति (SC) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच प्रदान करके उन्हें सशक्त बनाने की दिशा में भारत द्वारा किये गये के प्रयासों को प्रतिबिंबित करती रही है।

श्रेयस योजना

परिचय

  • यह सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तहत एक व्यापक योजना है।
  • इसका उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा तक पहुँच प्रदान करने के लिये फेलोशिप (वित्तीय सहायता) और विदेश में पढ़ाई के लिये शैक्षिक ऋण पर ब्याज सब्सिडी प्रदान करके अन्य पिछड़ा वर्ग तथा आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग (EBC) के छात्रों का शैक्षिक सशक्तीकरण करना है।

उप-योजनाएँ

  • "श्रेयस" की अम्ब्रेला योजना में 4 केंद्रीय क्षेत्र की उप-योजनाएँ शामिल हैं।
    • अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिये निःशुल्क कोचिंग योजना:
    • उद्देश्य:
      • प्रतिस्पर्द्धी परीक्षाओं और तकनीकी तथा व्यावसायिक संस्थानों में नामांकन के लिये आर्थिक रूप से वंचित अनुसूचित जाति व अन्य पिछड़ा वर्ग को उच्च गुणवत्ता की कोचिंग प्रदान करना।
      • आय सीमा: योजना के तहत पारिवारिक आय 8 लाख प्रति वर्ष तय की गई है।
      • स्लॉट आवंटन: इसके लिए सालाना 3500 स्लॉट आवंटित किये जाते हैं।
      • लिंग समावेशिता: दोनों श्रेणियों में महिलाओं के लिये 30% स्लॉट आरक्षित हैं।
      • आवंटन अनुपात: SC: OBC अनुपात 70:30 है, जो समान पहुँच सुनिश्चित करता है।
      • परिणाम: वर्ष 2014-15 से वर्ष 2022-23 तक 19,995 लाभार्थियों को इसका लाभ मिला है।

अनुसूचित जाति(SC) के लिये सर्वोत्तम शिक्षा

  • उद्देश्य: 12वीं कक्षा से आगे की पढ़ाई को कवर करते हुए, SC के छात्रों के बीच गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को पहचानना और बढ़ावा देना।
  • आय सीमा: पारिवारिक आय सीमा 8 लाख प्रति वर्ष निर्धारित है।
  • कवरेज: 266 उच्च शिक्षा संस्थान, जिनमें IIM, IIT और NIT जैसे प्रतिष्ठित संस्थान शामिल हैं।
  • छात्रवृत्ति: योजना के तहत शिक्षण शुल्क, वापस न किये जाने वाले शुल्क (Non-refundable charges), शैक्षणिक भत्ता और अन्य खर्च प्रदान किये जाते हैं।

परिणाम

  • वर्ष 2014-15 से वर्ष 2022-23 तक 21,988 लाभार्थी इससे लाभान्वित हुए हैं।
  • अनुसूचित जाति के लिये राष्ट्रीय प्रवासी योजना:
    • उद्देश्य: अनुसूचित जाति के लिये राष्ट्रीय प्रवासी योजना के तहत, अनुसूचित जाति के चयनित छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है तथा गैर-अधिसूचित, घुमंतू एवं अर्द्ध-घुमंतू जनजातियों, भूमिहीन खेतिहर मज़दूरों व पारंपरिक कारीगर श्रेणी को विदेश में स्नातकोत्तर और पीएच.डी. स्‍तर के पाठ्यक्रम करने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
    • पात्रता: एक छात्र के परिवार की कुल आय 8 लाख रुपये प्रति वर्ष से कम होनी चाहिये, जिनके पास पात्रता परीक्षा में 60% से अधिक अंक प्राप्त किया हो, उम्र 35 वर्ष से कम हो और जिन्होंने शीर्ष 500 QS रैंकिंग वाले विदेशी संस्थानों/विश्वविद्यालयों में प्रवेश लिया हो।
    • छात्रवृत्ति: योजना से लाभ प्राप्त लाभार्थियों को कुल शिक्षण शुल्क, रखरखाव और आकस्मिकता भत्ता, वीज़ा शुल्क, आने-जाने का हवाई मार्ग किराया आदि प्रदान किया जाता है।
    • परिणाम: वर्ष 2014-15 से वर्ष 2022-23 तक 950 विद्यार्थियों को इसका लाभ मिला है।

अनुसूचित जाति के छात्रों के लिये राष्ट्रीय फैलोशिप

  • उद्देश्य: यह फेलोशिप विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) द्वारा मान्यता प्राप्त भारतीय विश्वविद्यालयों/संस्थानों/कॉलेजों में विज्ञान, मानविकी और सामाजिक विज्ञान में एम.फिल/पीएच.डी. डिग्री करने वाले अनुसूचित जाति के छात्रों को सहायता प्रदान करती है।
  • पात्रता: वे उम्मीदवार जिन्होंने राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (NET-JRF) या विज्ञान स्ट्रीम में जूनियर रिसर्च फेलो के लिये UGC-काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (UGC-CSIR) संयुक्त परीक्षा उत्तीर्ण की है।
  • आवंटन: यह योजना प्रति वर्ष 2000 नए स्लॉट (विज्ञान स्ट्रीम के लिये 500 और मानविकी व सामाजिक विज्ञान के लिये 1500) प्रदान करती है।

राष्ट्रीय उच्च शिक्षा योग्यता ढाँचा

चर्चा में क्यों?

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने योग्यताओं को मानकीकृत करने और शैक्षणिक गतिशीलता को बढ़ावा देने के लिये राष्ट्रीय उच्च शिक्षा योग्यता ढाँचा (NHEQF) तैयार किया है।

  • हालाँकि मौजूदा कई दिशा-निर्देशों और रूपरेखाओं के कारण इसके कार्यान्वयन को लेकर चिंताएँ बढ़ गईं हैं जिससे हितधारकों के बीच भ्रम पैदा हो गया है।

राष्ट्रीय उच्च शिक्षा योग्यता ढाँचा

पृष्ठभूमि:

  • 1990 के दशक के अंत से ही विश्व भर में उच्च शिक्षा योग्यता के लिये रूपरेखा निर्दिष्ट करने की मांग को लेकर कई आंदोलन हुए, लेकिन भारत में NHEQF को लेकर चर्चाएँ उतनी मुखर नहीं रहीं।
  • इस पर वर्ष 2012 में केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की 60वीं बैठक में विचार-विमर्श किया गया था, जिसमें UGC को इसका कार्यभार सौंपा गया।

परिचय:

  • UGC ने सभी स्तरों पर उच्च शिक्षा योग्यताओं में पारदर्शिता और तुलनीयता की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से NHEQF तैयार किया है। इसके बाद सभी शैक्षणिक संस्थानों पर लागू की जाने वाली रूपरेखा जारी कर दी गई है।
    • NHEQF राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर आधारित है, जो कि भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली के लिये एक नई और दूरगामी दृष्टि की परिकल्पना करती है।

मुख्य विशेषताएँ:

  • यह ढाँचा शिक्षा को आठ स्तरों में वर्गीकृत करता है, जिसमें से पहले चार राष्ट्रीय स्कूल शिक्षा योग्यता ढाँचा (NSEQF) का हिस्सा हैं और बाद के चार उच्च शिक्षा योग्यता (स्तर 4.5 से स्तर 8) से संबंधित हैं।
  • NHEQF अध्ययन हेतु कार्यक्रमों के विकास और कार्यान्वयन के लिये दिशा-निर्देश प्रदान करता है, जैसे- कार्यक्रम के बाद के परिणाम, पाठ्यक्रम को सीखने के बाद के परिणाम, पाठ्यक्रम डिज़ाइन, शिक्षा शास्त्र, मूल्यांकन और प्रतिक्रिया।
  • UGC के क्रेडिट फ्रेमवर्क दस्तावेज़ में कहा गया है कि प्रत्येक सेमेस्टर में न्यूनतम 20 क्रेडिट होने चाहिये
    • यह दस्तावेज़ सुझाव देता है कि एक क्रेडिट में 15 घंटे प्रत्यक्ष और 30 घंटे अप्रत्यक्ष शिक्षण शामिल होना चाहिये। इसका अर्थ है कि छात्रों को प्रति सेमेस्टर कम-से-कम 900 घंटे या प्रतिदिन लगभग 10 घंटे अध्ययन करना आवश्यक है।
  • योग्यता प्रकार व्यापक और अनुशासन-स्वतंत्र हैं, जिनमें प्रमाणपत्र, डिप्लोमा, स्नातक डिग्री, स्नातकोत्तर डिग्री और पीएच.डी शामिल हैं। NHEQF में चिकित्सा और कानूनी शिक्षा को छोड़कर, तकनीकी एवं व्यावसायिक शिक्षा तथा पेशेवर व तकनीकी शिक्षा कार्यक्रमों की योग्यताएँ भी एक ढाँचे के अंतर्गत शामिल हैं।
  • NHEQF नियामकों, उच्च शिक्षा संस्थानों और बाहरी एजेंसियों की भूमिकाओं तथा ज़िम्मेदारियों के साथ-साथ कार्यक्रमों एवं योग्यताओं के अनुमोदन, निगरानी व मूल्यांकन के लिये प्रक्रियाओं तथा मानदंडों जैसे गुणवत्ता आश्वासन तंत्र स्थापित करता है।

नए राष्ट्रीय उच्च शिक्षा योग्यता ढाँचे की समस्याएँ

दिशा-निर्देशों की बहुलता:

  • UGC ने दो अलग-अलग रूपरेखाएँ निर्धारित की हैं- राष्ट्रीय उच्च शिक्षा योग्यता फ्रेमवर्क मसौदा(NHEQF) और राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क
  • उच्च शिक्षण संस्थानों को पाठ्यक्रमों और संस्थानों में क्रेडिट को पहचान करने, स्वीकार करने तथा स्थानांतरित करने के लिये एक अनिवार्य पद्धति के रूप में एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट को लागू करने की आवश्यकता होती है।
  • अनेक विनियमों की उपस्थिति उच्च शिक्षा योग्यताओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है।

अस्पष्टता:

  • NHEQF स्पष्ट रूप से पात्रता शर्तों और मार्गों की व्याख्या नहीं करता है जिसके माध्यम से एक छात्र किसी विशेष स्तर पर कार्यक्रम में प्रवेश कर सकता है।
  • स्पष्ट पात्रता शर्तों और मार्गों के अभाव के कारण छात्रों एवं संस्थानों के बीच भ्रम उत्पन्न हो सकता है।

आम सहमति का अभाव:

  • कृषि, कानून, चिकित्सा और फार्मेसी जैसे विषय अलग-अलग नियामकों के अधिकार क्षेत्र में हो सकते हैं, लेकिन उन्हें विभिन्न नियामक निकायों में सर्वसम्मति के माध्यम से NHEQF में शामिल किया जा सकता था।
  • सर्वसम्मति की कमी से उच्च शिक्षा प्रणाली खंडित हो सकती है और शैक्षणिक गतिशीलता बाधित हो सकती है।

एक डिग्री के अंतर्गत डिग्री (Degrees Within a Degree):

  • यह ढाँचा एक पदानुक्रम बनाता प्रतीत होता है, जो कुछ छात्रों को पीएच.डी कार्यक्रमों में प्रवेश के लिये पात्र होने की अनुमति देता है, जिनके पास न्यूनतम 7.5 CGPA के साथ चार वर्ष की स्नातक डिग्री है।
  • यह दृष्टिकोण अभिजात्यवाद को जन्म दे सकता है, क्योंकि शैक्षणिक प्रदर्शन अक्सर सामाजिक-आर्थिक स्थितियों से प्रभावित होता है।

अंतर्राष्ट्रीय मॉडल का प्रभाव:

  • NHEQF यूरोपीय बोलोग्ना प्रक्रिया और डबलिन विवरणकों से बहुत अधिक प्रभावित है।
    • बोलोग्ना प्रक्रिया उच्च शिक्षा योग्यताओं की गुणवत्ता और तुलनीयता सुनिश्चित करने हेतु यूरोपीय देशों के बीच समझौतों की एक शृंखला है।
    • डबलिन डिस्क्रिप्टर स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट डिग्री के लिये छात्रों के मूल्यांकन हेतु योग्यता ढाँचे की एक प्रणाली है।
  • भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली यूरोपीय मॉडल की तुलना में अधिक जटिल और विविध है। NHEQF के विकास को भारतीय राज्यों के साथ व्यापक विचार-विमर्श से लाभ हो सकता है।

आगे की राह

  • भ्रम को कम करने और योग्यता मानकों को सुव्यवस्थित करने के लिये NHEQF तथा नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क को एक व्यापक ढाँचे में विलय करना।
  • भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली की विविधता और जटिलता को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने के लिये राज्यों के साथ व्यापक एवं अधिक गहन परामर्श में संलग्न रहना चाहिये।
    • सामाजिक-सांस्कृतिक और सामाजिक-आर्थिक कारकों पर विचार करते हुए भारतीय उच्च शिक्षा प्रणाली के अनुरूप अधिगम के परिणाम विकसित करना चाहिये।
  • यह पहचान करना कि अधिगम के परिणाम केवल रोज़गार योग्यता पर ही केंद्रित नहीं होने चाहिये बल्कि समग्र व्यक्तिगत और सामाजिक विकास पर भी केंद्रित होने चाहिये।
  • उच्च शिक्षा प्रणाली को अभिजात्य वर्ग बनाने से रोकने के लिये पीएच.डी कार्यक्रमों में प्रवेश के लिये पात्रता मानदंड की समीक्षा करनी चाहिये।
  • उच्च शिक्षा परिदृश्य विकसित होने पर आवश्यक समायोजन करने के लिये NHEQF की चल रही निगरानी और मूल्यांकन के लिये एक तंत्र स्थापित करन चाहिये।

आधार को मतदाता सूची से जोड़ना स्वैच्छिक: ECI

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका के जवाब में भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) ने स्पष्ट किया कि आधार संख्या को मतदाता सूची के साथ जोड़ना अनिवार्य नहीं है।

आधार को मतदाता सूची से जोड़ने को लेकर चिंताएँ

दलील:

  • पृष्ठभूमि:
    • एक याचिकाकर्ता ने याचिका दायर कर केंद्र और ECI को नामांकन के लिये आवेदन पत्र में संशोधन करने तथा मतदाता सूची के साथ आधार संख्या के प्रमाणीकरण के लिये भारत संघ द्वारा अधिसूचित संशोधित प्रावधानों/नियमों पर 1 अप्रैल, 2023 या उससे पहले की मतदाता सूची को अद्यतन करने का निर्देश दिये जाने का आग्रह किया। 
  • चिंताएँ:
    • याचिकाकर्ता ने मतदाता गोपनीयता के बारे में चिंता व्यक्त की और आरोप लगाया कि केंद्र और निर्वाचन आयोग वैकल्पिक विकल्प प्रदान किये बिना मतदाताओं को अपना आधार नंबर जमा करने के लिये मजबूर कर रहे हैं।
  • कानूनी रुख:
    • इस प्रथा ने संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन किया और इससे मतदाताओं के व्यक्तिगत डेटा का दुरुपयोग हो सकता है।

सर्वोच्च न्यायालय का फैसला:

  • सर्वोच्च न्यायालय ने फैसले में इस बात को दर्ज किया कि मतदाताओं के पंजीकरण (संशोधन) नियम 2022 के नियम 26-B के अनुसार आधार संख्या जमा करना अनिवार्य नहीं है।
    • "मौजूदा मतदाताओं द्वारा आधार संख्या प्रदान किये जाने के लिये विशेष प्रावधान" से संबंधित नियम 26B के अनुसार, "प्रत्येक व्यक्ति जिसका नाम सूची में सूचीबद्ध है, वह लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23 की उपधारा (5) के अनुसार फॉर्म 6बी में पंजीकरण अधिकारी को अपना आधार नंबर सूचित कर सकता है। 
    • फॉर्म 6B एक सूचना पत्र है जिसमें मतदाता सूची प्रमाणीकरण के उद्देश्य से किसी व्यक्ति का आधार नंबर शामिल होता है।
  • भारत निर्वाचन आयोग (ECI) की प्रतिक्रिया:
    • ECI की प्रतिक्रिया थी कि आधार नंबर जमा करना स्वैच्छिक है। चुनाव आयोग, आधार लिंकेज से संबंधित फॉर्मों में उचित स्पष्टीकरण परिवर्तन करने पर विचार कर रहा है, जो आधार जमा करने की स्वैच्छिक प्रकृति को स्पष्ट करने के उसके इरादे को दर्शाता है।
    • चुनाव निकाय ने पीठ को सूचित किया कि "मतदाता सूची को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में लगभग 66.23 करोड़ आधार नंबर पहले ही अपलोड किये जा चुके हैं"।

फार्मा मेडटेक क्षेत्र के लिये नीतिगत पहल

चर्चा में क्यों?

हाल ही में केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने भारत में फार्मा-मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान व विकास तथा नवाचार पर राष्ट्रीय नीति और फार्मा में अनुसंधान एवं नवाचार को बढ़ावा देने के लिये योजना की शुरुआत की।

  • ये पहलें भारत में फार्मा-मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान और विकास तथा नवाचार पर राष्ट्रीय नीति और फार्मा मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान व नवाचार को बढ़ावा देने की योजना (Promotion of Research and Innovation in Pharma MedTech Sector- PRIP) हैं।

शुरू की गई पहलें

  • फार्मा-मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास और नवाचार पर राष्ट्रीय नीति:
    • नीति का उद्देश्य पारंपरिक दवाओं और फाइटोफार्मास्यूटिकल्स तथा चिकित्सा उपकरणों सहित फार्मास्यूटिकल में अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करना है।
      • यह संभावित रूप से अगले दशक में इस क्षेत्र को 120-130 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने में सहायता कर सकता है, जिससे सकल घरेलू उत्पाद में इसका योगदान लगभग 100 आधार अंकों तक बढ़ जाएगा।
  • उद्देश्य:
    • एक नियामक वातावरण बनाना जो उत्पाद विकास में नवाचार और अनुसंधान की सुविधा प्रदान करता है, सुरक्षा तथा गुणवत्ता के पारंपरिक नियामक उद्देश्यों का विस्तार करता है।
    • राजकोषीय और गैर-राजकोषीय उपायों के संयोजन के माध्यम से नवाचार में निजी एवं सार्वजनिक निवेश को प्रोत्साहित करना।
    • क्षेत्र में सतत् विकास के लिये एक मज़बूत संस्थागत आधार के रूप में नवाचार और क्रॉस-सेक्टोरल अनुसंधान का समर्थन करने हेतु डिज़ाइन किया गया एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना।
  • फार्मा-मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने की योजना (PRIP):
    • यह योजना नवाचार को बढ़ावा देने और मेडटेक क्षेत्र को नवाचार-संचालित पावरहाउस में बदलने पर केंद्रित है।
    • यह उच्च गुणवत्ता वाले अनुसंधान और नवाचार पर ज़ोर देती है, जिसका लक्ष्य क्षेत्र को मूल्य और नवाचार-आधारित दृष्टिकोण की ओर स्थानांतरित करना है।
    • अवयव:
      • घटक A: राष्ट्रीय फार्मास्यूटिकल शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (NIPER) में 7 उत्कृष्टता केंद्रों की स्थापना करके अनुसंधान बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करना।
      • घटक B: नई रासायनिक इकाइयों, बायोसिमिलर सहित जटिल जेनेरिक, चिकित्सा उपकरणों, स्टेम सेल थेरेपीओर्फन ड्रग्स दवाओं, एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध आदि जैसे छह प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अनुसंधान को प्रोत्साहित करके फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में अनुसंधान को बढ़ावा देना, जिसमें उद्योग, MSME, SME, सरकारी संस्थानों के साथ कार्य करने वाले स्टार्टअप और इन-हाउस एवं अकादमिक अनुसंधान दोनों के लिये वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
The document Politics and Governance (राजनीति और शासन): September 2023 UPSC Current Affairs | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi is a part of the UPSC Course भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi.
All you need of UPSC at this link: UPSC
184 videos|557 docs|199 tests

Top Courses for UPSC

FAQs on Politics and Governance (राजनीति और शासन): September 2023 UPSC Current Affairs - भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi

1. छठा राष्ट्रीय पोषण माह क्या है?
उत्तर: छठा राष्ट्रीय पोषण माह एक प्रदर्शनी है जो भारत में आयोजित की जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को स्वस्थ आहार और पोषण के महत्व के बारे में जागरूक करना है। यह पोषण माह नवंबर के पहले सप्ताह से लेकर दिसंबर के पहले सप्ताह तक मनाया जाता है।
2. एक राष्ट्र एक चुनाव क्या है?
उत्तर: एक राष्ट्र एक चुनाव एक आंदोलन है जिसका मुख्य उद्देश्य भारत में सभी नागरिकों को एक ही चुनाव प्रणाली के माध्यम से चुनाव का अधिकार प्रदान करना है। इसका मतलब है कि सभी चुनाव एक ही दिन में होंगे और एक ही चुनाव आयोग उन्हें संचालित करेगा।
3. श्रेयस योजना क्या है?
उत्तर: श्रेयस योजना एक सरकारी योजना है जिसका मुख्य उद्देश्य भारतीय महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करना है। इस योजना के अंतर्गत, गर्भवती महिलाओं को वित्तीय सहायता, जन्म देने के बाद मातृत्व अवकाश, और शिशु की देखभाल के लिए वित्तीय समर्थन प्रदान किया जाता है।
4. राष्ट्रीय उच्च शिक्षा योग्यता ढाँचाराजनीति और शासन क्या है?
उत्तर: राष्ट्रीय उच्च शिक्षा योग्यता ढाँचाराजनीति और शासन एक सरकारी नीति है जो उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता और मानकों को सुनिश्चित करने के लिए बनाई गई है। इस नीति के अंतर्गत, विश्वविद्यालयों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने, अनुसंधान को बढ़ावा देने, और विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा में प्रवेश के लिए योग्यता मानदंडों का निर्धारण करने का लक्ष्य है।
5. सितंबर 2023 में क्या होने वाला है?
उत्तर: सितंबर 2023 में राष्ट्रीय उच्च शिक्षा योग्यता ढाँचाराजनीति और शासन के लिए नई नीति और शासन लागू होने की उम्मीद है। इससे उच्च शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता और मानकों को मजबूत किया जाएगा और सुनिश्चित किया जाएगा कि विद्यार्थी सही योग्यता मानदंडों के अनुसार प्रवेश प्राप्त करते हैं।
184 videos|557 docs|199 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Politics and Governance (राजनीति और शासन): September 2023 UPSC Current Affairs | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi

,

Semester Notes

,

ppt

,

Important questions

,

Free

,

shortcuts and tricks

,

pdf

,

Politics and Governance (राजनीति और शासन): September 2023 UPSC Current Affairs | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi

,

video lectures

,

mock tests for examination

,

MCQs

,

Extra Questions

,

Summary

,

study material

,

practice quizzes

,

Objective type Questions

,

Politics and Governance (राजनीति और शासन): September 2023 UPSC Current Affairs | भारतीय राजव्यवस्था (Indian Polity) for UPSC CSE in Hindi

,

Sample Paper

,

past year papers

,

Exam

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Viva Questions

;