UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  Revision Notes for UPSC Hindi  >  राज्यों के उच्च न्यायालय - संशोधन नोटस, भारतीय राजव्यवस्था

राज्यों के उच्च न्यायालय - संशोधन नोटस, भारतीय राजव्यवस्था | Revision Notes for UPSC Hindi PDF Download

राज्यों के उच्च न्यायालय

राज्यों के उच्च न्यायालय - संशोधन नोटस, भारतीय राजव्यवस्था | Revision Notes for UPSC Hindi

  • संविधान के अनुच्छेद 214 में कहा गया है कि ”प्रत्येक राज्य के लिये एक उच्च न्यायालय होगा।’
  • लेकिन संविधान में ही अनुच्छेद 231 में यह व्यवस्था भी की गई है कि संसद दो या दो से अधिक राज्यों के लिए एक ही न्यायालय स्थापित कर सकती है। वर्तमान में भारत में 18 उच्च न्यायालय है।

उच्च न्यायालय का गठन

भारत के सभी राज्यों के उच्च न्यायालयों का गठन एक ही प्रकार से होता है। संविधान के अनुच्छेद 216 के अनुसार प्रत्येक राज्य का उच्च न्यायालय मुख्य न्यायमूर्ति तथा अन्य न्यायाधीशों से मिलकर बनेगा। इनके अतिरिक्त राष्ट्रपति को न्यायालय के लिए निम्नलिखित नियुक्तियां करने का भी अधिकार प्राप्त है-

  • उच्च न्यायालय के बकाया (Pending)  कार्य को निपटाने हेतु 2 वर्ष के लिए अतिरिक्त अस्थायी न्यायाधीश की नियुक्ति।
  • मुख्य न्यायाधीश की अनुपस्थिति में या किसी अन्य न्यायाधीश की अनुपस्थिति में अथवा किसी अन्य न्यायाधीश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य सम्भालने पर अस्थायी तौर पर कार्यकारी की नियुक्ति का अधिकार।

न्यायाधीशों की नियुक्ति
संविधान के अनुच्छेद 216 के अधीन उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। इस प्रकार की नियुक्तियों में राष्ट्रपति भारत के सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से तथा संबंधित राज्य के राज्यपाल से और राज्यों के मुख्य न्यायाधीशों से भिन्न अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति में राज्य के मुख्य न्यायाधीश से भी परामर्श लेता है। [अनुच्छेद 217]

पदावधि- उच्च न्यायालय के न्यायाधीश 62 वर्ष की आयु पूर्ण करने तक अपने पद पर बने रह सकते है। यह व्यवस्था संविधान के 15वें संशोधन अधिनियम, 1963 द्वारा की गई है। इससे पूर्व यह आयु 60 वर्ष निर्धारित थी। अनुच्छेद 217, कार्यकारी न्यायाधीश तभी तक अपने पद पर रह सकते है जब तक कि स्थायी न्यायाधीश अपना कार्यभार पुनः न सम्भाल लें।

न्यायाधीशों के पद में रिक्ति
संविधान के अनुच्छेद 217 के अधीन उच्च न्यायालय के प्रत्येक न्यायाधीश निम्न रीति से अपना पद रिक्त करेंगे-

  • राष्ट्रपति को सम्बोधित अपने हस्ताक्षर सहित लिखित त्याग पत्रा द्वारा,
  • राष्ट्रपति द्वारा उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त कर दिये जाने पर या किसी अन्य उच्च न्यायालय में स्थानान्तरित कर दिये जाने पर,
  • संविधान के अनुच्छेद 124 के अधीन उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को हटाने के लिए निर्धारित प्रक्रिया के अनुरूप अर्थात् साबित कदाचार या असमर्थता के आधार पर संसद के दोनों सदनों द्वारा उपस्थित सदस्यों के दो तिहाई बहुमत द्वारा पारित प्रस्ताव के पश्चात् राष्ट्रपति द्वारा।

पद के लिए योग्यताएँ
संविधान के अनुच्छेद 217 (2) में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में अर्हत (योग्य) होने के लिए निम्न योग्यताएँ होना आवश्यक है-

  • वह भारत का नागरिक हो;
  • 62 वर्ष से कम आयु का हो;
  • भारत राज्य क्षेत्रा में कम से 10 वर्ष तक किसी न्यायिक पद पर कार्य किया हो।
  • किसी भी उच्च न्यायालय का या दो से अधिक न्यायालयों का कम से कम लगातार 10 वर्षों तक अधिवक्ता रहा हो।

न्यायाधीशों के वेतन, भत्ते
संविधान के 54वें संशोधन, उच्च न्यायालय न्यायाधीश (सेवा शर्तें) संशोधन अधिनियम, 1986 द्वारा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति का वेतन 9000 रु. प्रतिमास तथा अन्य न्यायाधीशों का वेतन 8000 रु.प्रतिमास निर्धारित किया गया। इसके अतिरिक्त उसे शासकीय आवास तथा संसद के कानूनों द्वारा समय-समय पर निर्धारित सभी भत्ते तथा सुविधाएँ प्राप्त होंगी। समसामयिक जानकारी पहले बाॅक्स में दी गई हैं।

न्यायाधीशों की स्वाधीनता
सर्वोच्च न्यायालय की भांति ही उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी अपना कार्य ईमानदारी एवं स्वतंत्रतापूर्वक करें, इस हेतु संविधान द्वारा न्यायाधीशों की स्वतंत्राता बनाये रखने हेतु निम्न उपबन्ध किये गये है-

  • किसी भी न्यायाधीश को अनुच्छेद 124 के अधीन निर्धारित प्रक्रिया के अतिरिक्त अन्य किसी प्रकार से पदच्युत नहीं किया जा सकता।
  • न्यायाधीशों के वेतन एवं भत्ते भारत की संचित निधि पर भारित होंगे।
  • न्यायाधीशों के सेवाकाल के दौरान इनके वेतन, भत्तों, सुविधाओं तथा अवकाश प्रावधानों में किसी भी प्रकार से अलाभकारी परिवर्तन नहीं किया जा सकता। ऐसा केवल वित्तीय आपातकाल के दौरान ही किया जा सकता है।
  • सेवानिवृत्ति के पश्चात् वह उच्चतम न्यायालय या अन्य उच्च न्यायालय के अतिरिक्त भारत में अन्य किसी भी न्यायालय या प्राधिकारी के समक्ष वकालत नहीं कर सकता।
  • न्यायाधीशों की उनके निर्णयों एवं कार्यों के लिये संसद में या सार्वजनिक रूप से आलोचना करना न्यायालय की अवमानना समझा जाएगा।

शपथ- उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अपना पद धारण करने से पूर्व राज्यपाल अथवा उसके द्वारा इसके लिये नियुक्त किसी सक्षम व्यक्ति के समक्ष संविधान की तीसरी अनुसूची में इस पद के लिए निर्धारित शपथ ग्रहण करते है।

उच्च न्यायालय के अधिकार

  • प्रत्येक उच्च न्यायालय को संसद द्वारा उसके अधिकार क्षेत्रा में निर्धारित क्षेत्रों की सीमाओं के भीतर विवादों के निर्णय का अधिकार होेगा।
  • इसके अन्तर्गत उच्च न्यायालय राज्य विधान मण्डल की विधि द्वारा निर्धारित अपनी शक्तियों का प्रयोग करेगा। 

सामान्यतः उच्च न्यायालयों द्वारा निम्न मामलों में निर्णय दिया जा सकता है

  • दीवानी एवं फौजदारी के ऐसे मामले जिनसे संबंधित अपील उच्च न्यायालय में की गई हो।
  • फौज़दारी (दाण्डिक) के ऐसे मामले जहाँ अधीनस्थ न्यायालयों द्वारा 7 वर्ष से अधिक का कारावास दण्ड दिया गया हो।
  • अपने अधीनस्थ जिला न्यायाधीशों के निर्णयों के विरुद्ध अपीलें।
  • मौलिक अधिकारों को लागू कराने के लिये आदेश, निर्देश या रिटें जारी करना, जैसे-बन्दी प्रत्यक्षीकरण, परमादेश, अधिकार पृच्छा, प्रतिषेध तथा उत्प्रेषण।
  • अधीनस्थ न्यायालयों का अधीक्षण करना अर्थात् उनके कार्यों की देखभाल करना।
  • अपने कर्मचारियों तथा अधीनस्थ न्यायालयों की पद्धति एवं कार्यवाहियों के विनियमन के लिए साधारण नियम बनाना एवं उन्हें जारी करना।
  • अधीनस्थ न्यायालयों से अपनी जानकारी हेतु आवश्यक विवरण मांगना।
  • यदि उसे यह समाधान हो जाए कि किसी अधीनस्थ न्यायालय में लम्बित या विचाराधीन किसी मुकदमे में विधि का कोई सारवान प्रश्न निहित हो तो वह ऐसे मामले स्वयं के विचारार्थ मंगवा सकता है और उसे स्वयं निपटा सकता है।
  • इस प्रकार उच्च न्यायालय राज्यों के शीर्ष न्यायालय है। लेकिन ये सर्वोच्च न्यायालय के अधीन रहकर ही कार्य करते है।
The document राज्यों के उच्च न्यायालय - संशोधन नोटस, भारतीय राजव्यवस्था | Revision Notes for UPSC Hindi is a part of the UPSC Course Revision Notes for UPSC Hindi.
All you need of UPSC at this link: UPSC
137 docs|10 tests

Top Courses for UPSC

FAQs on राज्यों के उच्च न्यायालय - संशोधन नोटस, भारतीय राजव्यवस्था - Revision Notes for UPSC Hindi

1. भारत में कितने उच्च न्यायालय हैं?
उत्तर. भारत में कुल 25 उच्च न्यायालय हैं।
2. उच्च न्यायालय का कार्यकाल क्या होता है?
उत्तर. एक उच्च न्यायालय का कार्यकाल आमतौर पर दो से तीन साल का होता है।
3. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश कैसे नियुक्त होते हैं?
उत्तर. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है जिसके पश्चात वह उच्चतम न्यायालय के चीफ जस्टिस के रूप में कार्यभार संभालता है।
4. न्यायाधीश की पारित आयु क्या होती है उच्च न्यायालय में?
उत्तर. उच्च न्यायालय में न्यायाधीश की पारित आयु 65 वर्ष होती है।
5. उच्च न्यायालय का कार्यक्षेत्र क्या होता है?
उत्तर. उच्च न्यायालय का कार्यक्षेत्र राज्य के न्यायिक मामलों और अपील प्राथमिकताओं के निर्णय करना होता है।
137 docs|10 tests
Download as PDF
Explore Courses for UPSC exam

Top Courses for UPSC

Signup for Free!
Signup to see your scores go up within 7 days! Learn & Practice with 1000+ FREE Notes, Videos & Tests.
10M+ students study on EduRev
Related Searches

Previous Year Questions with Solutions

,

study material

,

राज्यों के उच्च न्यायालय - संशोधन नोटस

,

ppt

,

भारतीय राजव्यवस्था | Revision Notes for UPSC Hindi

,

past year papers

,

Viva Questions

,

pdf

,

Sample Paper

,

Free

,

Objective type Questions

,

practice quizzes

,

Summary

,

भारतीय राजव्यवस्था | Revision Notes for UPSC Hindi

,

video lectures

,

Semester Notes

,

भारतीय राजव्यवस्था | Revision Notes for UPSC Hindi

,

Exam

,

राज्यों के उच्च न्यायालय - संशोधन नोटस

,

राज्यों के उच्च न्यायालय - संशोधन नोटस

,

MCQs

,

mock tests for examination

,

shortcuts and tricks

,

Extra Questions

,

Important questions

;