राष्ट्रपति
राष्ट्रपति का निर्वाचन
निर्वाचन पद्धति
संविधान के अनुच्छेद 54 में कहा गया है कि-
1. राष्ट्रपति का निर्वाचन ऐसे निर्वाचकगण (निर्वाचक मण्डल के सदस्य) करेंगे जिसमें-
(क) संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य, और
(ख) राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य होंगे।
मतदान प्रक्रिया एवं गणना
राष्ट्रपति की पदावधि
संविधान के अनुच्छेद 56 में राष्ट्रपति के पद की अवधि एवं उसे पद से हटाये जाने संबंधी प्रावधान दिये गये है।
राष्ट्रपति पद की योग्यताएँ (अर्हताएँ)
राष्ट्रपति के लिए आवश्यक शर्तें
संविधान के अनुच्छेद 59 के अनुसार-;
(i) राष्ट्रपति संसद के किसी भी सदन (लोकसभा अथवा राज्यसभा) या किसी भी राज्य के विधानमंडल के किसी भी सदन (विधानसभा या विधान परिषद्) का सदस्य नहीं होगा और यदि संसद के किसी सदन का या राज्य विधानमंडल के किसी सदन का कोई सदस्य राष्ट्रपति निर्वाचित हो जाता है तो यह समझा जाएगा कि राष्ट्रपति पद ग्रहण करने की तारीख से संबंधित सदन में उसका स्थान रिक्त हो गया है।
(ii) राष्ट्रपति लाभ का अन्य कोई भी पद धारण नहीं कर सकेगा।
अनुच्छेद 59 (3) के अनुसार-
राष्ट्रपति की उन्मुक्तियाँ
भारत का राष्ट्रपति अपने पद द्वारा किये गये किसी भी कार्य के लिए स्वयं उत्तरदायी नहीं माना जाएगा। अपने पद की शक्तियों एवं कर्त्तव्यों का प्रयोग करते हुए उनके सम्बन्ध में उसके विरुद्ध किसी भी न्यायालय में मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है, उसे न्यायालय में प्रस्तुत होने या गवाही देने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। उसके विरुद्ध कोई भी कार्यवाही दो माह का नोटिस देकर ही की जा सकती है। यहाँ तक कि महाभियोग के लिए भी उसे 14 दिन पूर्व लिखित नोटिस देना अनिवार्य है।
राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने की प्रक्रिया
राष्ट्रपति के पद में रिक्ति
राष्ट्रपति
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राष्ट्रपति की शक्तियाँ
संविधान के अनुच्छेद 53 के अनुसार ”संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी, जिनका प्रयोग वह स्वयं या अपने अधीनस्थ अधिकारियों के द्वारा करेगा |
कार्यपालिका शक्तियाँ
विधायी शक्तियाँ
निलम्बनकारी वीटो-यदि राष्ट्रपति किसी विधेयक को अनुमति देने से स्पष्ट रूप से इंकार कर देने के स्थान पर विधेयक को कुछ संशोधनों एवं संदेश के साथ अथवा इनके बिना दोनों सदनों को पुनर्विचार करने के लिए लौटा देता है तो इसे राष्ट्रपति का निलंबनकारी वीटो माना जाता है। इसका उद्देश्य केवल विधेयक को थोड़े समय के लिए रोकना या उसके कानून बनने में थोड़ी देर लगाना है। यदि संसद के दोनों सदन उस विधेयक को संशोधनों के साथ या बिना किसी संशोधन के पूर्व स्वरूप में ही पुनः साधारण बहुमत से पारित कर दे तो राष्ट्रपति उस पर स्वीकृति देने के लिए बाध्य है।
वित्तीय शक्तियाँ
न्यायिक शक्तियाँ
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