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लेखांश - 1 (Mental Ability) UPSC Previous Year Questions | UPSC Topic-wise Previous Year Questions (Hindi) PDF Download

आगे आने वाले 8 (आठ) प्रश्नांशों के लिए निर्देशः
निम्नलिखित छह परिच्छेदों को पढ़िए और प्र्त्येक परिच्छेद के बाद आने-वाले प्रश्नांशों के उत्तर दीजिए। इस प्रश्नांशों के लिए आपके उत्तर केवल संबंधित परिच्छेद पर आधारित होने चाहिए।


परिच्छेद-1

अल्प साधन युक्त (लो-एंड) IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) उपकरण सस्ती वस्तुएँ हैः इनमें सुरक्षा के साधन शामिल करने से इनकी लागत बढ़ जाती है। इस श्रेणी की वस्तुएँ नए अनुप्रयोगों (एप्लीकेशन) के साथ-साथ प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हो रही है; अनेक गृह-उपयोगी साधित्र (अप्लायैसेस), तापस्थापी (थर्मोस्टैट्स), सुरक्षा और माॅनीटरन अनुप्रयुक्तियाँ (डिवाइसेस) और वैयक्तिक सुविधा अनुप्रयुक्तियाँ IoT की श्रेणी में आती हैं। इसी प्रकार स्वस्थता पर दृष्टि रखने वाली अनुप्रयुक्तियाँ कतिपय चिकित्सकीय अंतर्रोप (मप्लांट्स) और कारों (ऑटोमोबाइल्स) में प्रयुक्त होने वाली कम्प्यूटर जैसी अनुप्रयुक्तियाँ भी इसी श्रेणी में आती हैं। उम्मीद है कि IoT कई गुनी रफ़्तार से बढ़ेंगे-किंतु सुरक्षा की नई चुनौतियाँ निरुत्साहित कर रही हैं।
प्रश्न.1. उपर्युक्त परिच्छेद से निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा एक, सर्वाधिक तर्कसंगत और विवकेपूर्ण निष्कर्ष निकाला जा सकता है ? [2019]
(क) भारत में समर्थकारी (एनेब्लिंग) प्रौद्योगिकियों का विकास इसके निर्माण क्षेत्रक के लिए बड़ा बढ़ावा बन सकता है।
(ख) आसन्न सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए, भारत IoT को अपनाने के लिए अभी पूरी तरह तैयार नहीं है।
(ग) सस्ती लो-एंड IoT अनुप्रयुक्तियों के विकसित होने से जीवन और अधिक आरामदेह बन जाता है।  
(घ) जैसे-जैसे हम डिजिटल होते जा रहे हैं, कतिपय IoT अनुप्रयुक्तियों से इंटरनेट सुरक्षा को होने वाले भारी ख़तरे को पहचानना आवश्यक है।
उत्तर. (घ) 
उपाय: 
परिच्छेद का अंतिम वाक्य परिचर्चा को विराम देता है तथा इसका सबसे तार्किक निष्कर्ष प्रस्ततु करता है।

परिच्छेद-2

जैसे-जैसे डिजिटल परिघटना अधिकांश सामाजिक क्षेत्रकों को पुनर्संरचित कर रही है, इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि विश्वस्तरीय व्यापार वार्ताएँ अब डिजिटल क्षेत्र पर दृष्टि डाल रही है; इस प्रयास के साथ कि इसका एकांतिक रूप से उपनिवेशन करें। विकासशील देशों से बड़े आँकड़े (बिग डेटा) मुक्त रूप से संग्रहित या खनित किए जाते हैं और उन्हें विकसित देशों में डिजिटल आसूचना में रूपांतरित कर दिया जाता है। यह आसूचना विभिन्न क्षेत्रकों को नियंत्रित करना और एकाधिकारपरक किराया वसूल करना शुरू कर देती है। उदाहरण के लिए, टैक्सी (कैब) की सेवा प्रदान करने वाली एक बड़ी विदेशी कंपनी कारों और चालकों का नेटवर्क नहीं है यह आने-जाने, लोक परिवहन, सड़कों, यातायात, नगर की घटनाओं, यात्रियों और चालकों की वैयक्तिक व्यवहारपरक विशिष्टताओं आदि से संबंधित डिजिटल आसूचना ही है।
प्रश्न.2. निम्नलिखित में से कौन-सा, उपर्युक्त परिच्छेद का सर्वाधिक तर्कसंगत और विवेकपूर्ण उपनिगमन है? [2019]
(क) वैश्वीकरण भारत के हितों के अनुकूल नहीं है, क्योंकि यह इसकी सामाजिक-आर्थिक संरचनाओं को क्षति पहुँचाता है।
(ख) विश्वस्तरीय व्यापार वार्ताओं में भारत को अपने डिजिटल प्रभुत्व को बचाए रखने के लिए सावधान रहना चाहिए।
(ग) भारत को बहुराष्ट्रीय कंपनियों से बड़े आँकड़ों के बदले एकाधिकार किराया प्रभावित करना चाहिए।
(घ) भारत से बड़े आँकड़ों की हानि इसके विदेशी व्यापार की मात्रा/मान के समानुपाती है।
उत्तर. 
(ख) 
उपाय: 
परिच्छेद का प्रारंभिक वाक्य विकसित देशों से खतरे की बात करता है। इसके अनुसार डिजिटल इंटेलिजेंस बनाने और वैश्विक व्यापार के विभिन्न क्षेत्रकों को नियंत्रित करने के लिए विकसित देश विकासशील देशों से बड़े-बड़े आकँड़े संग्रहित करने हेतु नज़र गड़ाए हुए हैं। अतः (ख) परिच्छेद का सबसे उपयुक्त परिणाम है।

प्रश्न.3. निम्नलिखित में से कौन-सा, उपर्युक्त परिच्छेद का सर्वाधिक निश्चयात्मक रूप से उपलक्षित होता है? [2019]
(क) डिजिटल दिवस्थान में बड़े आँकड़े (बिग डेटा) मुख्य संसाधन होते हैं।
(ख) बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से बड़े आँकड़े सृजित होते हैं।
(ग) बड़े आँकड़ों तक पहुँच विकसित देशों का विशेषाधिकार है।  
(घ) बड़े आँकड़ों तक पहुँच और स्वामित्व विकसित देशों की विशिष्टता है।
उत्तर. 
(क)


परिच्छेद-3

भारत समेत पूरे विश्व के ग्रामीण निर्धनों का मानव-कृत जलवायु परिवर्तन में नगण्य योगदान रहा है, तथापि इसके प्रभावों का सामना करने में वे अगिम्र पंक्ति में हैं। कृषक अब वर्षा और तापमान के ऐतिहासिक औसतों पर भरोसा नहीं कर सकते, और अधिक बारांबर होने वाली आत्यंतिक मौसमी घटनाएँ, जैसे सूखा और बाढ़, महाविपदाओं के रूप में परिणामित हो सकती हैं। और नए ख़तरे सामने हैं, जैसे कि समुद्र स्तर में वृद्ध और जल-पूर्ति पर पिघलते हुए हिमनदों का प्रभाव। छोटे कृषि-फार्म कितने महत्त्वपूर्ण हैं? पूरे विश्व में लगभग दो अरब (बिलियन) लोग अपने भोजन और आजीविका के लिए उन पर निर्भर हैं। भारत में छोटी जात वाले किसान देश का 41 प्रतिशत खाद्यान्न और खाद्य-पदार्थ उत्पादित करते हैं जिसका स्थानीय एवम राष्ट्रिय खाद्य सुरक्षा में योगदान है।
प्रश्न.4. उपर्युक्त परिच्छेद का सर्वाधिक तर्कसंगत और विवेकपूर्ण उपनिगमन कौन -सा है ?[2019]
(क) छोटे किसानों को प्रोत्साहन देना पर्यावरणीय रूप से धारणीय विकास के बारे में किसी भी कार्यावली का महत्त्वपूर्ण भाग है।
(ख) भूमंडलीय तापन के न्यूनीकरण में निर्धन देशों की कोई भूमिका नहीं होती।
(ग) बड़ी संख्या में किसान परिवारों के होने के कारण भारत को, जहाँ तक भविष्य का अनुमान किया जा सकता है, खाद्य सुरक्षा की समस्या नहीं  होगी।

(घ) भारत में केवल छोटी जात वाले किसान खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं।
उत्तर. 
(क) 
उपाय: 
कृषक वर्षा तथा तापमान के लिए ऐतिहासिक औसत पर भरोसा नहीं कर सकते हैं; मौसम की विषम घटनाएँ जैसे-सूखा एवं बाढ़ अब प्रायः हो रही है और ये आपदाओं के लिए आमंत्रण है। समुद्री जल स्तर में वृद्धि के कारण बहुत सी भूमि उसमें समा गई हैं एवं हिमनदों के पिघलने से जलापूर्ति बाधित हुई है। अतः खाद्य सुरक्षा में 41% योगदान करने वाले लघु कृषकों को सहायता प्रदान करना पर्यावरणीय रूप से सतत् विकास के लिए अपरिहार्य है।

प्रश्न.5. उपर्युक्त परिच्छेद उपलक्षित करता है कि [2019] 
1. भारत में खाद्य असुरक्षा की संभावित समस्या है। 
2. भारत को अपनी आपदा प्रबंधन की क्षमताएँ मजबूत करनी होंगी। 
उपर्युक्त में से कौन-सी पूर्वधारणा/पूर्वधारणाएं वैध है/हैं ?
(क) केवल 1
(ख) केवल 2
(ग) 1 और 2 दोनों  
(घ) न तो 1 न ही 2
उत्तर. 
(ग)  
उपाय: 
लघु कृषकों को समर्थिक आह्वान का अनुगमन पूर्वधारणा 1 करती है। 2 भी मान्य है क्योंकि यह भी निर्धन कृषकों को समर्थन देता है।


परिच्छेद-4

बदलती जलवायु, और इससे निपटने के लिए सरकारों के (चाहे वे कितनी भी अनिच्छुक हों) अंतिम प्रयासों का निवेशकों के प्रतिफल पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। वे कंपनियाँ जो बड़ी मात्रा में जीवाश्म ईंधनों का उत्पादन या उपयोग करती हैं, उच्चतर करों और नियामक बोझ का सामना करेंगी। कुछ ऊर्जा उत्पादकों के लिए अपने ज्ञात भंडारों को उपयोग में लाना असंभव होगा, आरै उनके पास सिर्फ ‘‘अवरुद्ध सपंदा’’ (स्ट्रन्डेड असेट्स) तेल और कोयले के वे निक्षेप जिन्हें जमीन में छोड़ देना पड़ता है- बचे रहेंगे। अन्य उद्योग, अपेक्षाकृत और अधिक आत्यंतिक मौसम-तूफान, बाढ़, ऊष्णता लहर और सूखा-से होने वाले आर्थिक नुकसान से प्रभावित हो सकते हैं।
प्रश्न.6. उपर्युक्त परिच्छेद के संदर्भ  में निम्नलिखित पूर्वधारणाएं बनाई गई हैंः

[2019]
1. जलवायु परिवर्तन का सामना करने के लिए सरकारों और कम्पनियों को पर्याप्त रूप से तैयार होने की आवश्यकता है। 
2. आत्यंतिक मौसम की घटनाओं से भविष्य में सरकारों और कंपनियों का आर्थिक विकास कम हो जाएगा। 
3. जलवायु परिवर्तन की उपेक्षा करना निवेशकों के लिए भारी जोखिम है। 
उपर्युक्त में से कौन-सी पूर्वधारणा/पूर्वधारणाएँ वैध है/हैं ?
(क) केवल 1 और 2
(ख) केवल 3
(ग) केवल 1 और 3  
(घ) 1, 2 और 3
उत्तर. (ग)  
उपाय:
परिच्छेद के अनुसार, जलवायु परिवर्तन एवं इसके कारण होने वाले आत्यांतिक मौसम की घटनाओं तथा इससे निपटने के सरकार के प्रयास, से सभी निवेशकों तथा उनकी कपंनियों को प्रभावित करते हैं। इस आधार पर पूर्वधारणाएँ 1 व 3 वैध हैं। पूर्वधारणा 2 अमान्य है क्योंकि सरकारें तथा कंपनियाँ जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के लिए प्रयासों को लगातार उन्नत करने का प्रयास करती हैं।


परिच्छेद-5

विद्यालयी उम्र में आने वाले बच्चों की विद्यालयी शिक्षा तक पहुँच होना लगभग विश्वव्यापी है, किंतु गुणतायुक्त शिक्षा तक पहुँच होने में सामाजिक-आर्थिक स्थिति के आधार पर एक तीव्र ढाल दिखाई देती है। गैर-सरकारी विद्यालयों में कमजोर वर्गों के लिए कोटा का उपबंध निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 द्वारा किया गया है। इन कोटाओं ने सामाजिक एकीकरण और शिक्षा में साम्य के उन मुद्दों पर एक बहस थोप दी है जिनसे गैर-सरकारी कर्ता काफी कुछ बचे हुए थे। समतावादी शिक्षा प्रणाली का विचार, जिसका मुख्य ध्येय अवसर की समानता हो, गैर-सरकारी विद्यालयों के प्रधानचार्यों की सोच के दायरे से बाहर प्रतीत होता है। इसलिए, कोटा अधिरोपित किए जाने से प्रतिरोध का सामना करना पड़ा है, जो कभी-कभी न्यायोचित भी होता है।
प्रश्न.7. उपर्युक्त परिच्छेद के संदर्भ  में निम्नलिखित पूर्वधारणाएँ बनाई गई हैंः [2019]
1. अवसर की समानता को एक वास्तविकता बना देना भारतीय शिक्षा प्रणाली का आधारभूत लक्ष्य है। 
2. वर्तमान भारतीय विद्यालय प्रणली समतावादी शिक्षा प्रदान करने में असमर्थ है। 
3. गैर-सरकारी विद्यालयों का उन्मूलन और अधिकाधिक सरकारी विद्यालयों की स्थापना ही समतावादी शिक्षा सुनिश्चित करने का एकमात्र मार्ग है। 
उपर्युक्त में से कौन-सी पूर्वधारणा/पूर्वधारणाएँ वैध है/हैं ?
(क) केवल 1 और 2
(ख) केवल 2
(ग) केवल 2 और 3  
(घ) केवल 3
उत्तर. (क)  
उपाय: 
परिच्छेद से यह पता चलता है कि समतावादी शिक्षा प्रणाली के विचार के साथ अवसर की समानता के रूप में अपने प्राथमिक लक्ष्य के रूप में बच्चों के निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 ने निजी स्कूलों को कमजोर वर्गों के लिए कोटा रखने के लिए मजबूर किया है तथा कभी-कभी प्रतिरोध का सामना करना पड़ता है जो उचित हो सकता है। अतः पूर्वधारणा 1 व 2 मान्य हैं। पूर्वधारणा 3 अमान्य है, क्योंकि परिच्छेद निजी विद्यालयों को हटाने का संकेत नहीं देता है।


परिच्छेद-6

भारत में तपेदिक (TB) संक्रमित बहुसंख्य लोग निर्धन हैं और उनको पर्याप्त पोषण, उपयुक्त आवास का अभाव है और बचाव के बारे में उनकी समझन के बराबर है। ऐसे में, तपेदिक परिवारों का सर्वनाश कर देता है, निर्धनों को और निर्धन बनाता है, खास तौर पर महिलाओं और बच्चों को ग्रस्त करता है, और उन्हें निर्वासन और रोजगार की बर्बादी की ओर ले जाता है। सच्चाई यह है कि यदि तपेदिक उन्हें न भी मारे, तब भी भूख और गरीबी से वे मर जाएँगें। दूसरी सच्चाई यह है कि इसका गहरा बैठा हुआ लाछन, परामर्श का अभाव, महँगा उपचार और साधन-प्रदताओं तथा परिवार से पर्याप्त संबल का अभाव, यंत्रणाकरी पाश्र्व-प्रभावों के साथ मिलकर रोगी को उपचार जारी रखने में हतोत्साहित करते हैं- जिसके अनर्थकारी स्वास्थ्य-संबंधी परिणाम होते हैं।
प्रश्न.8. निम्नलिखित में से कौन-सा एक, उपर्युक्त परिच्छेद द्वारा दिया गया सर्वाधिक तर्कसंगत, विवेकपूर्ण और निर्णायक संदेश है ? [2019]
(क) भारतीय परिस्थितियों में तपेदिक साध्य रोग नहीं है।
(ख) तपेदिक को ठीक करने के लिए निदान और चिकित्सकीय उपचार से कहीं और अधिक की आवश्यकता होती है।
(ग) सरकार की निगरानी की क्रियाविधि त्रुटिपूर्ण है; और निर्धन लोगों की उपचार तक पहुँच नहीं है। 
(घ) भारत तपेदिक जैसे रोगों से केवल तभी मुक्त होगा जब इसके निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रम प्रभावकारिता और सफलता से कार्यान्वित किए जाएँ।
उत्तर. () 
उपाय: 
परिच्छेद का तर्क है कि भारत में टीबी का निदान एवं चिकित्सीय उपचार उपलबधं हैं। परंतु भूख व निर्धनता, जागरूकता व परामर्श की कमी, गहरा बैठ हुआ लाछंन, महँगे उपचार और साधन-प्रदाताओं तथा परिवार से पर्याप्त सबंल का अभाव, रोगी को उपचार जारी कर रखने में हतोत्साहित करते हैं।

आगे आने वाले 8 (आठ) प्रश्नांशों के लिए निर्देशः
निम्नलिखित सात परिच्छेदों को पढ़िए और प्र्त्येक परिच्छेद के बाद आने-वाले प्रश्नांशों के उत्तर दीजिए। इस प्रश्नांशों के लिए आपके उत्तर केवल संबंधित परिच्छेद पर आधारित होने चाहिए।


परिच्छेद-1

इसमें कोई संदेह नहीं कि राजनीतिक सिद्धांतकारों को अन्याय, जैसे कि अस्पृश्यता, के इतिहास को गंभीरता से लेना चाहिए। ऐतिहासिक अन्याय की अवधरणा में अनेक प्रकार के ऐतिहासिक अपकारों को विचार में लिया गया है, जो किसी न किसी रूप में वर्तमान में भी हो रहे हैं, और उनकी प्रवृत्ति ही ऐसी है कि उनमें सुधार न हो पाए। सुधार न होने देने के पीछे के कारण कहे जा सकते हैं। एक तो यह, कि केवल इतना ही नहीं कि अन्याय की जड़े इतिहास में गहरी जमी हुई हैं, बल्कि अन्याय स्वयं भी शोषण की आर्थिक संरचनाओं, भेदभाव की विचारधराओं और प्रतिनिधित्व की रीतियों को सरंचित करता है। दूसरा यह, कि ऐतिहासिक अन्याय की कोटि आमतौर पर बहुत से अपकारों, जैसे कि आर्थिक वंचन, सामाजिक भेदभाव और मान्यता के अभाव, के आर-पार फैली होती है। यह कोटि जटिल होती है, केवल इसलिए नहीं कि इसमें बहुत से अपकारों के बीच कोई स्पष्ट सीमा-रेखा नहीं होती, बल्कि इसलिए कि किसी न किसी अपकार की, आमतौर पर भेदभाव की, प्रवृत्ति दूसरे अपकारों से आंशिक रूप में स्वायत्तता हासिल कर लेने की होती है। यह भारत में सुधार के इतिहास से सिद्ध हुआ है।
प्रश्न.9. इस परिच्छेद से कौन-सा मुख्य विचार अनुगत होता है?    [2019]
(क) भारत में अस्पृश्यता को राजनीतिक सिद्धांतकारों ने गंभीरता से नहीं लिया है।
(ख) ऐतिहासिक अन्याय किसी भी समाज में अपरिहार्य है और सुधार से सदैव परे है।
(ग) सामाजिक भेदभाव और वंचन की जड़े दोषपूर्ण अर्थव्यवस्थाओं में हैं।
(घ) ऐतिहासिक अन्याय की प्रत्येक अभिव्यक्ति का सुधर करना, यदि असंभव नहीं, तो कठिन अवश्य है।
उत्तर. (घ) 
उपाय: 
परिच्छेद के अनुसार-ऐतिहासिक अन्याय की जड़े गहरी हैं, और शोषण भेदभाव एवं प्रतिनिधित्व के विभिन्न तरीकों का गठन करता है, तथा सामान्यतः कई प्रकार की त्रुटियाँ करता है। इसलिए इसके प्रत्येक अभिव्यक्ति को सुधारना मुश्किल है।

प्रश्न.10. उपर्युक्त परिच्छेद के आधार पर निम्नलिखित पूर्वधारणाएं बनाई गई है: [2019]

1. आर्थिक भेदभाव मिटा देने से सामाजिक भेदभाव मिटता है।
2. लोकतांत्रिक राज्यव्यवस्था ऐतिहासिक अपकारों के सुधार का सबसे अच्छा मार्ग है। उपर्युक्त में से कौन-सी पूर्वधारणा/पूर्वधारणाएं वैध है/हैं ?
(क) केवल 1
(ख) केवल 2
(ग) 1 और 2 दोनों  
(घ) न तो 1 न ही 2 

उत्तर. (घ)
उपाय:
जिसके अनुसार न तो ‘आर्थिक भेदभाव’ को दूर करना और न ही ‘लोकतांत्रिक राजनीति’ के द्वारा अन्याय को समाप्त किया जा सकता है।


परिच्छेद-2

शिक्षा जीवन में महान बदलाव लाने की भूमिका निभाती है, खास कर इस तेजी से बदलते और वैश्विकरण की तेज गति वाले विश्व में। विश्वविद्यालय बौद्धिक पूंजी के अभिरक्षक और संस्कृति तथा विशेषज्ञतापूर्ण ज्ञान के प्रवर्तक हैं। संस्कृति, चिंतन की क्रियाशीलता, और सौंदर्य तथा मानवीय भावनाओं की ग्रहणशीलता होती है। केवल बहुत सी जानकारियों से युक्त व्यक्ति ईश्वर की धरती पर सिर्फ एक उबाऊ इंसान भर है। हमारा लक्ष्य यह होना चाहिए कि ऐसे व्यक्ति तैयार किए जाएँ जिनके पास संस्कृति और विशेषज्ञतापूर्ण ज्ञान, दोनों हों। उनका विशेषज्ञतापूर्ण ज्ञान उन्हें आगे बढ़ने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करेगा और उनकी संस्कृति उन्हें दर्शन की गहराइयों और कला की ऊँचाइयों तक ले जाएगी। साथ मिलकर यह मानवीय अस्तित्व को अर्थ प्रदान करेगा।
प्रश्न.11. उपर्युक्त परिच्छेद के आधर पर निम्नलिखित पूर्वधारणाएँ बनाई गई है:  [2019]

1. सुशिक्षित व्यक्तियों से रहित समाज आधुनिक समाज में रूपांतरिक नहीं हो सकता।
2. संस्कृत अर्जित किए बिना, किसी भी व्यक्ति की शिक्षा पूर्ण नहीं होती।

उपर्युक्त में से कौन-सी पूर्वधारणा/पूर्वधारणाएं वैध है/हैं?
(क) केवल 1
(ख) केवल 2
(ग) 1 और 2 दोनों  
(घ) न तो 1 न ही 2
उत्तर. 
(ख)
उपाय: 
पूर्वधारणा-1 प्रसंग से बाहर है; तथा 2 परिच्छेद का अनगुमन करता है।


परिच्छेद-3

मृदा, जिसमें हमारे लगभग सभी खाद्य-पदार्थ उगते हैं, एक जीवंत संसाधन है जिसके बनने में वर्षों लगते हैं। तथापि, यह मिनटों में नष्ट हो सकती है। प्रतिवर्ष 75 अरब (बिलियन) टन उर्वर मृदा क्षरण के कारण नष्ट हो जाती है। यह चिंताजनक है-और केवल खाद्य उत्पादकों के लिए ही नहीं। मृदा विशाल मात्रा में कार्बन डाइ-ऑक्साइड को कार्बनिक (ऑर्गेनिक) कार्बन के रूप में रोके रख सकती है और वायुमंडल में उन्मुक्त हो जाने से बचाए रख सकती है।

प्रश्न.12. उपर्युक्त परिच्छेद के आधार पर निम्नलिखित पूर्वधारणाएं बनाई गई है: [2019]

1. बड़े पैमाने पर मृदा का क्षरण विश्व में व्यापक खाद्य असुरक्षा का प्रमुख कारण है।
2. मृदा का क्षरण मुख्यतः मानवोद्भविक (ऐंथ्रोपोजेनिक) है।
3. मृदा के धरणीय प्रबंधन से जलवायु परिवर्तन का सामना करने में मदद मिलती है।

उपर्युक्त में से कौन-सी पूर्वधारणा/पूर्वधारणाएं वैध है/हैं ?
(क) केवल 1 और 2
(ख) केवल 3
(ग) केवल 2 और 3
(घ) 1, 2 और 3
उत्तर. 
(घ)
उपाय: 
पूर्वधारणा-1 प्रथम तीन वाक्यों का अनुगमन करता है। 2 सही है क्योंकि वायु अथवा विषम जलवायवीय परिस्थितियाँ मृदा अपरदन को बढ़ाती है; बढ़ती जनसंख्या के कारण अत्यधिक चराई, फसलीकरण, वनों की कटाई बढ़ती है, जिससे भूमि क्षरण होता है। पूर्वधारणा-3 परिच्छेद के अंतिम वाक्य का अनुपालन करता है।


परिच्छेद-4

असमानता न केवल दिखाई देती है, बल्कि अनेक उदाहरणों में सांख्यिकीय रूप से मापी जा सकती है, किंतु इसे संचालित करने वाली आर्थिक शक्ति न तो दिखाई देती है और न ही मापी जा सकती है। गुरुत्व बल की ही तरह, शक्ति असमानता का संघटक सिद्धांत है, चाहे वह आय, या संपत्ति, लिंग, वंश, धर्म और क्षेत्र, किसी की भी हो। इससे प्रभाव सभी क्षेत्रों में व्यापक रूप से दिखते हैं, किंतु जिन रीतियों से आर्थिक शक्ति दृश्यमान आर्थिक चरों को तोड़ती-मरोड़ती है वे अदृश्य रूप से अस्पष्ट बने रहते हैं।
प्रश्न.13. उपर्युक्त परिच्छेद के आधार पर निम्नलिखित पूर्वधारणाएं बनाई गई है: [2019]

1. किसी समाज में असमानता के होने के लिए आर्थिक शक्ति ही एकमात्र कारण है।
2. आय, संपत्ति, आदि विभिन्न प्रकार की असमानता शक्ति को सुदृढ़ करती है।
3. आर्थिक शक्ति को प्रत्यक्ष आनुभविक विधियों की अपेक्षा उसके प्रभावों के माध्यम से बेहतर विश्लेषित किया जा सकता है।

उपर्युक्त में से कौन-सी पूर्वधारणा/पूर्वधारणाएं वैध है/हैं ?
(क) केवल 1 और 2
(ख) केवल 3
(ग) केवल 2 और 3
(घ) 1, 2 और 3
उत्तर. 
(ग)
उपाय: 
परिच्छेद से यह पता चलता है कि सभी असमानताएँ आर्थिक शक्ति द्वारा संचालित होती है। असमानता को मापा जा सकता है, परंतु आर्थिक क्षमता को नहीं। अतः पूर्वधारणा 1 मान्य है, परंतु 2 इसके विपरीत है। आर्थिक शक्ति का प्रभाव सभी क्षेत्रों में व्यापक रूप से दिखाई पड़ता है। पूर्वधारणा 3 भी सही है।


परिच्छेद-5

जलवायु परिवर्तन के कारण वास्तव में कुछ पादपों को वर्धन-काल अधिक लंबे हो जाने और अधिक कार्बन डाइ-ऑक्साइड मिलने का लाभ पहुँच सकता है। तथापि, अपेक्षाकृत अधिक उष्ण विश्व के अन्य प्रभावों, जैसे कि नाशक जीव, सूखा और बाढ़ के अधिक हो जाने का अहानिकार होना कम हो जाएगा। विश्व कैसे अनुकूलन करेगा? अनुसंधानकर्ता यह अनुमान करते हैं कि 2050 तक मक्का, आलू, चावल और गेहूँ, इन चार पण्य वस्तुओं की उपर्युक्त शस्य-भूमियाँ बदल जाएगी, जिनसे कुछ जगहों पर किसानों को बाध्य होकर नई फसलों का रोपण करना पड़ेगा। तापन से कुछ कृषि-भूमियों को लाभ पहुँच सकता है। कुछ को नहीं, एकमात्र जलवायु ही उपज को निर्धरित नहीं करती; राजनीतिक परिवर्तन, विश्वव्यापी माँग, और कृषि पद्धतियाँ इस बात को प्रभावित करेंगी कि भविष्य में कृषि-भूमियां कैसा निष्पादान करेंगी।
प्रश्न.14. उपर्युक्त परिच्छेद से निम्नलिखित में से कौन-सा एक सर्वाधिक तर्कसंगत और विवेकपूर्ण निष्कर्ष  निकाला जा सकता है? [2019]
(क) भविष्य में वे किसान लाभ की स्थिति में होंगे जो अपनी पद्धतियों को आधुनिक बनाएंगे और अपने खेतों में विविध फसलें उगाएँगे।
(ख) जलवायु परिवर्तन शस्य-विविधता पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा।
(ग) प्रमुख फसलों को नई शस्य-भूमियों में स्थानांतरित करने से कृषि के अधीन सकल क्षेत्र में अत्यधिक वृध्दि होगी और इस प्रकार समग्र कृषि उत्पादन बढ़ेगा।

(घ) जलवायु परिवर्तन सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कारक है जो भविष्य में कृषि अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेगा।
उत्तर. 
(क)
उपाय: 
परिच्छेद के अनुसार जलवायु परिवर्तन, राजनीतिक परिवर्तन, विश्वव्यापी माँग तथा कृषि पद्धतियाँ भविष्य में कृषि भूमियों के निष्पादन का निर्धारण करेंगे। अतः वे कृषक लाभान्वित होंगे जो आधुनिक एवं फसल विविधता को अपनाएंगे।


परिच्छेद-6

चमगादड़ के पंख चमड़ी की परतों की तरह दिखाई दे सकते है। किन्तु अंदर-अंदर चमगादड़ की ठीक वैसे ही पाँच उँगलियाँ होती हैं जैसे ऑरेंग-उटैन या मनुष्य की होती हैं, साथ ही वैसे ही कलाई जुड़ी होती है। कलाई की हड्डियों के गुच्छ से जो कि बाहँ की लम्बी हड्डियों से जुड़ी होती है। इस बात से अधिक विलक्षण और क्या हो सकता है कि मनुष्य के हाथ, जो कस कर पकड़ने के लिए बने हैं, खोदने के लिए बने छछूँदर के हाथ, घोड़े के पाँव, सूँस के पाद, और चमगादड़ के पंख, ये सब एक ही प्रतिरूप में बने हों?
प्रश्न.15. उपर्युक्त परिच्छेद से निम्नलिखित में से कौन-सा एक सर्वाधिक तर्कसंगत और विवेकपूर्ण निष्कर्ष निकाला जा सकता है? [2019]

(क) हाथ की समान संरचना वाली विभिन्न जातियों (स्पीशीज़) का होना जैव-विविधता का उदाहरण है।
(ख) विभिन्न जातियाँ (स्पीशीश) हाथ-पैरों का इस्तेमाल विभिन्न प्रकार के कार्यों के लिए करती हैं, यह जैव-विविधता का उदाहरण है।
(ग) मनुष्य और उपर्युक्त जंतुओं के हाथ-पैरों में समान संरचना का होना क्रम-विकास में हुए संयोग का उदाहरण है।

(घ) मनुष्य और उपर्युक्त जंतुओं के क्रम-विकास का साझा इतिहास है।
उत्तर. 
(घ) 
उपाय:
विभिन्न जातियों के अगं निर्माण के समान पैटर्न यह बताते हैं कि सभी जातियों की विकास प्रक्रिया समान है।


परिच्छेद-7

लगभग 56 मिलियन वर्ष पूर्व, अटलांटिक महासागर पूरी तरह फैला हुआ नहीं था और जंतु, जिनमें शायद हमारे प्राइमेट पूर्वज भी शामिल थे, एशिया से यूरोप होते हुए उत्तरी अमेरिका तक पूरे ग्रीनलैंड में चल कर जा सकते थे। पृथ्वी आज की अपेक्षा अधिक उष्ण थीं, किंतु जैसे-जैसे पुरानूतन युग समाप्त हुआ और आदिनूतन युग प्रारंभ होने लगा, यह और अधिक, बल्कि तेजी से और आमलू रूप से, उष्ण होने वाली थी। कारण था कार्बन का अति विशाल रूप से भूवैज्ञानिक अकस्मात निर्मुक्त होना। पुरानूतन-आदिनूतन उष्मीय महत्तम (पेलियोसीन-इओसीन थर्मल मैक्सिमम) या PETM कही जाने वाली इस अवधि के दौरान, वायुमंडल में उतना कार्बन अंतः क्षिप्त हुआ जितना आज मनुष्य द्वारा पृथ्वी के कोयले, तेल और प्राकृतिक गैसे के सारे भंडारों को जला देने पर अंतः क्षिप्त होता। PETM लगभग 1,50,000 वर्षों तक बनी रही जब तक कि कार्बन की अतिशय मात्रा पुनः अवशोषित नहीं हो गई। इससे सूखा, बाढ़, कीट प्लगे और कतिपय विलोपन हुए। पृथ्वी पर जीवन का अस्तित्व बना रहा-वास्तव में यह फला-फूला-लेकिन इसमें घोर भिन्नता आ गई।
प्रश्न.16. उपर्युक्त परिच्छेद के आधार पर निम्नलिखित पूर्वधारणाएं बनाई गई है: [2019]

1. भूमंडलीय तापन का इस ग्रह के जैव विकास पर प्रभाव पड़ता है। 
2. भू-संहतियों के पृथक होने से वायुमंडल में कार्बन की विशाल मात्राएँ निर्मुक्त होती हैं। 
3. पृथ्वी के वायुमंडल का तापन बढ़ने से इसके वनस्पतिजात और प्राणिजात की संरचना में परिवर्तन हो सकता है। 
4. वर्तमान मानव-कृत भूमंडलीय तापन से अंतत: ठीक वैसी ही स्थितियाँ हो जाएगी जैसे 56 मिलियन वर्ष पहले हुई थीं। 
उपर्युक्त में से कौन-सी पूर्वधारणाएं वैध हैं?
(क) 1 और 2
(ख) 3 और 4
(ग) 1 और 3
(घ) 2 और 4
उत्तर. 
(ग)
उपाय: 
पूर्वधारणा-2 अमान्य है क्योंकि परिच्छेद में इस बात का उल्लेख नहीं है कि भू-संहतियों के पृथक्करण की घटना का संबंध कार्बन निर्मुक्ति से है। 4 अमान्य है क्योंकि परिच्छेद में इसका अनुमान नहीं किया गया है।

आगे आने वाले 7 (सात) प्रश्नांशों के लिए निर्देशः
निम्नलिखित छह परिच्छेदों को पढ़िए और प्रत्येक परिच्छेद के बाद आने-वाले प्रश्नांशों के उत्तर दीजिए। इस प्रश्नांशों के लिए आपके उत्तर केवल संबंधित परिच्छेद पर आधारित होने चाहिए।


परिच्छेद-1

‘आनुवंशिक रूपांतरण [जेनेटिक मॉडिफिकेशन (GM)] प्रौघोगिकी को व्यापक और सुविचारित रूप से अपनाने के मार्ग में जो गतिरोध है, वह है ‘बौद्धिक’ संपदा अधिकार’ की व्यवस्था, जो ऐसी प्रौद्योगिकियों के लिए गैर-सरकारी एकाधिकार सृजित करना चाहती है। यदि GM प्रौद्योगिकि अधिकांशतः कंपनी चालित हो, तो यह लाभ को अधिकतम करना चाहती है और वह भी थोड़ी ही अवधि में। यही कारण है कि कपंनियाँ शाकनाशी-सहिष्णु और नाशक जीव-प्रतिरोधी फसलों के लिए बड़े निवेश करती हैं। ऐसे गुणधर्म थोड़े समय के लिए ही बने रह पाते हैं, क्योंकि काफी जल्दी ही नाशक जीव और खरपतवार विकसित होने लगेंगे और ऐसे प्रतिरोध पर काबू पा लेंगे। कंपनियों को यह अनुकूल ठहरता है। राष्ट्रीय किसान आयोग ने यह बात उठाई थी कि आनुवंशिक रूपांतरण में प्राथमिकता ऐसे जीन के समावेशन को दी जानी चाहिए जो सूखा, लवणता और अन्य कष्टकर प्रभावों के लिए प्रतिरोध प्रदान करने में सहायक हों।
प्रश्न.17. निम्नलिखित में से कौन-सा एक, उपर्युक्त परिच्छेद द्वारा दिया गया सर्वाधिक तर्कसंगत और विवेकपूर्ण और निर्णायक संदेश है ? [2019]
(क) लोक अनुसंधान संस्थाओं को GM प्रौद्योगिकि में अग्रणी होना चाहिए और इस प्रौद्योगिकी की प्राथमिकताओं को तय करना चाहिए।
(ख) विकासशील देशों को यह मुद्दा WTO में उठाना चाहिए और बौद्धिक संपदा अधिकारों का समापन सुनिश्चित करना चाहिए।
(ग) गरै-सरकारी कपंनियों को भारत में कृषि व्यवसाय (एग्री-बिज़नेस) करने, खास कर बीज का व्यापार करने, की अनुमति नहीं होनी चाहिए।
(घ) वर्तमान भारतीय परिस्थितियों आनुवंशिकत रूपांतरित फसलों की कृषि के पक्ष में नहीं हैं।

उत्तर. (क)
उपाय: 
परिच्छेद में यह उल्लेखित है कि राष्ट्रिय कृषक आयोग ने यह कथन दिया है कि प्रथमिकता आनुवंशिक रूपांतरण में ऐसे जीन समावेशन को दी जानी चाहिए जो सूखा, लवणता तथा अन्य कष्टकारी प्रभावों के प्रति प्रतिरोधकता प्रदान करें।

प्रश्न.18. उपर्युक्त परिच्छेद के आधार पर निम्नलिखित पूर्वधारणाएं बनाई गई है: [2019] 
1. कृषि से संबंधित प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव के मुद्दे पर GM प्रौद्योगिकि कंपनियों द्वारा समुचित विचार नहीं किया जा रहा है। 
2. अंततोगत्वा, GM प्रौद्योगिकी भूमंडलीय तापन के कारण उत्पन्न होने वाली कृषि समस्याओं को समाधन नहीं कर पाएगी। 
उपर्युक्त में से कौन-सी पूर्वधारणा/पूर्वधारणाएं वैध है/हैं?
(क) केवल 1
(ख) केवल 2
(ग) 1 और 2 दोनों  
(घ) न तो 1 न ही 2
उत्तर. 
(क)
उपाय: 
पूर्वधारणा 1 स्पष्टतः परिच्छेद के अंतिम वाक्य पर आधारित है। पूर्वधारणा 2 के स्वीकार नहीं किया जा सकता है। यह संभावना से दूर प्रतीत होता है।


परिच्छेद-2

अधिकांश आक्रामक जातियाँ (इनवेसिव स्पीशीज़) न तो घोर रूप से सफल है, न ही अत्यंत नुकसानदेह हैं। ब्रिटेन के आक्रामक पादप न तो व्यापक रूप से फैले हैं, न ही खास तेजी से फैलते हैं, और अक्सर बैकेन की तरह के प्रबल प्राकृति पादपों की अपेक्षा कम परेशान करने वाले है। नई जातियों का आगमन लगभग हमेशा ही किसी क्षेत्र में जैव-विविधता को बढ़ा देता है; बहुत से मामलों में नवागंतुकों की बाढ़ किसी भी प्राकृत जाति को विलोपन की तरफ नहीं ले जाती। इसका एक कारण यह है कि आक्रामक पादप प्रदूषित झीलों और उद्योगोत्तर व्यर्थ भूमि की तरह के विक्षुब्ध पर्यावासों को, जहाँ और कुछ भी जीवित नहीं रहता, उपनिवेशित करने की ओर प्रवृत्त होते हैं। वे प्रकृति के अवसरवादी हैं।
प्रश्न.19. उपर्युक्त परिच्छेद से निम्नलिखित में से कौन-सा एक, सर्वाधिक तर्कसंगत और विवेकपूर्ण निष्कर्ष निकाला जा सकता है? [2019]
(क) आक्रामक जातियों का उपयोग किसी देश के मरु क्षेत्रों और व्यर्थ भूमियों के पुर्नवासन के लिए किया जाना चाहिए।
(ख) विदेशी पादपों के सन्निवशन के विरुध्द कानून अनावश्यक हैं।
(ग) कभी-कभी, विदेशी पादपों के विरुद्ध मुहिम चलाना निरर्थक होता है।
(घ) विदेशी पादपों का उपयोग किसी देश की जैव-विविधता बढ़ाने के लिए जाना चाहिए।
उत्तर. (क) 
उपाय: 
परिच्छेद से यह पता चलता है कि आक्रामक जातियाँ हानिकारक नहीं है तथा किसी सक्षेत्र में जातियों का आगमन हमेशा जैविक विविधता में वृद्धि करता है।


परिच्छेद-3

भारतीय बच्चों में प्रवाहिका (डायरिया) से होने वाली मौतें मुख्यतः खाद्य और जल के संदूषित हो जाने के कारण होती है। कृषि में संदूषित भौमजल और असुरक्षित रसायनों का उपयोग, खाद्य-पदार्थों का भंडारण और रख-रखाव अस्वास्थ्यकर तरीकों से किए जाने से लेकर खाद्य-पदार्थों के अस्वास्थ्यकर परिवेश में पकाए और वितरित किए जाने तक; ऐसे असंख्य कारक हैं जिनके विनियम और माॅनीटरन की आवश्यकता है। लोगों को मिलावट के बारे में और संगत प्राधिकारियों को शिकायत करने के तरीकों के बारे में जागरूक होने की आवश्यकता है। खाद्य-संक्रामक रोगों की निगरानी करने में अनेक सरकारी अधिकरण शामिल हैं और निरीक्षण-कर्मियों के अच्छे प्रशिक्षण की आवश्यकता है। इसका विचार करते हुए कि शहरी जनसंख्या का कितना भाग अपने दैनिक भोजन के लिए गली-नुक्कड़ पर बिकने वाले भोजन पर निर्भर है, गली-नुक्कड़ पर भोजन बेचने वालों के प्रशिक्षण और शिक्षण में निवेश करना बड़े महत्त्व का है।
प्रश्न.20. उपर्युक्त परिच्छेद के आधार पर निम्नलिखित पूर्वधारणाएं बनाई गई हैं: [2019]
1. खाद्य सुरक्षा एक जटिल मुद्दा है जिसके अनेक विध समाधानों की आवश्यकता है।
2. निगरानी और प्रशिक्षण के लिए जनशक्ति बढ़ाने में भारी निवेश करने की आवश्यकता है।
3. भारत को खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को नियंत्रित करने हेतु पर्याप्त विधि-निर्माण करने की आवश्यकता है।

उपर्युक्त में से कौन-सी पूर्वधारणा/पूर्वधारणाएं वैध है/हैं ?
(क) केवल 1 और 2
(ख) केवल 3
(ग) केवल 1 और 3
(घ) 1, 2 और 3

उत्तर. (क)
उपाय:
‘ऐसे असंख्य कारक हैं जिनके विनियमन तथा मानीटरिंग की आवश्यकता है।’-से पूर्वधारणा 1 का पता चलता है। पूर्वधारणा-2 ‘इसका विचार करते हुए कि शहरी जनसंख्या का कितना भाग.....’ का अनुगमन करती है।


परिच्छेद-4

हमारे नगरों की आयोजना में ऐतिहासिक रूप से कामगार और निर्धन लोगों के हितों की उपेक्षा की जाती रही है। हमारे नगर वर्धमान रूप से असहिष्णु, असुरक्षित और अधिसंख्य नागरिकों के लिए न रहने योग्य स्थान बनते जा रहे हैं, तथापि हमने पुराने तरीकों-स्थिर विकास योजना-से ही योजना बनाना जारी रखा हुआ है, जो लोगों के जीवन अनुभवों और आवश्यकताओं से दूरी बनाए रखते हुए, और बहुत सारे लोगों, स्थानों, कार्यकलाप और प्रथाओं को, जो किसी नगर का अविच्छिन्न भाग होते हैं, सक्रिय रूप से शामिल न रखते हुए, अनन्यतः तकनीकी विशेषज्ञता से लिए जाते हैं।
प्रश्न.21. यह प्रतीत होता है कि इस परिच्छेद में  [2019]
(क) भवन निर्माताओं के एकाधिकार तथा संभ्रांत समूहों के हितों के विरुध्द तर्क प्रस्तुत किया गया है।
(ख) विश्वस्तीरीय और सुव्यवस्थित (स्मार्ट) नगरों की आवश्यकता के विरुद्ध तर्क प्रस्तुत किया गया है।
(ग) मुख्यत: कामगार वर्ग और निर्धन लोगों के लिए नगरों की योजना बनाने के पक्ष में तर्क  प्रस्तुत किया गया है।
(घ) नगर आयोजना में जनता के समूहों की भागीदारी के पक्ष में तर्क प्रस्तुत किया गया है।

उत्तर. (घ) 
उपाय:
परिच्छेद से यह पता चलता है कि योजना पुरानी है; ‘..... लोगों के जीवन अनुभवों तथा आवश्यकताओं से दूरी बनाए रखते हुए, और बहुत सारे लोगों, स्थानों, कार्यकलाप तथा प्रथाओं को, जो किसी नगर का अविच्छिन्न भाग होते हैं...’ इससे यह पता चलता है कि भागीदारी के पक्ष में तर्क प्रस्तुत किया गया है।


परिच्छेद-5

भारत के लोग बहुत अधिक संख्या में निर्धन है, और मुश्किल से सिर्फ 10 प्रतिशत व्यक्ति सगंठित क्षेत्र में नियोजत है। हमें विश्वास दिलाया जा रहा है कि प्रबल आर्थिक संवृद्धि से पर्याप्त रोज़गार उत्पन्न हो रहे है। लेकिन ऐसा है नहीं। जब हमारी अर्थव्यवस्था 3 प्रतिशत प्रतिवर्ष बढ़ रही थी, तब संगठित क्षेत्र में रोजगार 2 प्रतिशत प्रतिवर्ष बढ़ रहा था। ज्यों ही अर्थव्यवस्था 7-8 प्रतिशत प्रतिवर्ष बढ़नी शुरू हुई, संगठित क्षेत्र में रोज़गार बढ़ने की दर वास्तव में घटकर 1 प्रतिशत प्रतिवर्ष  रह गई।
प्रश्न.22. उपर्युक्त परिच्छेद का निहितार्थ वह प्रतीत होता है कि [2019]
1. अधिकांश आधुनिक आर्थिक संवृद्धि प्रौद्योगिकीय प्रगति पर आधारित है। 
2. काफी मायने में आधुनिक भारतीय अर्थव्यवस्था श्रम-प्रधन, प्राकृतिक संसाधन-आधारित आजीविका के साथ पर्याप्त सहजीवी संबंध को प्रोत्साहन नहीं देती। 
3. भारत में सेवा क्षेत्र बहुत श्रम-प्रधन नहीं है। 
4. साक्षर ग्रामीण जनसंख्या संगठित क्षेत्र में प्रवेश करने की इच्छुक नहीं है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
(क) केवल 1 और 2
(ख) केवल 3 और 4
(ग) केवल 1, 2 और 3
(घ) 1, 2 और 4

उत्तर. (क)
उपाय: 
परिच्छेद से यह पता चलता है कि सगंठित क्षेत्र में रोजगार संवृद्धि, अर्थव्यवस्था संवृद्धि के बराबर नहीं है। अतः 1 तथा 2 सही है।


परिच्छेद-6

भारत में ऐसे बैकिंग संपर्की हैं, जो दूर-दराज़ के पिछड़े क्षेत्रों के लोगो को बैकिंग के दायरे में लाने में मदद करते हैं। वे ऐसा कर सकें, इसके लिए बैंक लागतों में कोई कमी नहीं कर सकते। वे वित्तीय शिक्षा और साक्षरता में निवेश करने की उपेक्षा भी नहीं कर सकते। बैकिंग संपर्की एक तरह से इतने कम हैं कि उन्हें व्यवस्थागत जोखिम के रूप में नहीं देखा जा सकता। तथापि, भारत के बैकिंग नियामक ने प्रतिबंध लगा रखा है कि वे केवल एक बैंक के लिए कार्य करें, संभवतः अंतर-पणन (आर्बिट्रेज) से बचाव के लिए। बैकिंग तक पूरी पहुँच लाने के प्रयासों में तभी सफलता मिल सकती है, जब दूर-दराश में काम करने वाले आखिरी छोर के ऐसे कार्यकर्ताओं के लिए और उन प्रबंधकों के लिए भी, जो न केवल आधारभूत बैंक लेखाओं को, बल्कि दुर्घटना एवम जीवन बीमा तथा लघु पेंशन योजनाओं जैसे उत्पादों को भी सुनिश्चित करते हैं, काम करने में बेहतर प्रोत्साहन उपलब्ध हों।
प्रश्न.23. उपर्युक्त परिच्छेद से निम्नलिखित में से कौन-सा एक, सर्वाधिक तर्कसंगत, विवेकपूर्ण और निर्णायक निष्कर्ष निकाला जा सकता है ? [2019]
(क) भारत के दूर-दराज़ के पिछड़े क्षेत्रों के लोगों को बैकिंग के दायरे में लाने के प्रयास सफल नहीं हुए हैं।
(ख) सार्थक वित्तीय समावेशन के लिए, भारत की बैंकिंग प्रणाली में और अधिक संख्या में बैंकिंग संपर्कियों तथा आखिरी छोर के ऐसे अन्य कार्यकर्ताओं की आवश्यकता है।
(ग) भारत में सार्थक वित्तीय समावेशन के लिए इस बात की आवश्यकता है कि बैंकिंग सपंर्कियों के पास विविध कौशल हों।
(घ) बैंकिंग तक बेहतर पहुँच तब तक असंभव होगी जब तक कि प्रत्येक बैंकिगं संपर्की को अनेक बैंकों के लिए काम करने की अनुमति न हो।

उत्तर. 
(ग)
उपाय: 
परिच्छेद के अनुसार-भारत में ऐसे बैंकिंग संपर्की हैं, जो दूर-दराज के पिछड़े क्षेत्रों के लोगों को बैंकिंग के दायरे में लाने में मदद करते हैं ..., फिर भी भारत के बैंकिंग नियामक ने प्रतिबंध लगा रखा है कि वे केवल एक बैंक के लिए कार्य करें, संभवत: अंतर-पणन (आर्बिट्रेज) से बचाव के लिए। इससे यह पता चलता है कि ‘बैंकिंग तक पूरी पहुँचे लाने के प्रयासों में तभी सफलता मिल सकती है, जब दूर-दराज में काम करने वाले आखिरी छोर के ऐसे कार्यकर्ताओं के लिए और उन प्रबंधकों के लिए भी, जो न केवल आधारभूत बैंक लेखाओं को बल्कि दुर्घटना एवं जीवन बीमा तथा लघु पेंशन योजनाओं जैसे उत्पादों को भी सुनिश्चित करते हैं।

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