निम्नलिखित 7 (सात) प्रश्नांशों के लिए निर्देशः
निम्नलिखित सात परिच्छेदों को पढ़िए और उनके नीचे आने वाले प्रश्नांशों के उत्तर दीजिए। इन प्रश्नांशों के लिए आपके उत्तर केवल इन परिच्छेदों पर ही आधारित होने चाहिए। [2017]
परिच्छेद-1
हमारे सामने कठोर परिश्रम है। जब तक हम अपने प्रण को संपूर्णतः पूरा नहीं कर लेते, जब तक हम भारत के सभी लोगों को वह नहीं बना देते जो कि नियति चाहती है कि वे हों, तब तक हममें से किसी को आराम नहीं करना है। हम एक महान देश के नागरिक है, सुस्पष्ट प्रगति के कगार पर है, और हमें उन उच्च आदर्शो को जीवन में उतारना है। हम सभी, चाहे हम किसी भी धर्म के हों, समान रूप से भारत की संतान हैं और हमारे अधिकार, विशेषाधिकार और दायित्व बराबर नहीं दे सकते, क्योंकि कोई भी देश, जिसके लोग विचारों अथवा आचरण में संकीर्ण हों, महान नहीं हो सकता। (2017)
प्रश्न.65. उपर्युक्त परिच्छेद का लेखन लोगों को क्या प्राप्त करने की चुनौती देता है?
(क) उच्च जीवन आदर्श, प्रगति और विशेषाधिकार
(ख) समान विशेषाधिकार, नियति की पूर्णता और राजनीतिक सहिष्णुता
(ग) साहसिक उत्साह और आर्थिक समानता
(घ) कठोर परिश्रम, भाईचारा और राष्ट्रीय एकता
उत्तर. (ख)
उपाय.
लेखक ने जो चुनौतियां सार्वजनिक की है, वो है, समान विशेषाधिकार प्राप्त करना, नियति की पूर्णता और राजनीतिक सहिष्णुता।
परिच्छेद-2
" रुसो के अनुसार, व्यक्ति अपनी सत्ता को और अपनी पूरी शक्ति को सम्मिलित रूप से समष्टि-सकंल्प (जनरल बिल) के सर्वाेच्च निर्देश के अधीन रखता है, और हम अपनी समष्टिगत क्षमता में प्रत्येक सदस्य को संपूर्ण के अविच्छिन्न अंश के रूप में लेते हैं।" (2017)
प्रश्न.66. उपर्युक्त परिच्छेद के अनुसार, निम्नलिखित में से कौन-सा समष्टि-संकल्प के स्वरूप का सर्वोत्तम वर्णन है?
(क) व्यक्तियों की वैयक्तिक इच्छाओं का कुल योग
(ख) व्यक्तियों के निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा जो स्पष्ट कहा गया है
(ग) सामूहिक कल्याण जो व्यक्तियों की वैयक्तिक इच्छाओं से भिन्न है
(घ) समुदाय के वस्तुपरक (मेटीरियल) हित
उत्तर. (ग)
उपाय.
सामूहिक कल्याण जो व्यक्तियों की वैयक्तिक इच्छाओं से श्रेष्ठ होता हैं।
परिच्छेद-3
लोकतांत्रिक राज्य में, जहाँ लोगों में उच्च कोटि की राजनीतिक परिपक्कवता होती है, सर्वसत्ताधारी विधिनिर्माता निकाय के संकल्प और जनता के संगठित संकल्प में बिरले ही संघर्ष होता है। (2017)
प्रश्न.67. उपर्युक्त परिच्छेद का क्या निहितार्थ है?
(क) लोकतंत्र में, संप्रभुता के वास्तविक पालन में, बल प्रमुख तथ्य होता है।
(ख) परिपक्व लोकतंत्र में, संप्रभुता के वास्तविक पालन में, बल एक बड़ी सीमा तक प्रमुख तथ्य होता है।
(ग) परिपक्व लोकतंत्र में, संप्रभुता के वास्तविक पालन में, बल का प्रयोग अप्रासंगिक है।
(घ) परिपक्व लोकतंत्र में, संप्रभुता के वास्तविक पालन में, बल घटकर एक उपांतिक तथ्य (मार्जिनल) रह जाता है।
हारने वालों की हार हुई और विद्यार्थी यह देखेगा कि यही प्रतिरूप सदियों से लगातार, बार-बार पुनर्घटित होता है।
उत्तर. (घ)
उपाय.
अनुच्छेद बताता है कि परिपक्व लोकतंत्र में, संप्रभुता के वास्तविक पालन में, बल घटकर एक उपांतिक तथ्य (मार्जिनल फेनाॅमिनाॅन) रह जाता है।
परिच्छेद-4
सफल लोकतंत्र राजनीति में व्यापक रुचि एवं भागीदारी पर निर्भर करता है, जिसमें मतदान एक आवश्यक अंग है। जानबूझकर इस प्रकार की रुचि न रखना और मतदान न करना, एक प्रकार की अन्तर्निहित अराजकता है यह स्वतंत्र राजनीतिक समाज के लाभों का उपभोग करते हुए अपने राजनीतिक दायितव से मुख मोड़ना है। (2017)
प्रश्न.68. यह परिच्छेद किससे सम्बन्ध्ति है?
(क) मतदान का दायित्व
(ख) मतदान का अधिकार
(ग) मतदान की स्वतंत्रता
(घ) राजनीति में भागीदारी का अधिकार
उत्तर. (क)
उपाय.
परिच्छेद मतदान के दायित्व से सम्बन्धित है।
परिच्छेद-5
किसी स्वतंत्र देश में, नेता की स्थिति तक पहुँचने वाला व्यक्ति सामान्यतः उत्कृष्ट चरित्र और योग्यता वाला व्यक्ति होता है। इसके साथ ही, इसका पूर्वानुमान कर लेना भी सामान्यतः संभव होता है कि वह इस स्थिति तक पहुँचेगा, क्योंकि जीवन के प्रारम्भिक वर्षों में ही उसके चारित्रिक गुणों को देखा जा सकता है। किन्तु किसी तानाशाह के मामले में यह हमेशा सत्य नहीं होता; वह प्रायः अपनी सत्ता की स्थिति तक संयोग से पहुँच जाता है, अनेक बार तो सिर्फ अपने देश की दुखद स्थिति के कारण ही। (2017)
प्रश्न.69. इस परिच्छेद में यह सुझाया गया प्रतीत होता है कि
(क) नेता अपनी भावी स्थिति का पूर्वानुमान कर लेता है।
(ख) नेता सिर्फ किसी स्वतंत्र देश के द्वारा ही चुना जाता है।
(ग) किसी भी नेता को इस बात पर ध्यान रखना चाहिए कि उसका देश निराशा से मुक्त रहे।
(घ) किसी देश में बनी हुई निराशा की परिणति कभी-कभी तानाशाही में होती है।
उत्तर. (घ)
उपाय.
परिच्छेद बताता है कि किसी देश में बनी हुयी निराशा की परिणति कभी-कभी तानाशाही में होती है।
परिच्छेद-6
तकनीकी प्रगति में निहित मानव-जाति के लिए सबसे बड़ा़ वरदान, निश्चित रूप से, भौतिक सम्पदा का संचय नहीं है। किसी व्यक्ति के द्वारा जीवन में इनकी जितनी मात्रा का वास्तविक रूप में उपभोग किया जा सकता है, वह बहुत अधिक नहीं है। किन्तु फुरसत के समय के उपभोग की संभावनाएँ उसी संकीर्ण सीमा तक सीमित नहीं है। जिन्होनें फुरसत के समय के उपहार के सदुपयोग का कभी अनुभव नहीं किया है, वे लोग इसका दुरुपयोग कर सकते हैं। फिर भी, समाजों की एक अल्पसंख्या द्वारा फुरसत के समय का रचनात्मक उपयोग किया जाना ही आदिम स्तर के बाद सभी मानव-प्रगति का मुख्य प्रेरणास्त्रोत रहा है। (2017)
प्रश्न.70. उपर्युक्त परिच्छेद के सन्दर्भ में निम्नलिखित पूर्वधारणाएँ बनाई गई हैंः
1. फुरसत के समय को लोग सदैव उपहार के रूप में देखते हैं तथा इसका उपयोग और अधिक भौतिक सम्पदा अर्जित करने के लिए करते हैं।
2. कुछ लोगों द्वारा फुरसत के समय का, नूतन और मौलिक चीजों के उत्पादन के लिए, उपयोग किया जाना ही मानव-प्रगति का मुख्य स्त्रोत रहा है। इनमें से कौन-सी पूर्वधारणा/पूर्वधारणाएँ वैध है/ हैं?
(क) केवल 1
(ख) केवल 2
(ग) 1 और 2 दोनों
(ख) न तो 1 और न ही 2
उत्तर. (ख)
उपाय.
परिच्छेद पूर्णधारित करता है कि कुछ लोगों द्वारा फुरसत के समय का, नूतन और मौलिक चीजों के उत्पादन के लिए, उपयोग किया जाना ही मानव-प्रगति का मुख्य स्रोत रहा है।
परिच्छेद-7
इस अभिकथन में किंचित से कहीं अधिक सच्चाई है कि ‘‘सामयिक घटनाओं की बुद्धिमत्तापूर्ण व्याख्या के लिए प्राचीन इतिहास का कार्यसाधक ज्ञान होना आवश्यक है’’। किन्तु जिस बुद्धिमान ने समझदारी के ये शब्द कहे थे, उसने विशेष रूप से इतिहास की प्रसिद्ध लड़ाइयों के अध्ययन से होने वाले फायदों पर अवश्य ही कुछ -ना-कुछ कहा होगा, क्योंकि इनमें हममें से उनके लिए सबक शमिल है जो नेतृत्व करते हैं या नेता बनने की अभिलाषा रखते हैं। इस तरह के अध्ययन से कुछ ऐसे गुण और विशेषताएँ उद्घटित होगी, जिनमें विजेताओं के लिए जीत परिचालित हुई- और वे कतिपय कमियाँ भी, जिनके कारण हारने वालों की हार हुई और विद्यार्थी यह देखेगा कि यही प्रतिरूप सदियों से लगातार, बार-बार पुनघटित होता है। (2017)
प्रश्न.71. उपर्युक्त परिच्छेद के संदर्भ में निम्नलिखित पूर्वधारणाएँ बनाई गई हैंः
1. इतिहास की प्रसिद्ध लड़ाइयों का अध्ययन हमें आधुनिक युद्धस्थिति को समझने में सहायता करेगा।
2. जो भी नेतृत्व की इच्छा रखता है, उसके लिए इतिहास का अध्यन अनिवार्य है।
इनमें से कौन-सी पूर्वधारणा/पूर्वधारणाएँ वैध है/हैं?
(क) केवल 1
(ख) केवल 2
(ग) 1 और 2 दोनों
(घ) न तो 1 और न ही 2
उत्तर. (ख)
उपाय.
पूर्वधारणा है कि जो भी नेतृत्व की इच्छा रखता है, उसके लिए इतिहास का अध्ययन अनिवार्य है।
निम्नलिखित 8 (आठ) प्रश्नांशों के लिए निर्देशः
निम्नलिखित सात परिच्छेदों को पढ़िए और उनके नीचे आने वाले प्रश्नांशों के उत्तर दीजिए। इन प्रश्नांशों के लिए आपके उत्तर केवल इन परिच्छेदों पर ही आधारित होने चाहिए।
परिच्छेद- 1
परंपरागत संस्थाओं, पहचानों और निष्ठाओं के विघटन से दो-तरफा (ऐंबिवैलेंट) स्थितियाँ उत्पन्न होने की संभावना होती है। यह संभव है कि कुछ लोग परंपरागत समूहों के साथ फिर से अपनी नई पहचान बनाएँ, जबकि अन्य लोग राजनीतिक विकास की प्रक्रियाओं से उत्पन्न होने वाले नए समूहों और प्रतीकों के साथ खुद को जोड़ लें। इसके अतिरिक्त, राजनीतिक विकास की यह प्रवृत्ति होती है कि वह विविध वर्गों, जनजातियों, क्षेत्रों, कुलों, भाषाओं, धर्मों, व्यवसायों एवं अन्य समूहों की समूह-चेतना का पोषण करती है। (2017)
प्रश्न.72. निम्नलिखित में से कौन-सी एक उपर्युक्त परिच्छेद की सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है?
(क) राजनैतिक विकास एक दिशा में चलने वाली प्रक्रिया नहीं है, क्योंकि इसमें संवृद्धि और ह्रास दोनों शामिल होते हैं।
(ख) परंपरागत समाज राजनीतिक विकास के सकारात्मक पक्षों का प्रतिरोध करने में सफल होते है।
(ग) परंपरागत समाजों के लिए, लंबे समय से बनी हुई निष्ठाओं से मुक्त हो पाना असंभव है।
(घ) परंपरागत निष्ठाओं को बनाए रखना राजनीतिक विकास में सहायक होता है।
उत्तर. (क)
उपाय.
सर्वश्रेष्ठ व्याख्या है कि राजनीतिक विकास एक दिशा में चलने वाली प्रक्रिया नहीं है, क्योंकि इसमें संवृद्धि और ह्रास दोनों शामिल होते हैं।
परिच्छेद-2
पूरे विश्व में सरकार में प्रादेशिकता की एक महत्वपूर्ण प्रवृत्ति है, जिसके परिणामस्वरूप 1990 के दशक से क्षेत्रों और समुदायों की ओर सत्ता का व्यापक अधोगामी हस्तांतरण होता रहा है। इस प्रक्रिया को, जिसके अंतर्गत अवराष्ट्रीय (सब-नैशनल) स्तर पर नई राजनीतिक सत्ताएँ और निकाय बनाते हैं तथा उनकी क्षमता और शक्ति में वृद्धि होती है, प्रत-विकास (डीवोल्यूशन) कहते हैं। प्रति-विकास की विेशेषता है कि वह तीन घटकों से मिलकर बनता है, वे घटक है - राजनीतिक वैधता, सत्ता का विकेंद्रीकरण और ससांधनों का विकेंद्रीकरण यहाँ राजनीतिक वैधता से आशय है निचले जनसमुदाय से विकेद्रीकण की प्रक्रिया के लिए उठने वाली माँग, जिसमें विकेंद्रीकरण के लिए एक राजनीतिक बल निर्मित करने की क्षमता होती है। कई मामलों में, आधारित स्तर पर इसके लिए पर्याप्त राजनीतिक संघटन हुए बिना ही सरकार के ऊपरी स्तर से विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ की दी जाती है, और ऐसे मामलों में विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया अपने उद्देश्य पूरे नहीं कर पाती। (2017)
प्रश्न.73. उपर्युक्त परिच्छेद से निम्नलिखित में से कौन-सा सर्वाधिक तार्किक, तर्कसंगत और विवेचनात्मक निष्कर्ष (इन्फोस) निकाला जा सकता है?
(क) अवराष्ट्रीय राजनीतिक सत्ताओं के निर्माण के लिए और इस तरह सफल प्रति-विकास और विकेंद्रीकरण सुनिश्चित करने के लिए शक्तिशाली जन नेताओं का उभरता अनिवार्य है।
(ख) सरकार के ऊपरी स्तर से क्षेत्रीय समुदायों पर, कानून द्वारा या अन्यथा, प्रति-विकास और विकेंद्रीकरण को अधिरोपित किया जाना चाहिए।
(ग) प्रति-विकास को सफल होने के लिए ऐसे लोकतंत्र की अपेक्षा होती है, जिसमें निचले स्तर के लोगों की इच्छा की स्वतंत्र अभिव्यक्ति हो और आधारित स्तर पर उनकी सक्रिय भागीदारी हो।
(घ) प्रति-विकास होने के लिए जनता में क्षेत्रवाद की प्रबल भावना होनी आवश्यक है।
उत्तर. (ग)
उपाय.
परिच्छेद से सर्वाधिक तार्किक, तर्कसंगत और विवेचनात्मक निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि प्रति विकास को सफल होने के लिए ऐसे लोकतंत्र की अपेक्षा होती हैं, जिसमें निचले स्तर के लोगों की इच्छा की स्वतंत्र अभिव्यक्ति हो और आधारिक स्तर पर उसकी सक्रिय भागीदारी हो।
परिच्छेद-3
हम डिजिटल काल में रहते हैं। डिजिटल सिर्फ ऐसी कोई चीज नहीं है जिसका उपयोग कार्यनीतिक रूप से और विशिष्ट तौर पर कुछ कार्येां को पूरा करने के लिए किया जाता है। हमारा यह प्रत्यक्ष-ज्ञान कि हम कौन है, और हमारे चारों ओर की दुनिया से हम किस प्रकार जुड़ते है, और वे तरीके जिनसे हम अपने जीवन, श्रम और भाषा के प्रभाव-क्षेत्रों को परिभाषित करते है, बड़े पैमाने पर डिजिटल प्रौद्योगिकियों द्वारा ही संरचित है। डिजिटल हर जगह विद्यमान है और हवा की तरह अदृश्य है। हम डिजिटल व्यवस्थाओं के अंदर रहते हैं, हम अंतरंग गैजेटों (Gadgets) के साथ जीते है, हमारी पारस्परिक क्रियाएँ डिजिटल माध्यमों के द्वारा होती है, और डिजिटल की मौजूदगी तथा उसकी कल्पना ने हमारे जीवन को प्रभावशाली ढंग से पुनर्सरचित कर दिया है। डिजिटल, सिर्फ एक उपकरण मात्र होने से अधिक, वह दशा और संदर्भ है जो हमारे आत्म-बोध, समाज-बोध और शासन संरचना बोध के आकार और सीमाओं को परिभाषित करता है। (2017)
प्रश्न.74. निम्नलिखित में से कौन-सा सर्वाधिक तार्किक और सारभूत संदेश है, जो उपर्युक्त पच्छिेद द्वारा व्यक्त किया गया है?
(क) डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर शासन की सभी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
(ख) डिजिटल प्रौद्योगिकियों की बात करना हमारे जीवन और जीवनचर्या की बात करना है।
(ग) हमारी रचनात्मकता और कल्पना को डिजिटल माध्यमों के बिना अभिव्यक्त नहीं किया जा सकता।
(घ) डिजिटल तंत्रों का उपयोग भविष्य में मानव के अस्तित्व के लिए अत्यावश्यक है।
उत्तर. (घ)
उपाय.
परिच्छेद द्वारा व्यक्त किया गया सर्वाधिक तार्किक और सारभूत संदेश है कि डिजिटल तंत्रों का उपयोग भविष्य में मानव के अस्तित्व के लिए अत्यावश्यक है।
परिच्छेद-4
IMF ने ध्यान दिलाया है कि एशिया की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं के समक्ष ‘मध्यम-आय जाल (मिडिल-इन्कम ट्रैप)’ में पड़ जाने का संकट बना हुआ है। इसका आशय यह है कि इन देशों की औसत आय, जो कि अब तक तेजी से बढत़र रही है, एक बिदुं से आगे बढ़ना बंद कर देगी-एक ऐसा बिंदु जो कि विकसित पश्चिमी जगत् की आय से काफी कम है। IMF आधारभूत संरचना से लेकर कमजोर संस्थाओं तक और अपर्याप्त रूप से अनुकूल समष्टि-आथिर्क (मैक्रोइकानाॅमिक) दशाओं तक, मध्यम-आय जाल के कई कारणों की पहचान करता है- जिनमें से कोई भी आश्चर्यजनक नहीं है। परंतु IMF कहता है कि सर्वरूपेण कारण उत्पादकता की वृद्धि में गिरावट है। (2017)
प्रश्न.75. उपर्युक्त परिच्छेद से निम्नलिखित में से कौन-सा सर्वाधिक तार्किक, तर्कसंगत और विवेचनात्मक निष्कर्ष (इन्फेरेंस) निकाला जा सकता है?
(क) किसी देश के मध्यम-आय अवस्था में पहुँच जाने से उसकी उत्पादकता में ह्रास होने का खतरा होता है, जिसके परिणामस्वरूप आय की वृद्धि रुक जाती है।
(ख) मध्यम-आय जाल में फँसना तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्थाओं की एक सामान्य विशेषता है।
(ग) एशिया की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के लिए वृद्धि की गति को बनाए रखने की कोई आशा नहीं है।
(घ) जहाँ तक उत्पादकता की वृद्धि का प्रश्न है, एशिया की अर्थव्यवस्थाओं का निष्पादन संतोषजनक नहीं है।
उत्तर. (क)
उपाय.
परिच्छेद से सर्वाधिक तार्किक, तर्कसंगत और विवेचनात्मक निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि किसी देश के मध्यम आय अवस्था में पहुँच जाने से उसकी उत्पादकता में ह्रास होने का खतरा होता है, जिसके परिणामस्वरूप आय की वृद्धि रूक जाती है।
परिच्छेद-5
नवप्रवर्तनकारी (इन्नोवेटिव) भारत समावेशी होने के साथ-साथ प्रौद्योगिकी में भी उन्नत होगा जिससे सभी भारतीयों के जीवन में सुधार आएगा। नवप्रवर्तन तथा R & D बढ़ती हुई सामाजिक असमानता को कम कर सकते हैं और द्रुत शहरीकरण से उत्पनन्न होने वाले दबावों से मुक्त कर सकते हैं। कृषि और ज्ञान-केंद्रित (नाॅलेज-इंटेसिव) निर्माण और सेवाओं के बीच उत्पादकता में बढ़ते हुए से, आय-असमानता के बढ़ने का खतरा है। भारत की R & D प्रयोगशालाओं और विश्वविद्यालयों को गरीब लोगों की जरूरतों पर ध्यान रखने के लिए प्रोत्साहित कर तथा ज्ञान-अर्जन के लिए अनौपचारिक प्रतिष्ठानों की क्षमता में उन्नयन कर, एक नवप्रवर्तन और अनुसंधान कार्यक्रम इस प्रभाव का सामना कर सकता है। समावेशी नवप्रवर्तन वस्तु और सेवाओं की लागत को कम तथा गरीब लोगों के लिए आय-अर्जन के अवसर उत्पन्न कर सकता है। (2017)
प्रश्न.76. निम्नलिखित में से कौन-सी सर्वाधिक तार्किक और तकर्सगंत पूर्वधारणा है, जो कि उपर्युक्त परिच्छेद से बनाई जा सकती है?
(क) गाँवों से शहरों में प्रवसन को कम करने के लिए नवप्रवर्तन तथा R & D ही एकमात्र रास्ता है।
(ख) तेजी से विकसित होने वाले प्रत्यके देश को कृषि और अन्य क्षेत्रों में उत्पादकता के बीच विभेद को न्यूनतम करने की आवश्यकता है।
(ग) समावेशी नवप्रवर्तन तथा R & D एक समतावादी समाज बनाने में सहायता कर सकते है।
(घ) द्रुत शहरीकरण केवल तभी होता है जब किसी देश की आर्थिक वृद्धि तीव्रगामी होती है।
उत्तर. (ग)
उपाय.
परिच्छेद की सर्वाधिक तार्किक और तर्कसंगत पूर्वधारणा है कि समावेशी नवप्रवर्तन तथा R & D एक समतावादी समाज बनाने में सहायता कर सकते हैं।
परिच्छेद-6
यह संभावना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण बहुत बड़ी संख्या में लोग बढ़ते हुए पर्यावरणीय जोखिम में पड़ जाएँगे और फलस्वरूप प्रवसन के लिए विवश हो जाएँगे। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को प्रवासियों की इस नई श्रेणी की पहचान अभी करनी है। अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अंतर्गत शरणार्थी शब्द का एक सुस्पष्ट अर्थ होने के कारण, जलवायु के कारण होने वाले शरणार्थियों की परिभाषा और स्थिति पर कोई सर्वसम्मति नहीं है। यह बात अभी भी समझ से बाहर है कि जलवायु परिवर्तन प्रवसन के मूल कारण के रूप में कैसे कार्य करेगा। यदि जलवायु के कारण होने वाले शरणार्थियों की पहचान हो, तब भी उन्हें संरक्षण कौन प्रदान करेगा?
जलवायु परिवर्तन के कारण जो अंतर्राष्ट्रीय प्रवसन होता है, उस पर कहीं अधिक बल दिया गया है। परंतु आवश्यकता है कि जलवायु-प्रभावित लोगों के, देशों के अंदर में हुए प्रवसन की भी पहचान की जाए उनकी समस्याओं को उचित प्रकार से दूर किया जा सके। (2017)
प्रश्न.77. उपर्युक्त परिच्छेद से, निम्नलिखित में से कौन-सा सर्वाधिक तकर्सगंत निष्कर्ष (इन्फरेंस) निकाला जा सकता है?
(क) विश्व, विशाल पैमाने पर जलवायु के कारण होने वाले शरणार्थियों के प्रवसन का सामना नहीं कर पाएगा।
(ख) जलवायु परिवर्तन को और आगे बढ़ने से रोकने के लिए हमें तरीके और साधन ढूँढ़ने चाहिए।
(ग) भविष्य में जलवायु परिवर्तन लोगों के प्रवसन का सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारण होगा।
(घ) जलवायु परिवर्तन और प्रवसन के बीच संबंध अभी भी सही रूप में समझा नहीं गया है।
उत्तर. (घ)
उपाय.
परिच्छेद से सर्वाधिक तर्कसंगत निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि जलवायु परिवर्तन और प्रवसन के बीच सम्बन्ध अभी भी सही रूप में समझा नहीं गया है।
परिच्छेद-7
अनेक किसान फसल को हानि पहुँचाने वाले कीटों को मारने के लिए संश्लेषित कीटनाशकों का उपयोग करते हैं। कुछ विकसित देशों में तो कीटनाशकों की खपत 3000 ग्राम प्रति हेक्टेयर तक पहँचु रही है। दुर्भाग्यवश ऐसी कई रिपोर्ट है कि ऐसे यौगिकों में अन्तर्निहित विषाक्ता होती है जो खेती करने वालों के, उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य और पर्यावरण को खतरे में डालती है। संश्लेषित कीटनाशक सामान्यतः पर्यावरण में लगातार बने रहते हैं। खाद्य- श्रृंखला में प्रवेश कर वे सूक्ष्मजैविक विविधता को नष्ट कर पारिस्थितिक (इकोलाॅजिकल) असंतुलन उत्पन्न करते हैं। इनके अंधाधुध उपयोग के परिणामस्वरूप कीटों में कीटनाशकों के विरुद्ध प्रतिरोध विकसित हुआ है, प्राकृतिक संतुलन में गड़बड़ी हुई है और जिन समष्टियों का उपचार किया जा चुका है वे फिर से बढ़ गई है। वानस्पतिक कीटनाशक का उपयोग कर प्राकृतिक पीड़क नियंत्रण करना इनके उपयोगकर्ताओं एवं पर्यावरण के लिए अपेक्षाकृत सुरक्षित होता है, क्योंकि वे सूर्य के प्रकाश की मौजूदगी में कुछ घंटों अथवा दिनों में ही हानिरहित यौगिकों में टूट जाते कीटनाशी विशेषताओं से युक्त पौधे लाखों वर्षों से, पारिस्थितिक तंत्र पर कोई खराब या प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, प्रकृति में मौजूद है।
अधिकांश मृदाओं में आमतौर पर पाए जाने वाले अनेक सूक्ष्मजीव इन्हें सरलता से विघटित कर देते हैं। वे परभक्षियों की जैविक विविधता को बनाए रखने और पर्यावरणीय संदूषण तथा मनुष्यों के स्वास्थ्य संकटों को कम करने में सहायक हैं। पौधों से बनाए गए वानस्पतिक कीटनाशक जैव निम्नीकरणीय (बायोडीग्रेडेबल) होते हैं और फसल सुरक्षा में उनका उपयोग करना व्यावहारिक रूप से एक धारणीय विकल्प है।
प्रश्न.78. उपर्युक्त परिच्छेद के आधार पर निम्नलिखित पूर्वधारणाएँ बनाई गई हैंः
1. आधुनिक कृषि में, संश्लेषित कीटनाशकों का उपयोग कभी भी नहीं करना चाहिए।
2. धारणीय कृषि का एक उद्देश्य अल्पतम पारिस्थतिक असंतुलन को सुनिश्चित करना है।
3. वानस्पतिक कीटनाशक, संश्लेषित कीटनाशकों की तुलना में, अधिक प्रभावकारी होते हैं।
उपर्युक्त पूर्वधारणाओं में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(क) केवल 1 और 2
(ख) केवल 2
(ग) केवल 1 और 3
(घ) 1, 2 और 3
उत्तर. (ख)
उपाय.
परिच्छेद के आधार पर पूर्वधारणा बनायी गयी है कि धारणीय कृषि का एक उद्देश्य अल्पतम पारिस्थितिक असंतुलन को सुनिश्चित करना है।
प्रश्न.79. जैव कीटनाशकों के विषय में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)
1. वे मानवीय स्वास्थ्य के लिए खतरनाक नहीं है।
2. वे पर्यावरण में लगातार बने रहते हैं।
3. वे किसी भी पारिस्थितिक तंत्र की जैव विविधता बनाए रखने के लिए अनिवार्य है।
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
(क) केवल 1
(ख) केवल 1 और 2
(ग) केवल 2 और 3
(घ) 1, 2 और 3
उत्तर. (ग)
उपाय.
जैव कीटनाशक मानवीय स्वास्थ्य के लिए खतरनाक नहीं है। वे किसी भी पारिस्थितिक तंत्र की जैव विविधता बनाए रखने के लिए अनिवार्य हैं।
निम्नलिखत 7 (सात) प्रश्नांशों के लिए निर्देशः
निम्नलिखित सात परिच्छेदों को पढ़िए और उनके नीचे आने वाले प्रश्नाशों के उत्तर दीजिए। इन प्रश्नांशों के लिए आपके उत्तर केवल इन परिच्छेदों पर ही आधारित होने चाहिए। [2017]
परिच्छेद-1
वायु गुणता सूचकांक (एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) बहुत से वायु प्रदूषकों की मापों को एकल संख्या अथवा अनुमतांक (रेटिंग) में जोड़कर दिखाने का एक तरीका हैं आदर्श रूप में, इस सूचकांक को सतत् रूप से अद्यतन (अपडेट) बनाए रखा जाता है और यह विभिन्न स्थानों पर उपलब्ध रहता है। AQI सर्वाधिक उपयोगी तब होता है जब बहुत सारे प्रदूषण-आँकडे़ एकत्रित किए जा रहे हों, और जब प्रदूषण के स्तर, हमेशा तो नहीं, लेकिन आमतौर पर निम्न रहते हों। इन दशाओं में, यदि प्रदूषण-स्तर कुछ दिनों के लिए अचानक बढ़ जाए, तो जनता वायु गुणता चेतावनी की प्रतिक्रिया में शीघ्रता में निरोधक कार्रवाई (जैसे कि घर के भीतर रहना) कर सकती है। दुर्भाग्य से, शहरी भारत की हालत ऐसी नहीं है। कई बड़े भारतीय शहरों में प्रदूषण-स्तर इतने अधिक होते हैं कि वे वर्ष के ज्यादातर दिनों में स्वास्थ्य के मानकों अथवा नियामक मानकों से ऊपर बने रहते हैं। यदि हमारा सूचकांक दिन पर दिन ‘लाल/खतरनाक’ दायरे में बना रहता है, तो किसी के लिए भी ज्यादा कुछ करने लायक नहीं रहता सिवाय इसके कि इनकी उपेक्षा करने की आदत बना लें। (2017)
प्रश्न.80. उपर्युक्त परिच्छेद से, निम्नलिखित में से कौन-सा सर्वाधिक तार्किक और तर्कसंगत निष्कर्ष (इन्फरेंस) निकाला जा सकता है?
(क) हमारे शहरों को प्रदूषण-मुक्त रखने के लिए हमारी सरकारें पर्याप्त रूप से जिम्मेदार नहीं है।
(ख) हमारे देश में वायु गुणता सचूकांकों की बिल्कुल ही आवश्यकता नहीं है।
(ग) हमारे बड़े शहरों के बहुत-से निवासियों के लिए वायु गुणता सूचकांक सहायक नहीं है।
(घ) प्रत्येक शहर में, प्रदूषण-संबंधी समस्याओं के बारे में जन-जागरूकता बढ़नी चाहिए।
उत्तर. (ग)
उपाय.
दिए गए परिच्छेद से सर्वाधिक तार्किक और तर्कसंगत निष्कर्ष यह निकाला जा सकता है कि हमारे बडे़ शहरों के बहुत-से निवासियों के लिए वायु गुणता सूचकांक सहायक नहीं है।
परिच्छेद-2
उत्पाद नौकरियाँ (जाॅब) विकास के लिए महत्वपूर्ण है और अच्छी नौकरी सर्वोत्तम प्रकार का समावेशन है। हमारी आधी से अधिक जनसंख्या कृषि पर निर्भर है, परंतु अन्य देशों के अनुभव से पता चलता है कि यदि कृषि में प्रति व्यक्ति आय पर्याप्त रूप में बढ़ानी है, तो कृषि पर निर्भर व्यक्तियों की संख्या में कमी लानी चाहिए। जहाँ एक ओर उद्योग में नौकरियाँ सृजित की जा रही हैं, वहीं असंगठित क्षेत्र में ऐसी बहुत सारी नौकरियाँ निम्न उत्पादकता वाली गैर-संविदागत नौकरियाँ होती हैं, जिनमें कम आय और न के बराबर सुरक्षा दी जाती है तथा कोई हितलाभ नहीं दिए जाते। इनकी तुलना से सेवा-क्षेत्र की नौकरियाँ उच्च उत्पादकता वाली होती हैं, परंतु सेवाओं में रोजगार-वृद्धि हाल के वर्षों में धीमी रही है। (2017)
प्रश्न.81. उपर्युक्त परिच्छेद से, निम्नलिखित में से कौन-सा सर्वाधिक तार्किक और तर्कसंगत निष्कर्ष (इनफेरेंस) निकाला जा सकता है?
(क) रोजगार-वृद्धि और समावेश को सुनिश्चित करने के लिए अत्यधिक सेवा-क्षेत्र की नौकरियों के तीव्रतर विकास की परिस्थितियों को उत्पन्न करना आवश्यक है।
(ख) आर्थिक वृद्धि और समावेश को सुनिश्चित करने के लिए हमें खेतिहर कामगारों को अत्यधिक उत्पादक विनिर्माण और सेवा-क्षेत्रों में स्थनांतरित करना आवश्यक है।
(ग) हमें कृषि की उत्पादकता बढ़ाने के साथ-साथ कृषि-क्षेत्र से बाहर उत्पादक नौकरियों के तीव्रतर विकास की परिस्थितियों को उत्पन्न करना आवश्यक है।
(घ) कृषि में प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि लाने के लिए हमें उच्च उपज वाली संकर किस्मों और आनुवंशिकः रूपांतरित (जेनेटिकली माॅडिफाइड) फसलों की खेती पर बल देना आवश्यक है।
उत्तर. (ग)
उपाय.
कृषि उत्पादकता बढ़ाने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र से बाहर उत्पादक नौकरियों के तीव्रता विकास की परिस्थितियों को उत्पन्न करने की आवश्यकता ही दिए गए परिच्छेद का सर्वाधिक तार्किक और तर्कसगंत निष्कर्ष है।
परिच्छेद-3
भूमि उपयोग में दृश्यभूमि पैमाने के उपागम (अप्रोच) से, संरक्षित क्षेत्रों के बाहर और अधिक जैव विविधता को प्रोत्साहन मिल सकता है। वर्ष 1998 में प्रभंजन (हरिकन) ‘मिच’ के दौरान, पर्यावरणीय कृषि पद्धतियों के उपयोग करने वाले फार्मो का, पारंपरिक तकनीकों के उपयोग करने वाले फार्मो की तुलना में, क्रमशः होंडुरास, निकारागुआ और ग्वाटेमाला में 58 प्रतिशत, 70 प्रतिशत और 99 प्रतिशत कम नुकसान हुआ। कोस्टारिका में, वानस्पतिक वात-रोधों (विंडब्रेक्स) और बाड़ कतारों के उपयोग से, पक्षी-विविधता में वृद्धि के साथ-साथ, किसानों की चरागाह और काॅफी से होने वाली आय में अत्यधिक बढ़ोतरी हुई। प्राकृतिक अथवा अर्थ-प्राकृतिक आवास के निकटतर कृषि-भूमि होने पर मधुमक्खियों से होने वाला परागण अधिक प्रभावकारी होता है, यह निष्कर्ष महत्वपूर्ण है, क्योंकि विश्व की 107 अग्रणी फसलों का 87 प्रतिशत परागण करने वाले जंतुओं पर निर्भर है। कोस्टारिका, निकारागुआ और कोलम्बिया में, वन-पशुचारी (सिल्वोपास्टरल) प्रणालियाँ, जिनमें पेड़ चरागाह-भूमियों के साथ एकीकृत है, पशु-उत्पादन की धारणीयता में सुधार ला रही है और किसानों की आय में विविधता और वृद्धि ला रही है। (2017)
प्रश्न.82. उपर्युक्त परिच्छेद से, निम्नलिखित में से कौन-सा सर्वाधिक तार्किक और तर्कसंगत निष्कर्ष (इन्फरेंस) निकाला जा सकता है?
(क) जैव विविधता को बढ़ाने वाली कृषि पद्धतियाँ प्रायः फार्म उत्पादन में वृद्धि और आपदाओं के प्रति असुरक्षितता को कम करती है।
(ख) विश्व के सभी देशों को पर्यावरणीय कृषि के स्थान पर पारंपरिक कृषि करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
(ग) संरक्षित क्षेत्रों में, वहीं की जैव विविधता को नष्ट किए बिना, पर्यावरणीय कृषि की अनुमति दी जानी चाहिए।
(घ) खाद्य फसलों की उपज तब अत्यधिक होगी, जब उनकी खेती में पर्यावरणीय कृषि पद्धतियाँ अपनायी जाए।
उत्तर. (क)
उपाय.
दिए गए, परिच्छेद से सर्वाधिक और तर्कसंगत निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि जैव विविधता को बढ़ाने वाली कृषि पद्धतियाँ प्रायः फार्म उत्पादन में वृद्धि और आपदाओं के प्रति असुरक्षितता को कम करती हैं।
परिच्छेद-4
भारतीय विनिर्माण के लिए मध्यावधि चुनौती, निम्नतर से उच्चतर प्रौद्योगिक क्षेत्रों, निम्नतर से उच्चतर मूल्यवर्धित क्षेत्रों और निम्नतर से उच्चतर उत्पादकता क्षेत्रों की और बढने़ की है। मध्यम प्रौद्योगिक उद्योगों में मुख्य रूप से अत्यधिक पूँजी लगी होती है और उनमें संसाधनों का प्रक्रमण होता है और उच्च प्रौद्योगिकी उद्योंगों में मुख्य रूप से अत्यधिक पूँजी और प्रौद्योगिकी लगी होती है। संपूर्ण GDP में विनिर्माण के हिस्से को प्रकल्पित 25 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए भारतीय विनिर्माण क्षेत्र को, विश्व-बाजार के उन क्षेत्रों पर कब्जा करने की आवश्यकता है, जिनमें बढ़ती हुई माँग की प्रवृत्ति है। इन क्षेत्रों में अधिकांश रूप से उच्च प्रौद्योगिकी और पूँजी लगी होती है। (2017)
प्रश्न.83. उपर्युक्त परिच्छेद से, निम्नलिखित में से कौन-सा सर्वाधिक तार्किक और तर्कसंगत निष्कर्ष (इन्फरेंस) निकाला जा सकता है?
(क) मध्यम प्रौद्योगिक और संसाधनों का प्रक्रमण करने वाले उद्योगों में, भारत की GDP उच्च मूल्य-वर्धित तथा उच्च उत्पादकता स्तरों को दर्शाती है।
(ख) भारत के अत्यधिक पूँजी और प्रौद्योगिकी वाले विनिर्माण का संवर्धन करना संभव नहीं है।
(ग) भारत को, अनुसंधान एवं विकास, प्रौद्योगिकी उन्नयन और कौशल विकास में, सरकारी निवेश बढ़ाना चाहिए और गैर-सरकारी निवेशों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
(घ) भारत ने पहले से ही विश्व-बाजार के उन क्षेत्रों से बड़ा हिस्सा प्राप्त कर लिया है जिनमें बढ़ती हुई माँग की प्रवृत्ति है।
उत्तर. (ग)
उपाय.
भारत को, अनुसंधान एवं विकास, प्रौद्योगिकी उनयन और कौशल विकास में, सरकारी निवेश में, सरकारी निवेश बढ़ाना चाहिए और गैर सरकारी निवेशों को प्रोत्साहित करना चाहिए।
परिच्छेद-5
पिछले दशक के दौरान भारतीय कृषि, खाद्यान्न व तिलहन का रिकार्ड उत्पान करने के साथ, और अधिक सुदृढ़ हुई है। इसके परिणामस्वरूप बढ़ी हुई खरीद से भंडारगृहों में खाद्यान्न के स्टाॅक में भारी बढ़ोतरी हुई हैं। भारत चावल, गेहूँ, दूध, फलों व सब्जियों के विश्व के शीर्ष उत्पादकों में से एक है। फिर भी विश्वभर के न्यूनपोषित लोगों का एक-चौथाई भाग भारत में है। औसत रूप से, देश के कुल परिवारों के लगभग आधे परिवारों में कुल व्यय का लगभग आधा व्यय भोजन पर होता है। (2017)
प्रश्न.84. निम्नलिखित में से कौन-सा उपर्युक्त परिच्छेद का सर्वाधिक तार्किक उपनिगमन (कोरोलरी) है?
(क) गरीबी और कुपोषण को कम करने के लिए खेत-से-बाली (फार्म-टु-फोर्क) तक की मूल्य श्रृंखला की दक्षता में बढ़ोतरी करना जरूरी है।
(ख) कृषि उत्पादकता में बढ़ोतरी करने से भारत में स्वतः ही गरीबी और कुपोषण दूर हो जाएगा।
(ग) भारत की कृषि उत्पादकता पहले से ही बहुत अधिक है और इसे और अधिक बढ़ाया जाना आवश्यक नहीं है।
(घ) सामाजिक कल्याण और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के लिए अधिक निधि का आबंटन करने से भारत से गरीबी और कुपोषण का अंततः उन्मूलन हो जाएगा।
उत्तर. (क)
उपाय.
दिए गए परिच्छेद का सर्वाधिक तार्किक उपनिगमन है कि गरीबी और कुपोषण को कम करने के लिए खेत-से थाली (फार्म-ट-ूफोर्क) तक की मूल्य श्रृंखला की दक्षता में बढो़त्तरी करना जरूरी है।
परिच्छेद-6
राज्य मोतियों के समान है तथा केंद्र वह धागा है जो उन्हें हार में पिरोता है यदि धागा टूट जाए, तो मोती बिखर जाते हैं। (2017)
प्रश्न.85. निम्नलिखित विचारों में से कौन-सा एक उपर्युक्त कथन की संपुष्टि है?
(क) शक्तिशाली केंद्र और शक्तिशाली राज्य, एक मजबूत संघ (फेडरेशन) बनाते हैं।
(ख) शक्तिशाली केंद्र, राष्ट्रीय अखंडता हेतु एक बंधनकारी शक्ति है।
(ग) शक्तिशाली केंद्र, राज्य स्वायत्रता में बाधा है।
(घ) राज्य की स्वतंत्रता, संघ (फेडरेशन) के लिए पूर्वपेक्षा है।
उत्तर. (ख)
उपाय.
‘शक्तिशाली केंद्र, राष्ट्रीय अखंडता हेतु एक बंधनकारी शक्ति है’, यह विचार दिए गए कथन की भली-भांति संपुष्टि करता है।
परिच्छेद-7
वास्तव में, मेरा मानना है कि इंग्लैंड में निर्धनतम व्यक्ति को भी एक वैसा ही जीवन जीना है जैसा कि महानतम व्यक्ति को, और इसलिए सच में, मैं मानता हूँ कि यह स्पष्ट है कि हर उस व्यक्ति को, जिसे सरकार के अधीन रहना है, सबसे पहले अपनी सहमति में स्वयं को सरकार के अधीन कर देना चाहिए, और मेरा यह अवश्य मानना है कि इंग्लैंड का निर्धनतम व्यक्ति, सही अर्थ में ऐसी सरकार से कतई बंधा हुआ नही है जिसके अधीन स्वयं को करने में उसकी कोई राय नहीं रही हो। (2017)
प्रश्न.86. उपर्युक्त कथन किसके समर्थन में तर्क प्रस्तुत करता है?
(क) सम्पत्ति का सबको समान वितरण
(ख) शासितों की सहमति के अनुसार शासन
(ग) निर्धनों के हाथ में शासन
(घ) धनिकों का स्वत्वहरण (एक्सप्रोप्रिएशन)
उत्तर. (ख)
उपाय.
दिया गया कथन शासितों की सहमति के अनुसार शासन के समर्थन में तर्क प्रस्तुत करता है।
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