आगे आने वाले 8 प्रश्नांशों के लिए निर्देश:
निम्नलिखित आठ परिच्छेदों को पढ़िये तथा प्रत्येक परिच्छेद के पश्चात् आने वाले प्रश्नांशों के उत्तर दीजिए। इन प्रश्नांशों के आपके उत्तर परिच्छेदों पर ही आधारित होने चाहिए।
परिच्छेद-1
पारदर्शिता और प्रतियोगिता को समाप्त करने से, क्रोनी-पूंजीवाद (क्रोनी-कैपिटलिज्म) मुक्त उद्यम, अवसर और आर्थिक प्रगति के लिए हानिकारक है। क्रोनी-पूंजीवाद, जिसने धनाढ्य और प्रभावशाली व्यक्तियों पर यह आरोप लगता है कि उन्होंने भ्रष्टाचारी राजनीतिज्ञों को घूस देकर जमीन और प्राकृतिक संसाधन तथा विभिन्न लाइसेन्स प्राप्त किए हैं, अब एक प्रमुख मुद्दा बन गया है जिसे निपटने की जरूरत है। भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की संवृद्धि के लिए बहुत बड़ा खतरा मध्य-आय-जाल (मिडिल इनकम ट्रैप) है, जहाँ क्रोनी-पूंजीवाद अल्पतंत्रों (आलिगार्कीज) को निर्मित करता है जो संवृद्धि को धीमा कर देते हैं। (2016)
प्रश्न.87. उपर्युक्त परिच्छेद का सर्वाधिक तार्किक उपनिगमन (कारोली) निम्नलिखित में से कौन सा है?
(क) अपेक्षाकृत अधिक कल्याणकारी स्कीमों को आरंभ करने और चालू स्कीमों के लिए अपेक्षाकृत अधिक वित्त आबंटित करने की तत्काल आवश्यकता है
(ख) आर्थिक विकास को अन्य माध्यमों से प्रोत्साहित करने एवं निर्धनों को लाइसेंस जारी करने का प्रयास किया जाना चाहिए
(ग) वर्तमान में सरकार की कार्य-प्रणाली और पारदर्शी तथा वित्तीय समावेशन को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है
(घ) हमें सेवा क्षेत्रक की जगह निर्माण क्षेत्रक का विकास करने पर अधिक ध्यान केंद्रित करना चाहिए
उत्तर. (ग)
उपाय.
सरकारी कामकाज में पारदर्शिता को अधिक से अधिक बढ़ावा देने में वित्तीय समावेशन का होना अनिवार्य है। क्योंकि कुछ मामले ऐसे हुए हैं जहाँ कुछ अभिजात्य लोग भ्रष्टाचारी राजनीतिज्ञों को रिश्वत देकर भूमि तथा प्राकृतिक संसाधन प्राप्त कर रहे हैं। मध्यम वर्ग निरंतर संघर्ष कर रहा है और वह अवसर तथा आर्थिक विकास से वंचित है।
परिच्छेद-2
जलवायु अनुकूलन अप्रभावी हो सकता है यदि दूसरे विकास संबंधी सरोकारों के संदर्भ में नीतियों को अभिकल्पित नहीं किया जाता। उदाहरण के तौर पर, एक व्यापक रणनीति, जो जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में खाद्य सुरक्षा की अभिवृद्धि करने का प्रयास करती है, कृषि प्रसार, फसल विविधता, एकीकृत जल एवं पीड़क प्रबंधन और कृषि सूचना सेवाओं से संबंधित उपायों के एक समुच्चय को, सम्मिलित कर सकती है। इनमें से कुछ उपाय जलवायु परिवर्तन से और अन्य उपाय आर्थिक विकास से संबंधित हो सकते हैं। (2016)
प्रश्न.88. उपर्युक्त परिच्छेद से कौन-सा सर्वाधिक तर्कसंगत और निर्णायक निष्कर्ष (इनफेरेंस) निकाला जा सकता है?
(क) विकासशील देशों में जलवायु अनुकूलन जारी रखना कठिन है
(ख) खाद्य सुरक्षा की अभिवृद्धि करना, जलवायु अनुकूलन की अपेक्षा कहीं अधिक जटिल विषय है
(ग) प्रत्येक विकासात्मक क्रियाकलाप प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः जलवायु से जुड़ा है
(घ) जलवायु अनुकूलन की दूसरे आर्थिक विकास विकल्पों के संबधं में परीक्षा की जानी चाहिए
उत्तर. (घ)
उपाय.
जलवायु अनुकूलन का संबंध कोई जैविक घटकों से है किंतु नीतियों को अभिकल्पित करते समय अन्य मानकों का जलवायु अनुकूलन के संबंध में मूल्यांकन करना आवश्यक है।
परिच्छेद-3
जलीय चक्र में जैव-विविधता की भूमिका की समझ बेहतर नीति-निर्माण में सहायक होती है। जैव-विविधता शब्द अनेक किस्मों के पादपों, प्राणियों, सूक्ष्मजीवों की ओर उन पारितंत्रों को, जिसमें वे पाए जाते हैं, निर्दिष्ट करता है। जल और जैव-विविधता एक दूसरे पर निर्भर है। वास्तव में जलीय चक्र से यह निश्चित होता है कि जैव-विविधता कैसे कार्य करती है। क्रम से, वनस्पति और मृदा के प्रवाह को निर्धारित करते हैं। हर एक गिलास जल जो हम पीते हैं, कम से कम उसका कोई अंश, मछलियों, वृक्षों, जीवाणुओं, मिट्टी और अन्य जीवों (ऑर्गनिज़्म्स) से होकर गुजरा होता है। इन परितंत्रों से गुजरते हुए वह शुद्ध होता है और उपभोग के लिए उपयुक्त होता है। जल की पूर्ति एक महत्वपूर्ण सेवा है जो पर्यावरण प्रदान करता है। (2016)
प्रश्न.89. उपर्युक्त परिच्छेद से निम्नलिखित में कौन-सा सर्वाधिक निष्कर्ष (इनफेरेंस) निकाला जा सकता है?
(क) जैव-विविधता, प्रकृति जल के पुनर्चक्रण के सामर्थ्य को बनाए रखती है
(ख) जीवित जीवों (ऑर्गनिज़्म्स) के अस्तित्व के बिना हम पेय जल प्राप्त नहीं कर सकते
(ग) पादप, प्राणी और सूक्ष्मजीव आपस में सतत अन्योन्यक्रिया करते रहते हैं
(घ) जलीय चक्र के बिना, जीवित जीव (ऑर्गनिज़्म्स) अस्तित्व में नहीं आए होते
उत्तर. (क)
उपाय.
जैव-विविधता हमारे परितंत्र का एक महत्वपूर्ण पहलू है। यहाँ तक कि जल हमारे अस्तित्व का एक महत्वपूर्ण घटक भी है, हर एक गिलास जो हम पीते हैं उससे पहले जल कई जीवों से होकर गुजरता है। इस प्रकार जल को प्राकृतिक रूप से जैव-विविधता की मदद से पुनर्चक्रित किया जाता है।
परिच्छेद-4
पिछले दशक में, बैंकिंग क्षेत्र को, मुख्यतः मध्यवर्ग और उच्च मध्यवर्ग समाज को सेवा प्रदान करने वाले उच्च कोटि के स्वचालन और उत्पादों से पुनः संरचित किया गया है। आज बैंकिंग और गैर-बैंकिंग वित्तीय सेवाओं के लिए ऐसे नए कार्यक्रम की आवश्यकता है जो आम आदमी की पहुंच से बाहर न हो। (2016)
प्रश्न.90. उपर्युक्त परिच्छेद में निम्नलिखित में से कौन-सा संदेश अनिवार्यतः अंतर्निहित है?
(क) बैंकों के और अधिक स्वचालन और उत्पादों की आवश्यकता
(ख) हमारी संपूर्ण लोक वित्त व्यवस्था की आमूल पुनर्संरचना की आवश्यकता
(ग) बैंकिंग और गैर-बैंकिंग संस्थाओं की एकीकरण करने की आवश्यकता
(घ) वित्तीय समावेशन को संवर्धित करने की आवश्यकता
उत्तर. (घ)
उपाय.
हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या लोगों की वित्तीय स्थिति में असमानता है। उदाहरणार्थ ज्यादातर धन कुलीन वर्ग और उच्च मध्यम वर्ग द्वारा जमा है तथापि गरीब वर्ग इससे वंचित और भोशित है। बैंकिग-क्षेत्र को वित्तीय सेवा के समान वितरण के लिए वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने पर ध्यान देना चाहिए।
परिच्छेद-5
मलिन बस्तियों में सुरक्षित तथा संधारणीय सफाई से महिलाओं और लड़कियों को उनके स्वास्थ्य, सुरक्षा, निजता तथा समान के रूप में असीमित लाभ मिलता है। तथापि शहरी सफाई पर बनने वाली अधिकार योजनाओं और नीतियों में महिलाएं प्रतिलक्षित नहीं होतीं। यह तथ्य कि मैला ढोने की प्रथा आज भी अस्तित्व में है यह दिखाता है कि प्रवाही-फ्लश शौचालयों को बढ़ावा देने तथा शुष्क शौचालयों को बंद करने को लेकर अभी तक बहुत कुछ नहीं किया गया है।
स्वच्छता के अधिकार की दिशा में बहुत बड़े पैमाने पर अधिक स्थाई और मजबूत अभियान शुरू किया जाना चाहिए। यह मुख्य रूप से मैला ढोने के उन्मूलन पर ध्यान केंद्रित करने वाला होना चाहिए। (2016)
प्रश्न.91. उपर्युक्त परिच्छेद के सदंर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः
1. शहरी सफाई समस्या का पूर्ण निराकरण केवल मैला ढोने के उन्मूलन से ही किया जा सकता है।
2. शहरी क्षेत्रों में सुरक्षित सफाई व्यवहार की जागरूकता को अधिक प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
(क) केवल 1
(ख) केवल 2
(ग) 1 और 2 दोनों
(घ) न तो 1 और न ही 2
उत्तर. (ख)
उपाय.
हाथ से मैल ढोने की प्रथा का समाधान करने की आवश्यकता है जैसा भी हो स्वच्छता खतरों से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए, जिसमें हाथ से मैल ढोना भी शामिल है जागरूकता कार्यक्रमों व अभियानों को विशेष रूप से महिला कर्मियों को लक्षित करके संचालित करने की आवश्यकता है।
परिच्छेद-6
मानव के लिए उपयुक्त, सरकार की प्रकृति और परिमाण को समझने के लिए यह आवश्यक है कि मानव के स्वभाव को समझा जाए। चूंकि प्रकृति ने उसे सामाजिक जीवन के लिए बनाया है, उसे उस स्थान के लिए भी युक्त किया है जिसे उसने नियम किया है। सभी परिस्थितियों में उसने उसकी नैसर्गिक आवश्यकताओं को उसकी व्यक्तिगत शक्तियों से बड़ा बनाया है। कोई भी एक व्यक्ति समाज की सहायता के बिना अपनी इच्छाओं की पूर्ति करने में सक्षम नहीं है, और वही आवश्यकताएँ प्रत्येक व्यक्ति पर क्रियाशील होकर समग्र रूप से उनको एक समाज के रूप में रहने के लिए प्रेरित करती है। (2016)
प्रश्न.92. निम्नलिखित में से कौन-सा,. उपर्युक्त परिच्छेद का सर्वाधिक तार्किक ओर तर्कसंगत निष्कर्ष (इनफेरेंस) निकाला जा सकता है?
(क) प्रकृति ने मानव समाज में भारती विविधता का निर्माण किया है
(ख) किसी भी मानव समाज को सदा उसकी आवश्यकताओं से कम मिलता है
(ग) सामाजिक जीवन मानव का विशिष्ट लक्षण है
(घ) विविध प्राकृतिक आवश्यकताओं ने मानव को सामाजिक प्रणाली की ओर बाध्य किया है।
उत्तर. (घ)
उपाय.
विविध आवश्यकताओं और व्यक्तियों की मांग ने मानव को एक ऐसे समाज का निर्माण करने के लिए बाध्य किया है जिसे व्यक्तिगत रूप से हासिल नहीं किया जा सकता।
परिच्छेद-7
किसी राज्य में कानूनी आदेशकों (इम्रेटिब्स) की प्रकृति उन प्रभावकारी मांगों के अनुरूप होती है जिनका राज्य को सामना करना पड़ता है और यह कि अपने क्रम में ये सामान्य रूप से उस रीति पर आश्रित होती है जिसमें समाज में वह आर्थिक शक्ति वितरित होती है जिस पर राज्य नियंत्रण करता है। (2016)
प्रश्न.93. यह कथन किसको निर्दिष्ट करता है?
(क) राजनीति और अर्थतंत्र के प्रतिवाद (ऐन्टिथीसिस) को
(ख) राजनीति और अर्थवाद के पारस्परिक संबंध को
(ग) राजनीति पर अर्थतंत्र की प्रधानता को
(घ) अर्थतंत्र पर राजनीति की प्रधानता को
उत्तर. (ख)
परिच्छेद-8
भूमंडलीय ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का लगभग 15 प्रतिशत कृषि प्रक्रियाओं से आता है। इसमें उर्वरकों से निकले नाइट्रस ऑक्साइड, पशुधन, चावल उत्पादन तथा खाद्य भंडारण से निकली मेथेन तथा जैवमात्र (बायोमास) को जलाने से निकली कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) सम्मिलित हैं, किंतु मृदा-प्रबंधन प्रक्रियाओं से, घास के मैदानों (सवाना) को जलाने से तथा वनोन्मूलन से उत्सर्जित CO2 इसमें सम्मिलित नहीं है। वानिकी, भू-उपयोग तथा भू-उपयोग में परिवर्तन, प्रति वर्ष और अधिक 17 प्रतिशत ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन अधिकांशतः उष्णकटिबंधीय पीटभूमि के अपवहन तथा जलाने से निकलता है। अमेजन के वर्षा-वन में जमा कार्बन की मात्रा के लगभग बराबर मात्रा विश्व की पीट-भूमियों में जमा है। (2016)
प्रश्न.94. निम्नलिखित में से कौन-सा, उपर्युक्त परिच्छेद से सर्वाधिक तार्किक और तर्कसंगत निष्कर्ष निकाला जा सकता है?
(क) संपूर्ण विश्व में यंत्र और रसायनों पर आधारित कृषि प्रथाओं के स्थान पर तत्काल जैव कृषि अपनाई जानी चाहिए।
(ख) जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए हमारी भू-उपयोग प्रक्रियाओं में बदलाव लाना अनिवार्य है।
(ग) ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन की समस्या के कोई प्रौद्योगिकीय समाधान नहीं है।
(घ) उष्णकटिबंधीय क्षेत्र, कार्बन प्रच्छादन के मुख्य साधन है।
उत्तर. (ख)
उपाय.
अनुच्छेद में दी गई सूचना के अनुसार रासायनिक एवं यांत्रिक आधारित कृषि प्रथा पर्यावरण प्रदूषण को बढ़ावा देते हैं किंतु ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में इनका हिस्सा 15 प्रतिशत है। वर्तमान में मृदा प्रबंधन प्रक्रियाओं के कारण उक्त गैस का उत्सर्जन अधिक हो रहा है, अतः भू उपयोग प्रक्रिया में बदलाव की आवश्यकता अधिक उपर्युक्त है।
आगे आने वाले 8 प्रश्नांशों के लिए निर्देश:
निम्नलिखित पांच परिच्छेदों को पढ़िये तथा प्रत्येक परिच्छेद के पश्चात् आने वाले प्रश्नांशों के उत्तर दीजिए। इन प्रश्नांशों के आपके उत्तर परिच्छेदों पर ही आधारित होने चाहिए।
परिच्छेद-1
यदि हम 2050 की ओर देखें जब दो अरब अधिक लोगों को आहार खिलाने की आवश्यकता होगी, तो यह प्रश्न कि कौन-सा आहार सर्वाेत्तम है, एक नई अत्यावश्यकता बन गया है। आने वाले दशकों में हम जिन खाद्य पदार्थों को खाने के लिए चुनेंगे,, उनके इस ग्रह के लिए गंभीर रूप से बहुशाखन होंगे। सामान्य रूप से कहें तो समूचे विकासशील देशों में खानपान की जो मांस और डेरी उत्पाद के आहार के इर्द गिर्द ही घूमते रहने वाली प्रवृत्ति बढ़ रही है, वह भूमंडलीय संसाधनों पर, अपरिष्कृत अनाज, गिरी, फलों और सब्जियों पर निर्भर करने वाली प्रवृत्ति की तुलना में अधिक दबाव डालेगी। (2016)
प्रश्न.95. उपर्युक्त परिच्छेद से क्या निर्णायक संदेश निकलता है?
(क) पशु आधारित खाद्य स्रोत की बढ़ती मांग हमारे प्राकृतिक संसाधनों पर अपेक्षाकृत अधिक बोझ डालती है।
(ख) अनाजों, गिरी, फलों और सब्जियों पर आधारित आहार विकासशील देशों में स्वास्थ्य के लिए सर्वाधिक सुयोग्य है।
(ग) मनुष्य स्वास्थ्य मामलों को बिना ध्यान में रखे, समय-समय पर अपनी खाने की आदतों को बदलते हैं।
(घ) भूमंडलीय परिप्रेक्ष्य में, हम अभी तक यह नहीं जानते कि कौन-सा आहार हमारे लिए सर्वोत्तम है।
उत्तर. (क)
परिच्छेद-2
सभी मनुष्य शैशवास्था में माँ के दूध को पचाते हैं, परंतु 10,000 वर्ष पहले मवेशियों की पालन प्रणाली के आरंभ होने तक, शिशुओं को एक बार दूध छुड़ाने पर उनको दूध पचाने की आवश्यकता नहीं होती थी। इसके परिणामस्वरूप उनमें लैक्टोज इंजाइम का बनना बंद हो गया जो लैक्टोज शर्कराओं को सरल शर्कराओं में तोड़ता है। मानव के मवेशी चराने की प्रणाली आरंभ होने के बाद दूध को पचाना अत्याधिक लाभदायक हो गया और यूरोप, मध्यपूर्ण और अफ्रीका में मवेशी चराने वालों में स्वतंत्ररूप से लैक्टोज सहन-शक्ति का विकास हुआ। चीनी और थाई लोग मवेशियों पर निर्भर नहीं थे, वे लैक्टोज असहनशील बने हुए हैं। (2016)
प्रश्न.96. उपर्युक्त परिच्छेद से निम्नलिखित में से कौन-सी सर्वाधिक पूर्वधारणा प्राप्त की जा सकती है?
(क) लगभग 10,000 वर्ष पहले विश्व के कुछ भागों में पशुपालन शुरू हुआ।
(ख) एक समुदाय में खाने की आदतों में स्थाई परिवर्तन, समुदाय के सदस्यों में आनुवंशिक परिवर्तन ला सकता है।
(ग) केवल लैक्टोज सहनशील लोगों में ही अपने शरीरों में सरल शर्कराओं को पाने की क्षमता होती है।
(घ) जो लोग लैक्टोज सहनशील नहीं होते, वे किसी भी डेरी उत्पाद को नहीं पचा सकते।
उत्तर. (ख)
उपाय.
आनुवंशिक प्रत्यावर्तन नए तरीकों को व्यवहार में लाने और तदुपरांत उसे जारी रखने से होता है। इस मामले में चरवाहों की भोजन भौली में एक विशेष परिवर्तन से उनकी जीन संरचना में व्यातक परिवर्तन आया।
परिच्छेद-3
"अल्पविकसित और औद्योगीकृत देशों की राष्ट्रीय आयों के बीच तुलना करते समय अपने वाली संकलपनात्मक कठिनाइयाँ विशेष रूप से गंभीर होती है क्योंकि विभिन्न अल्पविकसित देशों में राष्ट्रीय उत्पाद के एक भाग का उत्पादन वाणिज्यिक माध्यमों से गुजरे बिना होता है। (2016)
प्रश्न.97. इस कथन से लेखक का तात्पर्य है कि:
(क) औद्योगीकृत देशों में उत्पादित और उपयुक्त समस्त राष्ट्रीय उत्पाद वाणिज्यिक माध्यमों में से गुजरता है।
(ख) विभिन्न अल्पविकसित देशों में अ-वाणिज्यीकृत क्षेत्रों का अस्तित्व देशों की राष्ट्रीय आयों की परस्पर तुलना को कठिन बना देता है।
(ग) राष्ट्रीय उत्पाद के एक भाग का उत्पादन और उपभोग वाणिज्यिक माध्यमों से गुजरे बिना नहीं होना चाहिए।
(घ) राष्ट्रीय उत्पाद के एक भाग का उत्पादन और उपभोग वाणिज्यिक माध्यमों से गुजरे बिना होना अल्पविकास का चिह्न है।
उत्तर. (घ)
उपाय.
लेखक के अनुसार, राष्ट्रीय उत्पाद के उपभोग होने से पहले व्यापारिक मार्गों से गुजरना पड़ता है। ऐसा न होने पर आय का नुकसान होगा जिससे अल्पविकास और आर्थिक असमानता होगी।
परिच्छेद-4
वायुमंडल में मानव निर्मित कार्बन डाईऑक्साइड के बढ़ने से पादपों और सूक्ष्मजीवों के बीच एक श्रृंखला अभिक्रिया प्रारंभ हो सकती है जो इस ग्रह पर कार्बन के सबसे बड़े भंडार-मृदा को अव्यवस्थित कर सकती है। एक अध्ययन में यह पाया गया कि वह मृदा जिसमें कार्बन की मात्रा, सभी पादपों आरै पृथ्वी के वायुमडंल में उपस्थित कुल कार्बन की दुगुनी है, लोगों के द्वारा वायुमंडल में और अधिक कार्बन छोड़ते जाने पर वर्तमान रूप से अस्थिर होती जाएगी। ऐसा अधिकांशतः पादपवृद्धि में बढ़ोत्तरी के कारण होता है। यद्यपि कार्बन डाईऑक्साइड एक ग्रीनहाउस गैस और एक प्रदूषक है, यह पादपवृद्धि को प्रोत्साहित भी करती है। चूंकि वृक्ष और दूसरी वनस्पतियाँ भविष्य में होने वाली कार्बन डाई ऑक्साइड की प्रचुरता में फलती-फूलती है, उनकी जड़ें मृदा में सूक्ष्मजीवों की क्रियाशीलता को प्रेरित कर सकती है
जो परिणामस्वरूप मृदा-कार्बन के अपघटन को और तेजकर वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में वृद्धि कर सकती है। (2016)
प्रश्न.98. निम्नलिखित में से कौन-सा, उपर्युक्त परिच्छेद का सबसे अधिक तर्कसंगत उपनिगमन है?
(क) सूक्ष्मजीवों और पादपों के अस्तित्व के लिए कार्बन डाइऑक्साइड परमावश्यक है
(ख) वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड विमुक्त करने के लिए पूरी तरह उत्तरदायी है
(ग) पादप वृद्धि की बढ़ोत्तरी के लिए मुख्य रूप से सूक्ष्म जीव और मृदा कार्बन उत्तरदायी हैं
(घ) वर्तमान हरित आवरण मृदा में युक्त कार्बन की मोचन को प्रेरित कर सकता है
उत्तर. (घ)
उपाय.
ग्रीनहाउस के प्रभाव और मृदा प्रदूषण के कारण एक शृंखला अभिक्रिया के द्वारा अत्यधिक कार्बन का जमाव और विसंक्रमण हुआ है। वृक्षारोपण कार्बन के जमाव को खत्म करेगा और अवरुद्ध कार्बन को वापस वातावरण में फिर से मुक्त करेगा।
परिच्छेद-5
ऐतिहासिक रूप से, विश्व-कृषि के सामने, खाद्य की मांग और पूर्ति के बीच संतुलन प्राप्त करना सबसे बड़ी चुनौती रही है। वैयक्तिक देशों के स्तर पर मांग-पूर्ति संतुलन बंद अर्थव्यवस्था के लिए निर्णायक नीतिगत मुद्दा हो सकता है, विशेषकर, यदि वह एक जनसंख्या बहुल अर्थव्यवस्था है और उसकी घरेलू कृषि, स्थाई आधार पर पर्याप्त खाद्य पूर्ति नहीं कर पा रही है। यह उस मुक्त और बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था के लिए जिनके पास विदेशों से खाद्य क्रय करने हेतु पर्याप्त विनिमय अधिशेष है, उतनी बड़ी और न ही सदैव होने वाली बाध्यता है। विश्व के लिए समग्र रूप से मांग-पूर्ति संतुलन, भूख तथा भुखमरी से बचाव हेतु सदैव ही एक अपरिहार्य पूर्व-शर्त है। तथापि, पर्याप्त पूर्ति की विश्वव्यापी उपलब्धता का आवश्यक रूप से यह मतलब नहीं है कि खाद्य स्वतः अधिशेष वाले देशों से उन अभावग्रस्त देशों की ओर, जिनके पास क्रय-शक्ति का अभाव है, चला जाएगा। अतः विश्व स्तर पर भूख, भुखमरी, न्यून पोषण या कुपोषण आदि का असमान वितरण, खाली जेबों वाले भूखे लोगों की मौजूदगी की वजह से है, जो वृहद रूप से अविकसित अर्थव्यवस्थाओं तक सीमित है। जहाँ तक आधारभूत मानवीय अस्तित्व के लिए ‘दो वक्त का भरपेट भोजन’ का प्राथमिक महत्व है, उसमें खाद्य की विश्वव्यापी पूर्ति के मुद्दे को हाल के वर्षों में महत्व मिलता रहा है, क्योंकि मांग की मात्रा और सरंचना दोनों में बड़े परिवर्तन हो रहे है और क्योंकि हाल के वर्षों में अलग-अलग देशों की खाद्य पूर्तियों अबाधित श्रृखंला निर्मित करने की क्षमताओं में कमी आई है। खादय्-उत्पादन, विपणन और कीमतें विशेषकर विकासशील विश्व में गरीबों द्वारा कीमत वहन करने की क्षमता विश्वव्यापी मुद्दे बन गए हैं जिनका विश्वव्यापी चिंतन और विश्वव्यापी समाधान आवश्यक है। (2016)
प्रश्न.99. उपर्युक्त परिच्छेद के अनुसार, विश्व खाद्य सुरक्षा के लिए निम्नलिखित में कौन-से मूलभूत हल है?
1. अपेक्षाकृत अधिक कृषि-आधारित उद्योग स्थापित करना
2. गरीबों द्वारा कीमत बहन करने की क्षमता को सुधारना
3. विपणन की दशाओं का नियमन करना
4. हर एक को खाद्य सहायिकी प्रदान करना
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिएः
(क) केवल 1 और 2
(ख) केवल 2 और 3
(ग) केवल 1, 3 और 4
(घ) 1, 2, 3 और 4
उत्तर. (ख)
उपाय.
इस अनुच्छेद का सुझाव है कि विश्व कृषि के सामने सबसे बड़ी बाधा मांग और आपूर्ति में समान संतुलन बनाए रखना है। अनुच्छेद में दी गई प्रासंगिक सूचना के आधार पर यह सुनिश्चित होता है कि कीमत तत्वों का नियम गरीबों की वहनीयता एवं उचित विपणन प्रणाली का परिणाम लाभकारी होगा।
प्रश्न.100. उपर्युक्त परिच्छेद के अनुसार, विश्व कृषि के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती क्या है? (2016)
(क) कृषि हेतु पर्याप्त भूमि प्राप्त करना और खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों का विस्तार करना
(ख) अल्पविकसित देशों में भुखमरी का उन्मूलन करना
(ग) खाद्य एवं गैरखाद्य वस्तुओं के उत्पादन के बीच संतुलन प्राप्त करना
(घ) खाद्य की मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन प्राप्त करना
उत्तर. (घ)
उपाय.
विश्व-कृषि के सामने खाद्य की मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन प्राप्त करना सबसे बड़ी चुनौती रही है।
प्रश्न.101. उपर्युक्त परिच्छेद के अनुसार, विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में भूख और भुखमरी घटाने में, निम्नलिखित में से किससे/किनसे सहायता मिलती है? (2016)
1. खाद्य की मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन करना
2. खाद्य आयात में वृद्धि करना
3. निर्धनों की क्रयशक्ति में वृद्धि करना
4. खाद्य उपभोग प्रतिमानों और प्रयासों में बदलाव लाना
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए:
(क) केवल 1
(ख) केवल 2, 3 और 4
(ग) केवल 1 और 3
(घ) 1, 2, 3 और 4
उत्तर. (ग)
उपाय.
भूख और भूखमरी को कम करने के लिए मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है इसके साथ ही क्रय-शक्ति में वृद्धि करने से गरीबों को भी सहायता मिलेगी।
प्रश्न.102. विश्वव्यापी खाद्य-पूर्ति आपूर्ति के मुद्दे को मुख्यतः किसके/किनके कारण महत्व प्राप्त हुआ है? (2016)
1. विश्वव्यापी रूप से जनसंख्या की अतिवृद्धि
2. खाद्य-उत्पादन के क्षेत्र में तीव्र गिरावट
3. सतत् खाद्य-पूर्ति हेतु क्षमताओं में परिसीमन
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिएः
(क) केवल 1 और 2
(ख) केवल 3
(ग) केवल 2 और 3
(घ) 1, 2 और 3
उत्तर. (ख)
उपाय.
चूंकि खाद्य आपूर्ति तथा पोषणीय प्रावधान में विश्व व्यापी असमानता है, इस मुद्दे का महत्व बढ़ा है।
आगे आने वाले 6 प्रश्नांशों के लिए निर्देश:
निम्नलिखित दो परिच्छेदों को पढ़िये तथा प्रत्येक परिच्छेद के पश्चात् आने वाले प्रश्नांशों के उत्तर दीजिए। इन प्रश्नांशों के आपके उत्तर परिच्छेदों पर ही आधारित होने चाहिए।
परिच्छेद-1
शासन और लोक प्रशासन में कमियों के मूल में स्थित एक प्रमुख कारक, आमतौर से शासन में और मुख्य रूप से सिविल सेवाओं में, जवाबदेही का होना या होना है। जवाबदेही का एक प्रभावी ढांचा अंकित करना सुधार कार्यसूची का एक मुख्य तत्व रहा है। मूलभूत मुद्दा यह है कि क्या सिविल सेवाओं को तत्कालीन राजनीतिक कार्यपालिका के प्रति जवाबदेह होना चाहिए अथवा व्यापक रूप में समाज के प्रति। दूसरे शब्दों में आंतरिक और बाह्य जवाबदेही के बीच सामंजस्य कैसे स्थापित किया जाए? आंतरिक जवाबदेही को आंतरिक निष्पादन के परीवीक्षण, केंद्रीय सतर्कता आयोग एवं नियंत्रक- महालेखापरीक्षक जैसे निकायों के अधिकारिक निरीक्षण तथा अधिशासी निर्णयों के न्यायिक पुनर्विलोकन के द्वारा प्राप्त करने का प्रयास किया जाता है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 311 और 312 सिविल सेवाओं, खासकर अखिल भारतीय सेवाओं में नौकरी की सुरक्षा एवं रक्षोपाय का उपबंध करते हैं। संविधान निर्माताओं ने यह ध्यान में रखा था कि इन संरक्षण उपबंधों के परिणामस्वरूप ऐसी सिविल सेवा बनेगी जो राजनीतिक कार्यपालिका की पूर्णतः अनुसेवी नहीं होगी वरन् उसमें बेहतर लोकहित में कार्य करने की शक्ति होगी। इस प्रकार संविधान में आंतरिक और बाह्य जवाबदेही के बीच संतुलन रखने की आवश्यकता सन्निहित है। प्रश्न यह है कि दोनों के बीच रेखा कहाँ खींची जाए। वर्षों बाद सिविल सेवाओं का अधिकतर आंतरिक जवाबदेही का जोर तत्कालीन राजनीतिक नेताओं के पक्ष में अधिक झुका दिखाई देता है, जिनसे बदले में, निर्वाचन प्रक्रिया के माध्यम से व्यापक समाज के प्रति बाह्य रूप से जवाबदेह होने की अपेक्षा की जाती है। समाज के प्रति जवाबदेही लाने का प्रयास करने की इस प्रणाली से कोई समाधान प्राप्त नहीं हुआ है, और इससे शासन के लिए अनेक प्रतिकूल परिणाम सामने आए है।
सिविल सेवाओं में जवाबदेही के सुधार के लिए कुछ विशेष उपायों पर विचार किया जा सकता है। अनुच्छेद 311 और 312 के उपबंधों का पुनरीक्षण किया जाना चाहिए और सिविल सेवाओं की बाह्य कुछ आवश्यकताओं को पूरा करने का प्रयास करता है। वृतिक सिविल सेवाओं और राजनीतिक कार्यपालिका की अपनी-अपनी भूमिकाएँ परिभाषित की जानी चाहिए ताकि वृतिक प्रबंधकीय कार्य और सिविल सेवाओं के प्रबंधन का अराजनीतिकरण हो सके। इस प्रयोजन के लिए केंद्र और राज्यों में प्रभावी सांविधिक सिविल सेवा बोर्ड बनाए जाने चाहिए। शासन और निर्णयन को लोगों के अधिक समीप लाने हेतु सत्ता का विकेंद्रीकरण और अवक्रमण भी जवाबदेही के संवर्धन में सहायक होता है। (2016)
प्रश्न.103. परिच्छेद के अनुसार, निम्नलिखित में कौन से कारक / कारकों के कारण शासन / लोक प्रशासन के लिए प्रतिकूल परिणाम सामने आए है?
1. आंतरिक एवं बाह्य जवाबदेहियों के बीच संतुलन बनाने में सिविल सेवाओं की अक्षमता
2. अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों के लिए पर्याप्त वृतिक प्रशिक्षण का अभाव
3. सिविल सेवाओं में उपर्युक्त सेवा हितलाभों की कमी।
4. इस संदर्भ में राजनीतिक कार्यपालिका के और उसकी तुलना में, वृतिक सिविल सेवाओं के अपनी-अपनी भूमिकाओं को परिभाषित करने वाले सांविधानिक उपबंधों का अभाव
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिएः
(क) केवल 1
(ख) केवल 2 और 3
(ग) केवल 1 और 4
(घ) 2, 3 और 4
उत्तर. (ग)
उपाय.
सिविल सेवा के अधिकारियों की मुख्य जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से परिभाषित और मानकीकृत करने के लिए राजनीतिक एजेंडा पर आधारित कार्य करने की जरूरत है। ऐसी स्पष्टता की कमी के कारण शासन प्रणाली का प्रादुर्भाव होगा। इसके अतिरिक्त बाह्य व आंतरिक जिम्मेदारियों के बीच संतुलन बनाए रखना प्रभावी प्रबंधन के लिए आवश्यक है।
प्रश्न.104. परिच्छेद का संदर्भ लेते हुए निम्नलिखित पूर्वधारणाएँ बनाई गई हैः (2016)
1. समाज के प्रति सिविल सेवाओं की जवाबदेही में राजनीतिक कार्यपालिका एक अवरोधक है
2. भारतीय राजनीतिक-व्यवस्था के वर्तमान ढांचे में राजनीतिक कार्यपालिका समाज के प्रति जवाबदेह नहीं रह गई है
इन पूर्व धारणाओं में कौन-सी वैद्य है/ हैं?
(क) केवल 1
(ख) केवल 2
(ग) 1 और 2 दोनों
(घ) न तो 1, न ही 2
उत्तर. (घ)
उपाय.
किसी भी विकल्प के लिए अनुच्छेद प्रासंगिक जानकारी प्रदान नहीं करता है।
प्रश्न.105. निम्नलिखित में कौन-सा एक, इस परिच्छेद में अंतर्निहित अनिवार्य संदेश है? (2016)
(क) सिविल सेवाएं उस समाज के प्रति जवाबदेह नहीं है जिसकी सेवा वे कर रही हैं
(ख) शिक्षित तथा प्रबुद्ध व्यक्ति राजनीतिक नेतृत्व नहीं ले रहे हैं
(ग) संविधान निर्माताओं ने सिविल सेवाओं के समक्ष आने वाली समस्याओं का विचार नहीं किया
(घ) सिविल सेवाओं की जवाबदेही में संवर्धन हेतु सुधारों की आवश्यकता और गुंजाइश है
उत्तर. (घ)
उपाय.
लोक सेवाएँ बहुत ही प्रख्यात कार्यबल हैं, इस सेवा में बैंचमार्क तय करने और पदाधिकारियों की जवाबदेही में सुधार किए जाने चाहिए।
प्रश्न.106. परिच्छेद के अनुसार, निम्नलिखित में कौन-सा एक, सिविल सेवाओं की आंतरिक जवाबदेही के संवर्धन का साधन नहीं है? (2016)
(क) बेहतर कार्य-सुरक्षा और रक्षोपाय
(ख) केंद्रीय सतर्कता आयोग द्वारा निरीक्षण
(ग) अधिशाषी निर्णयों का न्यायिक पुनर्विलोकन
(घ) निर्णयन प्रक्रिया में लोगों की बढ़ी हुई सहभागिता द्वारा जवाबदेही खोजना
उत्तर. (घ)
उपाय.
निर्णयन प्रक्रिया में लोगों की बढ़ी हुई सहभागिता द्वारा आंतरिक जवाबदेही की वृद्धि में मदद नहीं करेगा।
परिच्छेद-2
सामान्य रूप से, धार्मिक परंपराएँ ईश्वर के या किसी सार्वभौम नैतिक सिद्धांत के प्रति हमारे कर्तव्य पर बल देती है। एक दूसरे के प्रति हमारे कर्तव्य इन्हीं से व्युत्पन्न होते हैं। अधिकारों की धार्मिक संकल्पना मुख्यतः इस देवत्व या सिद्धांत के साथ हमारे संबंध से, और हमारे अन्य संबंधों पर पड़ने वाले इसके निहितार्थ से ही व्युत्पन्न हुई है। अधिकारों और कर्तव्यों के बीच यह संगतत न्याय के किसी उच्चतर बोध के लिए महत्वपूर्ण है। किंतु, न्याय को आचरण में लाने के लिए, सदगुण, अधिकार और कर्तव्य औपचारिक अमूर्त तत्व नहीं रह सकते। उन्हें सामान्य मिलन के संवेदन से बंधे हुए समुदाय में उतारना परमावश्यक है। वैयक्तिक सदगुण के रूप में भी यह एकात्मता, न्याय की साधना और बोध के लिए आवश्यक है। (2016)
प्रश्न.107. परिच्छेद का संदर्भ लेते हुए निम्नलिखित पूर्वधारणाएँ बनाई गई हैंः
1. मानव संबंध उनकी धार्मिक परंपराओं से व्युत्पन्न होते हैं।
2. मनुष्य कर्तव्य से तभी बंधे हो सकते हैं जब वे ईश्वर में विश्वास करें
3. न्याय की साधना और बोध के लिए धामिर्क परंपराएं आवश्यक हैं
इनमें से कौन-सी पूर्वधारणा / पूर्वधारणाएं वैध है/हैं?
(क) केवल 2 और 3
(ख) केवल 2 और 3
(ग) केवल 1 और 3
(घ) 1, 2 और 3
उत्तर. (क)
उपाय.
अतिमानवीय या ईश्वरीय व्यवस्थाओं के बावजूद भी समाज में लोग धामिर्क परंपराओं नैतिकता तथा विशेष आचरण में विश्वास करते हैं। चूंकि मानव एक सामाजिक प्राणी है, यह रिश्तों तथा सद्भावना को बनाए रखने के लिए समाज से मूल्यों को प्राप्त करता है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि मानवीय संबंध, धार्मिक परंपराओं से उत्पन्न हुए हैं।
प्रश्न.108. निम्नलिखित में कौन-सा एक, इस परिच्छेद का मर्म है? (2016)
(क) एक-दूसरे के प्रति हमारे कर्तव्य हमारी धार्मिक परंपराओं से व्युत्पन्न होते हैं
(ख) दिव्य सिद्धांत से संबंध रखना महान सदगुण है
(ग) अधिकारों और कर्तव्यों के बीच संतुलन समाज में न्याय दिलाने के लिए निर्णायक है
(घ) अधिकारों की धार्मिक संकल्पना मुख्यतः ईश्वर के साथ हमारे संबंध से व्युत्पन्न हुई है
उत्तर. (ग)
उपाय.
समाज में न्याय दिलाने के लिए अधिकारों व कर्तव्यों के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है।
आगे आने वाले 5 प्रश्नांशों के लिए निर्देश:
निम्नलिखित दो परिच्छेदों को पढ़िये तथा प्रत्येक परिच्छेद के पश्चात् आने वाले प्रश्नांशों के उत्तर दीजिए। इन प्रश्नांशों के आपके उत्तर परिच्छेदों पर ही आधारित होने चाहिए।
परिच्छेद-1
शक्ति, ऊष्मा और परिवहन के ईंधन के रूप में जैवमात्रा की न्यूनीकरण समर्थता सभी नवीकरणीय स्रोतों से अधिक है। यह कृषि और वन अवशिष्टों, साथ ही ऊर्जा फसलों से प्राप्त होती है। जैवमात्रा अवशिष्टों का उपयोग करने में बड़ी चुनौती शक्ति-संयंत्रों से उचित लागत पर की जाने वाली उनकी विश्वसनीय दीर्घावधि पूर्ति ही है, मुख्य समस्याएँ सुप्रचालनिक अवरोध और ईंधन संग्रहण की लागत है। यदि ऊर्जा-फसलों का उचित रीति से प्रबंधन न हो तो, वे अन्न उत्पादन के साथ प्रतिस्पर्धा करती है और अन्न की कीमतों पर उनका अवांछित असर पड़ सकता है। जैवमात्रा का उत्पादन परिवर्तनशील जलवायु के भौतिक प्रभावों के प्रति भी संवेदनशील होता है। जब तक नव-प्रौद्योगिकियाँ उत्पादकता को सारभूत रूप में न बढ़ाए, तब तक धारणीय जैवमात्रा पूर्ति की सीमाओं को देखते हुए, जैवमात्रा की भावी भूमिका का संभवतः वास्तविकता से अधिक अनुमान लगाया गया है।
जलवायु-ऊर्जा प्रतिरूप यह प्रकल्पित करते हैं कि 2050 में बायोमास का उपयोग लगभग चारगुना बढ़ कर 150-200 एक्साजूल हो सकता है जो कि विश्व की प्राथमिक ऊर्जा का लगभग एक चौथाई है। परंतु बाह्य एवं वन्य संसाधनों का कोई विनाश किए बिना, 2050 तक प्रतिवर्ष बायोमास संसाधनों की अधिकतम धारणीय तकनीकी क्षमता 80-170 एक्साजूल के परिसर में होगी और इसका सिर्फ एक अंश वास्तविक और आर्थिक रूप से साध्य होगी।
इसके अतिरिक्त, कुछ जलवायु प्रतिरूप ऋणात्मक उत्सर्जन प्राप्त करने और शताब्दी के पूर्वार्द्ध में कुछ मुहलत जुटाने के लिए बायोमास आधारित कार्बन प्रग्रहण एवं संचयन पर, जो कि एक अप्रमाणित प्रौद्योगिकी है, आश्रित है। कुछ द्रव्य जैव-ईंधन जैसे मकई आधारित इथेनाॅल, प्रमुख से परिवहन हेतु जीवन चक्र आधार पर कार्बन उत्सर्जनों में सुधार लाने की वजह से उन्हें और बदतर कर सकते हैं। लिग्नों-सेलुलोसिक चारा आधारित दूसरी पीढ़ी के कुछ जैव-ईंधन जैसे कि पुआल, खोंड़ें, घास और काष्ठ ऐसे धारणीय उत्पादन की संभाव्यता रखते हैं जो उच्च उत्पादकता वाले हों तथा ग्रीनहाउस गैस के निम्न अनुसंधान और विश्लेषण के चरण में हैं। (2016)
प्रश्न.109. शक्ति-जनन के लिए जैवमात्रा को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करने में मौजूदा बाधा/बाधाएँ क्या हैं?
1. जैवमात्रा की धारणीय पूर्ति का अभाव
2. जैवमात्रा उत्पादन अन्न-उत्पादन के साथ प्रतिस्पर्धी हो जाता है
3. जैव-ऊर्जा, जीवन चक्र आधार पर, सदैव निम्न-कार्बन नहीं हो सकती
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिएः
(क) केवल 1 और 2
(ख) केवल 3
(ग) केवल 2 और 3
(घ) 1, 2 और 3
उत्तर. (घ)
उपाय.
इस अनुच्छेद के अनुसार, सभी तीन विकल्पों में ईंधन के रूप में बायोमास का उपयोग करने के लिए चुनौतियाँ है। बायोमास तथा खाद्य उत्पादन के बीच प्रतिस्पर्धा तथा तरला जैव ईंधन के कारण कार्बन उत्सर्जन में प्रद्धि तथा जलवायु विभिन्नता से संबंधित मुद्दों ने प्रतिकूल प्रभाव डाला है।
प्रश्न.110. निम्नलिखित में से किसके/किनसे कारण खाद्य-सुरक्षा की समस्या हो सकती है? (2016)
1. शक्ति-जनन हेतु कृषि एवं वन अवशिष्टों का भरण-सामग्री रूप में उपयोग करना
2. जैवमात्रा का कार्बन प्रग्रहण एवं संचयन के लिए उपयोग करना
3. ऊर्जा-फसलों की कृषि को बढ़ावा देना
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिएः
(क) केवल 1 और 2
(ख) केवल 3
(ग) केवल 2 और 3
(घ) 1, 2 और 3
उत्तर. (ख)
उपाय.
यह कहा गया है कि अनैतिक ढंग से ऊर्जा फसलों की खेती, खाद्य फसलों के साथ एक प्रतिकूल प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा। जिससे महंगाई और खाद्य फसलों की कीमतों में वृद्धि होगी।
प्रश्न.111. जैवमात्रा के उपयोग के संदर्भ में, निम्नलिखित में कौन कौन-सी, जैव ईंधन के धारणीय उत्पादन की विशेषता है/ हैं? (2016)
1. 2050 तक, शक्ति-जनन के ईंधन के रूप में जैवमात्रा से विश्व की सभी प्राथमिक ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति हो सकती है
2. शक्ति-जनन के ईंधन के रूप में जैवमात्रा से, खाद्य एवं वन संसाधनों का आवश्यक रूप से विनाश नहीं होता है
3. कुछ उदीयमान प्रौद्योगिकियों की मान लें तो शक्ति-जनन के ईंधन के रूप में जैवमात्रा, ऋणात्मक उत्सर्जन प्राप्त करने में सहायक हो सकती है
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिएः
(क) केवल 1 और 2
(ख) केवल 3
(ग) केवल 2 और 3
(घ) 1, 2 और 3
उत्तर. (ख)
उपाय.
तकनीकी हस्ताक्षेप, उचित देखरेख के साथ, विद्युत उत्पादन के लिए बायोमास के उपयोग में सहायक हो सकता है और नकारात्मक उत्सर्जन में भी सहायता मिल सकती है।
प्रश्न.112. इस परिच्छेद के संदर्भ में, निम्नलिखित पूर्वधारणाएं बनाई गई हैंः (2016)
1. कुछ जलवायु-ऊर्जा प्रतिरूप वह सुझाते हैं कि शक्ति-जनन के ईंधन के रूप में बायोमास का उपयोग ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जनों को कम करने में सहायक होता है
2. शक्ति-जनन के ईंधन के रूप में बायोमास का उपयोग करना खाद्य एवं वन संसाधनों को बाधित किए बिना संभव नहीं है
इस पूर्वधारणाओं में कौन-सी वैध है/हैं?
(क) केवल 1
(ख) केवल 3
(ग) 1 और 2 दोनों
(घ) न तो 1 और न ही 2
उत्तर. (ग)
उपाय.
दूसरे अनुच्छेद में उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार कुछ ऊर्जा माॅडल (अप्रमाणित प्रौद्योगिकी) कार्बन उत्सर्जन में कमी सकते हैं, जिससे पयार्वरण प्रदूषण, ग्रीन हाउस प्रभाव के कारण, कम हो सकता है। परिच्छेद के अनुसार ऊर्जा फसलें खाद्यान्नों से प्रतिस्पर्धा करती हैं तथा जलवायु पर भौतिक प्रभाव डालती हैं अर्थात् बिना वन संसाधनों को बाधित किए उनकी पैदावार संभव नहीं है।
परिच्छेद-2
हम अपनी खाद्य-पूर्ति में जैव विविधता की खतरनाक की देख रहे हैं। हरित क्रांति एक मिला-जुला वरदान है। समय के साथ-साथ, किसानों की निर्भरता व्यापक रूप से अपनाई गई उच्च उपज वाली फसलों पर बहुत अधिक बढ़ाई गई है और वे स्थानीय दशाओं के अनुकूलता रखने वाली किस्मों को छोड़ते गए हैं। विशाल खेतों में आनुवंशिकतः एकसमान बीजों की एक-फसली खेती से बढ़ी हुई उपज प्राप्त करने और भूख की तात्कालिक जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलती है। तथापि, उच्च उपज वाली किस्में आनुवंशिकः दुर्बल फसलें भी होती हैं जिनके लिए महंगें रासायनिक उर्वरकों और विषाक्त कीटनाशकों की जरूरत होती है। उगाए जा रहे खाद्य-पदार्थों की मात्रा बढा़ने पर ही आज अपना ध्यान केंद्रित कर, हम अपने अनजाने में स्वयं को भावी खादय् अभाव होने के जोखिम में डाल चुके हैं। (2016)
प्रश्न.113. उपर्युक्त परिच्छेद से निम्नलिखित में से कौन-सा, सबसे तर्कसंगत निर्णायक निष्कर्ष निकाला जा सकता है?
(क) अपनी कृषि पद्धतियों में हम केवल हरित क्रांति के कारण महंगें रासायनिक और विषाक्त कीटनाशकों पर अत्यधिक निर्भर हो गए हैं।
(ख) विशाल खेतों में उच्च उपज वाली किस्मों की एक-फसली खेती हरित क्रांति के कारण संभव है
(ग) उच्च उपज वाली किस्मों की एक-फसली खेती करोड़ों लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने का एकमात्र तरीका है
(घ) हरित क्रांति दीर्घ काल में खाद्य-पूर्ति और खाद्य सुरक्षा में जैव-विविधता के लिए खतरा प्रस्तुत कर सकती है।
उत्तर. (घ)
उपाय.
हरित क्रांति के अपने नुकसान है। जैव विविधता पहले से ही दाव पर है। अत्यधिक रसायनों के संपर्क में रहने वाली फसलें या आनुवंशिक रूप से संशोधित खाद्य पदार्थों में उपज बढ़ाने के बावजूद पोषण सामग्री की कमी होती है। हालांकि लंबी अवधि के पहलू पर विचार करें तो हरित क्रांति से गुणवत्ता और स्वास्थ्य को खतरा है।
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