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Science and Technology (विज्ञान और प्रौद्योगिकी): December 2022 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly PDF Download

ChatGPT चैटबॉट

चर्चा में क्यों?
हाल ही में OpenAI ने ChatGPT नामक एक नया चैटबॉट पेश किया है, जो एक 'संवादात्मक' आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) है और मानव की तरह ही प्रश्नों का उत्तर देगा।

ChatGPT

  • परिचय:
    • ChatGPT "अनुवर्ती प्रश्नों" का उत्तर दे सकता है और "अपनी गलतियों को स्वीकार कर सकता है, गलत धारणाओं को चुनौती दे सकता है साथ ही अनुचित अनुरोधों को अस्वीकार कर सकता है।"
    • यह कंपनी के GPT 3.5 सीरीज़ के लैंग्वेज लर्निंग मॉडल (LLM) पर आधारित है।
    • GPT का मतलब जनरेटिव प्री-ट्रेन्ड ट्रांसफॉर्मर-3 है और यह एक तरह का कंप्यूटर लैंग्वेज मॉडल है जो इनपुट के आधार पर मानव-समान पाठ करने के लिये गहन शिक्षण तकनीकों पर निर्भर करता है।
    • मॉडल को यह भविष्यवाणी करने के लिये प्रशिक्षित किया जाता है कि भविष्य में क्या होगा, और इसलिये तकनीकी रूप से ChatGPT के साथ 'बातचीत' की जा सकती है।
    • चैटबॉट को रेनफोर्समेंट लर्निंग फ्रॉम ह्यूमन फीडबैक (RLHF) का उपयोग करके भी प्रशिक्षित किया गया था।
  • उपयोग:
    • इसका उपयोग वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों जैसे डिजिटल मार्केटिंग, ऑनलाइन सामग्री निर्माण, ग्राहक सेवा प्रश्नों का उत्तर देने या यहाँ तक कि डीबग कोड में मदद करने के लिये भी किया जा सकता है।
    • मानव जैसी बोलने की शैली की नकल करते हुए बॉट कई तरह के सवालों का जवाब दे सकता है।
    • इसे बेसिक ईमेल, पार्टी प्लानिंग लिस्ट, सीवी और यहाँ तक कि कॉलेज निबंध और होमवर्क के प्रतिस्थापन के रूप में देखा जा रहा है।
  • इसका उपयोग कोड लिखने के लिये भी किया जा सकता है।।
  • सीमाएँ:
    • उक्त चैटबॉट में भी लगभग सभी AI मॉडल की तरह नस्लीय और लैंगिक पूर्वाग्रह संबंधी समस्याएँ हैं।
    • चैटबॉट के उत्तर व्याकरणिक रूप से सही होते हैं और इसकी पठन संबंधी समझ भी अच्छी है परंतु इसमें संदर्भ संबंधी समस्या  है, जो काफी हद तक सच है।
    • ChatGPT कभी-कभी गलत जानकारी डेटा है और इसका ज्ञान वर्ष 2021 से पहले हुई वैश्विक घटनाओं तक ही सीमित है।

चैटबॉट

  • परिचय:
    • चैटबॉट्स, जिसे चैटरबॉट्स भी कहा जाता है, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का एक रूप है जिसका उपयोग मैसेजिंग एप में किया जाता है।
    • यह टूल ग्राहकों को सुविधा प्रदान करता है, ये स्वचालित प्रोग्राम हैं जो ग्राहकों के साथ मानव की तरह बातचीत करते हैं और इसमें संलग्न होने के लिये नाममात्र/न के बराबर शुल्क अदा करना होता है ।
    • फेसबुक मैसेंजर में व्यवसायों द्वारा या अमेज़ॅन के एलेक्सा जैसे आभासी सहायकों के रूप में उपयोग किये जाने वाले चैटबॉट प्रमुख उदाहरण हैं।
    • चैटबॉट दो तरीकों में से एक में काम करते हैं- मशीन लर्निंग के माध्यम से या निर्धारित दिशा-निर्देशों के साथ।
    • हालाँकि AI तकनीक में प्रगति के कारण निर्धारित दिशा-निर्देशों का उपयोग करने वाले चैटबॉट एक ऐतिहासिक पदचिह्न बन रहे हैं।

प्रकार

  • निर्धारित दिशा-निर्देशों के साथ चैटबॉट:
    • यह केवल अनुरोधों और शब्दावली की एक निर्धारित संख्या का जवाब दे सकता है क्योंकि यह प्रोग्रामिंग कोड जितना ही बुद्धिमान है।
    • सीमित बॉट का एक उदाहरण स्वचालित बैंकिंग बॉट है जो कॉल करने वाले से यह समझने के लिये कुछ प्रश्न पूछता है कि कॉलर क्या करना चाहता है।
  • मशीन लर्निंग चैटबॉट:
    • चैटबॉट जो मशीन लर्निंग के माध्यम से कार्य करता है, उसमें कृत्रिम तंत्रिका नेटवर्क होता है जो मानव मस्तिष्क के तंत्रिका नोड्स से प्रेरित होता है।
    • बॉट को स्वतः सीखने के लिये प्रोग्राम किया गया है क्योंकि इसे नए संवादों और शब्दों से परिचित कराया जाता है।
    • वास्तव में जैसे ही चैटबॉट को नई आवाज़ या टेक्स्ट संवाद प्राप्त होते हैं, पूछताछ की संख्या जिसका वह उत्तर दे सकता है, की सटीकता बढ़ जाती है।
    • मेटा (जैसा कि अब फेसबुक की मूल कंपनी के रूप में जाना जाता है) में एक मशीन लर्निंग चैटबॉट है जो कंपनियों को मैसेंजर एप के माध्यम से अपने उपभोक्ताओं के साथ बातचीत करने के लिये एक मंच प्रदान करता है।
  • लाभ:
    • चैटबॉट ग्राहक सेवा प्रदान करने और सप्ताह में 7 दिन 24 घंटे समर्थन करने के लिये सुविधाजनक हैं।
    • वे फोन लाइनों को भी मुफ्त करते हैं तथा लंबे समय में समर्थन करने के लिये लोगों को काम पर रखने की तुलना में बहुत कम खर्चीले होते हैं।
    • AI और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण का उपयोग करते हुए चैटबॉट यह समझने में बेहतर हो रहे हैं कि ग्राहक क्या चाहते हैं तथा उन्हें वह सहायता प्रदान कर रहे हैं जिसकी उन्हें आवश्यकता है।
    • कंपनियांँ भी चैटबॉट को पसंद करती हैं क्योंकि वे ग्राहकों के प्रश्नों, प्रतिक्रिया समय, संतुष्टि आदि के बारे में डेटा एकत्र कर सकती हैं।
  • हानि:
    • यहांँ तक कि प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण के साथ वे ग्राहक के इनपुट को पूरी तरह से नहीं समझ सकते हैं और असंगत उत्तर प्रदान कर सकते हैं।
    • कई चैटबॉट्स उन प्रश्नों के दायरे में भी सीमित हैं जिनका वे जवाब देने में सक्षम हैं।
    • चैटबॉट लागू करने और बनाए रखने के मामले में महंगे हो सकते हैं, क्योंकि उन्हें लगातार अनुकूलित एवं अपडेट करना होता है।
    • AI में भावनाओं का समावेशन अभी चुनौतीपूर्ण है, हालांँकि AI द्वारा अनैतिक और हेट स्पीच के खतरे बने हुए हैं।

भारत के निर्यात में कमी

चर्चा में क्यों?

अक्तूबर 2022 में वर्ष 2021 की इसी अवधि की तुलना में भारत के निर्यात में लगभग 16.7% की गिरावट आई है जिससे निर्यात में धीमापन चिंता का विषय बन गया है।

  • अक्तूबर में स्टील और संबद्ध उत्पादों के निर्यात में  2 बिलियन अमेरिकी डॉलर की गिरावट दर्ज की गई है।
  • इलेक्ट्रॉनिक सामानों के निर्यात में लगभग 38% की वृद्धि हुई जो 1.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर की रही।

धीमी निर्यात मांग के कारक

  • कम वैश्विक मांग:
    • विकसित देशों में लगातार उच्च मुद्रास्फीति के मद्देनज़र वैश्विक आर्थिक विकास में तेज़ी से गिरावट देखी जा रही है और इसके परिणामस्वरूप मौद्रिक नीति को कड़ा किया जा रहा है।
    • निर्यात में कमी के कुछ कारक: विकास में वैश्विक मंदी के परिणामस्वरूप भारतीय वस्तुओं की मांग में गिरावट आई है, ऐसे में ब्रिटेन और अमेरिका के मंदी की ओर बढ़ने की आशंका है, चीन द्वारा विकास हेतु संघर्ष जारी  रखने के बावजूद यूरोपीय क्षेत्र के स्थिर होने की सबसे अधिक संभावना है। 
  • मुद्रास्फीति: 
    • बाह्य कारकों की तुलना में स्थानीय कारकों ने मुद्रास्फीति में अधिक योगदान दिया है, विशेष रूप से बढ़ती खाद्य लागत और वैश्विक वस्तुओं की कीमतों में गिरावट तथा खरीफ फसल की शुरुआत के परिणामस्वरूप इन दबावों में कमी आने की उम्मीद है।
    • विगत कुछ महीनों में खुदरा मुद्रास्फीति लगातार 7% से ऊपर रही है, लेकिन अक्तूबर  2022 में यह 6.8% रही।
  • तेल और अन्य निर्यात में गिरावट: 
    • तेल निर्यात सितंबर 2022 के 43.0% से घटकर -11.4% पर पहुँच गया है जिसका आंशिक कारण वैश्विक कच्चे तेल की कम कीमतें हैं, जबकि गैर-तेल निर्यात वर्ष-दर-वर्ष गिरावट के साथ -16.9% तक पहुँच गया है जिसमें लौह अयस्क, हस्तशिल्प, वस्त्र में व्यापक गिरावट के साथ कृषि सामान, प्लास्टिक, रत्न और आभूषण, इंजीनियरिंग सामान, रसायन, फार्मास्यूटिकल्स तथा चमड़े के सामान आदि आते हैं।
    • इंजीनियरिंग सामान, जिसमें हाल के वर्षों में भारत की अच्छी स्थिति  थी, में भी 21% की गिरावट आई है।
  • विश्व-व्यापार संबंधी तनाव:
    • अमेरिका और चीन के बीच हालिया व्यापार युद्ध और अन्य वैश्विक व्यापार युद्धों से पूरे विश्व का विकास प्रभावित हुआ है।
    • इसने भारतीय अर्थव्यवस्था सहित दुनिया के विभिन्न हिस्सों में विनिर्माण और निर्यात को प्रभावित किया है।

अर्थव्यवस्था के लिये सकारात्मक संकेत

  • निर्यात परिदृश्य के धीमे होने के बावजूद घरेलू मांग बनी रहने की संभावना है।
  • निवेश चक्र फिर से मज़बूत होगा जो आने वाले समय में विकास और रोज़गार सृजन को बढ़ावा देगा।
  • वित्त वर्ष 2022-23 में निजी क्षेत्र का पूंजीगत व्यय छह लाख करोड़ को छूने को है, जो विगत छह वर्षों में सबसे अधिक होगा।
  • निजी कैपेक्स आमतौर पर बैंकिंग प्रणाली से क्रेडिट या ऋण पर निर्भर करता है।
  • इसमें सितंबर 2022 में 18% की उच्च स्तर की वृद्धि देखी गई है।

अन्य निर्यातक देशों के संदर्भ में

  • निर्यात प्रधान देश वियतनाम ने सतत् विदेशी मांग' के बीच निर्यात में एक वर्ष पहले की तुलना में 4.5% की वृद्धि दर्ज की और यह 29.18 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई।
  • इसी तरह फिलीपींस द्वारा किया जाने वाला निर्यात अक्तूबर, 2022 में 20% बढ़ा।
  • वहाँ की सरकार का कहना था कि सितंबर में तीन महीने में पहली बार निर्यात बढ़ा, जिसे वह 'विदेशी मांग को पुनर्जीवित करने का संकेत' मानती है। 
  • सख्त लॉकडाउन के कारण 2022 में चीन एक मात्र देश है, जो विनिर्माण उत्पादन को प्रभावित कर रहा है, हालाँकि वर्तमान में प्रतिबंधों के खिलाफ विरोध के बाद लॉकडाउन में ढील दी जा रही है।

भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार

  • 2 दिसंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 561 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
  • अक्तूबर का आयात, बेंचमार्क के रूप में 56.7 बिलियन अमेरिकी डॉलर  (आठ महीने का निचला स्तर) का था।  
  • हालाँकि अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह वर्ष 2013 जितना खराब नहीं था, जब विदेशी निवेशकों ने भारत के वित्तीय बाज़ारों से हाथ खींचना शुरू कर दिया था।
    • उस समय भारत के पास सात महीने से कम का आयात कवर था।
  • हाल के हफ्तों में विदेशी मुद्रा भंडार में कुछ वृद्धि हुई है, यह भविष्य के लिये आशा का संकेत है।

आगे की राह

  • भारत के निर्यात में कमी बरकरार रहने की संभावना है क्योंकि वैश्विक विकास मंद रहने की संभावना है। भारत के निर्यात में कमी सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के विकास पर प्रभाव डालेगी।
  • सरकार को ऐतिहासिक व्यापार असंतुलन और निर्यात की धीमी गति दोनों को दूर करने के लिये एक संशोधित विदेश नीति लाने की तत्काल आवश्यकता है, बजाय इसके कि वह अगले अप्रैल तक नई नीति जारी करने का इंतज़ार करे।
  • सरकार को निवेश और बचत के माध्यम से ऋण चक्र में सुधार के लिये उचित उपाय करने चाहिये एवं  विदेशी निवेश को बढ़ावा देने से भविष्य में अर्थव्यवस्था को मंदी से निजात मिलेगी।

एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में Apple ने घोषणा की है कि वह आईक्लाउड (iCloud) पर एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन (E2EE) द्वारा संरक्षित डेटा पॉइंट्स को 14 से 23 श्रेणियों तक बढ़ाएगा।

घोषणा का उद्देश्य

  • Apple द्वारा डेटा-ब्रीच-रिसर्च (data-breach-research) के अनुसार, वर्ष 2013 और 2021 के बीच डेटा ब्रीच की कुल संख्या तीन गुना से अधिक हो गई। अकेले वर्ष 2021 में 1.1 विधेयकियन व्यक्तिगत रिकॉर्ड का डेटा सामने आया।
  • एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के साथ, क्लाउड में डेटा का उल्लंघन होने की स्थिति में भी उपयोगकर्त्ता का डेटा सुरक्षित रहेगा। अच्छी तरह से वित्त पोषित समूहों द्वारा शुरू किये गए हैकिंग हमलों के लक्ष्यों हेतु सुरक्षा की अतिरिक्त परत मूल्यवान होगी।

एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन

  • परिचय:
    • एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन एक संचार प्रक्रिया है जो दो उपकरणों के बीच साझा किये जा रहे डेटा को एन्क्रिप्ट करती है।
    • यह क्लाउड सेवा प्रदाताओं, इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (ISPs) और साइबर अपराधियों जैसे तीसरे पक्षों को डेटा तक पहुँचने से रोकता है, विशेषतः जब डेटा स्थानांतरित किया जा रहा हो।
  • तंत्र:
    • संदेशों को एन्क्रिप्ट और डिक्रिप्ट करने के लिये उपयोग की जाने वाली क्रिप्टोग्राफिक कुंजियों को एंडपॉइंट्स पर संग्रहीत किया जाता है।
    • एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन की प्रक्रिया एक एल्गोरिथ्म का उपयोग करती है जो मानक पाठ को अपठनीय प्रारूप में बदल देती है।
    • इस प्रारूप को केवल डिक्रिप्शन कुंजियों वाले लोगों द्वारा अनस्क्रैम्बल किया और पढ़ा जा सकता है, जो केवल एंडपॉइंट्सं पर संग्रहीत होते हैं और सेवा प्रदान करने वाली कंपनियों सहित किसी भी तीसरे पक्ष के साथ नहीं।
  • उपयोग:
    • व्यावसायिक दस्तावेज़ों, वित्तीय विवरणों, कानूनी कार्यवाहियों और व्यक्तिगत वार्तालापों को स्थानांतरित करते समय E2EE का लंबे समय से उपयोग किया जाता रहा है।
    • संग्रहीत डेटा तक पहुँचने के दौरान इसका उपयोग उपयोगकर्त्ताओं के प्राधिकरण को नियंत्रित करने के लिये भी किया जा सकता है।
    • संचार को सुरक्षित करने के लिये एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन का उपयोग किया जाता है।
    • इसका उपयोग पासवर्ड सुरक्षित करने, संग्रहीत डेटा की सुरक्षा और क्लाउड स्टोरेज पर डेटा की सुरक्षा के लिये भी किया जाता है।

एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के लाभ (E2EE)

  • संप्रेषण में सुरक्षा:
    • एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन सार्वजनिक कुंजी क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करता है, जो एंडपॉइंट उपकरणों पर निजी कुंजी संग्रहीत करता है। संदेशों को केवल इन कुंजियों का उपयोग करके डिक्रिप्ट किया जा सकता है, इसलिये केवल एंडपॉइंट डिवाइस तक पहुँच रखने वाले लोग ही संदेश को पढ़ने में सक्षम होते हैं।
  • तीसरे पक्ष से सुरक्षा::
    • E2EE यह सुनिश्चित करता है कि उपयोगकर्त्ता डेटा सेवा प्रदाताओं, क्लाउड स्टोरेज प्रदाताओं और एन्क्रिप्टेड डेटा को प्रबंधित करने वाली कंपनियों सहित अनुचित पार्टियों से सुरक्षित है।
  • हस्तक्षेप रहित:
    • डिक्रिप्शन कुंजी को E2EE के साथ प्रदान करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह प्राप्तकर्ता के पास पहले से ही मौज़ूद होती है।
    • यदि सार्वजनिक कुंजी के साथ एन्क्रिप्ट किया गया किसी संदेश भेजे जाने के दौरान किसी प्रकार की छेड़छाड़ की जाती है, तो प्राप्तकर्त्ता इसे डिक्रिप्ट नहीं कर पाएगा छेड़छाड़ की गई सामग्री तक पहुँच की सुविधा भी नहीं रहेगी।
  • अनुपालन:
    • कई उद्योग विनियामक अनुपालन कानूनों से बँधे हैं जिनके लिये एन्क्रिप्शन-स्तर की डेटा सुरक्षा की आवश्यकता होती है।
    • E2EE डेटा को अपठनीय बनाकर उसे सुरक्षित रखने में संगठनों की मदद कर सकता है।

E2EE से हानि:

  • समापन बिंदुओं को परिभाषित करने में जटिलता:
    • कुछ E2EE कार्यान्वयन एन्क्रिप्टेड डेटा को ट्रांसमिशन के दौरान कुछ बिंदुओं पर एन्क्रिप्ट और पुनः एन्क्रिप्ट करने की अनुमति देते हैं।
    • यह संचार सर्किट के समापन बिंदुओं को स्पष्ट रूप से परिभाषित और अलग करता है। यदि एंडपॉइंट्स/समापन बिंदुओं से छेड़छाड़ की जाती है, तो एन्क्रिप्टेड डेटा प्रकट हो सकता है।
  • बहुत अधिक गोपनीयता:
    • सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ चिंता व्यक्त करती हैं कि E2EE अवैध सामग्री साझा करने वाले लोगों की रक्षा कर सकता है क्योंकि सेवा प्रदाता कानून प्रवर्तन को सामग्री तक पहुँच प्रदान करने में असमर्थ हैं।।
  • मेटाडेटा हेतु सुरक्षा का अभाव:
    • हालाँकि संप्रेषण में संदेश एन्क्रिप्टेड होते हैं, सन्देश से संबंधित सूचना जैसे संदेश की तिथि और भेजने वाले की जानकारी अभी भी दिखाई दे रही होती है और यह डेटा का दुरुपयोग करने वालों के लिये सहायक हो सकती है।

 

फ्यूजन एनर्जी ब्रेकथ्रू

चर्चा में क्यों?
हाल ही में अमेरिका के लॉरेंस लिवरमोर फैसिलिटी में कुछ वैज्ञानिकों ने नाभिकीय संलयन अभिक्रिया से ऊर्जा में शुद्ध लाभ हासिल किया है, जिसे एक बड़ी सफलता के रूप में देखा जाता है।

  • चीन का कृत्रिम सूर्य, जिसे उन्नत नाभिकीय संलयन प्रयोगात्मक अनुसंधान उपकरण ( Experimental Advanced Superconducting Tokamak- EAST) कहा जाता है, सूर्य पर  होने वाले नाभिकीय संलयन के सामान कार्य करता है।

प्रयोग (Experiment):

  • प्रयोग ने हाइड्रोजन की अति सूक्ष्म मात्रा को काली मिर्च के आकार के कैप्सूल में बदलने का प्रयास किया, जिसके लिये वैज्ञानिकों ने एक शक्तिशाली 192-बीम लेज़र का उपयोग किया जो 100 मिलियन डिग्री सेल्सियस ऊष्मा उत्पन्न कर सकता था।
  • इसे 'जड़त्वीय संलयन' भी कहते हैं।
  • कुछ अन्य स्थानों पर दक्षिणी फ्राँस में इंटरनेशनल थर्मोन्यूक्लियर एक्सपेरिमेंटल रिएक्टर (ITER) नामक अंतर्राष्ट्रीय सहयोगी परियोजना सहित, जिसमें भारत एक भागीदार है, बहुत मज़बूत चुंबकीय क्षेत्रों का उपयोग उसी उद्देश्य के लिये किया जाता है।
  • लेजर बीम सूर्य के केंद्र से अधिक गर्म था और हाइड्रोजन ईंधन को पृथ्वी के वायुमंडल के 100 अरब गुना से अधिक तक संपीड़ित करने में मदद कर सकता था।
  • इन बलों के दबाव में कैप्सूल अपने आप में विस्फोट करना शुरू कर देता है और हाइड्रोजन नाभिकीय संलयन एवं ऊर्जा उत्सर्जन के लिये अग्रणी होता है।

भविष्य की संभावना:

  • संलयन प्रक्रिया में विशेषज्ञता हासिल करने का प्रयास कम से कम वर्ष 1950 के दशक से चल रहा है लेकिन यह अविश्वसनीय रूप से कठिन है और अभी भी एक प्रायोगिक चरण में है।
  • वर्तमान में विश्व भर में उपयोग की जाने वाली नाभिकीय ऊर्जा विखंडन प्रक्रिया से आती है।
  • अधिक ऊर्जा उत्पादन के अलावा, संलयन ऊर्जा का कार्बन मुक्त स्रोत भी है और इसमें नगण्य विकिरण ज़ोखिम हैं।
  • हालाँकि उपलब्धि महत्त्वपूर्ण है, लेकिन यह संलयन प्रक्रियाओं से विद्युत उत्पादन के लक्ष्य को वास्तविकता के करीब लाने के लिये बहुत कम है।
  • सभी अनुमानों से व्यावसायिक स्तर पर विद्युत उत्पादन करने के लिये संलयन प्रक्रिया का उपयोग अभी भी दो से तीन दशक दूर है।
  • US प्रयोग में उपयोग की जाने वाली तकनीक को तैनात होने में और भी अधिक समय लग सकता है।

संलयन

  • संलयन एक परमाणु के नाभिक में स्थित विशाल ऊर्जा का दोहन करने का एक अलग लेकिन अधिक शक्तिशाली तरीका है।  
  • संलयन में दो हल्के तत्त्वों के नाभिक आपस में जुड़कर एक भारी परमाणु नाभिक का निर्माण करते हैं।
  • इन दोनों प्रक्रियाओं में बड़ी मात्रा में ऊर्जा मुक्त होती है, लेकिन विखंडन की तुलना में संलयन में काफी अधिक होती है।
  • यह वह प्रक्रिया है जो सूर्य और अन्य सभी तारों को चमक प्रदान करती है तथा ऊर्जा का विकिरण करती है।

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नाभिकीय संलयन के लाभ 

  • प्रचुर मात्रा में ऊर्जा: 
    • नियंत्रित तरीके से  परमाणुओं को एक साथ मिलाने से कोयले, तेल या गैस के जलने जैसी रासायनिक प्रतिक्रिया की तुलना में लगभग चार मिलियन गुना अधिक ऊर्जा और नाभिकीय विखंडन प्रतिक्रियाओं (समान द्रव्यमान पर) की तुलना में चार गुना अधिक ऊर्जा उत्सर्जित होती है।  
    • संलयन की क्रिया में शहरों और उद्योगों को बिजली प्रदान करने हेतु आवश्यक बेसलोड ऊर्जा प्रदान करने की क्षमता है।
  • स्थिरता:
    • संलयन आधारित ईंधन व्यापक रूप से उपलब्ध हैं और अक्षय है। ड्यूटेरियम को सभी प्रकार के जल से डिस्टिल्ड किया जा सकता है, जबकि संलयन प्रतिक्रिया के दौरान ट्रिटियम का उत्पादन किया जाएगा क्योंकि न्यूट्रॉन लिथियम के साथ फ्यूज़न करते हैं। 
  • CO₂ का उत्सर्जन नहीं: 
    • संलयन की क्रिया से वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड या अन्य ग्रीनहाउस गैसों जैसे हानिकारक विषाक्त पदार्थों का उत्सर्जन नहीं होता है। इसका प्रमुख सह- उत्पाद हीलियम है जो कि एक अक्रिय और गैर-विषाक्त गैस है।
  • लंबे समय तक रहने वाले रेडियोधर्मी कचरे से बचाव: 
    • नाभिकीय संलयन रिएक्टर उच्च गतिविधि व लंबे समय तक रहने वाले नाभिकीय अपशिष्ट का उत्पादन नहीं करते हैं।
  • प्रसार का सीमित जोखिम: 
    • संलयन में यूरेनियम और प्लूटोनियम जैसे विखंडनीय पदार्थ उत्पन्न नहीं होते हैं (रेडियोधर्मी ट्रिटियम न तो विखंडनीय है और न ही विखंडनीय सामग्री है)। 
  • पिघलने का कोई खतरा नहीं:
    • संलयन के लिये आवश्यक सटीक स्थितियों तक पहुंँचना और उन्हें बनाए रखना काफी मुश्किल है तथा यदि संलयन की प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी होती है, तो प्लाज़्मा कुछ ही सेकंड के भीतर ठंडा हो जाता है और प्रतिक्रिया बंद हो जाती है।

नाभिकीय संलयन बनाम नाभिकीय विखंडन

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संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान ( Indian Institute of Science Education and Research- IISER) भोपाल के शोधकर्त्ताओं ने बरगद (Ficus benghalensis) और पीपल (Ficus religiosa) की पत्ती के ऊतकों के नमूनों से संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण (Whole Genome Sequencing ) किया है।

  • इस कार्य ने बरगद के मामले में 17 जीनों और पीपल के 19 जीनों की पहचान करने में मदद की, जिनमें अनुकूली विकास के कई लक्षण हैं जो इन दो गूलर (Ficus) प्रजातियों के लंबे समय तक जीवित रहने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण

  • परिचय:
    • सभी जीवों का एक अद्वितीय आनुवंशिक कोड या जीनोम होता है, जो न्यूक्लियोटाइड बेस एडेनिन (A), थाइमिन (T), साइटोसिन (C) और गुआनिन (G) से बना होता है।
    • एक जीव में बेस के अनुक्रम का पता लगाकर अद्वितीय डीऑक्सीराइबोन्यूक्लिक एसिड (Deoxyribonucleic Acid- DNA) फिंगरप्रिंट या पैटर्न की पहचान की जा सकती है।
    • बेस के क्रम का निर्धारण अनुक्रमण कहलाता है।
    • संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण एक प्रयोगशाला प्रक्रिया है जो एक प्रक्रिया में जीव के जीनोम में बेस के क्रम को निर्धारित करती है।

कार्यप्रणाली:

  • DNA को काटने के लिये:
    • वैज्ञानिक DNA को काटने के लिये आणविक कैंची का उपयोग करते हैं, यह लाखों आधारों (A, C, T और G) से बना होता है, जो अनुक्रमण मशीन को समझने के लिये काफी छोटे होते हैं।
  • DNA बारकोडिंग :
    • वैज्ञानिक DNA टैग के छोटे-छोटे टुकड़े जोड़ते हैं या बार कोड का उपयोग यह पहचानने के लिये करते हैं कि कटा हुआ DNA का कौन-सा टुकड़ा किस बैक्टीरिया से संबंधित है।
    • यह उसी तरह है जैसे एक बार कोड किसी किराने की दुकान पर किसी उत्पाद की पहचान करता है।
  • DNA सीक्वेंसर:
    • कई बैक्टीरिया से बार-कोडेड DNA को मिलाया जाता है और DNA सीक्वेंसर में डाल दिया जाता है।
    • अनुक्रमक A's, C's, T's और G's या उन आधारों की पहचान करता है, जो प्रत्येक जीवाणु अनुक्रम बनाते हैं।
    • अनुक्रमण बार कोड का उपयोग करता है ताकि यह पता लगाया जा सके कि कौन से आधार किस बैक्टीरिया के हैं।
  • डेटा विश्लेषण:
    • वैज्ञानिक कई बैक्टीरिया से अनुक्रमों की तुलना करने और मतभेदों की पहचान करने के लिये कंप्यूटर विश्लेषण टूल का उपयोग करते हैं।
    • ये मतभेद वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद करती है कि जीवाणु कितनी निकटता से संबंधित हैं और कितनी संभावना है कि वे एक ही प्रकोप का हिस्सा हैं।
  • लाभ:
    • जीनोम का उच्च-रिज़ॉल्यूशन, आधार-दर-आधार दृश्य प्रदान करता है।
    • बड़े और छोटे दोनों रूपों को शामिल करता है जो लक्षित दृष्टिकोणों से छूट सकते हैं।
    • जीन अभिव्यक्ति और विनियमन तंत्र के आगे के अनुवर्ती अध्ययन के लिये संभावित प्रेरक रूपों की पहचान करता है।
    • नोबेल जीनोम की असेंबली का समर्थन करने के लिये कम समय में बड़ी मात्रा में डेटा वितरित करता है।
  • महत्त्व:
    • वंशानुगत विकारों की पहचान करने, कैंसर कोशिकाओं के उत्परिवर्तनों को चिह्नित करने और बीमारी के प्रकोपों को ट्रैक करने में जीनोमिक जानकारी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
    • यह कृषि की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण पशुधन, पौधों या रोग संबंधी रोगाणुओं के अनुक्रमण के लिये लाभदायक है।

जीनोम

  • जीनोम एक जीव में मौजूद समग्र आनुवंशिक सामग्री को संदर्भित करता है और सभी लोगों में मानव जीनोम अधिकतर समान होता है, लेकिन DNA का एक बहुत छोटा हिस्सा एक व्यक्ति तथा दूसरे के बीच भिन्न होता है।
  • प्रत्येक जीव का आनुवंशिक कोड उसके डीऑक्सीराइबोज न्यूक्लिक एसिड (DNA) में निहित होता है, जो जीवन के निर्माण खंड होते हैं।
  • वर्ष 1953 में जेम्स वाटसन और फ्राँसिस क्रिक द्वारा "डबल हेलिक्स" के रूप में संरचित DNA की खोज की गई, जिससे यह समझने में मदद मिली कि जीन किस प्रकार जीवन, उसके लक्षणों एवं बीमारियों का कारण बनते हैं।
  • प्रत्येक जीनोम में उस जीव को बनाने और बनाए रखने के लिये आवश्यक सभी जानकारी होती है।
  • मनुष्यों में पूरे जीनोम की एक प्रति में 3 अरब से अधिक DNA बेस जोड़े होते हैं।

जीनोम और जीन में अंतर:
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कैंसर रोधी mRNA वैक्सीन

चर्चा में क्यों?

हाल ही में मॉडर्ना और MSD (मर्क एंड कंपनी) द्वारा निर्मित मेसेंजर रिबोन्यूक्लिक एसिड (mRNA-4157/V940) वैक्सीन और इम्यूनोथेरेपी दवा कीट्रूडा (Keytruda) के एक साथ लेने संबंधी परीक्षण में मेलेनोमा, एक प्रकार के त्वचा कैंसर के विरुद्ध आशाजनक परिणाम देखने को मिले हैं।

एडवांस्ड मेलेनोमा हेतु mRNA वैक्सीन थेरेपी:

  • परिचय:
    • यह प्रति रोगी के लिये व्यक्तिगत रूप से तैयार किया गया कैंसर वैक्सीन है।
    • इस वैक्सीन को बनाने के लिये शोधकर्त्ता द्वारा रोगियों के ट्यूमर और स्वस्थ ऊतक के नमूने लिये जाते हैं।
    • उनके आनुवंशिक अनुक्रम को डिकोड करने और केवल कैंसर से जुड़े उत्परिवर्ती प्रोटीन को अलग करने के लिये नमूनों का विश्लेषण करने के बाद प्राप्त जानकारी का उपयोग वैक्सीन को तैयार करने हेतु किया गया।
    • व्यक्तिगत कैंसर वैक्सीन उसी mRNA तकनीक का उपयोग करती है जिसका उपयोग कोविड-19 वैक्सीन के उत्पादन के लिये किया गया था।
    • mRNA की वैक्सीन हमारी कोशिकाओं को प्रोटीन बनाने संबंधी प्रक्रिया को समझने में मदद करती हैं जो हमारे शरीर के अंदर एक प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करती है।
  • क्रियाविधि:
    • यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कैंसर कोशिकाओं को खोजने और नष्ट करने में मदद करती है।
    • व्यक्तिगत कैंसर वैक्सीन प्रोग्राम्ड डेथ 1 (पीडी-1) नामक प्रोटीन को निष्क्रिय करने के लिये कीट्रूडा के साथ मिलकर काम करती है, जो ट्यूमर को प्रतिरक्षा प्रणाली से बचने में मदद करता है।
    • रोगी में इंजेक्ट किये जाने के बाद रोगी की कोशिकाएँ एक निर्माण इकाई के रूप में कार्य करती हैं, जो उन उत्परिवर्तनों की सटीक प्रतिकृतियाँ बनाती हैं जिन्हें प्रतिरक्षा प्रणाली पहचान सकती है और समाप्त कर सकती है।
    • वायरस के बिना म्यूटेशन के संपर्क में आने के बाद शरीर संक्रमण से लड़ना सीख जाता है।
  • प्रभाविकता (Efficacy):
    • वैक्सीन ने कैंसर से मरने या कैंसर के बढ़ने के जोखिम में 44% की कमी प्रदर्शित की।
    • mRNA-4157/V940 और कीट्रूडा का संयोजन सामान्य: सुरक्षित था एवं एक साल के उपचार के बाद अकेले कीट्रूडा की तुलना में लाभ प्रदर्शित करता है।

वैक्सीन के विभिन्न प्रकार

  • निष्क्रिय वैक्सीन:
    • निष्क्रिय वैक्सीन रोग पैदा करने वाले रोगाणु के निष्क्रिय संस्करण का उपयोग करती है।
    • इस प्रकार के वैक्सीन रोगज़नक को निष्क्रिय करके बनाया जाता है, सामान्यतः ऊष्मा या रसायनों जैसे कि फॉर्मेल्डीहाइड या फॉर्मेलिन का उपयोग किया जाता है। यह रोगज़नक की दोहराने की क्षमता को नष्ट कर देता है या इनकी प्रजनन क्षमता को समाप्त कर दिया जाता है, रोगजनक के विभिन्न हिस्से बरकरार रहते हैं जैसे-एंटीजन (रासायनिक संरचना) जिसकी पहचान प्रतिरक्षा तंत्र द्वारा की जाती है।
    • क्योंकि रोगजनक मृत होता है, इसलिये न तो यह प्रजनन करने में सक्षम होता है, न ही किसी रोग का कारण बन सकता है। अतः कम प्रतिरक्षा वाले लोगों जैसे कि वृद्ध एवं सहरुग्णता वाले लोगों को इन्हें दिया जाना सुरक्षित होता है और समय के साथ कई खुराक (बूस्टर शॉट्स) की आवश्यकता हो सकती है।
    • वे सुरक्षा के लिये उपयोग किये जाते हैं: हेपेटाइटिस ए, फ्लू (केवल शॉट), पोलियो (केवल शॉट), रेबीज़
  • सक्रिय वैक्सीन (Live-attenuated Vaccines):
    • सक्रिय वैक्सीन रोग पैदा करने वाले रोगाणु के कमज़ोर (या क्षीण) रूप का उपयोग करती हैं।
    • क्योंकि ये वैक्सीन प्राकृतिक संक्रमण के इतने समान हैं कि वे रोकने में मदद करती हैं, वे एक मज़बूत और लंबे समय तक चलने वाली प्रतिरक्षा प्रणाली का निर्माण करती हैं।
    • हालाँकि ये वैक्सीन आमतौर पर कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को नहीं दी जा सकती है।
    • सक्रिय टीकों का उपयोग निम्न रोगों के विरुद्ध किया जाता है: खसरा, कण्ठमाला, रूबेला (MMR संयुक्त वैक्सीन), रोटावायरस, चेचक आदि।
  • मैसेंजर (m) RNA वैक्सीन:
    • mRNA वैक्सीन प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करने के लिये प्रोटीन बनाती हैं। mRNA टीकों के अन्य प्रकार के टीकों की तुलना में कई लाभ होते हैं जिनमें कम निर्माण समय भी शामिल है तथा वैक्सीनीकरण कराने वाले व्यक्ति में बीमारी पैदा करने का कोई ज़ोखिम नहीं होता है। क्योंकि इसमें एक मृत वायरस प्रयोग होता है।
    • टीकों का उपयोग कोविड-19 जैसी महामारी से बचाव के लिये किया जाता है।
  • सब-यूनिट, पुनः संयोजक, पॉलीसेकेराइड और संयुग्म वैक्सीन:
    • इनमें प्रोटीन, चीनी या कैप्सिड (रोगाणु के चारों ओर एक आवरण) जैसे रोगाणु के विशिष्ट टुकड़ों का उपयोग किया जाता है। यह बहुत मज़बूत प्रतिरक्षा प्रणाली प्रदान करता है।
    • इनका उपयोग कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली और दीर्घकालिक स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों पर भी किया जा सकता है।
    • इन टीकों का उपयोग हिब (हीमोफिलस एंफ्लूएंज़ा टाइप बी) रोग, हेपेटाइटिस बी, HPV (ह्यूमन पेपिलोमावायरस), न्यूमोकोकल रोग से बचाने के लिये किया जाता है।
  • टॉक्सोइड वैक्सीन:
    • इनमें रोग का कारण बनने वाले रोगाणु द्वारा निर्मित विष (हानिकारक उत्पाद) का उपयोग किया जाता है। यह रोगाणु के उन हिस्सों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता पैदा करते हैं जो रोगाणु के बजाय रोग का कारण बनते हैं। इसका मतलब है कि प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया पूरे रोगाणु के बजाय विष को लक्षित करती है।
    • डिप्थीरिया, टेटनस से बचाव के लिये टॉक्सोइड टीकों का उपयोग किया जाता है।
  • वायरल वेक्टर वैक्सीन:
    • एडिनोवायरस कुछ कोविड-19 टीकों में उपयोग किये जाने वाले वायरल वैक्टर में से एक है जिसका नैदानिक परीक्षणों में अध्ययन किया जा रहा है।
    • टीकों का उपयोग कोविड-19 से बचाव के लिये किया जाता है।
    • कई अलग-अलग वायरस को वैक्टर के रूप में इस्तेमाल किया गया है, जिसमें इन्फ्लूएंज़ा, वेसिकुलर स्टामाटाइटिस वायरस (वीएसवी), खसरा वायरस और एडेनोवायरस शामिल हैं, जो सामान्य सर्दी का कारण बनते हैं।
    • वायरल वेक्टर वैक्सीन सुरक्षा प्रदान करने के लिये वेक्टर के रूप में एक अलग वायरस के संशोधित संस्करण का उपयोग करते हैं।
    • टीकों का उपयोग कोविड-19 से बचाव के लिये किया जाता है।
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