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सातवाहन (ई. पू. 50 . 250 ई.) - इतिहास,यु.पी.एस.सी | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

सातवाहन (ई. पू. 50 . 250 ई.)
-   प्रथम सदी ई. पू. में दक्कन राजा कण्व को हराकर आंध्रों ने अपनी सत्ता स्थापित की, जो गौतमीपुत्रा शातकर्णी के समय में अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंच गया। इनके प्रमुख प्रतिद्वंद्वी शक राजा थे।
-   सातवाहन काल में हम दक्कन की भौतिक संस्कृति में स्थानीय उपादान और उत्तर के वैशिष्ट्य दोनों का मिश्रण देखते है।
-   इस काल में गोदावरी और कृष्णा की घाटियों में समूचे उत्तरी दक्कन में आवागमन के लिए सड़कें बनवाई गईं।
-   व्यापार में वृद्धि के फलस्वरूप गोदावरी के मुहाने के प्रदेश में और बम्बई के पास भी नगर बस गए।
-   इस काल में पश्चिम भारत में स्थित भड़ौच बंदरगाह ईरान, इराक, अरब और मिस्र से आने वाले जहाजों के लिए आकर्षण का केन्द्र था।
-   सातवाहनों ने स्वर्ण का प्रयोग बहुमूल्य धातु के रूप में किया, क्योंकि उन्होंने कुषाणों की तरह सोने के सिक्के नहीं चलाए। उनके सिक्के मुख्यतः शीशे के है। उन्होंने पोटीन, तांबे, काँसे के भी सिक्के चलाए।
-   सातवाहन काल में पश्चिमोत्तर दक्कन या महाराष्ट्र में अत्यंत दक्षता और लगन के साथ ठोस चट्टानों को काट-काट कर अनेक चैत्य और विहार बनाए गए। इस समय का सबसे प्रसिद्ध चैत्य पश्चिम दक्कन में कार्ले चैत्य है। नासिक में तीन विहार हैं।
-   शिलाखंडीय वास्तुकला आंध्र में कृष्णा-गोदावरी क्षेत्रा में भी पाई जाती है, परंतु यह क्षेत्रा वस्तुतः स्वतंत्रा बौद्ध संरचनाओं के लिए प्रसिद्ध है। इन संरचनाओं में एलोरा के चारों ओर बिखरे स्तूप प्रमुख है। इनमें अमरावती और नागार्जुनकोंडा के स्तूप सबसे अधिक मशहूर है।
-   सातवाहनों की राजकीय भाषा प्राकृत और लिपि ब्राह्मी थी।
-   एक प्राकृत ग्रंथ गाथा सत्तसई सातवाहन नरेश हाल की रचना बतलाई जाती है। इसमें 700 श्लोक है।


शक-कुषाण
-   भारत पर सबसे पहले यूनानियों ने हिन्दूकुश पार कर हमले किये (200 ई.पू. के लगभग) तथा अपना शासन भी कायम किया, जिसमें प्रमुख मिनान्डर (165-145 ई.पू.) है, जिसने पंजाब के शाकल (आधुनिक सियालकोट) को अपनी राजधानी बनाया। उसे बौद्ध सन्त नागसेन ने दीक्षा दिलाई।
-   भारतीय इतिहास में बड़े पैमाने पर सिक्के को उन्हीं लोगों ने चलाया था जिसमें सोने का सिक्का भी शामिल था। कला के क्षेत्रा में यूनानियों के प्रभाव ने गांधार कला को जन्म दिया।
-   यूनानियों के बाद शक आये। कहा जाता है कि 58 ई.पू. में उज्जैन के एक शासक ने शकों को खदेड़ बाहर किया तथा अपने नाम से विक्रमादित्य संवत चलाया, जिसे आज भी हिन्दू मानते है।
-   शकों के बाद ईरानी मूल के लोग भारत आये तथा एक छोटे भाग पर शासन स्थापित किये। इसके पश्चात् कुषाण भारत आए, जिन्होंने शकों, यूनानियों एवं पार्थवों को खदेड़ कर अपना राज्य स्थापित किया।
-   कुषाणों ने सोवियत संघ में शामिल मध्य एशिया, ईरान तथा अफगानिस्तान का कुछ भाग, सम्पूर्ण पाकिस्तान एवं उत्तरी भारत को एक शासन सूत्रा में बांधा।
-   इस वंश का सर्वाधिक प्रसिद्ध राजा कनिष्क हुआ, जिसने 78 ई. में एक संवत चलाया जो शक संवत् कहलाता है तथा जिसे भारत के राष्ट्रीय कैलेन्डर के रूप में अपनाया गया।
-   साथ ही इसने सोने के सिक्के चलवाये, कला एवं मूत्र्तिकला को संरक्षण दिया, बौद्ध धर्म अपनाया तथा महायान बौद्ध सम्प्रदाय को संरक्षण दिया। 
-   इन्होंने व्यापार, वस्त्र उद्योग एवं भारतीय रहन-सहन पर बड़ा प्रभाव डाला।
-   अश्वघोष ने बौद्ध साहित्य को बढ़ावा दिया। चतुर्थ बौद्ध महासंगीति इसी काल में हुई। महावस्तु तथा दिव्यावदान आदि अनगिनत ग्रंथों की रचना इसी काल में हुई।
-   शक-कुषाण काल में भवन-निर्माण के दौरान पकी ईंटों का प्रयोग फर्श बनाने में किया गया तथा टाइलों का प्रयोग फर्श और छत दोनों में किया गया। इस काल की एक विशेषता ईंटों के कुँओं का निर्माण है।
-   इसका अपना खास मृद्भांड है-लाल बर्तन।

स्मरणीय तथ्य
• स्ट्रेची आयोग की सिफारिशें किस विषय से सम्बन्धित थीं? अकाल से
• ‘नरेश मण्डल’ की स्थापना कब हुई थी? 1921 में
• ऋग्वेद के एक पूरे मण्डल में केवल एक ही देवता की स्तुति में स्तोत्र हैं। वह देवता कौन है? सोम
• किन धर्मों का पुनर्जन्म में विश्वास है? हिन्दू, बौद्ध तथा जैन तीनों धर्मों में
• किसकी शिक्षाएं/उपदेश शून्यवाद के रूप में माने जाते हैं? नागार्जुन 
• तास घड़ियाल यंत्र का आविष्कार किस सुल्तान के समय में हुआ? फिरोज तुगलक
• कौन-सी सभ्यता सिन्धु घाटी सभ्यता के समकालीन नहीं थी? बेबीलोन की सभ्यता
•  किस प्रदेश के भक्ति आन्दोलन को वारकरी कहा जाता है?    महाराष्ट्र
• सीताराम राय का विद्रोह किस नवाब के समय में हुआ? मुर्शीद कुली खां
• स्वदेशी आन्दोलन के समय ‘राखी दिवस’ का आह्नान किसने किया? रबीन्द्रनाथ टैगोर
• जावा के किस मंदिर से वहां नवीं शताब्दी में महायान बौद्ध धर्म की लोकप्रियता प्रमाणित होती है  बोरोबुदुर मंदिर
• मोहनजोदड़ो, जिसको मृतकों का टीला कहा जाता है, में उत्खनन कार्य 1992  में किसके नेतृत्व में आरम्भ हुआ राखालदास बनर्जी
• ‘शूद्र’ का सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद के किस मंडल में मिलता हैै  दशम् मंडल
• कुल तीनों संगमों की कुल अवधि कितनी मानी जाती है  9950 वर्ष
• सूती कपड़ों का एक प्रमुख केंद्र, जो चोलों की द्वितीय राजधानी थी उरैयूर
• गुर्जर-प्रतिहार वंश की स्थापना किसने और कब की नागभट्ट, 725 ई. में
• किस अभिलेख में चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य को ‘परम भागवत’ कहा गया है गढ़वा शिलालेख
• अलाउद्दीन खिलजी ने सिक्कों पर अपना उल्लेख किस रूप में करवाया  द्वितीय सिकंदर
• दक्कन के सुल्तानोें ने संगठित होकर 23 जनवरी, 1565 को विजयनगर के विरुद्ध युद्ध किया। इस युद्ध को कहा जाता है राक्षस तंगड़ी या तालिकोटा या बन्नीहट्टी का युद्ध
• तक्षशिला में राज्य करने वाले यवन राजा एन्टिआल्कीडस का वह दूत, जो बाद में भागवत धर्म का अनुयायी बन गया था  हेलियोडोरस

इन्होंने मध्य एशिया से लाकर भारत में टोपी, शिरस्नान एवं बूट चलाए जिनका इस्तेमाल योद्धा लोग करते थे।
-    इन लोगों ने ही सर्वप्रथम भारत में परदे का प्रचलन आरंभ किया। चूँकि परदा यवनों की देन था, इसलिए यवनिका कहलाया।
-    इसी काल में हम गांधार और मथुरा कला का उत्कर्ष देखते है। गांधार कला मूलतः भारतीय और यूनानी सभ्यताओं के सम्मिश्रण का परिणाम था।
-    इस काल में ही शल्य-चिकित्सा के क्षेत्रा में काफी प्रगति हुई। चरक संहिता और सुश्रुत-संहिता का उद्भव इसी काल में हुआ।
-    चमड़े के जूते बनाने का प्रचलन भारत में संभवतः इसी काल में आरम्भ हुआ।
-    इस काल के शीशे के कामों पर विदेशी प्रभाव स्पष्ट रूप से झलकता है।

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FAQs on सातवाहन (ई. पू. 50 . 250 ई.) - इतिहास,यु.पी.एस.सी - इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

1. सातवाहन इतिहास क्या है?
Ans. सातवाहन इतिहास भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण युग है, जो कि ई. पू. 50 से 250 ई. के बीच था। इस युग में सातवाहन वंश द्वारा निर्मित सातवाहन साम्राज्य महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और कर्नाटक क्षेत्रों में विस्तृत रूप से व्याप्त था। इस समय के इतिहास में सातवाहन राज्य का महत्वपूर्ण स्थान है।
2. सातवाहन साम्राज्य किस राजवंश द्वारा स्थापित किया गया था?
Ans. सातवाहन साम्राज्य वंश के नाम पर आधारित है, जो कि दक्षिण भारतीय राजवंश था। यह वंश मुख्य रूप से गौतमीपुत्र सातकर्णि के उपनय से जाना जाता है।
3. सातवाहन साम्राज्य के क्षेत्रों में कौन-कौन से राज्य शामिल थे?
Ans. सातवाहन साम्राज्य में निम्नलिखित राज्य शामिल थे: - महाराष्ट्र (विशेषकर पुणे क्षेत्र) - आंध्र प्रदेश (विशेषकर अमरावती क्षेत्र) - तमिलनाडु (विशेषकर चेन्नई क्षेत्र) - कर्नाटक (विशेषकर बेंगलुरु क्षेत्र)
4. सातवाहन साम्राज्य में कौन-कौन से संस्कृतियाँ विकसित हुईं?
Ans. सातवाहन साम्राज्य में विभिन्न संस्कृतियाँ विकसित हुईं, जैसे कि: - सातवाहन शिल्प कला: यह शिल्प कला विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान था। इसमें कार्यरत थे सिल्पकार, स्तुपकार, औद्योगिक कार्यकर्ता आदि। - सातवाहन वास्तुकला: सातवाहन साम्राज्य में वास्तुकला भी उच्चतम स्तर पर विकसित हुई थी। इसमें मंदिर और भव्य भवनों की विशेषताएं शामिल थीं। - सातवाहन साहित्य: सातवाहन साम्राज्य में साहित्य को भी महत्व दिया जाता था। इसमें वेद, उपनिषद, और अन्य धार्मिक पाठों के अलावा नाटक, काव्य आदि शामिल थे।
5. सातवाहन साम्राज्य की प्रमुख विशेषताएं क्या थीं?
Ans. सातवाहन साम्राज्य की कुछ मुख्य विशेषताएं इस प्रकार थीं: - व्यापारिक महत्व: सातवाहन राज्य का मुख्य ध्येय व्यापारिक विकास और व्यापार बढ़ाना था। इसके कारण वस्त्र, गहने, खाद्य पदार्थों, विज्ञान और कला उत्पादों का निर्यात विशेष महत्त्व रखता था। - बौद्ध और जैन धर्म की प्रभावशाली स्थानीय विद्यालय: सातवाहन साम्राज्य में बौद्ध और जैन धर्म को महत्व दिया जाता था। इसके परिणामस्वरूप, स्थानीय विद्यालयों में विद्यार्थियों को उन धर्मों का अध्ययन कराया जाता था। - कृषि और नदी निर्माण: सातवाहन साम्राज्य में कृषि और नदी निर्माण को महत्व दिया जाता था। इसके लिए विशेष ध्यान दिया जाता था ताकि खेती में वृद्धि हो सके और समृद्धि का आधार बन सके।
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