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सामान्य भौतिकी (भाग - 4) - भौतिकी विज्ञान, सामान्य विज्ञान, UPSC | सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

परमाणु भौतिकी

  • नाभिकीय विखंडन (Nuclear fission): किसी भारी नाभिक को दो हल्के नाभिकों में तोड़ने की प्रक्रिया को नाभिकीय विखंडन कहते है।
  • नाभिकीय ऊर्जा (Nuclear Energy): नाभिकीय विखण्डन में अत्यधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है। यूरेनियम के एक परमाणु से लगभग 190 MeV ऊर्जा उत्पन्न होती है तथा 1 ग्राम यूरेनियम के विखंडन से 5 x 1023 MeV ऊर्जा मुक्त होती है। इससे लगभग 2 x 104 किलोवाट घंटा (KWH) विद्युत ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है।
  • श्रृंखला-अभिक्रिया (Chain Reaction): नाभिकीय विखण्डन में उत्पन्न तीव्र न्यूट्राॅन मन्दित होकर यूरेनियम के अन्य नाभिकों का विखण्डन करते है। पुनः न्यूट्राॅन उत्पन्न होते है और ऊर्जा का मोचन होता है। यही क्रम अबाध गति से आगे चलता है। यही श्रृंखला अभिक्रिया है।
  • अनियंत्रिात श्रृंखला अभिक्रिया: इसमें न्यूट्राॅनों की उत्तरोत्तर बढ़ती संख्या पर नियंत्रण नहीं होता और अपार ऊर्जा की उत्पत्ति से विनाश का दृश्य उत्पन्न हो जाता है, जैसे कि परमाणु बम के विस्फोट में।

नाभिकीय रिएक्टर (Nuclear Reactor)

  • यह वह संयंत्र है, जिसमें नियंत्रिात श्रृंखला अभिक्रिया सम्पादित की जाती है और उत्पन्न नाभिकीय ऊर्जा का उपयोग रचनात्मक एवं शान्तिपूर्ण कार्यों के लिए किया जाता है।
  • नाभिकीय रिएक्टर में ईंधन का कार्य U235 करता है। न्यूट्राॅन-मन्दक (Moderator) के रूप में भारी जल, ग्रेफाइट या बेरिलियम आॅक्साइड का प्रयोग करते है।
  • नाभिकीय रिएक्टर का उपयोग प्लूटोनियम के उत्पादन, कृत्रिम नाभिकीय विघटन के अध्ययन, रेडियो आइसोटोप के उत्पादन एवं ऊर्जा उत्पत्ति हेतु किया जाता है।


ब्रीडर रिएक्टर (Breeder Reactor)
- तापीय रिएक्टर में U235 का विखण्डन कराया जाता है। चूंकि साधारण यूरेनियम U238 में इसकी मात्र बहुत कम (U235 केवल 0.7%) होती है, अतः U235 का विखण्डन बहुत महंगा पड़ता है। ब्रीडर रिएक्टर में U238 से PU239 को तथा TH232 से U233 को उत्पन्न किया जाता है। इन रिएक्टरों में उत्पादित पदार्थों (U238, U233) की मात्र, व्यय होने वाले पदार्थों (U238 तथा TH232) से अधिक होती है।

नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion)
- दो हल्के नाभिकों को संयुक्त करके एक भारी नाभिक बनाने की प्रक्रिया को नाभिकीय संलयन कहते है। जैसे-
(i) 1Hp2 + 1Hp2 =k 1H+ 1H1 + 4.0 MeV
(ii) 1H3 + 1H2 =k 2He4 + 0n1 + 17.6 MeV
- सूर्य की ऊर्जा: नाभिकीय संलयन सूर्य की अपरिमित ऊर्जा का स्त्रोत है। सूर्य के अन्दर हाइड्रोजन नाभिकों के हीलियम नाभिको में अनवरत रूप से संलयित होने के फलस्वरूप विशाल परिमाण में ऊर्जा उत्पन्न होती है।
- हाइड्रोजन बम: यह नाभिकीय संलयन की प्रक्रिया पर आधारित है तथा परमाणु बम से भी कई गुना भयावह और संहारक होता है।
- ताप-नाभिकीय अभिक्रियाएं (Thermonuclear Reaction) : ये वे नाभिकीय अभिक्रियाएं है जो अति उच्च ताप (लाखों 0c) पर घटित होती है और इतनी ही कोटि का उच्च ताप उत्पन्न करती है। जैसे कि - नाभिकीय संलयन की अभिक्रिया।
परमाणु विज्ञान के आधुनिक प्रयोग
हाइड्रोजन बम (Hydrogen bomb)
    - इस बम का निर्माण नाभिकीय संलयन (Nuclear fusion) के सिद्धान्त पर किया गया है।
    - हाइड्रोजन सबसे हल्का तत्त्व है। इसके दो नाभिकों को संलयित कर एक अधिक द्रव्यमान का नाभिक (Nuclei) तैयार किया जाता है।
    - इस क्रम में बहुत बड़ी मात्र में ऊर्जा ऊत्पन्न होती है जो अन्य अतिरिक्त नाभिकों को संलयित करती है।
    - इसके फलस्वरूप पुनः ऊर्जा उत्पन्न होती है और अभिक्रिया (Reaction) (Nuclei) की एक शृंखला बन जाती है, जिससे अपरिमित ऊर्जा उत्पन्न होती है। 
    - यह यूरेनियम के परमाणु बम की अपेक्षा लगभग हजार गुना अधिक ध्वंसात्मक होता है।
परमाणु अवपात (Nuclear fallout)
    - नाभिकीय विस्फोट (Nuclear explosion) के बाद, रेडियोऐक्टीव पदार्थ वायुमण्डल में तैरने लगते है और पृथ्वी के धरातल पर धीरे-धीरे जमा हो जाते है। इसे परमाणु अवपात (Nuclear fallout) कहा जाता है।
    - अवपात तीन प्रकार के होते है- (i) स्थानीय अवपात (Local fallout), (ii)  क्षोभमण्डलीय अवपात (Tropospheric fallout) और (iii) समताप मण्डलीय अवपात (Stratospheric fallout)।
    - स्थानीय अवपात में विस्फोट के कुछ ही घण्टों भीतर लगभग 100 मील के अन्तर्गत रेडियोऐक्टिव कण ‘स्ट्राॅन्शियम’ (Strontium) जमा हो जाते है।
    - क्षोभमण्डलीय अवपात में धरातल से लगभग 8 मील की ऊँचाई तक और समतापमण्डलीय अवपात में 8 से 20 मील तक की ऊँचाई में रेडियोऐक्टीव कण तैरते रहते है।
    - इनके कारण अस्थि कैंसर, ल्युकेमिया और अन्य फुफ्फसीय रोग होते है।
1. राडार (Radar)- राडार का अर्थ है ‘रेडियो संसूचन एवं सर्वेक्षण’ (Radio Detection and Ranging)। इसके द्वारा रेडिया तरंगों की सहायता से आकाशगामी वायुयान की स्थिति व दूरी का पता लगाया जाता है। इसके प्रेषी से प्रेषित एवं वायुयान से परावर्तित तरंगें ग्राही के पर्दे पर आकर दो पृथक-पृथक दीप्त शीर्ष उत्पन्न करती है, जिनके बीच की दूरी वायुयान की दूरी का ज्ञान कराती है।

 - राडार का उपयोग वायुयानों के संसूचन, निर्देशन एवं संरक्षण में, बादलों की स्थिति व दूरी ज्ञात करने में, धातु व तेल के भण्डारों का पता लगाने में एवं आयन मण्डल की ऊँचाई ज्ञात करने में किया जाता है।
2. लेसर (Laser)-लेसर एक तीव्र एकवर्णी (Monochromatic), समान्तरित्र (Callimated) और उच्च कला सम्बद्ध (Highly Coherent) प्रकाश पुंज प्राप्त करने का साधन है। लेसर का आक्षरिक अर्थ है-‘विकिरण के उद्दीप्त उत्सर्जन द्वारा प्रकाश का प्रवर्धन’ (Light Amplification by Stimulated Emission of Radiation)। ये कई प्रकार के होते है, जैसे-रूबी लेसर, गैस लेसर, अर्द्धचालक लेसर आदि। लेसर का प्रकाश अत्यन्त तीव्र होता है। यह जल से अवशोषित नहीं होता और धातुओं को क्षणमात्र में पिघलाकर वाष्पीकृत कर देता है।
- लेसर का उपयोग स्टील की चादरें काटने में, कार्निया ग्राफ्टिंग में, कैंसर व ट्यूमर चिकित्सा में, युद्ध क्षेत्र में, होलोग्राफी में, ग्रहों की दूरियाँ नापने में तथा भूकम्प का पता लगाने में होता है।

स्मरणीय तथ्य

• प्रचलन में पराध्वनिक (Supersonic)गतियों के अध्ययन में वस्तु की चाल को ध्वनि की चाल के सापेक्ष बताया जाता है। इनके अनुपात को मैक संख्या (Mach Number) कहते है।

• पराध्वनिक (Supersonic) गतियों के लिए मैक संख्या 1 से अधिक तथा अवध्वनिक गतियों के लिए 1 से कम होती है।

• प्रचलन में मैक संख्या जेट या राकेट यान की गति व्यक्त करने के लिए प्रयुक्त की जाती है।

• पराध्वनिक यानों  (Supersonic planes) के इंजनों द्वारा उत्पन्न ध्वनि की आवृत्ति श्रव्य क्षेत्र (Audible region) के परे होती है।

• सितार तथा वीणा से उत्पन्न एक ही सुर (Note) गुणता (Quality) में भिन्न होता है।

• हाइड्रोफोन यंत्र जल के अन्दर ध्वनि अंकित करता है।

ध्वनि को दूर स्थान तक ले जाने वाला यंत्र मेगाफोन है। 

• निर्वात में ध्वनि तरंगें नहीं चल सकतीं।

• टेपरिकाॅर्डर के टेप पर आयरन आॅक्साइड की एक पतली पर्त चढ़ी होती है। यह एक चुम्बकीय पदार्थ होता है।



 

भौतिक विज्ञान के प्रमुख नियम सिद्धांत

नियम/सिद्धांत         

व्याख्या

1. न्यूटन के गति के नियम

गति के तीन नियम हैं -

 

a. प्रथम नियम - कोई भी वस्तु तब तक अपनी विरामावस्था में रहती है जब तक कि कोई बाह्य बल न आरोपित किया जाये।

 

b. द्वितीय नियम - संवेग में परिवर्तन की दर आरोपित बल के समानुपाती होती है एवं परिवर्तन उसी दिशा में होता है, जिस दिशा में बल आरोपित किया जाता है।

 

c. तृतीय नियम - प्रत्येक क्रिया के विपरीत और बराबर प्रतिक्रिया होती है एवं भिन्न-भिन्न वस्तुओं पर क्रिया करती है। यदि वे एक ही वस्तु पर क्रिया करती हैं तो परिणामी बल शून्य होगा।

2. संवेग संरक्षण सिद्धांत

जब दो या दो से अधिक वस्तुयें एक-दूसरे के साथ परस्पर क्रिया करती हैं एवं कोई भी बाह्य बल नहीं लग रहा होता है तो उनका कुल संवेग सर्वदा संरक्षित रहता है। उदाहरण कृ राकेट की उड़ान

3. न्यूटन का गुरुत्वाकर्षण नियम

किन्हीं दो पिंडों के बीच कार्य करने वाले बल का परिणाम, पिंडों के द्रव्यमान के गुणनफल के समानुपाती तथा उनकी बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।

4. पास्कल का निमय

संतुलन में द्रव का दबाव चारों तरफ बराबर होता है।

5. हुक का नियम

प्रत्यास्थता सीमा के अन्दर प्रतिबल सदैव विकृति के समानुपाती होता है।

6. आर्किमिडीज का सिद्धांत

किसी द्रव में डूबे किसी ठोस पर लगा उपरिमुखी बल, ठोस द्वारा हटाये गये द्रव के भार के बराबर होता है।

7. बाॅयल का नियम

किसी निश्चित तापक्रम पर किसी गैस की दी गई मात्र का आयतन उसके दाब के व्युत्क्रमानुपाती होता है।

8. चाल्र्स का नियम

दाब नियत हो तो, गैस का आयतन तापक्रम का समानुपाती होता है।

9. गैसों का गतिज सिद्धांत

यदि किसी गैस को घनाकार बर्तन में रखा जाये तो गैस का दाब गैस के द्वारा उत्पन्न दाब के बराबर होता है, जो गैस द्वारा बर्तन की दीवार की इकाई क्षेत्रफल पर इकाई सेकेंड में उत्पन्न की जाती है।

10. किरचैफ का ताप नियम

किसी विकिरण के लिये ऊष्मा का अच्छा शोषक, उसी विकिरण के लिये ऊष्मा का अच्छा विकिरक भी होता है। ऊष्मा की इकाई जूल है।

11. न्यूटन का शीलतन नियम

किसी वस्तु के शीतलन की दर उस वस्तु के औसत ताप तथा वातारण के ताप के अंतर के अनुक्रमानुपाती होती है, बशर्ते तापमान का अन्तर कम हो। उदाहरणार्थ ठंडे मौसम एवं छिछली प्याली में किसी द्रव का जल्दी ठंडा होना न्यूटन के शीतलन नियम की पुष्टि करता है।

12. जूल थाॅमसन प्रभाव

किसी गैस के प्रवाह को किसी दबाव के अंदर किसी छिद्रयुक्त माध्यम में मुक्त रूप से फैलने दिया जाये तो गैस के तापमान में अंतर जूल थाॅमसन प्रभाव कहलाता है। यह प्रभाव शीतलन में प्रयुक्त होता है।

13. ऊष्मा गतिकी के नियम

प्रथम नियम - एक यांत्रिक क्रिया में उत्पन्न ऊष्मा किये गये कार्य के समानुपाती होती है। ऊष्मा गतिकी का प्रथम नियम ऊर्जा संरक्षण नियम को दर्शाता है।

 

द्वितीय नियम - इस नियम के अनुसार उपलब्ध ऊष्मा के सम्पूर्ण भाग को यांत्रिक कार्य में बदलना संभव नहीं है, परन्तु इसके एक निश्चित भाग को कार्य में बदला जा सकता है। अर्थात् ‘उष्मा अपने आप निम्न ताप की वस्तु से उच्च ताप की वस्तु की ओर प्रवाहित नहीं हो सकती।’

14.  डाॅप्लर का नियम

यदि ध्वनि स्रोत तथा श्रोता के मध्य सापेक्ष गति हो रही हो तो श्रोता को ध्वनि की आवृत्ति तारत्व से भिन्न प्रतीत होती है। ध्वनि में होने वाले इस आभासी परिवर्तन की घटना को डाप्लर प्रभाव या डाप्लर का नियम कहते हैं।

15.  कूलाॅम का चुम्बकीय नियम

समान आवेश परस्पर प्रतिकर्षित व असमान आवेश आकर्षित होते हैं। दो आवेशों के बीच क्रियाशील आकर्षण तथा प्रतिकर्षण का बल उनके गुणनफल के समानुपाती एवं उनके बीच की दूरी के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता है।

16. ओम का नियम

यदि किसी चालक की भौतिक अवस्थायें अपरिवर्तित रहें तो उसके सिरों पर लगाये गये विभवांतर तथा उसमें प्रभावित विद्युत धारा की निष्पत्ति नियत रहती है।

 

 

वैज्ञानिक उपकरण उपयोग

अल्टीमीटर

यह एक प्रकार का वैज्ञानिक यंत्र है जिसका डायल, ऊँचाई सूचित करने के लिए फीट या मीटर के रूप में प्रयोग किया जाता है।

आमीटर

यह यंत्र दर्शाता है कि विद्युत सर्किट में विद्युत की कितनी ऐम्पीयर धारा प्रवाहित हो रही है।

एनेमोमीटर

वायुवेग मापी यंत्र, इस यंत्र से वायु का वेग मापा जाता है।

आडियोफोन

श्रवण शक्ति सुधारना।

बाइनोक्यूलर

इस यंत्र का उपयोग दूरस्थ वस्तुओं को देखने में किया जाता है।

बैरोग्राफ (वायुदाब लेखी यंत्र)

यह वायुमण्डलीय दाब अभिलेखित करने वाला यंत्र है।

क्रेस्कोग्राफ

यह पौधों में हुई वृद्धि अभिलेखित करने वाला यंत्र है।

क्रोनोमीटर

यह एक घड़ी है जिसका इस्तेमाल ठीक-ठाक या कालमापी समय जानने के लिए जहाज यंत्र आदि में किया जाता है।

कार्डियोग्राफ

यह एक डाॅक्टरी यंत्र है जिसका उपयोग हृदय की गति अभिलेखित करने में किया जाता है।

कार्डियोग्राम

इससे कार्डियोग्राफ द्वारा ली गयी हृदय की गति अभिलेखित की जाती है।

कैपिलर्स

यह एक प्रकार का कम्पास है।

डिपसर्किल

इस यंत्र के सहारे किसी स्थान के नतिकोण का मान ज्ञात किया जाता है।

डायनेमो

यांत्रिकी ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित करता है।

इपीडीयास्कोप

यह फिल्म और अपारदर्शी पदार्थों के बिम्ब या चित्रदर्शी को पर्दे पर प्रक्षेपित करने वाला यंत्र है।

फैदोमीटर

यह समुद्र की गहराई मापने वाला यंत्र है।

गैल्वेनोमीटर

यह अल्प परिमाण की विद्युत धारा मापने वाला वैज्ञानिक यंत्र है।

गाडगेरमूलर

यह एक ऐसा वैज्ञानिक उपकरण है, जिसके द्वारा परमाणु कण की उपस्थिति और इसकी संख्या की जानकारी ली जाती है।

मैनोमीटर

यह गैस का घनत्व मापने का यंत्र है।

माइक्रोटोम्स

यह एक ऐसा यंत्र है, जो अणुवीक्षणीय निरीक्षण के लिए किसी वस्तु को छोटे-छोटे भागों में विभाजित कर देता है।

ओडोमीटर

यह एक ऐसा यंत्र है, जो गाड़ी द्वारा तय की गई दूरी अभिलेखित करता है।

पेरिस्कोप या

यह एक ऐसा यंत्र है, जिसके द्वारा वस्तुएं (परिदर्शी यंत्र) जल के भीतर से देखी जाती हैं तथा स्थल पर किसी परोक्ष वस्तु को देखने में इसका  उपयोग होता है।

 

 

वैज्ञानिक उपकरण उपयोग

फोटोमीटर या प्रकाशमापी यंत्र

इस यंत्र के द्वारा दीप्ति शक्ति मापी जाती है।

पाइरोमीटर

यह यंत्र के द्वारा अत्यंत उच्चताप मापा जाता है।

रेडियोमीटर

यह विकिरण द्वारा प्राप्त ऊर्जा मापने का यंत्र है।

सीस्मोमीटर

यह भूकम्प के धक्के की तीव्रता को दर्शाता है।

सेक्सटेन्ट

इसका उपयोग सूर्य, चाँद और अन्य ग्रहों की  ऊँचाई जानने के लिए किया जाता है।

स्फीग्मोमैनोमीटर

इस यंत्र का उपयोग धमनी में रक्तदाब  की तीव्रता ज्ञात करने के लिए किया जाता है।

स्टेथेस्कोप

हृदय और फेफड़े की गति सुनने में इस यंत्र का उपयोग किया जाता है।

ओसिलोग्राफ

यह विद्युत या यांत्रिकी कम्पन सूचित करने वाला यंत्र है।

एक्यूमुलेटर

विद्युत ऊर्जा का संग्राहक।

एयरोमीटर

गैसों का भार व घनत्व मापक यंत्र।

एक्टियोमीटर

सूर्य किरणों की तीव्रता मापने वाला यंत्र।

एक्सियलरोमीटर

वायुयान का वेग मापक।

एस्केलेटर

चलती हुई यांत्रिक सीढ़ियां।

एपिडोस्कोप

सिनेमा के पर्दाें पर स्लाइडों को दिखाने का उपकरण।

एपिकायस्कोप

अपारदर्शी चित्रों को पर्दे पर दिखाना।

कम्प्यूटेटर

विद्युत धारा की दिशा बदलने वाला यंत्र।

कम्पास निडिल

स्थान विशेष की दिशा ज्ञात करने वाला यंत्र।

काब्र्युरेटर

इंजन में पेट्रोल में वायु का निश्चित भाग मिलाने वाला यंत्र।

कैलोरीमीटर

ऊष्मा को मापने वाला यंत्र।

कैलिपर्स

छोटी दूरियां मापने वाला यंत्र।

कायनेस्कोप

टेलीविजन स्क्रीन के रूप में।

कायमोग्राफ

रुधिर दाब, हृदय की धड़कन का अध्ययन करने वाला यंत्र।

ग्रामोफोन

रिकार्ड पर अंकित ध्वनि को पुनः सुनाने वाला यंत्र।

ग्रेवीमीटर

जल में उपस्थित तेल क्षेत्रों का पता लगाने वाला यंत्र।

जाइरोस्कोप

घूम रही वस्तु की गतिकी प्रस्तुत करने वाला यंत्र।

जाइलोफोन

ध्वनि उत्पादक यंत्र।

टेलिस्कोप

दूरस्थ वस्तुओं को देखने में सहायक यंत्र।

टैकोमीटर

मोटर बोट, वायुयान का वेग मापक।

टैक्सीमीटर

टैक्सियों में किराया दर्शाने वाला यंत्र।

टेलीप्रिंटर

टेलीग्राफ द्वारा भेजी गई सूचनाओं को स्वतः छापने वाला यंत्र।

ट्रांसफाॅर्मर

प्रत्यावर्ती धारा की वोल्टता कम या अधिक करने वाला यंत्र।

 

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FAQs on सामान्य भौतिकी (भाग - 4) - भौतिकी विज्ञान, सामान्य विज्ञान, UPSC - सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi

1. भौतिकी विज्ञान क्या होती है?
उत्तर: भौतिकी विज्ञान विज्ञान का एक शाखा है जो प्रकृति के नियमों और तत्वों का अध्ययन करती है। यह विज्ञान दर्शाता है कि मानव और पर्यावरण कैसे संचालित होता है और सभी द्रव्यमान और ऊर्जा के स्तरों पर कैसे कार्य करता है।
2. भौतिकी विज्ञान क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: भौतिकी विज्ञान मानव ज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह हमें विद्युत, ऊर्जा, द्रव्यमान, गतिशीलता, शक्ति और तापमान जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर ज्ञान प्रदान करती है। इसका समझना हमें प्रौद्योगिकी, नवाचार और विज्ञान के विकास में मदद करता है।
3. भौतिकी विज्ञान के मुख्य विभाग कौन-कौन से हैं?
उत्तर: भौतिकी विज्ञान के मुख्य विभाग इलेक्ट्रोमैग्नेटिक, थर्मल, आधात्मिक, गतिशीलता, ऊर्जा, शक्ति, द्रव्यमान और तापमान शामिल हैं। इन विभागों का अध्ययन हमें विद्युतीय और ऊर्जा संबंधी प्रश्नों के समाधान में मदद करता है।
4. भौतिकी विज्ञान के उपयोग क्या हैं?
उत्तर: भौतिकी विज्ञान के उपयोग समय, मानव द्वारा निर्मित सामग्री की गुणवत्ता सुनिश्चित करने, विद्युतीय उपकरणों को विकसित करने, ऊर्जा संचयन को सुगम बनाने, गतिशीलता को समझने और नई प्रौद्योगिकी के विकास में मदद करता है।
5. भौतिकी विज्ञान का अध्ययन किस प्रकार अद्यतित हो रहा है?
उत्तर: भौतिकी विज्ञान का अध्ययन नवीनतम उपकरणों, प्रौद्योगिकी और विज्ञान के विकास के साथ अद्यतित हो रहा है। इससे हमें नई तकनीकों की खोज, ऊर्जा के संचयन की तकनीक, गतिशीलता की समझ और नवीनतम विद्युतीय उपकरणों का निर्माण करने में मदद मिलती है।
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