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वाच्य


वाच्य का अर्थ है ‘बोलने का विषय।’
क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि उसके द्वारा किए गए विधान का विषय कर्ता है, कर्म है या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं।
दूसरे शब्दों में क्रिया के जिस रूप से यह ज्ञात हो कि उसके प्रयोग का आधार कर्ता, कर्म या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं। वाच्य के भेद-हिंदी में वाच्य के तीन भेद माने जाते हैं –
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कर्तवाच्य


जिस वाक्य में कर्ता की प्रमुखता होती है अर्थात क्रिया का प्रयोग कर्ता के लिंग, वचन, कारक के अनुसार होता है और इसका सीधा संबंध कर्ता से होता है तब कर्तृवाच्य होता है।
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महत्त्वपूर्ण तथ्य।
कर्तृवाच्य में अकर्मक और सकर्मक दोनों प्रकार की क्रिया का प्रयोग किया जाता है;
जैसे –
वाच्य: Notes | हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10कर्ता के अपनी सामर्थ्य या क्षमता दर्शाने के लिए सकारात्मक वाक्यों में क्रिया के साथ सक के विभिन्न रूपों का प्रयोग किया जाता है;
जैसे –

  • मैं फ्रेंच पढ़-लिख सकता हूँ।
  • यह कलाकार फ़िल्मी गीतों के अलावा लोकगीत भी गा सकता है।
  • ऐसा सुंदर स्वेटर सुमन ही बन सकती है।
  • यही मज़दूर इस भारी पत्थर को हटा सकता है।

कर्तृवाच्य के वाक्यों को कर्मवाच्य और भाववाच्य में बदला जा सकता है। कर्तृवाच्य में कर्ता की असमर्थता दर्शाने के लिए क्रिया एवं नहीं के साथ सक के विभिन्न रूपों का भी प्रयोग किया जा सकता है;
जैसे –

  • मैं चीनी भाषा नहीं लिख सकता हूँ।
  • यह मोटा आदमी तेज़ नहीं दौड़ सकता है।
  • बच्चे आज खेलने बाहर नहीं जा सकते हैं।
  • मोहन यह सवाल हल नहीं कर सकता है।

कर्मवाच्य


जिस वाक्य में कर्म की प्रधानता होती है तथा क्रिया का प्रयोग कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार होता है और कर्ता की स्थिति में स्वयं कर्म होता है, वहाँ कर्मवाच्य होता है।
जैसे –
वाच्य: Notes | हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10उपर्युक्त वाक्यों में क्रिया का प्रयोग कर्ता के अनुसार न होकर इनके कर्म के अनुसार हुआ है, अतः ये कर्मवाच्य हैं।

उदाहरण –

  • मोहन के द्वारा लेख लिखा जाता है।
  • हलवाई द्वारा मिठाइयाँ बनाई जाती हैं।
  • चित्रकार द्वारा चित्र बनाया जाता है।
  • रूपाली द्वारा कढ़ाई की जाती है।

कर्मवाच्य-कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • कर्मवाच्य में कर्म उपस्थित रहता है और क्रिया सकर्मक होती है।
    कर्मवाच्य के वाक्यों में प्रायः क्रिया ‘जा’ का रूप लगाया जाता है;
    जैसे –
    वाच्य: Notes | हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10
  • इस वाच्य में कर्ता के बाद से या के द्वारा का प्रयोग किया जाता है;
    जैसे –
    • तुलसीदास द्वारा रामचरितमानस की रचना की गई। (कर्ता + द्वारा)
    • नौकर से गिलास टूट गया। (कर्ता + से)
  • कभी-कभी कर्ता का लोप रहता है;
    जैसे –
    पेड़ लगा दिए गए हैं। पत्र भेज दिया गया है।
  • कर्मवाच्य में असमर्थता सूचक वाक्यों में ‘के द्वारा’ के स्थान पर ‘से’ का प्रयोग किया जाता है। ऐसा केवल नकारात्मक वाक्यों में किया जाता है;
    जैसे –
    मुझसे अंग्रेज़ी नहीं बोली जाती। मज़दूर से यह भारी पत्थर नहीं उठाया गया।
  • कर्मवाच्य का प्रयोग निम्नलिखित स्थानों पर भी किया जाता है –

(i) कार्यालयी या कानूनी प्रयोग में –
जैसे –

  • हेलमेट न पहनने वालों को दंडित किया जाएगा।
  • चालान घर भिजवा दिया जाएगा।

(ii) अशक्तता दर्शाने के लिए;
जैसे –

  • अब दवा भी नहीं पी जाती।
  • अब तो रोटी भी नहीं चबाई जाती।

(iii) जब सरकार या सभा स्वयं कर्ता हो;
जैसे –

  • प्रत्येक घायल को पचास हजार रुपये दिए जाएँगे।
  • दालों के निर्यात का फ़ैसला कर लिया गया है।

(iv) जब कर्ता ज्ञात न हो; 
जैसे –

  • भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है।
  • पत्र भेज दिया गया है।

(v) अधिकार या घमंड का भाव दर्शाने के लिए; 
जैसे -

  • ऐसा खाना हमसे नहीं खाया जाता।
  • नौकर को बुलाया जाए।

भाववाच्य

इस वाच्य में कर्ता अथवा कर्म की नहीं बल्कि भाव अर्थात् क्रिया के अर्थ की प्रधानता होती है;
जैसे –

  • मरीज से उठा नहीं जाता।
  • पहलवान से दौडा नहीं जाता।

महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • इस वाच्य में प्रायः नकारात्मक वाक्य होते हैं।
  • भाववाच्य में अकर्मक क्रिया का प्रयोग होता है।

भाववाच्य में प्रयुक्त क्रिया सदा पुल्लिंग अकर्मक और एकवचन होती है।
जैसे –

  • चलो, अब सोया जाय।
  • ऐसी धूप में कैसे चला जाएगा।
  • विधवा से रोया भी नहीं जाता।
  • इस मोटे व्यक्ति से उठा नहीं जाता।
  • चलो घूमने चला जाए।
  • भाववाच्य को केवल कर्तृवाच्य में बदला जा सकता है।
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वाच्य-परिवर्तन

वाच्य परिवर्तन के अंतर्गत तीनों प्रकार के वाच्यों को परस्पर परिवर्तित किया जाता है
कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना-कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाने के लिए –

  • यदि कर्ता के बाद ‘ने’ परसर्ग लगा है तो उसे हटाकर द्वारा, से, के द्वारा लगाया जाता है।
  • क्रिया का प्रयोग कर्म के लिंग पुरुष और वचन के अनुसार करके ‘जा’ धातु को उचित रूप जोड़ देते हैं; 
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FAQs on वाच्य: Notes - हिंदी व्याकरण - कक्षा 10 - Class 10

1. वाच्यवाच्य क्या है और यह किस प्रकार की रचना है?
Ans. वाच्यवाच्य एक साहित्यिक रचना है जिसमें संवाद या विचारों का आदान-प्रदान होता है। यह आमतौर पर कथा या निबंध के रूप में प्रस्तुत होती है, जिसमें पात्रों के बीच संवाद के माध्यम से कहानी को आगे बढ़ाया जाता है।
2. वाच्यवाच्य के मुख्य तत्व कौन-कौन से होते हैं?
Ans. वाच्यवाच्य के मुख्य तत्वों में पात्र, संवाद, विषयवस्तु, और स्थान शामिल होते हैं। पात्र कहानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जबकि संवाद उनके विचारों और भावनाओं को व्यक्त करने का माध्यम होता है।
3. वाच्यवाच्य में संवाद की भूमिका क्या होती है?
Ans. वाच्यवाच्य में संवाद की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। यह न केवल पात्रों के बीच की बातचीत को दर्शाता है, बल्कि उनकी मानसिकता, भावनाएँ और परिस्थितियों को भी उजागर करता है। संवाद कहानी को जीवंत बनाता है और पाठकों को पात्रों से जोड़ता है।
4. वाच्यवाच्य के अध्ययन से छात्रों को क्या लाभ होता है?
Ans. वाच्यवाच्य के अध्ययन से छात्रों को भाषा कौशल में सुधार, संवाद कौशल में वृद्धि, और साहित्यिक समझ में बढ़ोतरी होती है। यह उनके सोचने की क्षमता को भी बढ़ाता है और उन्हें साहित्य के विभिन्न रूपों को समझने में मदद करता है।
5. वाच्यवाच्य के विभिन्न प्रकार क्या हैं?
Ans. वाच्यवाच्य के विभिन्न प्रकारों में निबंधात्मक वाच्यवाच्य, कथा वाच्यवाच्य, और संवादात्मक वाच्यवाच्य शामिल हैं। प्रत्येक प्रकार की अपनी विशेषताएँ और उद्देश्य होते हैं, जो इसे अन्य प्रकारों से अलग करते हैं।

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