महत्त्वपूर्ण तथ्य।
कर्तृवाच्य में अकर्मक और सकर्मक दोनों प्रकार की क्रिया का प्रयोग किया जाता है;
जैसे –
कर्ता के अपनी सामर्थ्य या क्षमता दर्शाने के लिए सकारात्मक वाक्यों में क्रिया के साथ सक के विभिन्न रूपों का प्रयोग किया जाता है;
जैसे –
कर्तृवाच्य के वाक्यों को कर्मवाच्य और भाववाच्य में बदला जा सकता है। कर्तृवाच्य में कर्ता की असमर्थता दर्शाने के लिए क्रिया एवं नहीं के साथ सक के विभिन्न रूपों का भी प्रयोग किया जा सकता है;
जैसे –
उदाहरण –
कर्मवाच्य-कुछ महत्त्वपूर्ण तथ्य
(i) कार्यालयी या कानूनी प्रयोग में –
जैसे –
(ii) अशक्तता दर्शाने के लिए;
जैसे –
(iii) जब सरकार या सभा स्वयं कर्ता हो;
जैसे –
(iv) जब कर्ता ज्ञात न हो;
जैसे –
(v) अधिकार या घमंड का भाव दर्शाने के लिए;
जैसे -
इस वाच्य में कर्ता अथवा कर्म की नहीं बल्कि भाव अर्थात् क्रिया के अर्थ की प्रधानता होती है;
जैसे –
महत्त्वपूर्ण तथ्य
भाववाच्य में प्रयुक्त क्रिया सदा पुल्लिंग अकर्मक और एकवचन होती है।
जैसे –
वाच्य परिवर्तन के अंतर्गत तीनों प्रकार के वाच्यों को परस्पर परिवर्तित किया जाता है
कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाना-कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य बनाने के लिए –
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1. वाच्यवाच्य क्या है और यह किस प्रकार की रचना है? |
2. वाच्यवाच्य के मुख्य तत्व कौन-कौन से होते हैं? |
3. वाच्यवाच्य में संवाद की भूमिका क्या होती है? |
4. वाच्यवाच्य के अध्ययन से छात्रों को क्या लाभ होता है? |
5. वाच्यवाच्य के विभिन्न प्रकार क्या हैं? |
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