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Roster System in the Supreme Court for Allotment of Cases Video Lecture | Crash Course for CLAT

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FAQs on Roster System in the Supreme Court for Allotment of Cases Video Lecture - Crash Course for CLAT

1. सुप्रीम कोर्ट में रोस्टर सिस्टम क्या है?
उत्तर: सुप्रीम कोर्ट में रोस्टर सिस्टम एक व्यवस्था है जिसके तहत मामलों को आपत्ति के आधार पर अलोकित किया जाता है। इस सिस्टम के तहत, विभाग न्यायाधीशों को एक विशेष समयानुसार मामलों को सुनने की जिम्मेदारी दी जाती है। इस प्रक्रिया के माध्यम से, सुप्रीम कोर्ट में मामलों की सुनवाई को व्यवस्थित रूप से किया जाता है और आपत्ति के आधार पर मामलों को अधिकरणियों के बीच बाँट दिया जाता है।
2. सुप्रीम कोर्ट में रोस्टर सिस्टम कब से लागू है?
उत्तर: सुप्रीम कोर्ट में रोस्टर सिस्टम को 1 जनवरी 2018 से लागू किया गया है। यह नया सिस्टम मामलों को विभाग न्यायाधीशों के बीच वितरित करने के लिए एक नया तरीका है जिसका उद्देश्य इस कोर्ट के संगठन में और अधिक पारदर्शिता और न्यायप्रियता को लाना है।
3. सुप्रीम कोर्ट में रोस्टर सिस्टम के तहत कितने प्रकार के मामले हो सकते हैं?
उत्तर: सुप्रीम कोर्ट में रोस्टर सिस्टम के तहत चार प्रकार के मामले हो सकते हैं: आपत्ति के आधार पर पीठ नंबर 1, आपत्ति के आधार पर पीठ नंबर 2, आपत्ति के आधार पर पीठ नंबर 3, और आपत्ति के आधार पर पीठ नंबर 4। यह भूमिका प्रकार मामलों को सुनने और निर्णय देने की जिम्मेदारी देती है।
4. सुप्रीम कोर्ट में रोस्टर सिस्टम के तहत कौन कौन से न्यायाधीश आपत्ति मामलों की सुनवाई करते हैं?
उत्तर: सुप्रीम कोर्ट में रोस्टर सिस्टम के तहत आपत्ति मामलों की सुनवाई के लिए न्यायाधीशों की टीम बनाई जाती है। पीठ नंबर 1 में मुख्य न्यायाधीश और तीन और न्यायाधीशों की टीम होती है। पीठ नंबर 2 में चार और न्यायाधीशों की टीम होती है। पीठ नंबर 3 में तीन और न्यायाधीशों की टीम होती है और पीठ नंबर 4 में दो और न्यायाधीशों की टीम होती है।
5. सुप्रीम कोर्ट में रोस्टर सिस्टम के तहत मामलों को कैसे अलोकित किया जाता है?
उत्तर: सुप्रीम कोर्ट में रोस्टर सिस्टम के तहत मामलों को आपत्ति के आधार पर अलोकित किया जाता है। मामले एक विशिष्ट पीठ के न्यायाधीशों को आवंटित किए जाते हैं जो उन मामलों की सुनवाई और निर्णय देने की जिम्मेदारी लेते हैं। मामलों को आपत्ति के आधार पर अलोकित करने के लिए विभाग न्यायाधीशों की टीम बनाई जाती है और वे टीम मामले की सुनवाई करने के लिए निर्दिष्ट समयानुसार कार्रवाई करती हैं।

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