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International Relations (अंतर्राष्ट्रीय संबंध): August 2023 UPSC Current Affairs | अंतर्राष्ट्रीय संबंध (International Relations) UPSC CSE PDF Download

अंतर-सेवा संगठन (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक, 2023

चर्चा में क्यों

हाल ही में लोकसभा ने सशस्त्र बलों के बीच दक्षता, अनुशासन और एकजुटता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अंतर-सेवा संगठन (कमाननियंत्रण और अनुशासनविधेयक, 2023 पारित किया है।

अंतर-सेवा संगठन (कमाननियंत्रण और अनुशासनविधेयक, 2023

  • पृष्ठभूमि
    • वर्तमान में सशस्त्र बल के कर्मियों को उनके विशिष्ट सेवा अधिनियमों- सेना अधिनियम, 1950नौसेना अधिनियम, 1957 और वायु सेना अधिनियम, 1950 में निहित प्रावधानों के अनुसार नियंत्रित किया जाता है।
      • हालाँकि इनके कार्यों की विविध प्रकृति ने कभी-कभी अंतर-सेवा प्रतिष्ठानों में प्रभावी अनुशासनसमन्वय और त्वरित कार्यवाही हेतु चुनौतियाँ पैदा की हैं।
    • अंतर-सेवा संगठन (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक, 2023 अपने दूरदर्शी प्रावधानों के साथ इन चिंताओं का समाधान करता है।
    • वर्तमान सेवा अधिनियम के नियम एवं विनियम, जो कई वर्षों तक समय और कानूनी जाँच का सामना कर चुके हैं, ISO विधेयक, 2023 के तहत किसी भी बदलाव के अधीन नहीं हैं।
  • प्रमुख विशेषताएँ
    • प्रयोज्यता: यह विधेयक सेना, नौसेना और वायु सेना के सभी नियमित कर्मियों पर लागू है।
      • इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार भारत में स्थापित और संचालित किसी भी बल को नामित करने का अधिकार रखती है, जिस पर विधेयक के प्रावधान लागू होंगे।
    • अंतर-सेवा संगठनमौजूदा अंतर-सेवा संगठनों को विधेयक के तहत गठित माना जाएगा। इनमें अंडमान और निकोबार कमांड, रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी शामिल हैं।
    • केंद्र सरकार एक अंतर-सेवा संगठन का गठन कर सकती है जिसमें सेनानौसेना और वायु सेनातीनों सेवाओं में से कम-से-कम दो से संबंधित कर्मी हों
  • विस्तारित कमान और नियंत्रण प्राधिकरणविधेयक के केंद्रीय सिद्धांतों में से एक अंतर-सेवा संगठन के कमांडर-इन-चीफ (Commander-in-Chief) या ऑफिसर-इन-कमांड (Officer-in-Command) को कमान और नियंत्रण प्राधिकरण का विस्तार करना है।
    • मौजूदा ढाँचे के विपरीत जहाँ इन अधिकारियों के पास अन्य सेवाओं के कर्मियों पर अनुशासनात्मक तथा प्रशासनिक शक्तियों का अभाव हैविधेयक उन्हें पूर्ण कमान और नियंत्रण का अधिकार देता है।
    • इसमें अनुशासन बनाए रखना तथा सेवा कर्मियों द्वारा कर्तव्यों का उचित निष्पादन सुनिश्चित करना शामिल है।
  • कमांडिंग ऑफिसर (Commanding Officer): यह बिल एक कमांडिंग ऑफिसर की अवधारणा पेश करता है, जो किसी यूनिटजहाज़ या प्रतिष्ठान की देख-रेख के लिये ज़िम्मेदार होता है।
    • यह अधिकारी अपने यूनिट-विशिष्ट कर्तव्यों के अलावा अंतर-सेवा संगठन के कमांडर-इन-चीफ या ऑफिसर-इन-कमांड द्वारा सौंपे गए कार्यों को भी करता है।
  • केंद्र सरकार का प्राधिकारएक अंतर-सेवा संगठन का अधीक्षण केंद्र सरकार में निहित होगा।
    • सरकार ऐसे संगठनों को राष्ट्रीय सुरक्षासामान्य प्रशासन या सार्वजनिक हित के आधार पर भी निर्देश जारी कर सकती है।

भारतीय सेना की परिचालन क्षमता को बढ़ाना

चर्चा में क्यों?

  • अपनी समग्र परिचालन क्षमता को बढ़ाने के लिये भारतीय सेना ने आपातकालीन खरीद (Emergency Procurement- EP) के तहत 130 टेथर्ड ड्रोन और 19 टैंक-ड्राइविंग सिमुलेटर की खरीद के लिये अनुबंध पर हस्ताक्षर किये हैं।
    • लंबे समय तक संचालित होने वाले टेथर्ड ड्रोन सिस्टम का उपयोग ऊँचाई वाले क्षेत्रों में किया जा सकता है।

टेथर्ड ड्रोन और सिमुलेटर

  • टेथर्ड ड्रोन: टेथर्ड ड्रोन मानव रहित हवाई वाहनों (UAV) की एक श्रेणी है जो एक टेथर्ड के माध्यम से ज़मीन-आधारित स्टेशन से जुड़े होते हैं।
    • टेथर्ड ड्रोन सिस्टम, जिनके पंख दिन और रात दोनों समय फैले हुए होते हैं, का उद्देश्य सतर्क रक्षक रहना है, जो सीमा सुरक्षा बढ़ाने के लिये लगातार महत्त्वपूर्ण डेटा और वीडियो फीड भेजते हैं।
    • विमानन के अलावा टेथर्ड ड्रोन से निगरानी में एक आदर्श बदलाव आया है, जो कैमरे और रेडियो जैसे महत्त्वपूर्ण उपकरणों के भार के साथ ज़मीन पर टिके रहते हैं।
    • अपनी उन्नत सेंसर तकनीक और विशाल क्षेत्रों का निर्बाध दृश्य प्रदान करने की क्षमता के साथ टेथर्ड ड्रोन युद्ध के मैदान पर स्थितिजन्य जागरूकता और सामरिक निर्णय लेने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
  • सिमुलेटर: यह माना जाता है कि सिमुलेटर वास्तव में टैंक और पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों (Infantry Combat Vehicles- ICV) के ड्राइवरों के प्रशिक्षण में मदद करेंगे तथा प्रशिक्षण के दौरान टैंक एवं ICV पर टूट-फूट को कम करने में योगदान देंगे।

भारतीय सेना ने अपनी तैयारी में कैसे सुधार किया है? 

  • भारतीय सेना वर्ष 2023 को 'परिवर्तन के वर्षके रूप में मना रही है तथा "अपनी क्षमताओं में बहुत बड़ा परिवर्तन" लाने हेतु कार्यात्मक प्रक्रियाओं को नया रूप देने एवं पुनः तैयार करने के लिये कई परियोजनाओं पर काम कर रही है।
  • वर्ष 2020 में पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन गतिरोध के बाद से सेना ने निगरानी और भार वहन हेतु छोटे ड्रोन के लिये भारत की नई स्टार्ट-अप कंपनियों के साथ अनुबंधों की एक श्रृंखला संपन्न की है।
  • लॉजिस्टिक तथा नैनो ड्रोन, काउंटर-ड्रोन, लोइटर म्यूनिशन (loiter munitions), SWARM ड्रोन, UAV-लॉन्च प्रिसिजन-गाइडेड मिसाइल एवं स्वचालित स्पेक्ट्रम मॉनीटरिंग सिस्टम जैसी उच्च तकनीकें खरीदी जा रही हैं।
  • 'आत्मनिर्भरता' के व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप सेना विभिन्न माध्यमों जैसे- 'मेकपरियोजनाओं, iDEX (Innovation for Defence Excellence) तथा अग्रणी प्रौद्योगिकी संस्थानों में 'सेना कक्ष(Army Cells) की स्थापना जैसे आउटरीच कार्यक्रमों के माध्यम से स्वदेशीकरण के साथ आधुनिकीकरण की स्थिति हासिल कर रही है जिससे सेना की आवश्यकताओं के अनुरूप अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा मिलेगा।

रक्षा उपकरणों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु  कुछ पहलें

  • रक्षा औद्योगिक गलियारा 
  • आयुध निर्माणी बोर्ड का निगमीकरण
  • डिफेंस इंडिया स्टार्ट-अप चैलेंज
  • रक्षा उत्पादन एवं निर्यात संवर्द्धन नीति (2020) का मसौदा
  • रक्षा उत्कृष्टता के लिये नवाचार (iDEX)
  • मिशन रक्षा ज्ञान शक्ति
  • भारतीय नौसेना स्वदेशीकरण योजना (INIP) 2015-2030
  • नौसेना नवाचार और स्वदेशीकरण संगठन (NIIO)

भारतीय सेना की क्षमताओं को बढ़ाना क्यों महत्त्वपूर्ण है?

  • राष्ट्रीय सुरक्षा: भारत के जटिल भू-रणनीतिक वातावरण और संघर्षों के इतिहास को देखते हुए अपनी सीमाओं तथा नागरिकों की सुरक्षा के लिये रक्षा क्षमताओं को बढ़ाना आवश्यक है।
  • निवारण: भारत की मज़बूत रक्षा ताकतें क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान कर विरोधियों को संघर्ष या शत्रुतापूर्ण कार्रवाई शुरू करने से हतोत्साहित कर सकती हैं।
  • संघर्ष समाधान: संघर्ष की गंभीर स्थिति में बेहतर रक्षा क्षमताओं के परिणामस्वरूप त्वरित और अधिक अनुकूल समाधान प्राप्त हो सकते हैं।
  • आतंकवाद का मुकाबला: भारत ने आतंकवाद और कई विद्रोही गतिविधियों का सामना किया है, रक्षा क्षमताओं में वृद्धि ने अधिक प्रभावी आतंकवाद विरोधी अभियानों को संभव बनाया है।
  • सामरिक स्वायत्तता: रक्षा क्षमताओं को मज़बूत करने से रक्षा उपकरणों, प्रौद्योगिकी और विशेषज्ञता के लिये बाहरी स्रोतों पर निर्भरता कम हो जाती है, जिससे भारत की रणनीतिक स्वायत्तता बढ़ती है।
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