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History, Art & Culture (इतिहास, कला और संस्कृति): February 2023 UPSC Current Affairs | इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

ग्रामीण पर्यटन

चर्चा में क्यों?

पर्यटन मंत्रालय के ग्रामीण पर्यटन और ग्रामीण होमस्टे (CNA- RT & RH) प्रभाग ने ग्रामीण भारत में आने के इच्छुक पर्यटकों हेतु छह विशिष्ट क्षेत्रों की पहचान की है, जिनमें कृषि पर्यटन, कला एवं संस्कृति, इकोटूरिज़्म, वन्य जीवन, जनजातीय पर्यटन तथा होमस्टे शामिल हैं।

  • पर्यटन मंत्रालय प्रतिस्पर्द्धी और स्थायी तथा ज़िम्मेदार पर्यटन को बढ़ावा देने के व्यापक लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु राज्य मूल्यांकन एवं रैंकिंग मानदंड स्थापित करने पर भी काम कर रहा है।

प्रमुख बिंदु

  • उद्देश्य: 
    • इस पहल का उद्देश्य बड़े पैमाने पर बुनियादी ढाँचे के विकास के बजाय धारणीय विकास पर ज़ोर देना है।
    • इसका उद्देश्य स्थानीय संसाधनों तथा गाँवों में रोज़गार के अवसरों को बढ़ावा देकर  समुदायों को अद्वितीय जैविक अनुभव प्रदान करना है।
    • पर्यटन मंत्रालय बजट तैयार करने की प्रक्रिया में है, जिसमें ज़िला स्तर पर कुछ प्रशिक्षण मॉड्यूल्स 100% केंद्र द्वारा वित्तपोषित किये जाएंगे, जबकि अन्य मामलों में  60% केंद्र और 40% राज्य द्वारा वित्तपोषित होंगे।
  • ग्राम समूह: 
    • लगभग पाँच से सात गाँवों के समूह/क्लस्टर चिह्नित किये जाएंगे।
    • ये क्लस्टर लंबी दूरी के साथ अलग-अलग गाँवों की ग्रामीण पर्यटन परियोजनाओं की तुलना में पर्यटकों को अधिक आकर्षित करेंगे।
    • ये शिल्प बाज़ारों के माध्यम से स्थानीय उत्पादों के विपणन में ग्राम समूह को सहायता प्रदान करेंगे। 

ग्रामीण पर्यटन की अवधारणा

परिचय: 

  • भारत में ग्रामीण पर्यटन, ग्रामीण जीवन-शैली और संस्कृति की खोज तथा अनुभव पर केंद्रित है। 
  • इसमें स्थानीय संस्कृति और जीवन के प्रति गहरी समझ विकसित करने के लिये ग्रामीण क्षेत्रों की यात्रा करना और खेती, हस्तशिल्प एवं गाँव की सैर जैसी विभिन्न गतिविधियों में भाग लेना शामिल है।
  • उदाहरण के लिये तमिलनाडु का कोलुक्कुमलाई विश्व का सबसे ऊँचा चाय बागान है; केरल में देवलोकम नदी के किनारे एक योग केंद्र हैनगालैंड का कोन्याक टी रिट्रीट आदि आगंतुकों/पर्यटकों को आदिवासी संस्कृति को समझने-जानने में मदद करते हैं।

विस्तार: 

  • भारत की ग्रामीण पर्यटन क्षमता इसकी विविध और जीवंत संस्कृति, हस्तशिल्प, लोक कलाओं, त्योहारों और मेलों में निहित है।
  • एक अमेरिकी मार्केट रिसर्च कंपनी, ग्रैंड व्यू रिसर्च के अनुसार, कृषि-पर्यटन उद्योग वर्ष 2022 से 2030 तक 11.4% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ने की संभावना है।
  • महत्त्व: 
  • ग्रामीण पर्यटन न केवल स्थानीय कला और शिल्प को नई ऊर्जा प्रदान करने के साथ व्यवहार्य पारंपरिक व्यवसायों को विस्थापित होने से रोक सकता है, बल्कि यह ग्रामीण क्षेत्रों के पुनर्विकास एवं ग्रामीण जीवन को पुनः जीवंत करने, रोज़गार तथा नए व्यावसायिक अवसर पैदा करने में भी मदद करेगा।

लाभ: 

  • बाह्य-प्रवासन में कमी, वैकल्पिक व्यापार के अवसरों में वृद्धि
  • उद्यमशीलता के दायरे में वृद्धि
  • गरीबी उन्मूलन में मदद
  • सामुदायिक सशक्तीकरण
  • कला और शिल्प 
  • विरासत संरक्षण

भारत में ग्रामीण पर्यटन के लिये चुनौतियाँ

  • बुनियादी ढाँचे की कमी:  
    • ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर अच्छी सड़कों, बिजली और स्वास्थ्य सुविधाओं जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव होता है, इसे पर्यटकों को आकर्षित करने की दिशा में एक बाधा के रूप में देखा जाता है।
    • अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा भी आगंतुकों/पर्यटकों को गुणवत्तापूर्ण सेवाएँ प्रदान करने की स्थानीय समुदायों की क्षमता को कम कर सकता है।
  • जागरूकता की कमी:  
    • पर्यटकों और स्थानीय समुदायों के बीच ग्रामीण पर्यटन के बारे में जागरूकता की कमी पर्यटन क्षेत्र के विकास में बाधा उत्पन्न करती है।
    • बड़ी संख्या में लोग पर्यटन स्थलों के रूप में ग्रामीण क्षेत्रों की क्षमता और पर्यटन से स्थानीय समुदायों को होने वाले लाभों से अनजान हैं।
  • निम्न आय और बेरोज़गारी:
    • ग्रामीण क्षेत्र अधिकांशतः निम्न-आय स्तर और उच्च बेरोज़गारी दर से पीड़ित होते हैं।
    • इससे स्थानीय समुदायों के लिये पर्यटन के बुनियादी ढाँचे में निवेश करना और आगंतुकों को गुणवत्तापूर्ण सेवाएँ प्रदान करना मुश्किल हो सकता है।
  • पारिस्थितिकी के लिये खतरा:
    • यदि इसे ठीक से प्रबंधित नहीं किया गया, तो ग्रामीण पर्यटन में स्थानीय समुदायों और पर्यावरण को नुकसान होने की संभावना है।
    • भीड़भाड़, प्रदूषण और प्राकृतिक आवासों का विनाश स्थानीय पारिस्थितिकी तथा संस्कृति को नुकसान पहुँचा सकता है, जो लंबे समय तक आगंतुकों को यहाँ आने से रोक सकता है।
  • सुरक्षा चिंताएँ: 
    • उचित सुरक्षा व्यवस्था की कमी के कारण पर्यटक ग्रामीण क्षेत्रों में असुरक्षित महसूस कर सकते हैं, जिससे पर्यटन अनुभव और गंतव्य के प्रति नकारात्मक छवि बन जाती है।

आगे की राह

  • ग्रामीण पर्यटन स्थल विशिष्ट रूप से उन क्षेत्रों के नज़दीक होने चाहिये जहाँ लोग आमतौर आवागमन करते हैं।    
  • ग्रामीण पर्यटन के लिये विकसित किये जाने वाले गंतव्यों के चयन हेतु गंतव्यों तक पहुँच पहला मानदंड होना चाहिये। 
  • गंतव्यों का प्रचार-प्रसार कारीगरों को अपने उत्पादों को बेहतर ढंग से बेचने में मदद करेगा और पर्यटकों की संख्या बढ़ाने हेतु परियोजना के उचित पर्यवेक्षण की आवश्यकता होती है।  
  • पर्यटन से उत्पन्न आय का उपयोग कला, नृत्य और लोकगीतों के जातीय रूपों के संरक्षण में किया जा सकता है। यह ग्रामीण लोगों के हितों की रक्षा करेगा तथा घरों से मीलों दूर जाकर आजीविका कमाने के उनके दबाव को कम करेगा। 

कीलादी निष्कर्ष

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) ने संगम युग स्थल पर खुदाई के पहले दो चरणों के दौरान निष्कर्षों और उनके महत्त्व पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की है। 

  • इसके अतिरिक्त शिवगंगा में कीलादी साइट संग्रहालय का भी निर्माण हो रहा है, जिसमें अब तक खोजी गई 18,000 से अधिक महत्त्वपूर्ण कलाकृतियाँ प्रदर्शित की जाएंगी।
  • कीलादी के बारे में मुख्य तथ्य:
  • कीलादी दक्षिण तमिलनाडु के शिवगंगा ज़िले की एक छोटी-सी बस्ती है। यह मंदिरों के शहर मदुरै से लगभग 12 किमी. दक्षिण-पूर्व में वैगई नदी के किनारे स्थित है। 
  • वर्ष 2015 से यहाँ की गई खुदाई से साबित होता है कि तमिलनाडु में वैगई नदी के तट पर संगम युग में एक शहरी सभ्यता मौजूद थी। 

प्रमुख निष्कर्ष

  • ASI द्वारा पहले की तीन सहित खुदाई के आठ चरणों में साइट पर 18,000 से अधिक कलाकृतियों का पता लगाया गया है और जल्द ही खोले जाने वाले संग्रहालय में इन अद्वितीय कलाकृतियों का प्रदर्शन किया जाएगा।
  • मिट्टी के बर्तनों के ढेर का पाया जाना मिट्टी के बर्तन बनाने के उद्योग के अस्तित्त्व को दर्शाता है, जो ज़्यादातर स्थानीय रूप से उपलब्ध कच्चे माल से बनाए जाते हैं। यहाँ तमिल ब्राह्मी शिलालेखों के साथ 120 से अधिक बर्तनों की खोज की गई है।
  • कीलादी और अन्य स्थलों से खोजे गए एक हज़ार से अधिक खुदे हुए ठीकरे (बर्तन के टूटे हुए टुकड़े) स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करते हैं कि याह लिपि लंबे समय तक अस्तित्व में रही।
  • स्पिंडल वोर्ल्स, तांबे की सुइयाँ, टेराकोटा मुहर, धागे से लटकते पत्थर, टेराकोटा गोले और तरल मिट्टी के पात्र बुनाई उद्योग के विभिन्न चरणों को संदर्भित करते हैं। वहाँ रंगाई तथा काँच के मनके बनाने के उद्योग भी थे
  • सोने के आभूषण, तांबे की वस्तुएँ, अर्द्ध-कीमती पत्थर, पत्थर की चूड़ियाँ, हाथी दाँत की चूड़ियाँ और हाथी दाँत की कंघी कीलादी के लोगों की कलात्मक, सांस्कृतिक संपन्नता एवं समृद्ध जीवन-शैली को दर्शाती हैं। 
  • सुलेमानी और कार्नीलियन मनके वाणिज्यिक संबंधों के माध्यम से आयात का संकेत देते हैं, जबकि टेराकोटा और हाथी दाँत  से बने खेलने के पासे और हॉपस्कॉच (कूदने का बच्चों का खेल) जैसे साक्ष्य मनोरंजन के प्रति उनके शौक को दर्शाते हैं।

निष्कर्षों का महत्त्व

  • संगम युग के साथ संबंध: 
    • संगम युग प्राचीन तमिलनाडु में इतिहास की एक अवधि है, जिसे तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी ईस्वी तक माना जाता था और इसका नाम तत्कालीन मदुरै के कवियों की प्रसिद्ध संगम सभाओं से लिया गया था।
    • ASI की एक हालिया रिपोर्ट ने इन पुरातात्त्विक निष्कर्षों के आधार पर संगम युग को 800 ईसा पूर्व तक पीछे पहुँचा दिया है।
    • कीलादी लौह युग (12वीं शताब्दी ईसा पूर्व से छठी शताब्दी ईसा पूर्व) से आरंभिक ऐतिहासिक काल (छठी शताब्दी ईसा पूर्व से चौथी शताब्दी ईसा पूर्व) तथा अनुवर्ती सांस्कृतिक विकास के बीच विलुप्त संबंधों को समझने के लिये यह महत्त्वपूर्ण साक्ष्य भी प्रदान कर सकता है।
  • सिंधु घाटी के साथ संभावित संबंध:
    • खोजी गई कीलादी कलाकृतियों ने शिक्षाविदों को वैगई घाटी सभ्यता के हिस्से के रूप में स्थल का वर्णन करने के लिये प्रेरित किया है। निष्कर्षों ने दोनों स्थानों के बीच 1,000 वर्षों के सांस्कृतिक अंतराल को स्वीकार करते हुए सिंधु घाटी सभ्यता के साथ तुलना पर चर्चा को भी पुनः सक्रिय किया है।
    • यह स्थान अवशिष्ट कड़ी के रूप में दक्षिण भारत के लौह युग की सामग्रियों से संपन्न है
    • तमिलनाडु राज्य पुरातत्त्व विभाग (TNSDA) के अनुसार, कीलादी में ईंट की संरचनाएँ, विलासिता की वस्तुएँ और आंतरिक तथा बाहरी व्यापार के प्रमाण एक शहरी सभ्यता की विशेषताएँ हैं।
    • इससे प्रारंभिक ऐतिहासिक काल के दौरान तमिलनाडु में शहरी जीवन और बस्तियों का प्रमाण मिलता है, इससे ऐसा बोध होता है कि यह एक व्यवसायी और परिष्कृत समाज था।

कीलादी को लेकर विवाद

  • सिंधु घाटी सभ्यता के साथ संभावित संबंधों की रिपोर्ट के बावजूद, तीसरे चरण में "कोई उल्लेखनीय खोज" नहीं हुई थी, जिसे उत्खनन खोजों के संबंध में कम सूचित करने के प्रयास के रूप में व्याख्यायित किया गया था।
  • मद्रास उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद तमिल सभ्यता के इतिहास के बारे में और अधिक जानने के लिये ASI के बजाय TNSDA चौथे चरण से खुदाई का कार्य कर रहा है।

संगम काल: 

  • 'संगम' शब्द संस्कृत शब्द संघ का तमिल रूप है जिसका अर्थ व्यक्तियों अथवा संस्था का समूह होता है।
  • तमिल संगम कवियों की एक अकादमी थी जो पांड्य राजाओं के संरक्षण में तीन अलग-अलग कालों और स्थानों पर विकसित हुई।
  • संगम साहित्य, जो ज़्यादातर तीसरे संगम से संकलित किया गया था, ईसाई काल की शुरुआत के दौरान लोगों की दैनंदिन स्थितियों के संबंध में विवरण प्रदान करता है।
  • यह सार्वजनिक और सामाजिक गतिविधियों जैसे- सरकार, युद्ध दान, व्यापार, पूजा, कृषि आदि से संबंधित धर्मनिरपेक्ष मामले से संबंधित है।
  • संगम साहित्य में प्रारंभिक तमिल रचनाएँ (जैसे तोल्काप्पियम), दस कविताएँ (पट्टुपट्टू), आठ संकलन (एट्टुटोगई) और अठारह लघु रचनाएँ (पदिनेंकिलकनक्कू) और तीन महाकाव्य शामिल हैं।

तमिल-ब्राह्मी लिपि:

  • ब्राह्मी लिपि तमिलों द्वारा प्रयोग की जाने वाली सबसे पहली लिपि थी।
  • उत्तर प्राचीन और प्रारंभिक मध्ययुगीन काल में उन्होंने एक नई कोणीय लिपि विकसित करना आरंभ किया, जिसे ग्रन्थ लिपि (Grantha Script) कहा जाता है, जिससे आधुनिक तमिल की उत्पत्ति हुई।

वैगई नदी: 

  • यह पूर्व की ओर बहने वाली नदी है।
  • वैगई नदी बेसिन कावेरी और कन्याकुमारी के बीच स्थित 12 बेसिनों में एक महत्त्वपूर्ण बेसिन है।
  • यह बेसिन पश्चिम में कार्डमम पहाड़ियों और पलानी पहाड़ियों से एवं पूर्व में पाक जलडमरूमध्य तथा पाक खाड़ी से घिरा है।

युद्ध स्मारक 1857 के विद्रोह की कहानी बताता है

चर्चा में क्यों?  

1857 के विद्रोह के दौरान ब्रिटिश पक्ष से लड़ने वालों को सम्मानित करने के लिये वर्ष 1863 में युद्ध स्मारक (नई दिल्ली) बनाया गया था, लेकिन आज़ादी के 25 साल बाद इसे उन भारतीयों की याद में फिर से समर्पित किया गया, जिन्होंने अंग्रेज़ों से लड़ते हुए अपनी जान गँवाई थी। 

  • स्मारक में अष्टकोणीय टॉवर के सभी किनारों पर धनुषाकार संगमरमर-समर्थित खाँचे के साथ एक सामान्य गॉथिक डिज़ाइन है।

1857 का विद्रोह:

  • वर्ष 1857-59 का भारतीय विद्रोह गवर्नर जनरल कैनिंग के शासन के दौरान भारत में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन के खिलाफ एक व्यापक लेकिन असफल विद्रोह था। 
  • यह ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना के सिपाहियों के विद्रोह के रूप में शुरू हुआ, तथा इसने  अंततः जनता की भागीदारी भी हासिल की।
  • विद्रोह को कई नामों से जाना जाता है: सिपाही विद्रोह (ब्रिटिश इतिहासकारों द्वारा)भारतीय विद्रोह, महान विद्रोह (भारतीय इतिहासकारों द्वारा)1857 का विद्रोहभारतीय विद्रोह और स्वतंत्रता का पहला युद्ध (विनायक दामोदर सावरकर द्वारा)

कारण:

  • तात्कालिक कारण:
    • चर्बी वाले कारतूस: 1857 का विद्रोह नई एनफील्ड राइफलों के उपयोग से शुरू हुआ था, जिनके कारतूसों को गाय और सुअर की चर्बी के साथ चिकना किया जाता था, जिससे हिंदू और मुस्लिम सिपाहियों ने उनका उपयोग करने से इनकार कर दिया था।
    • शिकायतों का दमन: मंगल पांडे द्वारा बैरकपुर में कारतूस का उपयोग करने से इनकार करना और बाद में फाँसी, इसी तरह के इनकार के लिये मेरठ में 85 सैनिकों को कारावास देना, उन घटनाओं में से थे जिन्होंने भारत में 1857 के विद्रोह को जन्म दिया था।
  • राजनीतिक कारण: 
    • व्यपगत का सिद्धांत: विद्रोह के राजनीतिक कारण व्यपगत के सिद्धांत और प्रत्यक्ष विलय के माध्यम से विस्तार की ब्रिटिश नीति थी।
    • सतारा, नागपुर, झांसी, जैतपुर, संबलपुर, उदयपुर और अवध के विलय सहित भारतीय शासकों तथा प्रमुखों की संख्या को घटाने एवं विलय ने विस्तार की नीति के खिलाफ असंतोष को बढ़ा दिया। इससे  अभिजात वर्ग के हज़ारों लोग, अधिकारी, अनुचर और सैनिक बेरोज़गार हो गए।
  • सामाजिक और धार्मिक कारण:
    • पश्चिमी सभ्यता का प्रसार: भारत में तेज़ी से फैलती पश्चिमी सभ्यता पूरे देश के लिये चिंता का विषय थी।
    • 1850 में एक अधिनियम द्वारा वंशानुक्रम के हिंदू कानून को बदल दिया गया, जिससे एक हिंदू को अपनी पैतृक संपत्तियों को विरासत में प्राप्त करने के लिये ईसाई धर्म में परिवर्तित होना पड़ता था, इसे भारतीयों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के प्रयास के रूप में देखा गया।
    • यहाँ तक कि रेलवे और टेलीग्राफ की शुरुआत को भी संदेह की दृष्टि से देखा जाता था।
    • रूढ़िवाद को चुनौती: सती और कन्या भ्रूण हत्या जैसी प्रथाओं का उन्मूलन, पश्चिमी शिक्षा की शुरुआत और विधवा पुनर्विवाह को वैध बनाने वाले कानून को स्थापित सामाजिक संरचना के लिये खतरा माना गया।
  • आर्थिक कारण:
    • भारी कर: किसान और ज़मींदार दोनों भूमि पर भारी करों और राजस्व संग्रह के कड़े तरीकों से नाराज़ थे जिससे अक्सर पुश्तैनी भूमि का नुकसान होता था।
    • सिपाहियों की शिकायतें: बड़ी संख्या में सिपाही कृषक वर्ग से थे और गाँवों में उनके पारिवारिक संबंध थे, इसलिये किसानों की शिकायतों ने भी उन्हें प्रभावित किया। 
    • स्थानीय उद्योग और हस्तशिल्प का पतन: इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति के बाद भारत में ब्रिटिश निर्मित वस्तुओं का आगमन हुआ, जिसने उद्योगों, विशेष रूप से भारत के कपड़ा उद्योग और हस्तशिल्प को समाप्त कर दिया।
  • सैन्य कारण: 
    • असमान पारिश्रमिक: भारत में 87% से अधिक ब्रिटिश सैनिक भारतीय थे, लेकिन उन्हें ब्रिटिश सैनिकों से कमतर माना जाता था और यूरोपीय समकक्षों की तुलना में कम भुगतान किया जाता था। 
    • सुदूर क्षेत्रों में पोस्टिंग: उन्हें अपने घरों से दूर और समुद्र पार के क्षेत्रों में सेवा करना आवश्यक था। कई लोगों ने समुद्र पार करने को जातिगत नुकसान के रूप में देखा।

विद्रोह के नेता:

विद्रोह का स्थान 

भारतीय नेता 

ब्रिटिश अधिकारी जिन्होंने विद्रोह को दबा दिया 

दिल्ली

बहादुर शाह द्वितीय 

जॉन निकोलसन 

लखनऊ 

बेगम हजरत महल

हेनरी लॉरेंस 

कानपुर 

नाना साहेब

सर कॉलिन कैम्पबेल 

झांसी एवं ग्वालियर 

लक्ष्मी बाई और तात्या टोपे 

जनरल ह्यूरोज़

बरेली 

खान बहादुर खान

सर कॉलिन कैम्पबेल

इलाहाबाद और बनारस  

मौलवी लियाकत अली

कर्नल ओनसेल

बिहार 

कुंवर सिंह

विलियम टेलर

अंग्रेज़ों की प्रतिक्रिया:

  • 1857 का विद्रोह एक वर्ष से अधिक समय तक चला। इसे 1858 के मध्य तक दमनात्मक कार्रवाइयों के माध्यम से दबा दिया गया था। 
  • 8 जुलाई, 1858 को मेरठ में विद्रोह के चौदह माह बाद लॉर्ड कैनिंग द्वारा शांति की घोषणा की गई थी।

विद्रोह के विफल होने का कारण:

  • सीमित विद्रोह: हालाँकि विद्रोह काफी व्यापक था, किंतु देश का एक बड़ा हिस्सा इससे अप्रभावित रहा।
  • दक्षिणी प्रांत और बड़ी रियासतें, हैदराबाद, मैसूर, त्रावणकोर और कश्मीर, साथ ही राजपूताना के छोटे राज्य विद्रोह में शामिल नहीं हुए।
  • प्रभावी नेतृत्व की कमी: विद्रोहियों के पास एक प्रभावी नेता का अभाव था। यद्यपि नाना साहेब, तात्या टोपे और रानी लक्ष्मीबाई के रूप में वीर नेता थे, तथापि वे आंदोलन को प्रभावी समन्वित नेतृत्त्व प्रदान नहीं कर सके।
  • सीमित संसाधन: विद्रोहियों के पास पुरुष और धन जैसे संसाधनों की कमी थी। दूसरी ओर, अंग्रेज़ों को भारत में पुरुष, धन और हथियारों की निरंतर आपूर्ति होती रही।  
  • मध्य वर्ग की कोई भागीदारी नहीं: अंग्रेज़ी शिक्षित मध्यम वर्ग, बंगाल के अमीर व्यापारियों एवं ज़मींदारों ने विद्रोह को दबाने में अंग्रेज़ो की मदद की। 

विद्रोह के प्रभाव: 

  • ब्रिटिश क्राउन का प्रत्यक्ष शासन: भारत सरकार अधिनियम, 1858 द्वारा भारत में कंपनी शासन को समाप्त कर दिया और इसे ब्रिटिश क्राउन के प्रत्यक्ष शासन के तहत लाया गया। 
  • देश के शासन और प्रशासन को संभालने के लिये भारत में कार्यालय बनाया गया था। 
  • धार्मिक सहिष्णुता: भारत के रीति-रिवाज़ों और परंपराओं पर उचित ध्यान देने का वादा किया गया था। धार्मिक सुधारों के मामले में ब्रिटिश समर्थन पीछे हट गया।
  • प्रशासनिक परिवर्तन: गवर्नर जनरल के कार्यालय को वायसराय द्वारा प्रतिस्थापित किया गया।
  • भारतीय शासकों के अधिकारों को मान्यता दी गई।
  • व्यपगत का सिद्धांत समाप्त कर दिया गया।
  • कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में पुत्र को गोद लेने का अधिकार स्वीकार किया गया।
  • सैन्य पुनर्गठन: भारतीय सैनिकों के अनुपात में ब्रिटिश अधिकारियों में वृद्धि हुई लेकिन शस्त्रागार अंग्रेज़ों के हाथ में रहा

निष्कर्ष

1857 का विद्रोह ब्रिटिश भारत में एक उल्लेखनीय घटना थी। अपने इच्छित उद्देश्य को पूरा करने में विफल होने के बावजूद इसने भारतीय राष्ट्रवाद की नींव रखी और समाज के विभिन्न वर्गों को संगठित करने में योगदान किया।

कच्छ के रण में पर्यटन कार्य समूह

चर्चा में क्यों?  

भारत की G20 अध्यक्षता के हिस्से के रूप में गुजरात 7 से 9 फरवरी, 2023 तक कच्छ के रण में पहले पर्यटन कार्य समूह (TWG) की बैठक की मेज़बानी करेगा।

  • ग्रामीण और पुरातात्त्विक स्थल पर्यटन का फोकस क्षेत्र होगा। इसके अतिरिक्त धौलावीरा जो कि यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल है, यह विदेशी प्रतिनिधियों के लिये दूसरा पर्यटन स्थल होगा।   

G20 द्वारा पर्यटन क्षेत्र में हस्तक्षेप: 

  • भारत की जी20 अध्यक्षता में पर्यटन के लिये 5 परस्पर संबंधित प्राथमिकता वाले क्षेत्र हैं। तद्नुसार, इन पाँच प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ज़ोर दिया जाएगा: 
  • पर्यटन क्षेत्र का कायाकल्प
    • डिजिटलीकरण की शक्ति का उपयोग करना
    • कौशल के साथ युवाओं को सशक्त बनाना
  • पर्यटन MSME/स्टार्टअप को बढ़ावा देना 
    • लक्ष्यों के रणनीतिक प्रबंधन पर पुनर्विचार।
    • साथ ही G20 मंच के माध्यम से कई प्राथमिकताओं में से एक यह है कि वर्ष 2030 तक सतत् विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals- SDG) को कैसे प्राप्त किया जाएगा, इस बारे में आम सहमति तय करना।
    • इसके एक भाग के रूप में स्थायी पर्यटन पर ज़ोर दिया जाएगा जो न केवल पर्यावरण के लिये बल्कि स्थानीय उद्यम के लिये अवसर पैदा करने हेतु भी महत्त्वपूर्ण है।
    • G20 आयोजनों के लिये चुने गए विभिन्न स्थानों में ग्रामीण पर्यटन (लाडपुरा खास गाँव, मध्य प्रदेश), पुरातात्त्विक पर्यटन (धौलावीरा) और इको टूरिज़्म (खोनोमा गाँव, नगालैंड) आदि जैसे विभिन्न क्षेत्र शामिल होंगे।
    • इसके साथ ही G20 अध्यक्षता का लाभ उठाने के लिये 3 मेगा पर्यटन संबंधी कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं। इनमें अप्रैल 2023 में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट, MICE अभिसमय और वर्ल्ड टूरिज़्म CEO फोरम की बैठक शामिल हैं।

भारत में पर्यटन क्षेत्र की स्थिति

परिचय:  

  • भारत अपनी विविध सांस्कृतिक विरासत, समृद्ध इतिहास और प्राकृतिक सुंदरता हेतु जाना जाता है, यही कारण है कि यह प्रत्येक वर्ष लाखों घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को आकर्षित करता है।
  • भारत पर्यटन क्ष्रेत्र में विविधताओं से परिपूर्ण है, जिसमें इको-टूरिज़्म, परिभ्रमण, व्यवसाय, खेल, शैक्षिक, ग्रामीण और चिकित्सा यात्राएँ शामिल हैं।

अर्थव्यवस्था में योगदान: 

  • विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद के अनुसार, वर्ष 2021 में सकल घरेलू उत्पाद में यात्रा और पर्यटन के कुल योगदान के मामले में भारत 6वें स्थान पर है।
  • यात्रा और पर्यटन ने सकल घरेलू उत्पाद में 5.8% का योगदान दिया और इस क्षेत्र ने 32.1 मिलियन नौकरियाँ सृजित कीं, जो वर्ष 2021 की कुल नौकरियों के 6.9% के बराबर है।

पर्यटन क्षेत्र से संबंधित चुनौतियाँ:

  • अवसंरचनात्मक बाधाएँ: भारत आवास, परिवहन और मनोरंजन सुविधाओं सहित गुणवत्तापूर्ण पर्यटक अवसंरचना की कमी का सामना कर रहा है, जो अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने की इसकी क्षमता को सीमित करता है।
  • सुरक्षा और संरक्षण: भारत को पर्यटकों, विशेषकर महिलाओं की सुरक्षा और रक्षा के संबंध में चिंताओं का सामना करना पड़ा है जो संभावित पर्यटकों को देश में आने से रोक सकता है।
  • मानकीकरण का अभाव: भारत को पर्यटन उद्योग में मानकीकरण की कमी का सामना करना पड़ता है, जिसमें आवास, टूर ऑपरेटर और परिवहन प्रदाता शामिल हैं, जो समग्र पर्यटक अनुभव को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकते हैं।

भारत में पर्यटन से संबंधित पहलें:

  • स्वदेश दर्शन योजना
  • मसौदा राष्ट्रीय पर्यटन नीति 2022
  • देखो अपना देश पहल
  • राष्ट्रीय हरित पर्यटन मिशन 
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FAQs on History, Art & Culture (इतिहास, कला और संस्कृति): February 2023 UPSC Current Affairs - इतिहास (History) for UPSC CSE in Hindi

1. ग्रामीण पर्यटन क्या है?
उत्तर: ग्रामीण पर्यटन एक पर्यटन आधारित गतिविधि है जिसमें लोग ग्रामीण क्षेत्रों को यात्रा करते हैं और उनकी स्थानीय जीवनशैली, संस्कृति, और ऐतिहासिक धरोहर को अनुभव करते हैं। यह आमतौर पर अत्यंत प्राकृतिक और शांतिपूर्ण पर्यटन का रूप लेता है।
2. ग्रामीण पर्यटन क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: ग्रामीण पर्यटन महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे ग्रामीण क्षेत्रों का विकास होता है और स्थानीय आर्थिक विकास में सहायता मिलती है। यह पर्यटन कार्य विभिन्न रोजगार के अवसर प्रदान करता है और स्थानीय जनसंख्या को आय का एक स्रोत भी बनाता है। इसके साथ ही, ग्रामीण पर्यटन भारतीय संस्कृति और परंपराओं को संजोने का एक माध्यम भी है।
3. 1857 के विद्रोह की कहानी क्या है?
उत्तर: 1857 के विद्रोह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का महत्वपूर्ण घटना था जब भारतीयों ने अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया। इस विद्रोह के पीछे कई कारण थे, जैसे अंग्रेजों के द्वेषपूर्ण और न्यायहीन शासन, सामाजिक और आर्थिक नुकसान, और दरिद्रता। यह विद्रोह स्वतंत्रता आंदोलन की शुरुआत के रूप में माना जाता है।
4. कच्छ के रण में पर्यटन कार्य समूह क्या है?
उत्तर: कच्छ के रण में पर्यटन कार्य समूह एक पर्यटन संगठन है जो गुजरात राज्य में स्थित है और कच्छ क्षेत्र के पर्यटन को बढ़ावा देता है। इस समूह के अंतर्गत, पर्यटकों को कच्छ क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता, समुद्री तट, रेगिस्तानी और संस्कृतिक धरोहर, और स्थानीय जीवनशैली का अनुभव कराया जाता है।
5. ग्रामीण पर्यटन कार्य के लिए क्या सामग्री आवश्यक होती है?
उत्तर: ग्रामीण पर्यटन कार्य के लिए विभिन्न तत्वों की आवश्यकता होती है। इसमें संगठन, यात्रा और आवास की व्यवस्था, पर्यटन गतिविधियों की योजना, सामग्री और विशेषज्ञों की उपस्थिति, स्थानीय सामग्री और प्रदर्शन, और सुरक्षा का ध्यान रखना शामिल होता है।
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