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मनी लॉन्ड्रिंग और इसकी रोकथाम - 1 | आंतरिक सुरक्षा और आपदा प्रबंधन for UPSC CSE in Hindi PDF Download

काले धन को वैध बनाना

खबरों में क्यों?

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के एक क्षेत्रीय सहयोगी मनी लॉन्ड्रिंग पर एशिया-पैसिफिक ग्रुप (APG) ने अपने मानकों को पूरा करने में विफलता के लिए पाकिस्तान को "एन्हांस्ड एक्सपेडिटेड फॉलो अप लिस्ट (ब्लैकलिस्ट)" में रखा है।

मनी लॉन्ड्रिंग क्या है?

  • मनी लॉन्ड्रिंग अवैध रूप से प्राप्त आय की पहचान को छिपाना या प्रच्छन्न करना है ताकि वे वैध स्रोतों से उत्पन्न हुए प्रतीत हों। यह अक्सर मादक पदार्थों की तस्करी, डकैती या जबरन वसूली जैसे अन्य, अधिक गंभीर अपराधों का एक घटक है।  
  • आईएमएफ के अनुसार , वैश्विक मनी लॉन्ड्रिंग का अनुमान विश्व जीडीपी के 2 से 5% के बीच है । 

मनी लॉन्ड्रिंग कैसे काम करता है?

1. इसमें तीन चरण शामिल हैं: प्लेसमेंट, लेयरिंग और इंटीग्रेशन

  • प्लेसमेंट "गंदे पैसे" को वैध वित्तीय प्रणाली में डालता है।
  • लेयरिंग लेनदेन और बहीखाता पद्धति की एक श्रृंखला के माध्यम से पैसे के स्रोत को छुपाता है।
  • एकीकरण के मामले में , आपराधिक गतिविधियों के लिए उपयोग किए जाने के लिए वैध खाते से अब-लौंडेड धन वापस ले लिया गया है।

2. मनी लॉन्ड्रिंग कई रूप ले सकती है, उनमें से कुछ हैं:

  • स्ट्रक्चरिंग को स्मर्फिंग भी कहा जाता है
  • बल्क कैश स्मगलिंग
  • कैश इंटेंसिव बिजनेस
  • ट्रेड बेस्ड लॉन्ड्रिंग
  • शेल कंपनियां
  • राउंड ट्रिपिंग
  •  जुआ
  • काला वेतन
  • कर माफी
  • लेनदेन को वैध बनाना

3. मनी लॉन्ड्रिंग के प्रभाव

  • आर्थिक प्रभाव:
    (i) 
    निजी क्षेत्र की वैधता को कम करता है
    (ii) वित्तीय बाजारों की अखंडता को कमजोर करता है
    (iii)  आर्थिक नीति के नियंत्रण का नुकसान
    (iv) आर्थिक विकृति और अस्थिरता
    (v) राजस्व की हानि
    (vi) निजीकरण के प्रयासों के लिए सुरक्षा खतरे
    ( vii) धन के अप्रत्याशित हस्तांतरण के कारण विनिमय दरों और ब्याज दरों में अस्थिरता
    (viii)  आर्थिक कीमतों में वृद्धि
    (ix)  व्यापार और अंतर्राष्ट्रीय पूंजी प्रवाह को प्रभावित करती है
  • सामाजिक प्रभाव:
    (i)
    बढ़ी हुई आपराधिकता
    (ii) मानव विकास में कमी
    (iii) संसाधनों का गलत आवंटन
    (iv) स्थानीय नागरिकों के अपने घरेलू वित्तीय संस्थानों में विश्वास को प्रभावित करता है
    (v)  गतिविधियों को उजागर करके समाज की नैतिक और सामाजिक स्थिति को कम करता है जैसे नशीले पदार्थों की तस्करी, तस्करी, भ्रष्टाचार और अन्य आपराधिक गतिविधियों
  • राजनीतिक प्रभाव:
    (i) 
    राजनीतिक अविश्वास और अस्थिरता की शुरुआत करता है
    (ii) राजनीति का अपराधीकरण

मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम

  • आपराधिक कानून संशोधन अध्यादेश (1944 का XXXVIII):  इसमें केवल कुछ अपराधों जैसे भ्रष्टाचार, विश्वास का उल्लंघन और धोखाधड़ी और भारतीय दंड संहिता के तहत सभी अपराधों की आय शामिल है।
  • तस्कर और विदेशी मुद्रा जोड़तोड़ (संपत्ति की जब्ती) अधिनियम, 1976: इसमें तस्करों और विदेशी मुद्रा जोड़तोड़ करने वालों की अवैध रूप से अर्जित संपत्तियों और उससे जुड़े मामलों और उसके प्रासंगिक मामलों के लिए दंड शामिल है।
  • नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस एक्ट, 1985: यह नारकोटिक ड्रग्स  में अवैध तस्करी से प्राप्त या उपयोग की गई संपत्ति के दंड का प्रावधान करता है।
  • धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए)
    (i)
    यह धन शोधन से निपटने के लिए भारत द्वारा स्थापित कानूनी ढांचे का मूल है।
    (ii)  इस अधिनियम के प्रावधान सभी वित्तीय संस्थानों, बैंकों (RBI सहित), म्यूचुअल फंड, बीमा कंपनियों और उनके वित्तीय मध्यस्थों पर लागू होते हैं।
    (iii) पीएमएलए (संशोधन) अधिनियम, 2012
    (ए)  ' रिपोर्टिंग इकाई ' की अवधारणा को जोड़ता है जिसमें एक बैंकिंग कंपनी, वित्तीय संस्थान, मध्यस्थ आदि शामिल होंगे।
    (बी) पीएमएलए, 2002 ने 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया, लेकिन संशोधन अधिनियम ने इस ऊपरी सीमा को हटा दिया है।
    (सी) इसने ऐसी गतिविधियों में शामिल किसी भी व्यक्ति की संपत्ति की अस्थायी कुर्की और जब्ती का प्रावधान किया है।
  • वित्तीय खुफिया इकाई-आईएनडी: यह एक स्वतंत्र निकाय है जो सीधे वित्त मंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक खुफिया परिषद (ईआईसी) को रिपोर्ट करता है ।
  • प्रवर्तन निदेशालय (ईडी):
    (i)
    यह एक कानून प्रवर्तन एजेंसी और आर्थिक खुफिया एजेंसी है जो भारत में आर्थिक कानूनों को लागू करने और आर्थिक अपराध से लड़ने के लिए जिम्मेदार है।
    (ii) ईडी का एक मुख्य कार्य धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत धन शोधन के अपराधों की जांच करना है।
    (iii) यह संपत्ति की जब्ती जैसी कार्रवाई कर सकता है यदि इसे पीएमएलए के तहत अनुसूचित अपराध से प्राप्त अपराध की आय के रूप में निर्धारित किया जाता है, और धन शोधन के अपराध में शामिल व्यक्तियों पर मुकदमा चलाने के लिए।
  • भारत एक है एफएटीएफ का पूर्ण सदस्य और एक ही के दिशा निर्देशों का पालन करती है।

मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए वैश्विक प्रयास

  • वियना कन्वेंशन: यह हस्ताक्षरकर्ता राज्यों के लिए मादक पदार्थों की तस्करी से धन के शोधन को अपराधी बनाने के लिए एक दायित्व बनाता है।
  • 1990 काउंसिल ऑफ यूरोप कन्वेंशन: यह मनी लॉन्ड्रिंग पर एक सामान्य आपराधिक नीति स्थापित करता है।
  • जी-10 की बेसल समिति के सिद्धांतों का बयान: इसने "सिद्धांतों का बयान" जारी किया, जिसके साथ सदस्य राज्यों के अंतरराष्ट्रीय बैंकों से अनुपालन की उम्मीद की जाती है।
  • प्रतिभूति आयोगों का अंतर्राष्ट्रीय संगठन (IOSCO): यह अपने सदस्यों को प्रतिभूतियों और वायदा बाजारों में धन शोधन से निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करता है।
  • फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स:
    (i)
    इसे जी -7 देशों की सरकारों द्वारा उनके 1989 के आर्थिक शिखर सम्मेलन में स्थापित किया गया है, इसमें
    (ए) 24 ओईसीडी देशों
    (बी) हांगकांग
    (सी) सिंगापुर
    (डी) के प्रतिनिधि हैं। गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल
    (ई) यूरोपीय आयोग
    (ii) यह मनी लॉन्ड्रिंग का मुकाबला करने के उपायों को लागू करने में सदस्यों की प्रगति की निगरानी करता है।
    (iii) प्रसिद्ध चालीस सिफारिशें FATF द्वारा दी गई हैं।
  • आईएमएफ: इसने अपने 189 सदस्य देशों पर आतंकवादी वित्तपोषण को विफल करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करने के लिए दबाव डाला है।
  • ड्रग्स एंड क्राइम पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय: यह मनी लॉन्ड्रिंग को पहचानने और रोकने के लिए सक्रिय रूप से प्रयास करता है।

आगे का रास्ता

उभरती प्रौद्योगिकियों द्वारा समर्थित मनी लॉन्ड्रिंग के उभरते खतरों को समान रूप से उन्नत एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग तंत्र जैसे बड़े डेटा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के साथ संबोधित करने की आवश्यकता है। मनी लॉन्ड्रिंग की समस्या को प्रभावी ढंग से खत्म करने के लिए अंतरराष्ट्रीय और घरेलू दोनों हितधारकों को उनके बीच डेटा साझाकरण तंत्र को मजबूत करके एक साथ आने की जरूरत है।

मनी लॉन्ड्रिंग

गंभीर अपराध, जैसे-मादक पदार्थों की तस्करी या उग्रवादी गतिविधियों के द्वारा अधिक संख्या में पैदा किए गए धन को वैध स्रोतों से कमाए गए धन की पहचान देने की प्रक्रिया को मनी लॉन्ड्रिंग कहते है। संक्षेप में 'काले धन' को 'सफेद धन' में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को मनी लॉन्ड्रिंग कहते हैं।

मादक पदार्थ की तस्करी और आतंकवादी गतिविधियों की सफलता में मनी लॉन्ड्रिंग एक महत्त्वपूर्ण चरण है। मनी लॉन्ड्रिंग तथा आतंकवाद के बीच का संबंध कुछ पेचीदा है, परंतु आतंकवादी संगठनों के स्वरूप को बनाए रखने में मनी लॉन्ड्रिंग की अहम भूमिका है। अधिकांश व्यक्ति, जो वित्तीय रूप से आंतकवादी संगठनों को सहायता करते हैं। सामान्य व्यक्तिगत बैंक चेक काट कर आतंकवादी संगठनों को नहीं देते हैं। वे दिए जाने वाले धन को एक घुमावदार रास्ते में डाल देते हैं जो बिना दाताओं की पहचान बताए आतंकवादियों के पास पहुंच जाता है। दूसरी तरफ आतंकवादी भी हथियारों या हवाई जहाज खरीदने के लिए और षडयंत्र की रचना करते हैं। वे साधारणतयाः मनी लॉन्ड्रिंग का मार्ग अपनाते हैं जिससे सरकारी एजेंसियाँ उनके रातों का अनुसरण न कर सके और उनके सुनियोजित हमलों को असफल न बना सके। मनी लॉन्ड्रिंग प्रक्रिया को बदं करने से आतंकवादी संगठनों के आमदनी के स्रोतों को बंद किया जा सकता है।
मूलत: मनी लॉन्ड्रिंग के तीन चरण है-

  • नियोजन (Placement) : इस चरण में मनी लॉन्ड्रिंग करने वाला अशुद्ध धन को वैध वित्तीय संस्थानों में डाल देता है। यह प्रायः कैश बैंक डिपॉजिट के रूप में होता है। यह मनी लॉन्ड्रिंग प्रक्रिया का सबसे खतरनाक चरण है, क्योंकि नकद राशि की अत्यधिक मात्रा सबका ध्यान आकर्षित करती है और बैंकों को भी इस प्रकार के उच्च स्तर के लेन-देन के संबंध में जानकारी देनी पड़ती है।
  • परतीकरण (Layering) : इस प्रक्रिया में धन को विभिन्न वित्तीय लेन-देन के द्वारा भेजा जाता है जिससे स्रोतों का अनुसरण करना कठिन होता है। इसमें कई बैंकों के बीच स्थानांतरण होता है, विभिन्न खाते एवं विभिन्न देशों के विभिन्न नामों के बीच ऑन-लाइन ट्रांसफर होता है, जिससे विभिन्न खातों में/से जमा या निकासी की मात्रा भिन्न होती है, मुद्राओं में परिवर्तन किया जाता है तथा धन की पहचान में परिवर्तन लाने हेतु अत्यधिक प्रयुक्त होता है।
  • एकीकरण (Integration) : इस चरण में धन दृष्टिगत वैध तरीके से आर्थिक व्यवस्था की मुख्य धारा में शामिल हो जाता है। इसमें लेन-देन की सभी प्रक्रियाएं वैध दिखाई पड़ती है। यह स्थानीय व्यापार के खाते में एक अंतिम बैंक स्थानांतरण के रूप में हो सकता है जिसमें मनी लॉन्ड्रिंग करने वाला लाभ में कटौती मे बदले वह निवेश करता है। इस अवस्था में अपराधी इस धन का उपयोग बिना पकड़े हुए कर सकते हैं। यदि पूर्व के चरणों में किसी प्रकार कागजाती सबूत उपलब्ध नहीं है तो एकीकरण के चरण में मनी लॉन्डिंग करने वालों को पकड़ना अत्यधिक कठिन होता है। 
  • राउंड ट्रिपिंग : यह एक नया और मुख्य मार्ग है, जिसके जरिये काला धन सफेद हो कर (मनी लाड्रिंग) भारत में आता है। इस प्रक्रिया में भारत में कमाया और अर्जित किया गया धन टैक्स हैवन (करों के स्वर्ग कहे जाने वाले) देशों में हस्तांतरित किया जाता है। करों का स्वर्ग देश उन्हें कहा जाता है, जिनके यहां कॉरपोरेट कानून बेहद लचर होते हैं और करों की दरें बहुत कम होती हैं। फिर काले धन के जरिये उन टैक्स हैवन देशों में एक कंपनी खोल ली जाती है। इस माध्यम से यह काला धन सफेद दिखाया जाता है और भारत में 'विदेशी निवेश' के नाम पर वापस भेज दिया जाता है। इस निवेश के जरिये भारत में अर्जित होने वाला मुनाफा बिना कोइ कर चुकाये वापस उन्हीं टैक्स हैवन देशों में भेज दिया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि ऐसे निवेश को दोहरे कराधान से बचाव समझौता' के अंतर्गत करों से छूट मिली हुई है। अवैध धन को वैध बनाने की (मनी लॉन्ड्रिंग) की यह विधि कैपिटल/स्टॉक मार्केट के कायदे-कानून की खामियों का फायदा उठाती है और सहभागी नोट्स (पार्टिसिपेटरी नोट्स) के माध्यम से अपना निवेश करती है। प्रचलित भाषा में पार्टिसिपेटरी नोट को पी-नोट कहा जाता है। ये निवेश के ऐसे वित्तीय इंस्ट्रूमेंट्स हैं, जिन्हें बाजार नियामक सेबी के पास रजिर्टड एफआईआई उन विदेशी निवेशकों को जारी करते हैं, जो भारतीय शेयर बाजार में बिना पंजीकरण कराए निवेश करना चाहते हैं। भारत स्थित ये ब्रोकरेज घरेलू शेयर बाजार में इक्विटी खरीदते हैं और उनके बदले विदेश निवेशकों को पी-नोट जारी करते हैं। जिन इक्विटी शेयरों के बदले पी-नोट जारी होते हैं, उनमें मिलने वाला लाभांश या पूंजीगत लाभ भी विदेशी निवेशकों के हिस्से में जाता है। प्रांजय गुहा ठाकुरता ने एक डॉक्यूमेंट्री 'ए थिन डिवाइडिंग लाइन' के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग के इस नये तरीके का पर्दाफाश किया है।

मनी लॉन्ड्रिंग के प्रभाव

प्रत्येक वर्ष अपराधी विश्व स्तर पर 500 अरब से 1000 अरब डालर के बीच में मनी लॉन्ड्रिंग करते हैं जिसका सामाजिक, आर्थिक और सुरक्षा की दृष्टिकोण से विश्व स्तर पर प्रभाव चौकाने वाला है।

  • सामाजिक प्रभाव : सामाजिक, सांस्कृतिक पहलुओं के दृष्टिकोण से सफल मनी लॉन्ड्रिंग यह इंगित करता है कि अपराधिक गतिविधियों में काफी फायदे हैं। इसकी सफलता अपराधियों को इस अवैध काम में बने रहने के लिए प्रोत्साहित करता है, क्योंकि ये बिना किसी प्रतिफल के इस प्रक्रिया से प्राप्त लाभों को भोगते हैं। इसका अर्थ है और ज्यादा धोखाधड़ी, अधिक कॉरपोरेट गड़बड़ी (कॉर्पोरेट के असफल होने पर अधिक कामगारों को पेंशन की हानि), गलियों में मादक पदार्थों की अधिक उपलब्धता, मादक पदार्थ संबंधी अपराध, कानून व्यवस्था कायम करने वाले स्रोतों का क्षमता से अधिक विस्तार और वैध व्यापारी लोगों में मनोबल का अभाव होना। जो कानून व तोड़कर जल्द लाभ कमाने का प्रयास नहीं करते हैं जैसाकि ये अपराधी लोग करते हैं।
  • आर्थिक प्रभाव : इस प्रक्रिया के आर्थिक दुष्प्रभाव अत्यधिक खतरनाक हैं। विकसित देशों को प्राय: आधुनिक मनी लॉन्ड्रिंग का खामियाजा भुगतान पड़ता है, क्योंकि ये देश अभी भी अपने नए निजी वित्तीय सेक्टरों को नियमित करने का प्रयास कर रहे हैं। यह उन्हें सबसे बड़ा लक्ष्य बना देता है। विश्व की आर्थिक व्यवस्था के सामने दूसरी चुनौती बनावटी स्फीतिकारी वित्तीय सेक्टर से जन्मी गलत आर्थिक नीति है। आर्थिक व्यवस्था के खास क्षेत्र में अशुद्ध नगद राशि, जो मनी लॉन्ड्रिंग करने वालों को लक्षित है, का बड़ी भारी संख्या में प्रवेश एक झठी मांग की स्थिति पैदा करता है और सरकारी तंत्र इस प्रकार की मांगों से जूझने के लिए आर्थिक नीति में बदलाव करते हैं। जब मनी लॉन्ड्रिंग की प्रक्रिया एक खास स्तर पर पहुंचती है या कानून प्रवर्तन प्राधिकारी रुचि दिखाना प्रारंभ करते हैं, यह सभी धन बिना किसी वांछनीय कारण के गायब हो जाता है और वित्तीय सेक्टर में हाहाकार मच जाता है।स्थानीय स्तर पर इस प्रकार की कठिनाई का संबंध कर प्रणाली और लघु व्यापार प्रतियोगिता से है। मनी लॉन्ड्रिंग से प्राप्त धन पर सामान्तया कर नहीं लगाया जाता जिसका अर्थ है कि कर राजस्व में हुए घाटे को पूरा करना पड़ता है। इसे अतिरिक्त वैध व्यापारी मनी लॉन्डिंग के अग्रणी व्यापारों के साथ प्रतियोगिता नहीं कर सकते, क्योंकि वे अपने उत्पादों को कम दाम पर नहीं बेच सकते। यह कार्य मनी लॉन्ड्रिंग करने वालों के लिए उपयोगी हैं, क्योंकि उनका लक्ष्य अपने धन को शुद्ध बनाना है, न कि लाभ कमाना। उनके पास प्राप्त धन की इतनी प्रचुरता होती है कि वे अपने उत्पाद या सेवा को लागत मूल्य से कम से भी बेच सकते हैं।

व्यापार आधारित मनी लॉन्ड्रिंग (Trade-Based Money Laundering)

फाईनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) के अनुसार व्यापार आधारित मनी लॉन्ड्रिंग (टीबीएमएल) की परिभाषा एक ऐसी प्रक्रिया के रूप में है जिसमें अपराध से प्राप्त धन और व्यापार में की गई लेन-देन के अवैध स्रोतों को छुपाकर इसे वैधता देने का प्रयास किया जाता है। आसान शब्दों में, टीबीएमएल एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यापारिक लेन-देन के द्वारा धन का स्थानांतरण किया जाता है। वास्तव में यह कार्य मूल्य, संख्या या आयात निर्यात की गुणवत्ता को गलत बताकर किया जा सकता है। व्यापार आधारित मनी लॉन्ड्रिंग की मूल तकनीक में निम्नलिखित पहलू शामिल हैं

  • वस्तु और सेवाओं का 'अत्यधिक बीजक' और 'कम बीजक' : वस्तु और सेवाओं का 'अत्यधिक बीजक' और 'कम बीजक' के द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग, जो कि सीमाओं के आर-पार धोखे से मूल्यों में स्थानांतरण करने का एक पुराना तरीका है, आज भी यह अभ्यास सामान्य रूप से जारी है। इस तकनीक का मुख्य आयाम आयात एवं निर्यात के बीच अतिरिक्त मूल्यों का स्थानांतरण करने के लिए वस्तु एवं सेवाओं के मूल्यो को झूठे रूप से दर्शाया जाता है। धन का स्थानांतरण करने के लिए निर्यात का अत्यधिक बीजक' पर आधारित मनी लॉन्ड्रिंग आज भी सबसे सामान्य प्रक्रिया है। इससे यह तथ्य सामने आता है कि अधिकांश कस्टम एजेंसियों का प्राथमिक रूप से ध्यान स्वापक पदार्थों के आयात को रोकना और समूचित आयात कर एकत्रित करनाहै।
  • वस्तु और सेवाओं का आवर्ती बीजक : मनी लॉन्ड्रिंग की दूसरी तकनीक एक ही व्यापारिक लेनदेन के लिए एक से अधिक बीजक जारी करना है। एक ही वस्तु या सेवाओं पर एक से अधिक बीजक जारी करना है। एक ही वस्तु या सेवाओं पर एक से अधिक बीजक जारी कर मनी लॉन्ड्रिंग करने वाला या आतंकवादी इस बात को तर्कसंगत बनाने में सफल हो जाता है कि उसने एक ही वस्तु या सेवाके उपयोग पर बहुआयामी भुगतान किया है। इस संदर्भ में इस बात को याद रखना आवश्यक है कि सामान्य व्यापारिक बीजक हे आयातक या निर्यातक को वस्तु या सेवा के मूल्यों को असत्य रूप से बताना आवश्यक नहीं होता है जो कि 'अत्यधिक बीजक' और 'कम बीजक' में सामान्य है।
  • वस्तु और सेवाओं का अधिक नौभार (Shipment) और कम नीभार : आयात एवं निर्यात मूल्यों में परिवर्तन करने के अतिरिक्त मनी लॉन्ड्रिंग करने वाला वस्तुओं की संख्या या सेवाओं के मूल्यों को बढ़ा या कम कर सकता है। इस प्रकार के अतिवाद मामले में एक निर्यातक कोई भी सामान को भेजे बगैर आयातक के साथ सांठ-गांठ कर यह सुनिश्चित कर सकता है कि 'भूत नौभार' से संबंधित नौभारऔर कस्टम कागजातों को सामान्य प्रक्रिया से गुजारा जाए। कई बार बैंक तथा अन्य वित्तीय संस्थान इस प्रकार की भूत नौभारत को अनजाने में भी व्यापारिक वित्तीय प्रक्रिया में शामिल कर लेते हैं।
  • वस्तु और सेवाओं का असत्य विवरण : आयात एवं निर्यात मूल्यों में हेरफेर करने के अतिरिक्त मनी लॉन्ड्रिंग करने वाला वस्तु या सेवा के प्रकार और गुणवत्ता संबंधी जानकारी को भी असत्य रूप से दे सकता है। उदाहरण के लिए एक निर्यातक तुलनात्मक रूप से सस्ता सामान भेजकर महंगे सामान या पूर्णतः भिन्न सामान के कागजात तैयार कर सकता है। इस प्रक्रिया में वास्तविक रूप से भेजे गए सामान और नौभार द्वारा भेजे गए कागजातों में दिए गए विवरण के बीच विभिन्न अंतर पैदा होते हैं। इस प्रकार के असत्य विवरणों को अन्य व्यापारिक सेवाओं, जैसे वित्तीय सलाह, कंसल्टिंग सेवाएं और मार्केट रिसर्च में भी उपयोग किया जाता है। सामान्य तौर पर 'अत्यधिक बीजक' और 'कम बीजक' का उद्देश्य व्यापारिक लेनदेन तथा नौभार में कर का फायदा लेना है।

मनी लॉन्ड्रिंग रोक अधिनियम (पीएमएलए)

  • पीएमएलए एक आपराधिक कानून है जो 01-07-2005 से लागू है। इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार मनी लॉन्ड्रिंग से संबंधित अनुसूचित अपराधों के लिए सजा का प्रावधान है। पीएमएलए के अंतर्गत 28 विभिन्न नियमों के अंतर्गत 156 अपराध हैं जिन्हें अनुसूचित अपराध माना गया है। जब कभी संबंधित ऐजेंसी किसी अनुसूचित अपराध का मामला दर्ज करती है तो प्रवर्तन निदेशालय पीएमएलए के अंदर उपरोक्त अपराध से पैदा गिए गए धन का पता करने के लिए एक जांच करता है। ऐसे मामले जिसमें प्रथम दृष्टया अपराध या मनी लॉन्डिंग द्वारा धन पैदा किया गया है तो ऐसे मामले में पीएमएलए के अंतर्गत लॉन्ड्रिंग करने वाले की संपत्ति को जब्त या संलग्न किया जा सकता है। पीएमएलए के अंतर्गत जब्त और संलग्न की कार्रवाई को निर्णायक प्राधिकारी द्वारा देखा जाना चाहिए।
  • ऐसा व्यक्ति, प्राकृतिक या वैध, जिसके खिलाफ अनुसूचित अपराध से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध स्थापित होता है, के खिलाफ विशेष न्यायालय में कार्रवाई की जा सकती है। पीएमएलए के प्रावधानों के अनुसार मनी लॉन्ड्रिंग अपराध के दोषी व्यक्तियों को तीन वर्ष का कारावास, जिसे 7 साल तक बढ़ाया जा सकता है और 5 लाख रुपये तक का जुर्माना भी हो सकता है। स्वापक तस्करी से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में दोषी व्यक्तियों के खिलाफ 10 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है। पीएमएलए के अंतर्गत संलग्न संपत्ति को अनुसूचित अपराध के लिए न्यायालय द्वारा दोषी पाए जाने पर अधिग्रहण किया जा सकता है।
  • पीएमएलए के अनुसार इस प्रकार के अवैध धन, यदि विदेशों में रखा हुआ पाया जाता है तो विदेशी प्रशासनों के अनुरोध पत्र के द्वारा साक्ष्य एकत्रित करने के पश्चात् पारस्परिक विधि सहायता के द्वारा वापस देश में लाया जा सकता है। पीएमएलए के अंतर्गत अनुबंधित राष्ट्रों के साथ पारस्पिरिक व्यवस्था के लिए बाहर रखे गए धन की जब्ती, संलग्नता और अधिग्रहण का प्रावधान है। भारत ने 26 देशों के साथ पारस्परिक विधिक सहायता समझौता  किया है और पीएमएलए के प्रावधानों के अनुसार मनी लॉन्ड्रिंग करने वाले व्यक्ति का दोषी पाए जाने के पश्चात् उसकी अवैध संपत्ति को वापस देश में लाने के लिए भारत सरकार पूरी तरह समर्थ है। जब तक किसी व्यक्ति को न्यायालय द्वारा दोषी नहीं पाया जाता तब तक विदेशों में पाई गई उसकी संपत्ति को विदेश के न्यायालय द्वारा जब्त करने हेतु अनुरोध नहीं किया जा सकता है।
  • पीएमएलए की धारा -12 के अनुसार वित्तीय संगठन (बैंकिंग संस्थान, वित्तीय संस्थान और बिचौलियों) को अपने ग्राहकों की पहचान की जांच करने, कागजातों का रखरखाव करने और संदेहपूर्ण लेन-देन को वित्तीय आसूचना यूनिट-भारत को खबर देने का प्रावधान है। निदेशक, वित्तीय आसूचना यूनिट-भारत को धारा-12 का उल्लंघन पाए जाने पर जांच करने और वित्तीय संगठन के ऊपर जुर्माना लगाने का अधिकार है। पीएमएलए के अंतर्गत वित्तीय आसूचना यूनिट-भारत प्राप्त सूचनाओं का विश्लेषण करता है और उपर्युक्त मामले में संबंधित आसूचना/प्रवर्तन एजेंसियों, जिनमें सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्स, सेंट्रल बोर्ड ऑफ अक्साईज एण्ड कस्टम, प्रवर्तन निदेशालय, स्वापक नियंत्रण ब्यूरो, केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो, आसूचना एजेंसी तथा वित्तीय सेक्टर के रेगुलेटर आदि शामिल हैं, को सूचित करता है।
  • दोनों अधिनियम, फेमा और पीएमएलए. के प्रावधानों में यह विशेषता है कि किसी खास व्यक्ति के खिलाफ जांच की जा सकती है और इस प्रकार की कार्रवाई विशेष सूचना की प्राप्ति के आधार पर की जाती है।
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