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International Relations (अंतर्राष्ट्रीय संबंध): November 2023 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly PDF Download

गोवा समुद्री सम्मेलन 2023

चर्चा में क्यों 

हाल ही में गोवा समुद्री सम्मेलन (GMC) 2023 का चौथा संस्करण भारतीय नौसेना द्वारा नेवल वॉर कॉलेज, गोवा के तत्त्वावधान में आयोजित किया गया।

  • सम्मेलन में कोमोरोस, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, मेडागास्कर, मलेशिया, मालदीव, मॉरीशस, म्याँमार, सेशेल्स, सिंगापुर, श्रीलंका और थाईलैंड सहित बारह हिंद महासागर देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
  • GMC के वर्ष 2023 के संस्करण का विषय “हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा: सामान्य समुद्री प्राथमिकताओं को सहयोगात्मक शमन ढाँचे में परिवर्तित करना” है।

सम्मेलन की मुख्य विशेषताएँ

  • परिचय: 
    • GMC आम समुद्री चुनौतियों पर चर्चा करने और क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने के लिये हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) के विभिन्न देशों के नौसेना एवं रक्षा अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय सभा है।
    • यह सम्‍मेलन भारतीय नौसेना की आउटरीच पहल है। यह समुद्री सुरक्षा के संदर्भ में अभ्यासकर्त्ताओं और शिक्षाविदों के सामूहिक ज्ञान को परिणामोन्मुख समुद्री विचार प्राप्त करने तथा उसका उपयोग करने के लिये एक बहुराष्ट्रीय मंच प्रदान करता है।
    • यह समसामयिक और भविष्य की समुद्री चुनौतियों से निपटने के लिये नौसेना प्रमुखों/समुद्री एजेंसियों के प्रमुखों के बीच विचारों के आदान-प्रदान के साथ-साथ सहकारी रणनीतियों को प्रस्तुत करने और साझेदार समुद्री एजेंसियों के बीच अंतर-संचालनता को बढ़ाने के लिये एक मंच उपलब्‍ध कराता है।
  • रक्षा मंत्री का संबोधन:
    • सम्मेलन के दौरान भारत के रक्षा मंत्री ने विभिन्न उद्देश्यों से कार्य करने के बजाय देशों को एक-दूसरे के साथ सहयोग करने की आवश्यकता को रेखांकित करने हेतु "बंदी की दुविधा" अवधारणा का उल्लेख किया।
    • बंदी की दुविधा अवधारणा जब अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के क्षेत्र में लागू की जाती है, तो विभिन्न स्थितियों की व्याख्या और विश्लेषण किया जा सकता है जहाँ देशों को रणनीतिक निर्णय लेने की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
    • उदाहरणतः जब दो या दो से अधिक देश हथियारों की होड़ में शामिल होते हैं, तो वे प्राय आपसी भय और अविश्वास के कारण ऐसा करते हैं।
    • भारतीय रक्षा मंत्री ने आम समुद्री चुनौतियों से निपटने के लिये IOR में बहुराष्ट्रीय सहयोगात्मक शमन ढाँचे की आवश्यकता पर बल दिया।
    • उन्होंने क्षेत्रीय सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ाने के लिये रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के महत्त्व पर ज़ोर दिया।
    • साथ ही इस बात पर ज़ोर दिया कि एक स्वतंत्र, पारदर्शी और नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था हम सभी के लिये प्राथमिकता है। ऐसी समुद्री व्यवस्था में 'संभवतः सही है' का कोई स्थान नहीं है।
    • अंतर्राष्ट्रीय समुद्री कानूनों का पालन, जैसा कि समुद्री कानून पर संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCLOS) 1982 में प्रतिपादित किया गया है, हमारा आदर्श होना चाहिये।

भारत के लिये सुरक्षित हिंद महासागर क्षेत्र का महत्त्व

  • समुद्री सुरक्षा:
  • समुद्री सुरक्षा की कोई सार्वभौमिक परिभाषा नहीं है, लेकिन यह राष्ट्रीय सुरक्षा, समुद्री पर्यावरण, आर्थिक विकास एवं मानव सुरक्षा सहित समुद्री क्षेत्र के मुद्दों को वर्गीकृत करती है।
  • विश्व के महासागरों के अलावा यह क्षेत्रीय समुद्रों, क्षेत्रीय जल, नदियों और बंदरगाहों से भी संबंधित है।

भारत के लिये महत्त्व

  • राष्ट्रीय सुरक्षा:
    • भारत के लिये समुद्री सुरक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है क्योंकि इसकी तटरेखा 7,000 किमी. से अधिक है।
    • प्रौद्योगिकी में प्रगति के साथ समुद्री क्षेत्र में प्राकृतिक खतरों की अपेक्षा अब तकनीकी खतरों का प्रभाव देखा जा रहा है।
  • व्यापारिक प्रयोजन के लिये:
    • भारत का निर्यात और आयात अधिकतर हिंद महासागर के शिपिंग लेन पर निर्भर है।
    • इसलिये 21वीं सदी में भारत के लिये संचार के समुद्री मार्गों की सुरक्षा (SLOC) एक महत्त्वपूर्ण मुद्दा है।
  • चीन की बढ़ती शक्ति का मुकाबला:
    • भारत ने हिंद महासागर क्षेत्र, विशेषकर श्रीलंका, पाकिस्तान और मालदीव जैसे देशों में चीन की बढ़ती उपस्थिति पर चिंता व्यक्त की है।
    • इन क्षेत्रों में चीन-नियंत्रित बंदरगाहों और सैन्य सुविधाओं के विकास को भारत के रणनीतिक हितों एवं क्षेत्रीय सुरक्षा के लिये एक चुनौती के रूप में देखा गया है।
  • भारत में वर्तमान समुद्री सुरक्षा तंत्र:
    • वर्तमान में भारत की तटीय सुरक्षा त्रि-स्तरीय संरचना द्वारा संचालित होती है।
    • भारतीय नौसेना अंतर्राष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (IMBL) पर गश्त करती है, जबकि भारतीय तटरक्षक बल (ICG) को 200 समुद्री मील (यानी विशेष आर्थिक क्षेत्र) तक गश्त और निगरानी करने का आदेश दिया गया है।
    • इसके साथ ही राज्य तटीय/समुद्री पुलिस (SCP/SMP) उथले तटीय क्षेत्रों में नौका से गश्त करती है।
    • SCP का क्षेत्राधिकार तट से 12 समुद्री मील तक है और ICG एवं भारतीय नौसेना का क्षेत्रीय जल (SMP के साथ) सहित पूरे समुद्री क्षेत्र (200 समुद्री मील तक) पर अधिकार क्षेत्र है।
  • भारत की हालिया समुद्री गतिविधियाँ:
    • समुद्री सुरक्षा पर साझा चिंताओं को दूर करने के लिये भारतीय नौसैनिक जहाज़ों ने वर्ष 2023 में मोज़ाम्बिक, सेशेल्स और मॉरीशस जैसे देशों के साथ समन्वित गश्त की।
    • इन गश्तों का उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री डकैती, तस्करी और अवैध तस्करी से निपटना था।
    • भारत अफ्रीकी देशों को आत्मनिर्भरता प्राप्त करने और उनकी समुद्री क्षमताओं को बढ़ाने में सहायता करने के लिये क्षमता निर्माण गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल रहा है।
  • सागर पहल:
    • सागर पहल (Security and Growth for All in the Region- SAGAR) को वर्ष 2015 में शुरू किया गया था। यह हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) के लिये भारत की रणनीतिक पहल है।
    • सागर पहल के माध्यम से भारत अपने समुद्री पड़ोसियों के साथ आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को मज़बूत करने और उनकी समुद्री सुरक्षा क्षमताओं के निर्माण में सहायता करना चाहता है।

भारत-भूटान संबंध

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत और भूटान ने भूटान के राजा की भारत यात्रा के दौरान व्यापार एवं साझेदारी बढ़ाने के लिये क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के नए मार्गों पर चर्चा करने तथा सीमा व इमिग्रेशन पोस्ट को आधुनिक बनाने पर सहमति व्यक्त की।

International Relations (अंतर्राष्ट्रीय संबंध): November 2023 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly

चर्चा के प्रमुख बिंदु क्या हैं?

  • क्षेत्रीय कनेक्टिविटी:
    • भारत और भूटान क्षेत्रीय कनेक्टिविटी के नए मार्गों पर चर्चा करने पर सहमत हुए हैं, जिसमें भूटान में गेलेफू तथा असम में कोकराझार के बीच 58 कि.मी. तक सीमा पार रेल लिंक का विकास शामिल है।
    • इसके अतिरिक्त भूटान के समत्से और पश्चिम बंगाल के चाय बागानों के क्षेत्र में बनारहाट (Banarhat) के बीच लगभग 18 कि.मी. लंबे दूसरे रेल लिंक की खोज करने की योजना है।
    • दोनों पक्षों ने इस परियोजना का समर्थन करने के लिये सीमा और इमिग्रेशन पोस्ट को आधुनिक बनाने पर चर्चा की, यह सीमा क्षेत्र के लिये एक महत्त्वपूर्ण विकास हो सकता है।
  • व्यापार और कनेक्टिविटी:
    • दोनों देश व्यापार के बाद वस्तुओं को पश्चिम बंगाल के हल्दीबाड़ी से बांग्लादेश के चिल्हाटी तक ले जाने की अनुमति देकर व्यापार को सुविधाजनक बनाने पर सहमत हुए, जिसका उद्देश्य व्यापार के अवसरों को बढ़ाना तथा भारतीय क्षेत्र के माध्यम से भूटान एवं बांग्लादेश के बीच माल की आवाजाही को आसान बनाना है।
  • इमिग्रेशन चेक पोस्ट:
    • असम और भूटान के दक्षिणपूर्वी ज़िले के बीच दरंगा-समद्रुप जोंगखार सीमा को एक इमिग्रेशन चेक पोस्ट के रूप में नामित किया जाएगा।
    • इससे न केवल भारतीय और भूटानी नागरिकों को बल्कि तीसरे देश के नागरिकों को भी इस क्षेत्र में प्रवेश करने तथा बाहर जाने की अनुमति मिलेगी, पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा तथा कनेक्टिविटी बेहतर हो सकेगी।
  • भूटानी SEZ परियोजना के लिये समर्थन:
    • दोनों पक्ष दादगिरी (असम) में मौजूदा भूमि सीमा शुल्क स्टेशन को आधुनिक "एकीकृत चेक पोस्ट" (ICP) में अपग्रेड करने के साथ-साथ "गेलेफू में भूटानी पक्ष पर सुविधाओं के विकास" के साथ व्यापार बुनियादी ढाँचे को मज़बूत करने पर सहमत हुए, जो भारत के भूटानी विशेष आर्थिक क्षेत्रों (Special Economic Zones- SEZ) परियोजना के लिये समर्थन को दर्शाता है। 
  • विकासीय सहायता: 
    • भारत ने 13वीं पंचवर्षीय योजना पर विशेष ध्यान देने के साथ भूटान के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिये अपना समर्थन जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई है। यह उनके मज़बूत द्विपक्षीय संबंधों के प्रति स्थायी प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
    • 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिये भारत का 4,500 करोड़ रुपए का योगदान भूटान के कुल बाह्य अनुदान घटक का 73% था।
  • ग्लोबल साउथ के लिये भारत के समर्थन की सराहना:
    • भूटान ने हाल के G20 शिखर सम्मेलन के सफल आयोजन करने तथा दिल्ली घोषणा में उल्लिखित आम सहमति और रचनात्मक निर्णयों को बढ़ावा देने के लिये भारत की प्रशंसा की।
    • भूटान ने G20 विचार-विमर्श में ग्लोबल साउथ देशों के हितों और प्राथमिकताओं को एकीकृत करने के लिये भारत के समर्पण की सराहना की।
  • भारत-भूटान ऊर्जा साझेदारी:
    • 1020 मेगावाट पुनात्सांगछू-II जलविद्युत परियोजना (Punatsangchhu-II hydropower project) के निर्माण की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया गया, इसके वर्ष 2024 में शीघ्र प्रारंभ होने की उम्मीद है।
    • मौजूदा भारत-भूटान ऊर्जा साझेदारी को हाइड्रो से गैर-हाइड्रो नवीकरणीय ऊर्जा तक विस्तारित करने के लिये एक समझौता हुआ, जिसमें सौर ऊर्जा तथा हाइड्रोजन और ई-मोबिलिटी से संबंधित हरित पहल भी शामिल है।
    • भारत ने इन क्षेत्रों में परियोजनाओं के लिये आवश्यक तकनीकी और वित्तीय सहायता का आश्वासन दिया।
  • ऑपरेशन ऑल क्लियर को याद करना:
    • भूटान के राजा ने ऑपरेशन ऑल क्लियर को याद किया जो वर्ष 2003 में भूटान के दक्षिणी क्षेत्रों में असम अलगाववादी विद्रोही समूहों के खिलाफ रॉयल भूटान सेना द्वारा चलाया गया एक सैन्य अभियान था।

भारत के लिये भूटान का क्या महत्त्व है?

  • रणनीतिक महत्त्व:
    • भूटान की सीमाएँ भारत तथा चीन के साथ लगती हैं और इसकी रणनीतिक स्थिति इसे भारत के सुरक्षा हितों के लिये एक महत्त्वपूर्ण बफर राज्य (वह सार्वभौमिक, भौगोलिक इकाई जो सामान्यतः दो बड़े और शक्तिशाली राज्यों के बीच अवस्थित होती है) बनाती है।
    • भारत ने भूटान को रक्षा, बुनियादी ढाँचे और संचार जैसे क्षेत्रों में सहायता प्रदान की है, जिससे भूटान की संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने में सहायता मिली है।
    • भारत ने भूटान को उसकी रक्षा क्षमताओं को मज़बूत करने तथा क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने के लिये सड़क और पुल जैसे सीमावर्ती बुनियादी ढाँचे के निर्माण एवं रखरखाव में सहायता की है।
    • वर्ष 2017 में भारत और चीन के बीच डोकलाम गतिरोध के दौरान भूटान ने चीनी घुसपैठ का विरोध करने के लिये भारतीय सैनिकों को अपने क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति देने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • आर्थिक महत्त्व:
    • भारत भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार एवं प्रमुख निर्यात गंतव्य है।
    • भूटान की जलविद्युत क्षमता देश के लिये राजस्व का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है तथा भारत, भूटान की जलविद्युत परियोजनाओं को विकसित करने में सहायक रहा है।
    • भारत, भूटान को उसकी विकास परियोजनाओं के लिये वित्तीय सहायता भी प्रदान करता है।
  • सांस्कृतिक महत्त्व:
    • भूटान एवं भारत के बीच सांस्कृतिक संबंध मज़बूत हैं क्योंकि दोनों देश मुख्य रूप से बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं।
    • भारत ने भूटान को उसकी सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में सहायता प्रदान की है तथा  कई भूटानी छात्र उच्च शिक्षा के लिये भारत आते हैं।
  • पर्यावरणीय महत्त्व:
    • भूटान विश्व के उन देशों में से एक है जिन्होनें कार्बन-तटस्थ रहने का संकल्प लिया है और भारत भूटान को इस लक्ष्य को हासिल करने में मदद करने वाला एक प्रमुख भागीदार देश है।
    • भारत ने भूटान को नवीकरणीय ऊर्जा, वन संरक्षण एवं सतत् पर्यटन जैसे क्षेत्रों में भी सहायता प्रदान की है।

भारत-भूटान संबंधों में चुनौतियाँ क्या हैं? 

  • चीन का बढ़ता प्रभाव:
    • भूटान में, विशेषकर भूटान व चीन के बीच विवादित सीमा पर चीन की बढ़ती उपस्थिति ने भारत की चिंताएँ बढ़ा दी हैं। भारत भूटान का सर्वाधिक निकट सहयोगी रहा है तथा इसने भूटान की संप्रभुता एवं सुरक्षा को बनाए रखने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
    • हालाँकि संबद्ध क्षेत्र में चीन का बढ़ता आर्थिक एवं सैन्य प्रभाव भूटान में भारत के रणनीतिक हितों के लिये चुनौती उत्पन्न करता है।
  • सीमा विवाद:
    • भारत तथा भूटान 699 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं, जहाँ पर माहौल काफी हद तक शांतिपूर्ण रहा है।
    • हालाँकि हाल के वर्षों में चीनी सेना द्वारा सीमा पर घुसपैठ की कुछ घटनाएँ हुई हैं।
    • वर्ष 2017 में डोकलाम गतिरोध भारत-चीन-भूटान ट्राइ-जंक्शन में टकराव का एक प्रमुख कारण था। ऐसे किसी भी विवाद के बढ़ने से भारत-भूटान संबंधों में तनाव आ सकता है।
  • जलविद्युत परियोजनाएँ:
    • भूटान का जलविद्युत क्षेत्र इसकी अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख स्तंभ है तथा भारत इसके विकास में एक प्रमुख भागीदार रहा है।
    • हालाँकि भूटान में कुछ जलविद्युत परियोजनाओं की शर्तों को लेकर चिंताएँ व्याप्त हैं, जिन्हें भारत के लिये बहुत अनुकूल माना जाता है।
    • इसके कारण भूटान में इस क्षेत्र में भारतीय भागीदारी का कुछ लोगों ने विरोध किया है।
  • व्यापार संबंधी मुद्दे:
    • भारत, भूटान का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, जिसका भूटान के कुल आयात एवं निर्यात में 80% से अधिक का योगदान है। हालाँकि व्यापारिक असंतुलन को लेकर कुछ चिंताएँ हैं, भूटान निर्यात की तुलना में भारत से अधिक आयात करता है।
    • भूटान अपने उत्पादों के लिये भारतीय बाज़ार तक अधिक पहुँच की मांग कर रहा है, जिससे व्यापार घाटे को कम करने में सहायता प्राप्त हो सकती है।

आगे की राह

  • भारत बुनियादी ढाँचे के विकास, पर्यटन एवं अन्य क्षेत्रों में निवेश करके भूटान को उसकी अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में सहायता प्रदान कर सकता है। इससे न केवल भूटान को आत्मनिर्भर बनने में सहायता मिलेगी बल्कि यहाँ के लोगों के लिये रोज़गार के अवसर भी सृजित होंगे।
  • भारत तथा भूटान एक-दूसरे की संस्कृति, कला, संगीत एवं साहित्य की अधिक समझ और सराहना को बढ़ावा देने के लिये सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों को बढ़ावा दे सकते हैं।
    • दोनों देशों के लोगों की वीज़ा-मुक्त आवाजाही उप-क्षेत्रीय सहयोग को मज़बूत कर सकती है।
  • भारत तथा भूटान साझा सुरक्षा चिंताओं को दूर करने के लिये अपने रणनीतिक सहयोग को मज़बूत कर सकते हैं। वे आतंकवाद, मादक पदार्थों की तस्करी के साथ अन्य अंतर्राष्ट्रीय अपराधों से निपटने के लिये मिलकर कार्य कर सकते हैं।

भारत-इथियोपिया संयुक्त व्यापार समिति का छठा सत्र

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत-इथियोपिया संयुक्त व्यापार समिति (JTC) का छठा सत्र अदीस अबाबा (इथियोपिया) में आयोजित किया गया। इसमें आर्थिक संबंधों को मज़बूत करने के लिये दोनों देशों के अधिकारियों ने भी भाग लिया।

JTC बैठक के प्रमुख बिंदु

  • भारत ने इथियोपिया के एथस्विच के साथ यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) को एकीकृत करने पर सहयोग के लिये इथियोपिया को आमंत्रित किया।
  • एथस्विच इथियोपिया में एक भुगतान प्लेटफॉर्म बुनियादी ढाँचा है।
  • भारतीय पक्ष ने इथियोपिया से स्थानीय मुद्रा में व्यापारिक लेन-देन के निपटान की संभावना का पता लगाने का भी आग्रह किया, जिससे द्विपक्षीय व्यापार संबंधों तथा विदेशी मुद्रा के संरक्षण को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
  • इन क्षेत्रों में स्वास्थ्य और फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोबाइल्‍स, कपड़ा, बुनियादी ढाँचा परियोजनाएँ, खाद्य तथा कृषि प्रसंस्करण इत्यादि शामिल हैं।
  • दोनों पक्षों ने मानकीकरण और गुणवत्ता आश्वासन तथा सीमा शुल्क प्रक्रिया के क्षेत्र में समझौता ज्ञापन (MoU) को लेकर जारी चर्चाओं की प्रगति की भी समीक्षा की तथा उन्हें शीघ्रता से पूरा करने पर सहमति व्यक्त की।

भारत-इथियोपिया व्यापार संबंध कैसे रहे हैं?

  • भारत इथियोपिया के लिये दीर्घकालिक रियायती ऋण के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है, जिसमें ग्रामीण विद्युतीकरण, चीनी उद्योग और रेलवे जैसे क्षेत्रों के लिये 1 बिलियन अमेरिकी डाॅलर से अधिक का ऋण शामिल है।
  • भारत और इथियोपिया के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2022-23 में 642.59 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया।
  • वर्ष 2021-22 में इथियोपिया की अर्थव्यवस्था अनुमानित 6.4% बढ़ी।
  • भारत इथियोपिया का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है।
  • भारतीय कंपनियाँ इथियोपिया में शीर्ष तीन विदेशी निवेशकों में शामिल हैं, जिनका मौजूदा निवेश कुल 5 अरब अमेरिकी डॉलर है।
  • इथियोपिया और भारत के बीच कई उच्च-स्तरीय यात्राएँ हुई हैं, जिनमें मंत्रियों, प्रधानमंत्रियों और राष्ट्रपतियों की यात्राएँ शामिल हैं।

भारत और नीदरलैंड संबंध

चर्चा में क्यों?  

हाल ही में भारत और नीदरलैंड द्वारा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा नवाचार में द्विपक्षीय सहयोग की समीक्षा की गई है।
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प्रमुख बिंदु 


  • संपन्न बैठक में भारत का ज़ोर इस बात पर रहा कि स्वास्थ्य, कृषि और जल ये तीनों क्षेत्र, दोनों देशों के मध्य घनिष्ठ पारस्परिक सहयोग के आधार हैं।
  • नीदरलैंड की तरफ से ग्रीन हाइड्रोजन और महासागर विज्ञान के क्षेत्र में मिलकर कार्य करने का प्रस्ताव रखा गया।
  • दोनों देशों द्वारा स्मार्ट एनर्जी ग्रिड, बिग डेटा और इंटरनेट ऑफ थिंग्स के संबंध में संयुक्त अनुसंधान एवं विकास का समर्थन करने पर सहमति व्यक्त की गई।
  • भारत ने नीदरलैंड को अंतरिक्ष क्षेत्र में जानकारी साझा करने हेतु आमंत्रित किया, विशेष रूप से हाल के दिनों में भारत द्वारा शुरू किये गए पथ-प्रदर्शक सुधारों के मद्देनज़र, निजी क्षेत्र को उपग्रह प्रक्षेपण और अंतरिक्ष आधारित गतिविधियों में एक समान अवसर प्रदान करने की अनुमति दी गई है।
  • दोनों देशों द्वारा भविष्य में सौर ऊर्जा, गैस आधारित प्रतिष्ठानों, साइबर सुरक्षा, डेटा विज्ञान, शहरी जल प्रणाली और उभरते अन्य क्षेत्रों में सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की गई जिससे भारत में लोगों के लिये रोज़गार के नए अवसर उत्पन्न होंगे।
  • जलवायु परिवर्तन संपूर्ण विश्व के लिये चिंता का प्रमुख कारण है, इस पर भी प्रकाश डाला गया।

भारत-नीदरलैंड संबंध

  • आर्थिक और व्यापारिक: वित्त वर्ष 2021 में नीदरलैंड भारत में विदेशी निवेश का छठा सबसे बड़ा निवेशक देश है।
  • नीदरलैंड यूरोपीय संघ का भारत का 5वांँ सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदारी वाला देश है। यह भारत के अग्रणी निवेशक देशों में से एक है।
  • ऐतिहासिक संबंध: भारत-डच संबंध 400 वर्षों से भी अधिक पुराने हैं, भारत में पहली डच ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना लगभग 17वीं शताब्दी ईस्वी में हुई थी।
    • वर्ष 1947 में दोनों देशों के मध्य आधिकारिक संबंध स्थापित हुए और तभी से दोनों के संबंध सौहार्दपूर्ण और मैत्रीपूर्ण हैं।
    • दोनों देश लोकतंत्र, बहुलवाद और कानून के शासन के समान आदर्शों को भी साझा करते हैं।
  • सांस्कृतिक संबंध: वर्तमान में नीदरलैंड यूरोपीय मुख्य भूमि में भारतीय समुदाय का निवास स्थल है।
    • अक्तूबर 2011 में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR) सांस्कृतिक केंद्र "गांधी केंद्र" हेग में स्थापित किया गया था।
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी में सहयोग: नीदरलैंड्स ऑर्गनाइज़ेशन फॉर साइंटिफिक रिसर्च (Netherlands Organization for Scientific Research- NWO) भारत सरकार के विभिन्न विभागों के साथ सहयोग करता है।
  • उदाहरणतः "स्वस्थ पुन: उपयोग के लिये शहरी सीवेज धाराओं का स्थानीय उपचार (LOTUS-HR)" शीर्षक से एक परियोजना चल रही है।
  • LOTUS-HR परियोजना भारत के जैव प्रौद्योगिकी विभाग और डच (Dutch) NWO-TTW द्वारा वित्तपोषित विश्वविद्यालयों और कंपनियों का एक भारत-नीदरलैंड संयुक्त सहयोग है।
  • जल प्रबंधन में सहयोग:
    • डच इंडो वाटर एलायंस लीडरशिप इनिशिएटिव (Dutch Indo Water Alliance Leadership Initiative- DIWALI) नामक एक मंच विकसित किया गया है जिसमें शामिल होकर भारत और नीदरलैंड पानी की समस्या संबंधी चुनौतियों का समाधान कर  सकते हैं।
    • कृषि में सहयोग: कृषि भारत के साथ द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिये नीदरलैंड द्वारा पहचाने गए प्रमुख क्षेत्रों में से एक है।
    • कृषि पर 5वीं संयुक्त कृषि कार्य समूह (Joint Agriculture Working Group- JAWG) की बैठक वर्ष 2018 में नई दिल्ली में हुई थी।
    • JAWG के तहत एक कार्ययोजना पर हस्ताक्षर किये गए, जिसमें बागवानी, पशुपालन और डेयरी, मत्स्य पालन तथा खाद्य प्रसंस्करण में उत्कृष्टता केंद्र (Centres of Excellence- CoE) स्थापित करने में सहयोग की परिकल्पना की गई है।
    • इसके साथ ही कोल्ड चेन, आपूर्ति शृंखला प्रबंधन आदि के क्षेत्र में कौशल विकास और क्षमता निर्माण भी शामिल है।
  • स्वास्थ्य सहयोग:
    • संचारी रोगों और रोगाणुरोधी प्रतिरोध से जुड़ी उभरती स्वास्थ्य चुनौतियों में अधिक अनुसंधान सहयोग को बढ़ावा देने के लिये जनवरी 2014 में स्वास्थ्य देखभाल एवं सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहयोग हेतु एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए थे।

भारत-अमेरिका 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारत-अमेरिका 2+2 मंत्रिस्तरीय संवाद के 5वें संस्करण का आयोजन किया गया, जिसमें दोनों देशों ने रक्षा, सेमीकंडक्टर, उभरती प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, स्वास्थ्य आदि सहित द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति पर प्रकाश डाला।

  • वर्ष 2018 से अमेरिकी नेताओं के साथ प्रत्येक वर्ष 2+2 बैठकें आयोजित की जा रही हैं।

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2+2 बैठक क्या है?

  • परिचय:
    • 2+2 बैठकें दोनों देशों में से प्रत्येक के दो उच्च-स्तरीय प्रतिनिधियों, विदेश एवं रक्षा विभागों के मंत्रियों की भागीदारी का संकेत देती हैं, जिनका उद्देश्य उनके बीच बातचीत के दायरे को बढ़ाना है।
    • इस तरह के तंत्र से साझेदार दोनों पक्षों के राजनीतिक कारकों को ध्यान में रखते हुए एक-दूसरे की रणनीतिक चिंताओं एवं संवेदनशीलताओं को अधिक प्रभावी ढंग से समझने और महत्त्व देने में सक्षम बनाया जा सकता है। इससे बदलते वैश्विक परिवेश में मज़बूत, अधिक एकीकृत रणनीतिक संबंध बनाने में मदद मिलती है।
  • भारत के 2+2 भागीदार:
    • अमेरिका भारत का सबसे पुराना और सबसे प्रमुख 2+2 वार्ता भागीदार है।
    • इसके अतिरिक्त भारत ने ऑस्ट्रेलिया, जापान, यूनाइटेड किंगडम और रूस के मंत्रियों के साथ 2+2 बैठकें की हैं।

भारत-अमेरिका 2+2 वार्ता की मुख्य विशेषताएँ क्या हैं?

  • रक्षा सौदे:
    • दोनों देशों का लक्ष्य रक्षा प्रौद्योगिकियों में गहरी साझेदारी को बढ़ावा देते हुए सहयोगात्मक रूप से रक्षा प्रणालियों का सह-विकास एवं सह-उत्पादन करना है।
    • भारत तथा अमेरिका वर्तमान में MQ-9B मानव रहित हवाई वाहनों की खरीद और भारत में जनरल इलेक्ट्रिक के F-414 जेट इंजन के लाइसेंस प्राप्त निर्माता के लिये सौदे पर बातचीत कर रहे हैं।
    • ये सौदे भारत की रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के लक्ष्य के अनुरूप हैं।
    • दोनों देशों के मंत्री आपूर्ति व्यवस्था की सुरक्षा (Security of Supply Arrangement- SOSA) को अंतिम रूप देने के लिये तत्पर देखे गए, जो रोडमैप में एक प्रमुख प्राथमिकता है तथा यह आपूर्ति शृंखला की अनुकूलता को मज़बूत करते हुए दोनों देशों के रक्षा औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र को एकीकृत करेगा।
  • इन्फेंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स और भविष्य की योजनाएँ:
    • दोनों पक्षों ने रक्षा उद्योग सहयोग रोडमैप के हिस्से के रूप में इन्फेंट्री कॉम्बैट व्हीकल्स/पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों, विशेष रूप से स्ट्राइकर (Stryker) पर चर्चा की।
    • भारतीय सेना की ज़रूरतों को निर्धारित किये जाने तथा भारतीय व अमेरिकी उद्योग तथा सैन्य टीमों के बीच सहयोग के माध्यम से एक ठोस उत्पादन योजना स्थापित होने के बाद इन्फेंट्री कॉम्बैट प्रणालियों के बीच सहयोग को औपचारिक रूप दिया जाएगा।
  • रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग में प्रगति:
    • दोनों पक्षों ने जून 2023 में लॉन्च किये गए भारत-अमेरिका रक्षा औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र, INDUS-X की प्रगति की समीक्षा की, जिसका उद्देश्य रणनीतिक प्रौद्योगिकी साझेदारी और रक्षा औद्योगिक सहयोग का विस्तार करना है।
  • संयुक्त समुद्री बलों में सदस्यता:
    • बहरीन में मुख्यालय वाली बहुपक्षीय संरचना, संयुक्त समुद्री बलों का पूर्ण सदस्य बनने के भारत के फैसले का अमेरिका के रक्षा सचिव ने स्वागत किया।
    •  यह कदम क्षेत्रीय समुद्री सुरक्षा के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  • समुद्री सुरक्षा:
    • दोनों देशों ने महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों की सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने के महत्त्व को स्वीकार करते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित किया।
  • अंतरिक्ष और सेमीकंडक्टर सहयोग:
    • मंत्रियों ने वाणिज्यिक और रक्षा दोनों क्षेत्रों में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकी मूल्य शृंखला सहयोग बनाने के लिये महत्त्वपूर्ण व उभरती प्रौद्योगिकी (iCET) पर भारत-अमेरिका पहल के तहत हुई तीव्र प्रगति का स्वागत किया।  
    • उन्होंने संबंधित सरकारों, शैक्षणिक, अनुसंधान और कॉर्पोरेट क्षेत्रों से वैश्विक नवाचार में तेज़ी लाने तथा दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं को लाभ पहुँचाने के लिये क्वांटम, दूरसंचार, जैव प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता एवं सेमीकंडक्टर जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में इन रणनीतिक साझेदारियों को सक्रिय रूप से जारी रखने का आह्वान किया।
    • उन्होंने रणनीतिक व्यापार संवाद निगरानी तंत्र की शीघ्र बैठक का स्वागत किया।
  • चीन आक्रामकता पर चर्चा:
    • अमेरिका ने इस बात पर ज़ोर दिया कि द्विपक्षीय संबंध चीन द्वारा पेश की गई चुनौतियों से निपटने से परे हैं।
  • भारत-कनाडा विवाद:
    • भारत और कनाडा के बीच विवाद, विशेष रूप से अमेरिका और कनाडा में स्थित खालिस्तान अलगाववादियों से संबंधित सुरक्षा चिंताओं को संबोधित किया गया।
    • भारत ने अपने साझेदारों को मुख्य सुरक्षा चिंताओं से अवगत कराया।
  • इज़रायल-हमास युद्ध:
    • भारत ने इज़रायल-हमास संघर्ष पर अपना रुख दोहराया, टू स्टेट सॉल्यूशन (आधिकारिक तौर पर सीमांकित और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त दो देश) तथा बातचीत को जल्द-से-जल्द फिर से शुरू करने का समर्थन किया।
    • अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के पालन और नागरिक हताहतों की निंदा पर ज़ोर देते हुए मानवीय सहायता प्रदान करने की मांग की गई है।

अमेरिका के साथ भारत के संबंध कैसे रहे हैं?

  • परिचय:
    • अमेरिका-भारत रणनीतिक साझेदारी लोकतंत्र के प्रति प्रतिबद्धता और नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली को बनाए रखने सहित साझा मूल्यों पर आधारित है।
    • व्यापार, निवेश और कनेक्टिविटी के माध्यम से वैश्विक सुरक्षा, स्थिरता तथा आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देने में दोनों के साझा हित हैं।
  • आर्थिक संबंध:
    • दोनों देशों के बीच बढ़ते आर्थिक संबंधों के कारण वर्ष 2022-23 में अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार बनकर उभरा है।
    • भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2022-23 में 7.65% बढ़कर 128.55 अमेरिकी डॉलर हो गया, जबकि वर्ष 2021-22 में यह 119.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
    • वर्ष 2022-23 में अमेरिका के साथ निर्यात 2.81% बढ़कर 78.31 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है, जबकि वर्ष 2021-22 में यह 76.18 बिलियन अमेरिकी डॉलर था तथा आयात लगभग 16% बढ़कर 50.24 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग:
    • संयुक्त राष्ट्र, G-20, दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान), क्षेत्रीय फोरम, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक और विश्व व्यापार संगठन सहित बहुपक्षीय संगठनों में भारत एवं संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों देश मज़बूत सहयोगी हैं। 
    • संयुक्त राज्य अमेरिका ने वर्ष 2021 में दो साल के कार्यकाल के लिये भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शामिल करने का स्वागत किया। इसके अतिरिक्त संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार का समर्थन किया जिसमें भारत एक स्थायी सदस्य के रूप में शामिल है।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत ने एक मुक्त तथा स्वतंत्र भारत-प्रशांत सहयोग को बढ़ावा देने एवं क्षेत्र को उचित लाभ प्रदान करने के लिये ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ क्वाड समूह का गठन किया है।
    • भारत समृद्धि के लिये हिंद-प्रशांत आर्थिक ढाँचा (Indo-Pacific Economic Framework for Prosperity- IPEF) पर संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ साझेदारी करने वाले बारह देशों में से है।
    • भारत इंडियन ओशन रिम एसोसिएशन (IORA) का सदस्य है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका एक संवाद भागीदार है।
    • संयुक्त राज्य अमेरिका वर्ष 2021 में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल हो गया, जिसका मुख्यालय भारत में है और यह वर्ष 2022 में यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) में भी शामिल हुआ।
  • आधारभूत समझौते का ट्रोइका:
    • भारत ने अब अमेरिका के साथ सभी चार आधारभूत समझौतों पर हस्ताक्षर किये हैं- वर्ष 2016 में लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA), वर्ष 2018 में संचार संगतता और सुरक्षा समझौता (COMCASA) तथा 2020 में भू-स्थानिक सहयोग के लिये बुनियादी विनिमय तथा सहयोग समझौते (BECA)।
    • जबकि सैन्य सूचना समझौते की सामान्य सुरक्षा (GSOMIA) पर काफी समय पहले हस्ताक्षर किये गए थे, इसके विस्तार, औद्योगिक सुरक्षा अनुबंध (ISA) पर वर्ष 2019 में हस्ताक्षर किये गए थे।

भारत-अमेरिका संबंधों को लेकर प्रमुख चुनौतियाँ

  • अमेरिका द्वारा भारतीय विदेश नीति की आलोचना:
    • भारतीय अभिजात वर्ग ने लंबे समय से विश्व को गुटनिरपेक्षता के चश्मे से देखा है, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से ही गठबंधन संबंध अमेरिकी विदेश नीति के केंद्र में रहा है।
    • भारत की गुटनिरपेक्षता की नीति, विशेषकर शीत युद्ध के दौरान हमेशा पश्चिम और विशेष रूप से अमेरिका के लिये चिंता का विषय रही है।
    • 9/11 के हमलों के बाद अमेरिका ने भारत से अफगानिस्तान में सेना भेजने की मांग की थी लेकिन भारतीय सेना ने इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया था।
    • वर्ष 2003 में जब अमेरिका ने इराक पर हमला किया, तब भी भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने सैन्य समर्थन से इनकार कर दिया था।
    • हाल में भी रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत ने अमेरिका के दृष्टिकोण का पालन करने से इनकार कर दिया और राष्ट्रीय आवश्यकता के अनुरूप सस्ते रूसी तेल का आयात रिकॉर्ड स्तर पर जारी रखा है।
    • भारत को ‘इतिहास के सही पक्ष’ में लाने की मांग को लेकर प्रायः अमेरिका समर्थक आवाज़ें उठती रही हैं।
  • अमेरिका के विरोधियों के साथ भारत की संलग्नता:
    • भारत ने ईरान और वेनेज़ुएला के तेल के खुले बाज़ार पहुँच पर अमेरिकी प्रतिबंध की आलोचना की है।
    • ईरान को शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में लाने के लिये भारत ने भी सक्रिय रूप से कार्य किया है।
    • चीन समर्थित एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (AIIB) में प्रमुख भागीदार बने रहने के अलावा भारत ने सीमा विवाद को सुलझाने के लिये चीन के साथ 18 दौर की वार्ता भी संपन्न की है।
  • अमेरिका द्वारा भारतीय लोकतंत्र की आलोचना:
    • विभिन्न अमेरिकी संगठन और फाउंडेशन, कुछ अमेरिकी कॉन्ग्रेस एवं सीनेट सदस्यों के मौन समर्थन के साथ भारत में लोकतांत्रिक विमर्श, प्रेस और धार्मिक स्वतंत्रता एवं अल्पसंख्यकों की वर्तमान स्थिति को प्रश्नगत करने वाली रिपोर्ट्स पेश करते रहे हैं।
    • अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट 2023 और भारत पर मानवाधिकार रिपोर्ट 2021 ऐसी कुछ चर्चित रिपोर्ट्स रही हैं।
  • आर्थिक तनाव:
    • आत्मनिर्भर भारत अभियान ने अमेरिका में इस विचार को तीव्रता प्रदान की है कि भारत तेज़ी से एक संरक्षणवादी बंद बाज़ार अर्थव्यवस्था में परिणत होता जा रहा है।
    • अमेरिका ने GSP कार्यक्रम के तहत भारतीय निर्यातकों को प्राप्त शुल्क-मुक्त लाभों की समाप्ति का निर्णय लिया (जून 2019 से प्रभावी), जिससे भारत के दवा, कपड़ा, कृषि उत्पाद और ऑटोमोटिव पार्ट्स जैसे निर्यात-उन्मुख क्षेत्र प्रभावित हो रहे हैं।

आगे की राह 

  • मुक्त, खुले और विनियमित हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने के लिये दोनों देशों के बीच साझेदारी होना महत्त्वपूर्ण है।
  • अद्वितीय जनसांख्यिकीय लाभांश अमेरिकी और भारतीय फर्मों के लिये तकनीकी हस्तांतरण, निर्माण, व्यापार एवं निवेश हेतु बड़े अवसर प्रदान करता है।
  • भारत, अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में अग्रणी अभिकर्त्ता के रूप में उभरने के साथ ही एक अभूतपूर्व परिवर्तन के दौर से गुज़र रहा है। भारत अपनी वर्तमान स्थिति का उपयोग करते हुए आगे बढ़ने के अवसरों का पता लगाने का प्रयास करेगा।
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FAQs on International Relations (अंतर्राष्ट्रीय संबंध): November 2023 UPSC Current Affairs - Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly

1. गोवा समुद्री सम्मेलन 2023 क्या है?
उत्तर: गोवा समुद्री सम्मेलन 2023 भारत का एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन है जिसमें विभिन्न देशों के लोगों और संगठनों के समुद्री मामलों पर चर्चा और सहयोग किया जाता है। इस सम्मेलन का आयोजन गोवा राज्य में होगा।
2. भारत-भूटान संबंध क्या हैं?
उत्तर: भारत-भूटान संबंध भारत और भूटान के बीच द्विपक्षीय संबंधों को दर्शाते हैं। यह दोनों देशों के बीच व्यापार, कारगरी, साझा सुरक्षा, सांस्कृतिक आपसी तालमेल, आर्थिक सहयोग और राजनीतिक संबंधों को समेटते हैं।
3. भारत-इथियोपिया संयुक्त व्यापार समिति क्या है?
उत्तर: भारत-इथियोपिया संयुक्त व्यापार समिति दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक सहयोग के माध्यम से संबंधों को सुदृढ़ करने के लिए स्थापित की गई है। इस समिति के माध्यम से व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी, औद्योगिक विकास, कृषि और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग किया जाता है।
4. भारत और नीदरलैंड के संबंध क्या हैं?
उत्तर: भारत और नीदरलैंड एक दूसरे के साथ द्विपक्षीय संबंध रखते हैं। इन दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी, शिक्षा, साझा सुरक्षा और कला-संस्कृति क्षेत्र में सहयोग होता है। नीदरलैंड भारत का महत्वपूर्ण व्यापारिक साथी है और दोनों देशों के बीच अच्छे रिश्तों का संकेत है।
5. भारत-अमेरिका 2 2 मंत्रिस्तरीय वार्ताअंतर्राष्ट्रीय संबंध क्या हैं?
उत्तर: भारत-अमेरिका 2 2 मंत्रिस्तरीय वार्ताअंतर्राष्ट्रीय संबंध भारत और अमेरिका के बीच रक्षा, आर्थिक, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, कृषि, वित्तीय सहयोग, शिक्षा और साझा सुरक्षा के क्षेत्रों में सहयोग को सुदृढ़ करने के लिए स्थापित की गई है। इसका आयोजन दोनों देशों के मंत्रियों के बीच होता है और यह दोनों देशों के बीच राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
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