UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly  >  History, Art & Culture (इतिहास, कला और संस्कृति): January 2023 UPSC Current Affairs

History, Art & Culture (इतिहास, कला और संस्कृति): January 2023 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly PDF Download

पराक्रम दिवस 2023

चर्चा में क्यों?

पराक्रम दिवस (23 जनवरी) 2023 के अवसर पर अंडमान और निकोबार के 21  द्वीपों का नाम परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के नाम पर रखा गया है। 

  • नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वीप पर नेताजी को समर्पित एक राष्ट्रीय स्मारक बनाया जाएगा। 
  • पराक्रम दिवस स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती के अवसर पर मनाया जाता है।  

द्वीपों के नामकरण का उद्देश्य

  • परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के नाम वाले द्वीप आने वाली पीढ़ियों के लिये प्रेरणा स्थल होंगे। लोग अब भारत के इतिहास को जानने एवं इन द्वीपों को देखने के लिये प्रोत्साहित होंगे।
  • परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च सैन्य अलंकरण है, जो युद्ध के दौरान ज़मीन पर, समुद्र या हवा में वीरता के विशिष्ट कार्यों को प्रदर्शित करने के लिये दिया जाता है।
  • इसका उद्देश्य उन भारतीय नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित करना है, जिनमें से कई ने भारत की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा हेतु अपना बलिदान दिया था।
  • द्वीपों का नाम मेजर सोमनाथ शर्मा, सूबेदार और मानद कैप्टन (तत्कालीन लांस नायक) करम सिंह, नायक जदुनाथ सिंह आदि के नाम पर रखा गया है।

सुभाष चंद्र बोस 

  • जन्म: 
    • सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 को उड़ीसा के कटक शहर में हुआ था। उनकी माता का नाम प्रभावती दत्त बोस और पिता का नाम जानकीनाथ बोस था। 
  • परिचय: 
    • वर्ष 1919 में बोस ने भारतीय सिविल सेवा (Indian Civil Services- ICS) परीक्षा पास की, हालाँकि कुछ समय बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
    • वे स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं से अत्यधिक प्रभावित थे और उन्हें अपना आध्यात्मिक गुरु मानते थे।
    • उनके राजनीतिक गुरु चितरंजन दास थे।

History, Art & Culture (इतिहास, कला और संस्कृति): January 2023 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly

  • कॉन्ग्रेस के साथ संबंध:
    • उन्होंने बिना शर्त स्वराज (Unqualified Swaraj) अर्थात् स्वतंत्रता का समर्थन किया और मोतीलाल नेहरू रिपोर्ट का विरोध किया जिसमें भारत के लिये डोमिनियन (अधिराज्य) के दर्जे की बात कही गई थी।
    • उन्होंने वर्ष 1930 के नमक सत्याग्रह में सक्रिय रूप से भाग लिया और वर्ष 1931 में सविनय अवज्ञा आंदोलन के निलंबन तथा गांधी-इरविन समझौते पर हस्ताक्षर करने का विरोध किया।
    • वर्ष 1930 के दशक में वह जवाहरलाल नेहरू और एम.एन. रॉय के साथ कॉन्ग्रेस की वाम राजनीति में संलग्न रहे। 
    • बोस ने वर्ष 1938 में हरिपुरा में कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष का चुनाव जीता।
    • इसके पश्चात् वर्ष 1939 में उन्होंने त्रिपुरी में गांधी जी द्वारा समर्थित उम्मीदवार पट्टाभि सीतारमैय्या के विरुद्ध पुनः अध्यक्ष पद का चुनाव जीता।
    • गांधी जी के साथ वैचारिक मतभेद के कारण बोस ने कॉन्ग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया और कॉन्ग्रेस से अलग हो गए। उनकी जगह राजेंद्र प्रसाद को नियुक्त किया गया था।
    • कॉन्ग्रेस से अलग होकर उन्होंने ‘द फॉरवर्ड ब्लॉक’ नाम से एक नया दल बनाया। इसके गठन का उद्देश्य अपने गृह राज्य बंगाल में वाम राजनीति के आधार को और अधिक मज़बूत करना था।
  • इंडियन नेशनल आर्मी (आज़ाद हिन्द फौज): 
    • वह जुलाई 1943 में जर्मनी से सिंगापुर (जापान द्वारा नियंत्रित) पहुँचे, वहाँ से उन्होंने अपना प्रसिद्ध नारा 'दिल्ली चलो' जारी किया और 21 अक्टूबर, 1943 को आज़ाद हिंद सरकार और भारतीय राष्ट्रीय सेना के गठन की घोषणा की।
    • INA का गठन पहली बार मोहन सिंह और जापानी मेजर इवाइची फुजिवारा के तहत किया गया था और इसमें ब्रिटिश-भारतीय सेना के युद्ध के भारतीय कैदी शामिल थे, जिन्हें मलायन (वर्तमान मलेशिया) तथा सिंगापुर अभियान में जापान द्वारा कब्ज़ा कर लिया गया था।
    • INA में सिंगापुर से भारतीय युद्ध कैदी और दक्षिण-पूर्व एशिया से भारतीय नागरिक दोनों शामिल थे। इनकी संख्या बढ़कर 50,000 हो गई।
    • INA ने वर्ष 1944 में इंफाल और बर्मा में भारत की सीमाओं के अंदर ब्रिटिश सेना से लड़ाई लड़ी।
    • नवंबर 1945 में INA के लोगों पर मुकदमा चलाने के ब्रिटिश सरकार के एक कदम ने पूरे देश में बड़े पैमाने पर प्रदर्शनों को भड़का दिया।

जगन्नाथ मंदिर

हाल ही में ओडिशा के राज्यपाल गणेशी लाल ने पुरी के विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के अंदर विदेशी नागरिकों के प्रवेश का समर्थन किया है, जो दशकों से चली आ रही बहस का विषय बना हुआ है और समय-समय पर विवाद पैदा करता रहा है। 

  • वर्तमान में केवल हिंदुओं को मंदिर के अंदर गर्भगृह में देवताओं की पूजा करने की अनुमति है।
  • मंदिर के सिंह द्वार (मुख्य प्रवेश द्वार) पर एक संकेत स्पष्ट रूप से इंगित करता है कि "केवल हिंदुओं को प्रवेश की अनुमति है।"

जगन्नाथ मंदिर में गैर-हिंदुओं को अनुमति क्यों नहीं?

  • यह सदियों से चली आ रही प्रथा है, हालाँकि इसका कोई स्पष्ट कारण नहीं है।
  • कुछ इतिहासकारों का मानना है कि मुस्लिम शासकों द्वारा मंदिर पर किये गए कई हमलों ने सेवादारों को गैर-हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने के लिये प्रेरित किया होगा।
  • कई लोगों का कहना है कि मंदिर के निर्माण के समय से ही यह प्रथा थी।
  • भगवान जगन्नाथ को पतितपावन के नाम से भी जाना जाता है जिसका शाब्दिक अर्थ है "दलितों का उद्धारकर्त्ता"
  • इसलिये यह माना जाता है कि धार्मिक कारणों से मंदिर में प्रवेश करने से प्रतिबंधित सभी लोगों को सिंह द्वार पर पतितपावन के रूप में भगवान के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है।
  • उदाहरण:  
    • वर्ष 1984 में मंदिर के सेवकों ने एक गैर-हिंदू से विवाह करने के कारण इंदिरा गांधी के प्रवेश का विरोध किया था।
    • वर्ष 2005 में एक थाई राजकुमारी को मंदिर को केवल बाहर से देखने की अनुमति दी गई थी क्योंकि विदेशियों को इसमें प्रवेश की अनुमति नहीं है।
    • इसके अलावा वर्ष 2006 में एक स्विस नागरिक को उसके द्वारा भारी मात्रा में  दिये गए दान के बाद भी उसके ईसाई धर्म के कारण प्रवेश से वंचित कर दिया गया था।

जगन्नाथ मंदिर के बारे में प्रमुख तथ्य

  • ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में पूर्वी गंग राजवंश (Eastern Ganga Dynasty) के राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव द्वारा किया गया था। 
  • जगन्नाथपुरी मंदिर को ‘यमनिका तीर्थ’ भी कहा जाता है, जहाँ हिंदू मान्यताओं के अनुसार, पुरी में भगवान जगन्नाथ की उपस्थिति के कारण मृत्यु के देवता ‘यम’ की शक्ति समाप्त हो गई है।
  • इस मंदिर को "सफेद पैगोडा" कहा जाता था और यह चारधाम तीर्थयात्रा (बद्रीनाथ, द्वारका, पुरी, रामेश्वरम) का एक हिस्सा है।
  • मंदिर अपनी तरह की अनूठी वास्तुकला के लिये प्रसिद्ध है, जिसमें एक विशाल परिसर की दीवार और कई टावरों, हॉल तथा मंदिरों के साथ एक बड़ा परिसर शामिल है।
  • मंदिर का मुख्य आकर्षण वार्षिक रथ यात्रा उत्सव है, जिसमें मंदिर के तीन मुख्य देवताओं, भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा की रथ यात्रा एक भव्य जुलूस के साथ निकाली जाती है।
  • मंदिर अपने अनूठे भोजन, महाप्रसाद के लिये भी जाना जाता है, जिसे मंदिर की रसोई में तैयार किया जाता है और भक्तों के बीच वितरित किया जाता है।

History, Art & Culture (इतिहास, कला और संस्कृति): January 2023 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly

ओडिशा स्थित अन्य महत्त्वपूर्ण स्मारक

  • कोणार्क सूर्य मंदिर (यूनेस्को विश्व विरासत स्थल)।
  • तारा तारिणी मंदिर।
  • लिंगराज मंदिर।

कश्मीरी पश्मीना शाॅल

कश्मीर की प्रसिद्ध पश्मीना शॉल, जो सदियों से अपने जटिल बूटा या पैस्ले पैटर्न के लिये जानी जाती है, को फ्रेंच टच मिला है

  • ऐसा परिवर्तन, जहाँ कश्मीरी शॉल को जटिल कढ़ाई के बजाय अमूर्त चित्रों से सजाया गया, ने नए युग के सौंदर्यशास्त्र के साथ कपड़े को फिर से पेश किया है। 

पश्मीना 

  • परिचय: 
    • पश्मीना एक भौगोलिक संकेत (GI) प्रमाणित ऊन है जिसकी उत्पत्ति भारत के कश्मीर क्षेत्र से हुई है। 
    • मूल रूप से कश्मीरी लोग सर्दियों के मौसम के दौरान खुद को गर्म रखने के लिये पश्मीना शॉल का इस्तेमाल करते थे।
    • 'पश्मीना' शब्द एक फारसी शब्द "पश्म" से लिया गया है जिसका अर्थ है बुनाई योग्य फाइबर जो मुख्य रूप से ऊन है
    • पश्मीना शॉल ऊन की अच्छी गुणवत्ता और शॉल बनाने में लगने वाली कड़ी मेहनत के कारण बहुत महँगी होती हैं।
    • पश्मीना शॉल बुनने में काफी समय लगता है और यह काम के प्रकार पर निर्भर करता है। एक शॉल को पूरा करने में आमतौर पर लगभग 72 घंटे या उससे अधिक समय लगता है।
  • स्रोत: 
    • पश्मीना शॉल की बुनाई में उपयोग किया जाने वाला ऊन लद्दाख में पाए जाने वाले पालतू चांगथांगी बकरियों (Capra hircus) से प्राप्त किया जाता है। 
    • चांगपा अर्द्ध-खानाबदोश समुदाय से हैं जो चांगथांग ( लद्दाख और तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में फैले हुए हैं) या लद्दाख के अन्य क्षेत्रों में निवास करते हैं।
    • भारत सरकार के आरक्षण कार्यक्रम के तहत चांगपा समुदाय को अनुसूचित जनजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया था
  • महत्त्व: 
    • पश्मीना शॉल दुनिया में बेहतरीन और उच्चतम गुणवत्ता वाले ऊन से बने होती हैं।
    • पश्मीना शॉल ने दुनिया भर के लोगों का ध्यान आकर्षित किया और यह पूरी दुनिया में सबसे अधिक मांग वाले शॉल में से एक बन गई है।
    • इसकी उच्च मांग ने स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया है।

शहीद दिवस 

30 जनवरी, 2023 को भारत उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिये शहीद दिवस के रूप में मनाता है, जिन्होंने देश के लिये बलिदान दिया। इस दिन को देश के 'बापू', महात्मा गांधी की पुण्यतिथि के रूप में भी चिह्नित किया गया है।

  • भारत में शहीद दिवस या सर्वोदय दिवस वर्ष में कई बार मनाया जाता है।

स्मृति में

  • महात्मा गांधी जिनका जन्म 2 अक्तूबर, 1869 को हुआ था, भारत के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक थे तथा उन्होंने देश की स्वतंत्रता में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • इसी दिन वर्ष 1948 में नाथूराम गोडसे ने नई दिल्ली के बिड़ला हाउस में महात्मा गांधी की हत्या कर दी थी।
  • जश्न मनाने का माध्यम:
  • भारत ने दिल्ली में राजघाट पर महात्मा गांधी की समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित कर शहीद दिवस मनाया।
  • राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और तीनों सेना प्रमुख (सेना, वायु सेना और नौसेना) 'राष्ट्रपिता' को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

महत्त्व

  • शहीद दिवस का महत्त्व इस तथ्य में निहित है कि महात्मा गांधी ने अहिंसक दृष्टिकोण के माध्यम से ब्रिटिश शासन के खिलाफ प्रमुख आंदोलनों का नेतृत्त्व किया।
  • उनका दर्शन अहिंसा, सत्य के लिये लड़ाई (सत्याग्रह), राजनीतिक और व्यक्तिगत स्वतंत्रता (स्वराज) के सिद्धांतों पर आधारित था तथा उनके सिद्धांतों ने लाखों लोगों को प्रेरित किया।

भारत में अन्य शहीद दिवस

दिवस

परिचय

23 मार्च

इस दिन भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर को लाहौर जेल में अंग्रेज़ों ने फाँसी पर लटका दिया था।

19 मई

यह असम में 19 मई, 1961 को राज्य पुलिस द्वारा मारे गए लोगों की याद में मनाया जाता है।

इस दिन को भाषा शहीद दिवस के रूप में नामित किया गया था।

13 जुलाई

जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह के शासन के खिलाफ प्रदर्शन करते समय मारे गए लोगों को याद करने के लिये कश्मीर 13 जुलाई को शहीद दिवस के रूप में मनाता है।

17 नवंबर

ओडिशा इस दिन को प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय को उनकी पुण्यतिथि पर याद करने के लिये मनाता है।

19 नवंबर

रानी लक्ष्मीबाई की जयंती को झांसी के लोग शहीद दिवस के रूप में मनाते हैं।

यह दिन 1857 के विद्रोह में मारे गए  सभी लोगों के योगदान के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

24 नवंबर

सिख समुदाय द्वारा इसे शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि यह नौवें सिख गुरु तेग बहादुर की पुण्यतिथि है।

उन्होंने गैर-मुसलमानों के ज़बरन धर्मांतरण का विरोध किया और वर्ष 1675 में मुगल बादशाह औरंगज़ेब द्वारा उनकी हत्या कर दी गई।

The document History, Art & Culture (इतिहास, कला और संस्कृति): January 2023 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly is a part of the UPSC Course Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly.
All you need of UPSC at this link: UPSC
7 videos|3458 docs|1081 tests
Related Searches

History

,

Important questions

,

Sample Paper

,

mock tests for examination

,

pdf

,

Extra Questions

,

MCQs

,

shortcuts and tricks

,

past year papers

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Weekly & Monthly

,

practice quizzes

,

Viva Questions

,

Summary

,

Art & Culture (इतिहास

,

कला और संस्कृति): January 2023 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily

,

History

,

Weekly & Monthly

,

Exam

,

Semester Notes

,

Weekly & Monthly

,

कला और संस्कृति): January 2023 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily

,

study material

,

Free

,

ppt

,

video lectures

,

कला और संस्कृति): January 2023 UPSC Current Affairs | Current Affairs (Hindi): Daily

,

Art & Culture (इतिहास

,

Art & Culture (इतिहास

,

Objective type Questions

,

History

;