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विज्ञान से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ (भाग - 2) - सामान्य विज्ञानं | सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

शिवशक्ति व गजराज - 21वीं शताब्दी में संभावित इलेक्ट्राॅनिक्स, परमाणु, जैविक और रसायन युद्ध के मद्देनजर भारतीय थल सेना और वायु सेना ने संयुक्त रूप से पश्चिमी क्षेत्रा में युद्धाभ्यास किया। इन युद्धाभ्यासों का नाम क्रमशः ‘शिवशक्ति’ ओर ‘गजराज’ रखा गया था। थल सेना का युद्धाभ्यास (शिवशक्ति) 2 दिसम्बर से 8 दिसम्बर तक तथा वायु सेना का युद्धाभ्यास (गजराज) 2 से 12 दिसम्बर तक चला। युद्धाभ्यास के दौरान दोनों अंगों द्वारा वास्तविक युद्ध की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर अपनी सेनाओं को दो भागों में विभाजित किया गया। थल सेना द्वारा ‘ब्लू लैण्ड’ और ‘रेड लैण्ड’ तथा वायु सेना द्वारा नार्थ और साउथ के दो काल्पनिक क्षेत्रा बना कर संघर्ष को जीवंत बनाया गया ।
पारथेनियम हिस्ट्रेफोरस -  ‘पारथेनियम हिस्ट्रेफोरस’ दक्षिणी अमेरिकी मूल का एक जहरीला खरपतवार है, जो आजकल उत्तर प्रदेश के तराई के मैदानों, विशेषकर सीतापुर, लखीमपुर खीरी और बहराइच जिलों, में तेजी से फैल रहा है। सूरजमुखी परिवार का यह खरपतवार प्रायः ‘कांग्रोस हरास’ के नाम से जाना जाता है। इसका भारत में आगमन सन् 1960 के दशक में अमेरिका से आयातित गेहूं के साथ हुआ था। सबसे पहले यह खरपतवार महाराष्ट्रष् में पुणे के निकट देखा गया था, किन्तु अब यह देश के विभिन्न हिस्सों में फैल चुका है। इस खरपतवार में ‘पारथेनियम’ नामक एक जहरीला अल्कोलाइड होता है जिसके कारण लोगों में त्वचा रोग हो जाता है, जिसका असर खासतौर पर चेहरे पर पड़ता है। इस खरपतवार के कारण दमा जैसा श्वास रोग तथा बुखार भी हो सकता है।
ग्लोबल नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम - ग्लोबल नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम एक विश्वव्यापी संचालन उपग्रह प्रणाली है जिसको स्थापित करने की योजना बनायी जा रही है। इस योजना में यूरोपीय संघ और कुछ अन्य देश शामिल हैं। यूरोपीय संघ इसमें भारत को भी शामिल करना चाहता है। वर्तमान समय में विश्व में दो उपग्रह संचालन प्रणालियां काम कर रही हैं। पहली प्रणाली अमेरिका की है जिसका नाम जी.पी.एस. है, जबकि ग्लोनास नामक दूसरी प्रणाली रूस की है। इन दोनों प्रणालियों में 24.24 उपग्रह सक्रिय हैं। पहले इनका विकास सैनिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया गया था, लेकिन अब इनका नागरिक और व्यावसायिक इस्तेमाल भी होने लगा है।
राॅल बैक मलेरिया -  ‘राॅल बैक मलेरिया’ सौ से अधिक देशों में व्याप्त रोग मलेरिया के खिलाफ चार अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा एकजुट होकर चलाया जाने वाला अभियान है। ये चार संस्थाएं हैं- यूनीसेफ, यूएनडीपी, विश्व बैंक और विश्व स्वास्थ्य संगठन। अफ्रीकी सहारा देशों में यह बीमारी गंभीर रूप से व्याप्त है। एक अनुमान के अनुसार विश्व में प्रति 30 सेकेन्ड में एक बच्चे की मौत मलेरिया की वजह से होती है।
मार्स एक्सप्रेस - ‘मार्स एक्सप्रेस’ एक उपग्रह का नाम है जिसको यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी सन् 2003 तक मंगल ग्रह पर भेजने की योजना बना रही है। 60 किलोग्राम भार वाले इस उपग्रह में एक रडार लगा होगा, जो मंगल ग्रह के भूपटल का विश्लेषण करेगा। इस उपग्रह के निर्माण पर कुल 176 मिलियन डाॅलर लागत आयेगी।
लय - बैंगलोर स्थित जैव चिकित्सकीय अभियांत्रिकी सोसायटी के वैज्ञानिकों ने शरीर के बाहर लगाया जाने वाला स्वदेशी पेसमेकर बनाया है, जिसका नाम ‘लय’ रखा गया है। हृदय रक्तावरोध से पीड़ित रोगियों को अपने हृदय-स्पंदन नियमित रखने में इससे मदद मिल सकेगी। यह एक अल्पकालिक काम-चलाऊ उपकरण है और रक्तावरोध से पीड़ित रोगियों को 24 घंटे के भीतर राहत पहुंचाने के लिए इसका उपयोग किया जा सकता है। 165 मि.मी. लम्बा यह पेसमेकर आयातित पेसमेकरों की अपेक्षा 60 प्रतिशत अधिक सस्ता होगा। हैदराबाद की एक कम्पनी ने इस उपकरण का निर्माण भी शुरू कर दिया है।
इटरनेक्स - ‘इटरनेक्स’ अनिन्द्रा रोग पर काबू पाने और युवावस्था को बनाये रखने के लिए डाबर फार्मास्युटिकल्स लि. नयी दिल्ली द्वारा विकसित नयी दवा है। यह दवा मेलाटोनिन और पायरिडक्सिन  का मिश्रण है। यौवन को बरकरार रखने के लिए अच्छी नींद का आना आवश्यक है क्योंकि नींद के दौरान ही शरीर विकसित होता है। अपनी टूट-फूट ठीक करता है और नयी स्फू£त प्राप्त करता है। मेलाटोनिन एक प्राकृतिक हार्मोन है जो अच्छी नींद दिलाता है। वृद्धावस्था में इसी मेलाटोनिन की मात्रा कम हो जाती है।
अनुपम पेंटियम - ‘अनुपम पेंटियम’ क्रे-वाई एम पी श्रेणी के सुपर कम्प्यूटर से भी तीन गुनी गति वाला सुपर कम्प्यूटर है, जिसको भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र ने तैयार किया है। 16 नोड वाला यह सुपर कम्प्यूटर इंटेल पेंडियम के माइक्रोप्रोसेसर पर आधारित 16 पर्सनल कम्प्यूटरों का उपयोग करके तैयार किया गया है।
डीआरसीसी-165 - हैदराबाद स्थित डाॅ. रेड्डी अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिकों ने ‘डीआरसीसी - 65' नामक एक कठोर जीवाणु का पता लगाया है जो दवा उद्योग के कचरे को साफ करने में सक्षम है। यह जीवाणु कोकोबेसीली परिवार का सदस्य है। यह कचरे में आॅक्सीजन की मात्रा को 75 प्रतिशत तक कम कर सकता है, जो पांरपरिक साधनों का इस्तेमाल करके संभव नहीं है।
जिकाॅनोटाइड - ‘जिकाॅनोटाइड’  एक दर्द निवारक दवा है जिसका निर्माण समुद्री घोंघे के जहर से किया गया है। इसका निर्माण उत्तरी कैलिफो£नया विश्वविद्यालय के स्नायु वैज्ञानिक एवं बायोकेमिस्ट जाॅर्ज मिलजैनिक ने किया है। जब आदमी को कोई गंभीर चोट लगती है तो उसके संकेत तीव्रता से मस्तिष्क में पहुंचते हैं। मस्तिष्क में संदेश पहुंचते ही भयंकर पीड़ा का अनुभव होता है। जिकाॅनोटाइड संदेश पहुंचाने वाली स्नायु कोशिकाओं के रास्ते में दीवार बनकर खड़ा हो जाता है और मस्तिष्क तक संदेश नहीं पहुंचने देता। इससे जो भयंकर और असहनीय पीड़ा का अनुभव होता है। है, उससे छुटकारा दिलाने में यह दवा मददगार साबित हो रही है।
कोशली - ‘कोशली’ फैंकफर्त के श्रवण अनुसंधानकत्र्ता रेनर क्लिंक द्वारा बनाया गया एक ऐसा श्रवण यंत्रा है, जिससे जन्मजात बहरे बच्चे भी  सुन सकेंगे। अंदरूनी कान में लगाये गये इस श्रवण यंत्रा के विद्युत आवेग जन्म से बहरे बच्चों के मस्तिष्कीय क्षेत्रों को प्रदीप्त कर सकते हैं, जिससे वह सुनने व बोलने लगते हैं।
लिबर्टी बेल-7 - ‘लिबर्टी बेल-7' अमेरिका का एक अंतरिक्ष कैप्सूल है, जिसको 20 जुलाई, 1999 को अटलांटिक महासागर से लगभग 5 किलोमीटर गहराई पर 38 वर्षों तक पड़े रहने के बाद बाहर निकाला गया। 21 जुलाई, 1961 को प्रक्षेपित यह कैप्सूल 15 मिनट बाद ही अटलांटिक महासागर में गिर गया था। इस कैप्सूल को समुद्री पानी से भरे एक विशेष कंटेनर में रखकर केप केनवरेल लाया गया। इसे समुद्री पानी से भरे कंटेनर में इसलिए रखा गया कि इतने साल पानी के अंदर पड़े रहने के बाद सीधे हवा के सम्पर्क में आने पर नुकसान हो सकता था। डिस्कवरी चैनल ने इस कैप्सूल को बाहर निकालने में वित्तीय मदद प्रदान की।
एच आई 504 जोड 65 - ‘एच आई 504 जोड 65' एक ‘व्हाइट ड्वार्फ’ तारा है, जिसका अध्ययन हाल ही में जर्मन खगोलविदों ने किया है। इस तारे की सतह सूर्य की तुलना में 30 गुना ज्यादा गर्म अर्थात् इसका तापमान एक लाख 70 हजार डिग्री सेल्सियस है। इस तारे पर हाइड्रोजन-हीलियम की पारदर्शी परत नहीं है जो सामान्यतः अन्य तारों पर होती है।
काॅमसेप्ट -  ‘काॅमसेप्ट’ नीम से बना गर्भनिरोधक है, जिसको दिल्ली स्थित ‘डिफेन्स इंस्टीट्यूट आॅफ फिजियोलाॅजी एण्ड एप्लाइड साइन्सेज’ और ‘इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट’ के विशेषज्ञों के सहयोग से बनाया गया है। वैज्ञानिकों के मुताबिक नीम के तेल में पाये जाने वाले 28 यौगिक शुक्राणुनाशक होते हैं। ‘काॅमसेप्ट’ का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है। साथ ही, यह महिलाओं के मूत्रा मार्ग में होने वाले संक्रमण को रोकने में भी कारगार सिद्ध होगा।
क्लाइम्बर-2 - ‘क्लाइम्बर-2' वैज्ञानिक शोध की एक नयी प्रणाली है, जिसकी सहायता से यह पता लगाने का प्रयास किया गया है कि सहारा क्षेत्रा रेगिस्तान में कब और कैसे बदला। हजारों वर्ष पहले अफ्रीका का सहारा क्षेत्रा काफी हरा-भरा था लेकिन पृथ्वी की कक्षा में परिवर्तन के कारण यह हरा-भरा इलाका दुनिया के सबसे बड़े रेगिस्तान में बदल गया। ‘पोस्टडेम जलवायु प्रभाव अनुसंधान संस्थान’ के वैज्ञानिकों ने उक्त शोध प्रणाली का इस्तेमाल करके यह पता लगाया है कि दो कालावधियों में सहारा क्षेत्रा में तेजी से तब्दीली हुई। पहली तब्दीली 6700 से 5500 वर्ष के बीच तथा दूसरी तब्दीली 4000 से 3600 वर्ष के बीच हुई। दूसरी कालावधि में तब्दीली की रफ्तार अधिक थी। यह तब्दीली अनुमानतः पृथ्वी की कक्षा में परिवर्तन और पृथ्वी की धुरी में झुकाव से आयी। पृथ्वी की धुरी में लगभग 9 हजार वर्ष पूर्व 24.14 डिग्री का झुकाव आया था और सूर्य के सबसे समीप पृथ्वी की कक्षा का बिन्दु जुलाई माह के अंत में आता था। सम्प्रति यह झुकाव 23.45 डिग्री और सूर्य के सबसे नजदीक पृथ्वी की कक्षा का बिन्दु जनवरी के प्रारम्भ में आता है।
डीएफ-4 आइसीबीएम - ‘डीएफ-41 आइसीबीएम’ चीन की नवीनतम अंतरद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का नाम है, जिसके प्रक्षेपण परीक्षण को उसने प्रयोगशाला में सफलतापूर्वक किया है। यह मिसाइल अमेरिका के कई राज्यों को अपना निशाना बना सकती है। इसकी मारक दूरी 8ए000 किलोमीटर है। इस मिसाइल में ठोस ईंधन का प्रयोग किया गया है।
टाओ टाॅक - ‘टाओ टाॅक’ ब्रिटिश कम्पनी एशपूल टेलीकाॅम द्वारा विकसित साॅफ्टवेयर का नाम है, जिसकी मदद से ई-मेल में आवाज वाले संदेश भेजना संभव हो सकेगा। इसके लिए आपके पास एक सांउड कार्ड, माइक्रोफोन और स्पीकर्स होने चाहिए। अपना संदेश प्रेषित करने के लिए आपको माइक्रोफोन में संदेश बोलने होंगे। यह साॅफ्टवेयर आपका संदेश एक मिनट में ही डाउनलोड कर सकता है।
सुपर-7 - ‘सुपर-7' पाकिस्तान द्वारा बनाये जाने वाले बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान का नाम है, जिसका निर्माण सन् 2002 तक प्रांरभ कर देने की आशा है। ‘सुपर-7' परियोजना मूलतः चीन से ली गयी थी, लेकिन बाद में धनाभाव के कारण उसे रोक दिया गया था। बाद में पाकिस्तान द्वारा रुचि लेने पर इस परियोजना को दोबारा प्रारम्भ किया गया है। जून 1999 में नवाज शरीफ ने अपनी चीन यात्रा के दौरान इस विमान को संयुक्त रूप से विकसित करने के समझौते पर हस्ताक्षर किये थे।
पीटेन - पीटेन एक जीवतत्व है। यह जब विकृत हो जाता है तो शरीर की महत्वपूर्ण निरापद प्रणाली की कोशिकाओं को प्रभावित करता है। इसकी विकृति से निरापद प्रणाली की कोशिकाओं पर से इसका नियंत्राण समाप्त हो जाता है, जिससे ये कोशिकाएं प्रचुर मात्रा में बढ़ने लगती हैं। यदि दो पीटेन जीवतत्व विकृत हो जायें तो स्तन कैंसर, त्वचा कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, कोलोन और अन्य कैंसरों का कारण बन जाते हैं। वैसे एक विकृत पीटेन जीवतत्व भी कैंसर का कारण बन जाता है। सामान्यतः जब कोशिकाएं बूढ़ी हो जाती हैं तो वे स्वतः मर जाती हैं और नष्ट हो जाती हैं, लेकिन कैंसर कोशिकाएं न केवल जीवित बनी रहती हैं बल्कि तेजी से बनती भी रहती हैं और बढ़ कर ट्यूमर का रूप ले लेती हैं। पीटेन जीवतत्व का सीधा संबंध कोशिका के मर जाने से है। कोशिका के न मर जाने की प्रक्रिया को ‘एपोप्टाॅसिस’ कहा जाता है।
फास्फोलैम्बान - ‘फास्फोलैम्बान’ (संक्षेप में ‘पीएलबी’) एक जीवतत्व है, जो हृदय की स्नायुकोशिकाओं के अंदर और बाहर कैल्शियम के संचालन को नियमित करता है। हृदय रोग की स्थितियां उस समय विकसित होती हैं, जब ‘पीएलबी’ कैल्शियम पर बहुत ज्यादा नियंत्राण करने लगता है, जिससे कैल्शियम के प्रवाह में बाधा पड़ने लगती है। दोषपूर्ण ‘पीएलबी’ जीवतत्व सम्भवतः एक चिकित्सीय एजेन्ट भी होता है।
हीमेचूरिया -  ‘हीमेचूरिया’ पर्वतीय क्षेत्रों के गोवंशीय पशुओं में होने वाला घातक रोग का नाम है। इस रोग का कारण ब्रेकन फर्न है जिसे लम्बे काल तक खाने से पशुओं के मूत्रा में रक्त आना शुरू हो जाता है। रोगकारक ब्रेकन फर्न की टीएलसी अथवा एचपीएलसी विधि से वर्षों के लिए जांच करने पर कम मात्रा में ‘टीक्यूलोसाइड’ नामक विष का पता चला है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि पर्वतीय वनस्पतियों, फफूंदों, विभिन्न फर्नों, ह्यूमस आदि से ढकी रहती है। इस भूमि पर उगी हुई घास आदि का आहार करने के कारण ही यह बीमारी होती है।
लूनर प्राॅस्पेक्टर - लूनर प्राॅस्पेक्टर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेन्सी ‘नासा’ द्वारा चन्द्रमा पर भेजा गया अंतरिक्ष यान (उपग्रह) है, जो पिछले दिनों (अगस्त-सितम्बर 1999) चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ध्वस्त हो गया। इस दुर्घटना से चन्द्रमा पर जल पाये जाने के प्रमाण मिलने की आशा धूमिल हो गयी है। 4 फुट लम्बे और 650 पौण्ड वजन वाले इस मानव रहित उपग्रह को 4 जनवरी, 1998 को एथेना-प्प् नामक राॅकेट द्वारा प्रक्षेपित किया गया था।
शेनझाउ - शेनझाउ चीन का स्वदेशी प्रायोगिक चालकरहित अंतरिक्षयान है, जिसने 21 नवंबर, 1999 को अंतरिक्ष की संक्षिप्त यात्रा पूरी की। गुंबद के आकार वाला यह अंतरिक्षयान कुल 21 घंटे तक अंतरिक्ष में रहा और इसने पृथ्वी के चारों ओर कुल 14 चक्कर लगाये। इस तरह अमेरिका एवं सोवियत संघ के बाद चीन विश्व का ऐसा तीसरा देश बन गया है, जिसने अंतरिक्ष में मानव को ले जाने की क्षमता रखने वाला अंतरिक्षयान प्रक्षेपित करने की सफलता हासिल कर ली है।
स्मर्क - ‘स्मर्क’ स्प्लाव स्टेट इंटरप्राइज द्वारा विकसित नयी पीढ़ी की बहु-राॅकेट प्रक्षेपक प्रणाली है। 26 नवंबर, 1999 को भारत ने ‘वडंर वेपन’ के रूप में विख्यात इस बहु-राॅकेट प्रक्षेपक प्रणाली को प्राप्त करने की घोषणा की। यह एक बार के प्रक्षेपण में 67 हेक्टेयर की दूरी तक निशाने साध कर उन्हें ध्वस्त कर सकता है। यह अपने 12 बैरल की मदद से 20 से 90 किलोमीटर दूरी तक हथियार फेंक सकता है। रूस से इस प्रणाली को लेने के बाद भारत की सामरिक क्षमता निश्चित रूप से बढ़ जायेगी।
मेट्रो कोरोनरी स्क्रीनिंग -  मेट्रो कोरोनरी स्क्रीनिंग धमनियों में रक्त जमाव का पता लगाने की एक सरल व कारगर विधि है, जिसका विकास भारतीय चिकित्सकों ने किया है। इस विधि से रोगी को बिना कोई कष्ट दिये या बेहोश किये कुछ ही मिनटों में रक्त धमनियों में हर तरह की रुकावटों का पता लगाया जा सकता है। इस विधि द्वारा रक्त धमनियों में 50 प्रतिशत से कम रुकावट का भी पता लगाया जा सकता है। इस विधि के विकास में डाॅ. पुरुषोत्त्म लाल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।
फाॅस्फोलैम्बान -  फाॅस्फोलैम्बान (PLB) एक प्रकार का जीवतत्व है जो हृदय की स्नायु कोशिकाओं  के अंदर एवं बाहर कैल्सियम के संचालन को नियमित करता है। जब यह कैल्सियम पर ज्यादा नियंत्राण करने लगता है तब कैल्सियम के प्रवाह में बाधा पड़ने लगती है। बाद में इसी की वजह से हृदय रोग की स्थितियां विकसित होती हैं।
मार्स क्लाइमेट आॅरबिटर -  मार्स क्लाइमेट आॅरिबटर मगंल ग्रह की जलवायु के अध्ययन के लिए भेजा गया नासा का अंतरिक्षयान है, जो गणना की गलती की वजह से मंगल तक पहुंचने के पहले ही भटक गया है। 500 करोड़ रुपये की लागत वाले इस अंतरिक्षयान को लाॅकहीड मार्टिन काॅरपोरेशन ने बनाया था। नासा ने इस मिशन की (लगभग) विफलता की जांच के लिए दो अलग-अलग समितियां बनायी हैं।
काली-5000 - ‘काली-5000' एक शक्तिशाली इलेक्ट्राॅन गति वाली मशीन है, जिसको भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र में बनाया जा रहा है। इस मशीन का उपयोग विकिरण हथियार के रूप में किया जा सकता है। इसके जरिए सूक्ष्म तरंगें जब शत्राु के प्रक्षेपास्त्रों और विमानों को निशाना बनायेंगी, तब वे उसकी इलेक्ट्राॅनिक प्रणाली एवं कम्प्यूटर चिप्स को ठप कर उन्हें गिरा देंगी। उच्च शक्ति की सूक्ष्म तंरगों से आसानी से मार की जा सकती है और ये लेसर हथियार की तुलना में अधिक लाभकारी हैं। ‘काली- 5000' का डिजाइन पी.एच. रोन ने तैयार किया है।
एन 3516 -  ‘एन 3516' पृथ्वी से 10 करोड़ प्रकाश वर्ष दूर स्थित एक आकाशगंगा है। अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इस आकाशगंगा के केन्द्र में एक ब्लैक होल के होने का सबूत इकट्ठा किया है। वैज्ञानिकों ने उक्त आकाशगंगा की गैसों से उत्स£जत एक्स-किरणों का अध्ययन करने के बाद यह सबूत पाया है। अंतरिक्ष में ब्लैक होल अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण वाला वह मृत नक्षत्रा होता है जो अपने गुरुत्वाकर्षण के कारण निकट या आसपास से भी गुजरने वाली हर खगोलीय पिण्ड को, यहां तक कि प्रकाश किरणों को भी, अपने में खींच लेता है। उल्लेखनीय है कि सबसे बड़े ब्लैक होल का वजन दस लाख से लेकर एक अरब सूर्य के वजन के बराबर आंका गया है लेकिन इसका आकार हमारे सौरमंडल से भी कम है।
एक वर्ग इंच डिस्क का कमाल -  अमेरिकी आई.बी.एम. इंजीनियरों ने चुंबकीय डिस्क के एक वर्ग इंच में 35 अरब बाइट का आंकड़ा संग्रहित कर एक नया रिकाॅर्ड बनाया है। वर्तमान में सबसे सघन भंडारण क्षमता वाली आई.बी.एम. डिस्क’ तोशिबा काॅरपोरेशन’ की थी, जिसमें प्रतिवर्ग इंच में 11.6 अरब बाइट सूचना भरी जा सकती थी।
हृदय रोग इलाज की नयी विधि - अक्टूबर’ 99 में एस्कोर्ट हृदय संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र, नयी दिल्ली ने हृदय रोग के इलाज के लिए एक नयी विधि ईजाद की है। इस नयी विधि का नाम ‘कारटो सर्जरी’ है। संस्थान का मानना है कि करीब 90 प्रतिशत अकस्मात होने वाली मृत्यु दिल की धड़कन बहुत अधिक तेज हो जाने की वजह से ही होती है, जिसे ‘वेन्ट्रीकुलर टीकीकारडिया फिबरोलेशन’ कहा जाता है। इसमें दिल के ‘पम्पिंग चैंबर’ बहुत तेज चलने शुरू हो जाते हैं और रक्त चाप काफी कम हो जाता है। 

लेजरडिसक्टोमी - 14 अक्टूबर’99 को जयपुर गोल्डन अस्पताल के आर्थो एंड स्पाइन सर्जन डाॅ. मनोज शर्मा ने यह दावा किया कि रीढ़ की हड्डी के अपने स्थान से सरक जाने के कारण होने वाले पीठ के दर्द का इलाज अब लेजर डिसेक्टाॅमी तकनीक से भी किया जा सकता है। यह रोग ज्यादातर झुक कर अथवा बैठ कर काम करने वाले लोगों में होता है।
मस्तिष्क कोशिकाएं भी बनती हैं - प्रिसंटन विश्वविद्यालय (अमेरिका) के वैज्ञानिकों ने अपने शोध से इस प्राचीन मान्यता को खारिज कर दिया है कि मस्तिष्क कोशिकाओं की प्रत्युत्पत्ति नहीं होती है। इन वैज्ञानिकों ने 14 अक्टूबर’99 को वयस्क बंदर के ‘सेरिब्रल काॅर्टेक्स’ में नयी मस्तिष्कीय कोशिकाओं (न्यूराॅन्स) को बनते हुए दर्शाया। ध्यातव्य है कि सेरिब्रल काॅर्टेक्स मस्तिष्क का वह-हिस्सा होता है, जहां सर्वोच्च क्रियाशीलता की उत्पत्ति होती है।
महिलाओं के दिमाग में सिकुड़न - हेनरी फोर्ड हेल्थ सिस्टम के सी.एडवर्ड कोफी ने अपने एक अध्ययन के दौरान यह पाया कि महिलाओं का दिमाग एक शताब्दी में 2.5 प्रतिशत की दर से सिकुड़ रहा है, जबकि पुरुषों के दिमाग में पाये जाने वाले स्लेटी पदार्थ में लगातार कमी देखने को मिल रही है। इसमें वह हिस्सा शामिल है, जो याददाश्त योजना के क्रियान्वयन आदि से संबंधित होता है।
एड्स की नयी दवा - प्रख्यात वैज्ञानिक डाॅ. निक पैटन ने अपने अध्ययन द्वारा ‘विन्टेगर’ नामक एक विशेष प्रकार के वृक्ष से ऐसी औषधि खोजी है, जो इम्युनो डिफोशिएन्सी वायरस (एच.आई.वी.) पाॅजीटिव मरीजों पर काफी कारगर साबित हुई है।

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FAQs on विज्ञान से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ (भाग - 2) - सामान्य विज्ञानं - सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi

1. विज्ञान के क्षेत्र में विद्यमान विभिन्न तत्वों के बारे में संक्षेप में बताएं।
उत्तर: विज्ञान के क्षेत्र में कई तत्व हैं। कुछ महत्वपूर्ण तत्वों में हैंड्रोजन, हेलियम, अक्सीजन, कार्बन, नाइट्रोजन, सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम और आयरन शामिल हैं। ये तत्व प्रकृति में व्याप्त होते हैं और जीवन के लिए आवश्यक होते हैं।
2. विज्ञान के क्षेत्र में उपयोग होने वाली विभिन्न यंत्रों के बारे में संक्षेप में बताएं।
उत्तर: विज्ञान के क्षेत्र में कई प्रकार के यंत्र हैं। कुछ महत्वपूर्ण यंत्रों में माइक्रोस्कोप, टेलीस्कोप, सेंसर, रोबोट, सैटेलाइट, लेजर, कंप्यूटर, वेबकैम और ऑटोक्लेव शामिल होते हैं। ये यंत्र विभिन्न उपयोगों के लिए बनाए जाते हैं, जैसे खोज, निरीक्षण, आविष्कार, सुरक्षा और संचार।
3. प्राकृतिक आपदाओं के संबंध में विज्ञान कैसे मदद करता है?
उत्तर: विज्ञान आपदाओं के संबंध में मदद करता है जो प्राकृतिक तबाही या विपदा के कारण होती हैं। विज्ञान के द्वारा निर्मित उपकरण और तकनीकी नवाचारों का उपयोग करके, हम आपदाओं के प्रभाव को कम कर सकते हैं और उनकी पूर्वानुमानित संख्या और आवश्यक मदद को नियंत्रित कर सकते हैं। इसके अलावा, विज्ञान बाढ़, भूकंप, वायुमंडलीय परिवर्तन और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के लिए नई सूचना और समझ प्रदान करता है।
4. जीवन के लिए जल क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: जल जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह हमारे शरीर के लिए आवश्यक है और हमारे शरीर की समस्याओं को भी ठीक करने में मदद करता है। जल शरीर के अंगों, जैसे कि आंतें, श्वसन तंत्र, पाचन तंत्र और मूत्र प्रणाली में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अलावा, जल हमारे शरीर को ठंडक प्रदान करता है, अवशोषण के माध्यम से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है और हमारे शरीर के ऊर्जा स्तर को बनाए रखता है।
5. बायोटेक्नोलॉजी क्या है और इसका उपयोग किसलिए किया जाता है?
उत्तर: बायोटेक्नोलॉजी एक तकनीकी और विज्ञानिक फ़ील्ड है जो जीवनीय प्रणालियों और जीवाणुओं के अध्ययन को समझने, ढलानी और उन्नयन करने के लिए उपयोग होती है। इसका उपयोग विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है, जैसे खेती, दवाएँ, वैज्ञानिक अनुसंधान, पर्यावरण, खाद्य सुरक्षा, औषधीय उत्पादों का निर्माण और जीवाणुरोधी के रूप में। इसका उपयोग जीवित जीवाणुओं के गुणों को सुधारने, अनुकरण करने और उन्न
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