हाल ही में आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) ने अंतर-सरकारी वार्ता समिति (INC3) से पहले प्लास्टिक प्रदूषण पर अंतरिम रिपोर्ट जारी की है, जिसका शीर्षक है- वर्ष 2040 तक प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करने की ओर: एक नीति परिदृश्य विश्लेषण।
मरुस्थलीकरण से निपटने के लिये संयुक्त राष्ट्र कन्वेंशन (UNCCD) की हालिया बैठक में रेत और धूल भरी आँधियों के दूरगामी परिणामों पर प्रकाश डाला गया तथा उनके प्रभावों को कम करने के लिये महत्त्वपूर्ण नीतिगत सिफारिशें प्रस्तावित की गईं।
प्रभाव
नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के अनुसार, विगत चार वर्षों में अंटार्कटिक ओज़ोन छिद्र का आकार बड़े पैमाने पर बढ़ गया है।
हाल ही में अनुसंधान एवं शिक्षा जगत के विशेषज्ञों ने कार्बन कैप्चर, उपयोग और भंडारण (CCUS) में सरकार तथा उद्योग दोनों से निवेश की आवश्यकता और CCUS के माध्यम से भारत के शुद्ध शून्य लक्ष्यों की दिशा में सहयोगात्मक रूप से काम करने के लिये क्षेत्र के अग्रणी विशेषज्ञों के महत्त्व पर प्रकाश डाला।
एक हालिया अध्ययन में समुद्री जल का तापमान बढ़ने के परिणामस्वरुप पश्चिम अंटार्कटिक की हिम परत के अपरिहार्य रूप से पिघलने के संदर्भ में चिंताजनक पूर्वानुमान सामने आए हैं।
चर्चा में क्यों?
प्रोजेक्ट चीता, भारतीय वनों में अफ्रीकी चीतों की पुनःवापसी का भारत का एक महत्त्वाकांक्षी प्रयास है जो कि सितंबर 2022 में आरंभ किया गया था, एक वर्ष पूर्ण कर चुका है।
बढ़ते जलवायु संकट के संदर्भ में ‘लॉस एंड डैमेज' (L&D) फंड तथा अनुकूलन हाल ही में चर्चा में रहा।
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1. 2040 तक प्लास्टिक प्रदूषण को खत्म करने के लिए कौनसी नीतियाँ अपनाई जा रही हैं? |
2. पश्चिम अंटार्कटिका की हिम परत का पिघलना क्या है? |
3. रेत और धूल भरी आंधी क्या है? |
4. अंटार्कटिक ओज़ोन छिद क्या है? |
5. क्या प्रोजेक्ट चीता पर्यावरण और पारिस्थितिकी के लिए महत्वपूर्ण है? |
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