- वर्तमान में भारत में लगभग 5,000 वर्ग किमी मैंग्रोव, 500 वर्ग किमी समुद्री घास और लगभग 300 से 1400 वर्ग किमी नमकीन दलदल हो सकते हैं।
- ये संचयी रूप से देश के कुल क्षेत्रफल का लगभग 0.5 प्रतिशत हैं।
- अपने छोटे से क्षेत्र के बावजूद, ये तटीय प्रणालियां काफी तेजी से और लाखों वर्षों तक कार्बन का पृथक्करण कर सकती हैं।
- तूफान और समुद्र के स्तर में वृद्धि से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
- तटरेखा क्षरण को रोकते हैं।
- तटीय जल की गुणवत्ता को विनियमित करते हैं।
- खाद्य सुरक्षा, आजीविका (छोटे पैमाने पर मत्स्य पालन), और जैव विविधता जैसी कई पारिस्थितिक तंत्र सेवाएं भी प्रदान करते हैं।
- शहरीकरण की उच्च दर
- भूमि को कृषि और जलीय कृषि में बदलना
- चरम मौसम की घटनाएं
- जर्नल भारत में ब्लू कार्बन संसाधनों के कम उपयोग होने को उल्लेखित करता है, जिसे बढाये जाने का सुझाव भी देता है।
- वर्तमान में, भारत की कम कार्बन रणनीति में ब्लू कार्बन के अवसरों पर ध्यान देने में कमी है।
- भारत को रणनीतिक कार्बन पृथक्करण रिजर्व के रूप में अपने तटीय पारिस्थितिक तंत्र की अपनी समझ में एक 'बड़ा बदलाव' लाना चाहिए।
- अपने वनीकरण और पुनर्वनीकरण पहल के तहत भारत की पिछली गतिविधियों में तटीय पारिस्थितिक तंत्र की बहाली और कायाकल्प में केवल मामूली पहलू ही शामिल हैं।
- वैश्विक जलवायु नीति की उभरती प्रकृति को बनाए रखने के लिए 'ब्लू-कार्बन' की व्यापक छतरी के नीचे ऐसी परियोजनाओं को चिह्नित करने और एकजुट करने की आवश्यकता है।
- भारत सरकार अब तक केवल ब्लू कार्बन पर बहुत कम विषय विशेषज्ञों के साहित्य पर भरोसा करती रही है।
- ब्लू कार्बन वर्क स्ट्रीम को संस्थागत बनाने की दिशा में इन डेटाबेस को बनाने, संकलित करने और औपचारिक बनाने की आवश्यकता है।
- भारत को रणनीतिक कार्बन पृथक्करण रिजर्व के रूप में अपने तटीय पारिस्थितिक तंत्र की अपनी समझ में एक 'बड़ा बदलाव' लाना चाहिए।
- भारत को ब्लू-कार्बन क्षेत्र के लिए एक संगठन स्थापित करने के लिए राष्ट्रीय पवन ऊर्जा संस्थान (NIWE), राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान (NISE), राष्ट्रीय जैव ऊर्जा संस्थान (NIBE) आदि जैसे विशेष सहरुपी संगठनों से सीखना चाहिए।
- नया संस्थान भारतीय मौसम विज्ञान विभाग, राष्ट्रीय समुद्र विज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान और IIT बॉम्बे के कार्बन कैप्चर और उपयोग में उत्कृष्टता के राष्ट्रीय केंद्र के साथ मिलकर सहयोग कर सकता है।
- स्टार्ट-अप को इनक्यूबेट करना।
- नवाचार समूहों को बढ़ावा देना जो तटीय पारिस्थितिक तंत्र के क्षरण को रोकते हैं।
- मिट्टी के पोषण को बनाए रखने और स्वदेशी जैव विविधता का संरक्षण करने और स्थानीय समुदायों की संस्कृतियों और आकांक्षाओं का सम्मान करने वाली पहलों को बढ़ावा देना।
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