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The Hindi Editorial Analysis- 19th September 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC PDF Download

कार्यबल का डिजिटल अपस्किलिंग: भारत की अनिवार्यता

सन्दर्भ:

  • तेजी से विकास कर रहे नवाचार और उद्यमिता से चिह्नित युग में, डिजिटल साक्षरता और अपस्किलिंग वैकल्पिक से अनिवार्य हो गई है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएस) 2020-21 और एलएफपीएस 2020-21 जैसे सर्वेक्षणों ने भी भारत में विभिन्न क्षेत्रों में आईटी और कंप्यूटर-आधारित प्रशिक्षण के विस्तार की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया है।
  • वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) द्वारा हाल ही में जारी फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट के चौथे संस्करण (2023) ने डिजिटल अपस्किलिंग की आवश्यकता को महत्व दिया है। यह रिपोर्ट विशेष रूप से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और संबंधित क्षेत्रों में तकनीकी प्रगति के कारण 2025 तक 97 मिलियन नए रोजगार सृजन का अनुमान लगाती है।
  • चूंकि भारत खुद को एक वैश्विक प्रौद्योगिकी नेता के रूप में स्थापित करने का प्रयास कर रहा है, इसलिए इसे अपने कार्यबल को कुशल बनाना और डिजिटल कौशल अंतर को समाप्त करना जरूरी हो गया है। भारत को इन उभरती मांगों के साथ अपने कार्यबल के कौशल का सामंजस्य बिठाने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, जिसके लिए सरकार, व्यवसायों और शैक्षणिक संस्थानों द्वारा तत्काल और संयुक्त प्रयास की आवश्यकता है।The Hindi Editorial Analysis- 19th September 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC

WEF रिपोर्ट: डिजिटल-उन्नति और रोजगार सृजन

  • आशावादी किन्तु सजग अनुमान: WEF रिपोर्ट में 2025 तक 97 मिलियन नई नौकरियों की शुद्ध वृद्धि की बात की गई है, जबकि 85 मिलियन नौकरियां अप्रचलित हो सकती हैं। हालांकि, इस परिवर्तन में, श्रम क्षेत्र में रोजगार के साथ मशीनों की बढ़ती भूमिका तथा डेटा-संचालित और मशीन-संचालित प्रक्रियाओं पर निर्भरता शामिल है, विशेष रूप से भविष्य में दोहराए जाने वाले कार्यों के लिए।
  • भारत में प्रौद्योगिकी-संचालित बदलाव: वैश्विक औसत 23% की तुलना में भारत के रोजगार बाजार में थोड़ी कम वृद्धि की उम्मीद है। यह परिवर्तन मुख्य रूप से प्रौद्योगिकी-संचालित होगा, जिसका नेतृत्व 38% एआई और एमएल (मशीन लर्निंग) जैसे क्षेत्रों द्वारा किया जाएगा, इसके बाद 33% डेटा विश्लेषक तथा वैज्ञानिक और 32% डेटा एंट्री क्लर्क होंगे। यद्यपि अर्थव्यवस्था के श्रम प्रधान क्षेत्रों में कम से कम व्यवधान का अनुभव होने की उम्मीद है तथापि, भारतीय और चीनी नियोक्ता प्रतिभा उपलब्धता के संदर्भ में अभी भी आशावादी बने हुए हैं।

भारत की डिजिटल तैयारी के संकेतक:

  • मांग-आपूर्ति में भारी अंतर: नैसकॉम, ड्रूप (Draup) और सेल्सफोर्स की एक रिपोर्ट से एआई, एमएल और बिग डेटा एनालिटिक्स (बीडीए) में 51% प्रतिभा मांग-आपूर्ति अंतर का पता चला है, एमएल इंजीनियर, डेटा आर्किटेक्ट और डेटा विशेषज्ञ जैसी भूमिकाओं के लिए 60% से 73% का अंतर और भी घातक है। ।
  • अपस्किलिंग में कमियाँ: प्रतिभा की गुणवत्ता कभी-कभी समस्या को बढ़ा देती है, अपर्याप्त कौशल के कारण इंजीनियरिंग स्नातकों का एक व्यापक हिस्सा बेरोजगार हो जाता है। विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षित कार्यबल में से लगभग 30% ही आईटी प्रशिक्षण है, फिर भी उनमें से 29% बेरोजगार हैं। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना जैसी योजनाओं सहित कौशल प्रशिक्षण प्रयास उनकी आवश्यकतानुसार मानकों से अभी अपर्याप्त है।
  • बुनियादी कंप्यूटर कौशल का अभाव: एनएसएस 2020-21 इस बात पर प्रकाश डालता है कि 42% भारतीय युवाओं के पास केवल बुनियादी कंप्यूटर कौशल है, जबकि केवल 2.4% के पास प्रोग्रामिंग कौशल है। इसके अलावा, केवल 10% युवा कार्यबल ही स्प्रेडशीट प्रस्तुतियाँ और 8.6% युवा इलेक्ट्रॉनिक प्रस्तुतियाँ बनाने में बुनियादी अंकगणितीय सूत्रों से परिचित हैं।
  • कम निवेश: मध्यम-कैरियर अपस्किलिंग में भारत का निवेश औसत है, जो उन्नत शिक्षा वाले लोगों के बीच उच्च बेरोजगारी दर में योगदान देता है।

सरकारी पहल:

  • डिजिटल एवं नवाचार कौशल बढ़ाने की दिशा में निवेश करके, सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देकर, सभी स्तरों पर डिजिटल साक्षरता को प्रोत्साहित कर, और नवाचार एवं उद्यमिता को प्राथमिकता दे करके, भारत अपनी विशाल युवा क्षमता का उचित दोहन कर सकता है, आर्थिक विकास को गति दे सकता है और एक समृद्ध और डिजिटल रूप से सशक्त भविष्य का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
  • यद्यपि भारत सरकार ने इस क्षेत्र में आने वाली चुनौतियों से निपटने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं, जैसे :
  • राष्ट्रीय डिजिटल साक्षरता मिशन
  • प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना (4.0)
  • डिजिटल इंडिया मिशन
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
  • डिजी सक्षम पहल
  • युवा प्लेटफार्म
  • इंडिया स्किल्स 2021
  • पहले की सीख को मान्यता देना
  • प्रशिक्षुता और कौशल में उच्च शिक्षा युवाओं के लिए योजना (श्रेयस)
    • प्रौद्योगिकी के लिए राष्ट्रीय शैक्षिक गठबंधन (NEAT 3.0)

भारत के कार्यबल को डिजिटल रूप से तैयार करना:

  • कौशल और निवेश का पुनरुद्धार: भारत को उभरती प्रौद्योगिकियों पर विशेष ध्यान देने के साथ-साथ मौजूद कार्यबल को बेहतर बनाने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अपनी कौशल विकास प्रणाली का पुनर्गठन करना चाहिए। अपनी विस्तृत कामकाजी उम्र की आबादी और युवा जनसांख्यिकी का लाभ उठाते हुए, भारत कौशल में रणनीतिक निवेश के माध्यम से अपनी जनसांख्यिकी का पूरा लाभ उठा सकता है।
  • आईटी कौशल पर विशेष फोकस: विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए, सभी क्षेत्रों के व्यक्तियों के पास विशेष आईटी कौशल होना चाहिए। कौशल भारत मिशन और प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) 4.0 जैसी पहल का उद्देश्य उभरती प्रौद्योगिकियों पर जोर देते हुए आईटी और डिजिटल कौशल सहित विभिन्न व्यावसायिक कौशल में लोगों को प्रशिक्षित और प्रमाणित करना है।
  • वैकल्पिक प्रतिभा पूल: छोटे शहरों में डिजिटल क्षमताओं का विस्तार करना, महिलाओं को कार्यबल में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना और औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों सहित पॉलिटेक्निक से व्यावसायिक शिक्षा को पुनर्जीवित करना इस दिशा में सरकार के महत्वपूर्ण प्रयास माने जा सकते हैं। इन कार्यक्रमों के लिए वाणिज्यिक सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) फंडिंग का लाभ उठाना और सरकारों, नियोक्ताओं, प्रशिक्षण प्रदाताओं तथा श्रमिकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना बढ़ती डिजिटल सीखने की जरूरतों को पूरा करने के लिए अनिवार्य होगा।

निष्कर्ष

  • वैश्विक बाज़ार में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए भारत के डिजिटल कौशल अंतर को समाप्त करना आवश्यक है। सरकारी पहलों, रणनीतिक निवेशों और अपस्किलिंग के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण का अभिसरण भारत के कार्यबल को उभरते डिजिटल परिदृश्य को बढ़ावा देगा और देश की आर्थिक वृद्धि में योगदान देने के लिए सशक्त बनाएगा।
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