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The Hindi Editorial Analysis- 24th July 2023 | Current Affairs (Hindi): Daily, Weekly & Monthly - UPSC PDF Download

भारत के आधिकारिक डेटा सम्बन्धी सांख्यिकी पर नई स्थायी समिति


सन्दर्भ:

  • सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने हाल ही में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी आधिकारिक डेटा की विश्वसनीयता और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए सांख्यिकी पर एक नई स्थायी समिति (SCoS) का गठन किया है।
  • पूर्व राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग प्रमुख और भारत के पहले मुख्य सांख्यिकीविद् प्रोनब सेन के नेतृत्व में, समिति का लक्ष्य डेटा गुणवत्ता के मुद्दों को हल करना और भारत के आर्थिक संकेतकों एवं गरीबी अनुमानों के आकलन में व्याप्त अविश्वास की कमी को दूर करना है ।

सांख्यिकी पर स्थायी समिति का विकास:

  • सांख्यिकी पर स्थायी समिति (SCoS) का गठन भारत के सांख्यिकीय ढांचे में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
  • यह पिछली आर्थिक सांख्यिकी पर स्थायी समिति का स्थान लेती है, जिसे औद्योगिक और सेवा क्षेत्रों, श्रम बल सांख्यिकी और औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) जैसे उच्च आवृत्ति संकेतकों से संबंधित आर्थिक डेटा पर सलाह देने के लिए वर्ष 2019 में स्थापित किया गया था।

उन्नत अधिदेश और संरचना:

  • नए SCoS में सभी मौजूदा सर्वेक्षणों और डेटा सेटों पर सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय को मार्गदर्शन प्रदान करने के लिए इस संदर्भ की कई उन्नत शर्तें मौजूद हैं।
  • इसके अतिरिक्त, समिति के पास डेटा अंतराल की पहचान करने, उन्हें संबोधित करने के तरीकों का प्रस्ताव करने और डेटा संग्रह दृष्टिकोण को परिष्कृत करने के लिए पायलट सर्वेक्षण और अध्ययन करने का अधिकार भी है।
  • विशेष रूप से SCoS, विशेषज्ञों के एक छोटे पैनल से बना है, जिसमें सात प्रतिष्ठित शिक्षाविद शामिल हैं, जैसे कि प्रोफेसर विश्वनाथ गोलदार, प्रोफेसर सोनाल्डे देसाई और प्रोफेसर मौसमी बोस।

SCoS का महत्व:


डेटा गुणवत्ता संबंधी मुद्दों का समाधान:

  • हाल के वर्षों में, एनएसओ के कुछ डेटा; विशेष रूप से राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) द्वारा किए गए घरेलू सर्वेक्षणों की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिन्ह लगाया गया है।
  • सरकार ने "डेटा गुणवत्ता के मुद्दों" का हवाला देते हुए 2017-18 में दो प्रमुख एनएसएसओ घरेलू सर्वेक्षणों के परिणामों को रोक दिया था। परिणामतः खुदरा मुद्रास्फीति, जीडीपी और गरीबी अनुमान जैसे आर्थिक संकेतक 2011-12 के पुराने आंकड़ों पर आधारित हैं, जिससे मौजूदा विश्वसनीयता में कमी आई है।

ट्रस्ट के पुनर्निर्माण में SCoS की भूमिका:

  • एससीओएस से डेटा गुणवत्ता संबंधी चिंताओं को दूर करने और भारत के आधिकारिक आंकड़ों में विश्वास के पुनर्निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है।
  • व्यक्तिगत सर्वेक्षणों और डेटासेट पर सलाह देने के अलावा, समिति सम्बंधित आंकड़ों की बेहतर व्याख्या सुनिश्चित करने के लिए डेटा उपयोगकर्ताओं को संवेदनशील बनाने पर भी ध्यान केंद्रित करेगी।
  • सर्वेक्षण परिणामों को अंतिम रूप देने में एनएसओ की सहायता करके, समिति का लक्ष्य भारत के वास्तविक आंकड़ों की विश्वसनीयता को बहाल कर पारदर्शिता लाना है।

उन्नत समन्वय और एकीकरण:

  • अपने विस्तारित अधिदेश के साथ, एससीओएस विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में सांख्यिकीय गतिविधियों के बेहतर समन्वय और एकीकरण की सुविधा प्रदान करेगा, जिससे डेटा दोहराव और असंगति जैसी समस्या कम होगी।

पारदर्शिता और जवाबदेही में वृद्धि:

  • एससीओएस का लक्ष्य डेटा का नियमित प्रसार और प्रकाशन सुनिश्चित करना, पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए सांख्यिकीय प्रक्रिया में हितधारकों और विशेषज्ञों को शामिल करना है।

चुनौतियां:

  • एससीओएस को कुछ मंत्रालयों या विभागों के माध्यम से विविध चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है जो अपने डेटा और कार्यप्रणाली को साझा करने या संशोधित करने के इच्छुक नहीं हैं।

संसाधन और क्षमता की बाधाएं:

  • जनशक्ति, बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी या धन के संदर्भ में संसाधन की कमी एससीओएस के प्रभावी कार्यप्रणाली में बाधा बन सकती है।

कानूनी और संस्थागत बाधाएं:

  • विभिन्न स्रोतों या प्लेटफार्मों के माध्यम से विभिन्न नियमों के साथ डेटा तक पहुंच और उनका उपयोग करने से कानूनी या संस्थागत बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं।

राजनीतिक और सार्वजनिक दबाव:

  • राजनीतिक या सार्वजनिक दबाव संवेदनशील या विवादास्पद डेटा के उत्पादन या जारी करने में हस्तक्षेप कर सकता है।

निष्कर्ष:

  • सांख्यिकी पर नई स्थायी समिति की स्थापना भारत के आधिकारिक डेटा की गुणवत्ता और विश्वसनीयता में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
  • अपने व्यापक अधिदेश और विशेषज्ञ संरचना के साथ, एससीओएस का लक्ष्य डेटा अंतराल को समाप्त करना, सर्वेक्षण पद्धतियों को बढ़ाना और देश के आर्थिक संकेतकों और गरीबी अनुमानों में विश्वास का पुनर्निर्माण करना है।
  • ऐसा करने से, भारत सूचित नीतिगत निर्णय लेने और सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए सटीक और समय पर विभिन्न आंकड़ों पर भरोसा कर सकता है।
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