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Economic Development (आर्थिक विकास): October 2022 UPSC Current Affairs | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

यूनेस्को की 50 प्रतिष्ठित वस्त्र शिल्पों की सूची


चर्चा में क्यों?
हाल ही में यूनेस्को ने देश के 50 विशिष्ट और प्रतिष्ठित विरासत वस्त्र शिल्पों की सूची जारी की है।

  • दक्षिण एशिया में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिये प्रमुख चुनौतियों में से एक उचित सूची और प्रलेखन की कमी है।

कुछ महत्त्वपूर्ण सूचीबद्ध वस्त्र शिल्प:

  • तमिलनाडु की टोडा कढ़ाई और सुंगुडी
  • हैदराबाद की हिमरू बुनाई
  • ओडिशा के संबलपुर की बंधा टाई और डाई बुनाई
  • गोवा की कुनबी बुनाई
  • गुजरात की मशरू बुनाई और पटोला
  • महाराष्ट्र की हिमरू
  • पश्चिम बंगाल की गरद-कोरियल
  • कर्नाटक की इलकल और लंबाडी या बंजारा कढ़ाई
  • तमिलनाडु की सिकलनायकनपेट कलमकारी
  • हरियाणा की खेस
  • हिमाचल प्रदेश के चंबा के रुमाल
  • लद्दाख के थिग्मा या ऊन की टाई और डाई
  • वाराणसी की अवध जामदानी

यूनेस्को

परिचय:

  • इसकी स्थापना वर्ष 1945 में स्थायी शांति के साधन के रूप में "मानव जाति की बौद्धिक और नैतिक एकजुटता" को विकसित करने के लिये की गई थी। यह पेरिस, फ्राँस में स्थित है।

यूनेस्को की प्रमुख पहलें:

  • मानव व जीवमंडल कार्यक्रम
  • विश्व विरासत कार्यक्रम
  • यूनेस्को ग्लोबल जियोपार्क नेटवर्क
  • यूनेस्को क्रिएटिव सिटीज़ नेटवर्क
  • एटलस ऑफ द वर्ल्ड्स लैंग्वेजेज़ इन डेंजर

अमूर्त सांस्कृतिक विरासत:

  • अमूर्त सांस्कृतिक विरासत वे प्रथाएँ, अभिव्यक्तियाँ, ज्ञान और कौशल हैं जिन्हें समुदाय, समूह तथा कभी-कभी व्यक्ति अपनी सांस्कृतिक विरासत के हिस्से के रूप में पहचानते हैं।
    • इसे जीवित सांस्कृतिक विरासत भी कहा जाता है, इसे आमतौर पर निम्नलिखित रूपों में से एक में व्यक्त किया जाता है:
    • मौखिक परंपराएँ
    • कला प्रदर्शन
    • सामाजिक प्रथाएँ
    • अनुष्ठान और उत्सव कार्यक्रम
    • प्रकृति और ब्रह्मांड से संबंधित ज्ञान एवं अभ्यास
    • पारंपरिक शिल्प कौशल
  • मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिष्ठित यूनेस्को प्रतिनिधि सूची में भारत के 14 अमूर्त सांस्कृतिक विरासत शमिल हैं।

Economic Development (आर्थिक विकास): October 2022 UPSC Current Affairs | भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindiभारत के वस्त्र क्षेत्र की स्थिति

  • परिचय:
    • वस्त्र एवं परिधान उद्योग एक श्रम-प्रधान क्षेत्र है, जो भारत में 45 मिलियन लोगों को रोज़गार प्रदान करता है और रोज़गार के मामले में कृषि क्षेत्र के बाद दूसरा प्रमुख क्षेत्र है।
    • वस्त्र क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे पुराने उद्योगों में से एक है और पारंपरिक कौशल, विरासत एवं संस्कृति का निधान और वाहक है।
    • इसे दो खंडों में विभाजित किया जा सकता है:
      • असंगठित क्षेत्र छोटे पैमाने पर है और पारंपरिक उपकरणों एवं विधियों का उपयोग करता है। इसमें हथकरघा, हस्तशिल्प तथा रेशम उत्पादन (रेशम का उत्पादन) शामिल हैं।
      • संगठित क्षेत्र आधुनिक मशीनरी और तकनीकों का उपयोग करता है एवं इसमें कताई, परिधान और वस्त्र शामिल हैं।
  • वस्त्र उद्योग का महत्त्व:
    • यह भारतीय सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 2.3%, औद्योगिक उत्पादन का 7%, भारत की निर्यात आय में 12% और कुल रोज़गार में 21% से अधिक का योगदान देता है।
    • भारत 6% वैश्विक हिस्सेदारी के साथ तकनीकी वस्त्रों (Technical Textile) का छठा (विश्व में कपास और जूट का सबसे बड़ा उत्पादक) बड़ा उत्पादक देश है।
    • तकनीकी वस्त्र कार्यात्मक कपड़े होते हैं जो ऑटोमोबाइल, सिविल इंजीनियरिंग और निर्माण, कृषि, स्वास्थ्य देखभाल, औद्योगिक सुरक्षा, व्यक्तिगत सुरक्षा आदि सहित विभिन्न उद्योगों में अनुप्रयोग होते हैं।
    • भारत विश्व में रेशम का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश भी है जिसकी विश्व में हाथ से बुने हुए कपड़े के मामले में 95% हिस्सेदारी है।

प्रमुख पहल:

  • संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना (Amended Technology Upgradation Fund Scheme- ATUFS): वर्ष 2015 में सरकार ने कपड़ा उद्योग के प्रौद्योगिकी उन्नयन हेतु "संशोधित प्रौद्योगिकी उन्नयन कोष योजना (ATUFS) को मंज़ूरी दी।
  • एकीकृत वस्त्र पार्क योजना (Scheme for Integrated Textile Parks- SITP): यह योजना कपड़ा इकाइयों की स्थापना के लिये विश्व स्तरीय बुनियादी सुविधाओं के निर्माण हेतु सहायता प्रदान करती है।
  • पावर-टेक्स इंडिया: इसमें पावरलूम टेक्सटाइल में नए अनुसंधान और विकास, नए बाज़ार, ब्रांडिंग, सब्सिडी और श्रमिकों हेतु कल्याणकारी योजनाएंँ शामिल हैं।
  • रेशम समग्र योजना: यह योजना घरेलू रेशम की गुणवत्ता और उत्पादकता में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित करती है ताकि आयातित रेशम पर देश की निर्भरता कम हो सके।
  • जूट आईकेयर: वर्ष 2015 में शुरू की गई इस पायलट परियोजना का उद्देश्य जूट की खेती करने वालों को रियायती दरों पर प्रमाणित बीज प्रदान करना और सीमित पानी परिस्थितियों में कई नई विकसित रेटिंग प्रौद्योगिकियों को लोकप्रिय बनाने के मार्ग में आने वाली कठिनाइयों को दूर करना है।
  • राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन: इसका उद्देश्य देश को तकनीकी वस्त्रों के क्षेत्र में वैश्विक नेता के रूप में स्थान प्रदान करना और घरेलू बाज़ार में तकनीकी वस्त्रों के उपयोग को बढ़ाना है। इसका लक्ष्य वर्ष 2024 तक घरेलू बाज़ार का आकार 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाना है।

आगे की राह

  • सदियों से, भारतीय कपड़ा शिल्प ने अपनी सुंदरता से विश्व में प्रमुख स्थान बनाया है।
  • औद्योगिक स्तर पर  बड़े पैमाने पर उत्पादन और नए देशों से प्रतिस्पर्द्धा के दबाव के बावजूद, यह आवश्यक है कि इन प्रतिष्ठित विरासत शिल्पों पर ध्यान देकर इन्हे प्रोत्साहन दिया जाए।
  • वस्त्र क्षेत्र में काफी संभावनाएँ हैं और इसमें नवाचारों, नवीनतम प्रौद्योगिकी एवं सुविधाओं का उपयोग किया जाना चाहिये।

भारत में 75 नई डिजिटल बैंकिंग इकाइयाँ

चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत के प्रधानमंत्री ने 75 ज़िलों में 75 डिजिटल बैंकिंग इकाइयाँ (DBU) राष्ट्र को समर्पित की हैं।

  • वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट भाषण के हिस्से के रूप में वित्त मंत्री ने हमारे देश की आज़ादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में 75 ज़िलों में 75 DBU स्थापित करने की घोषणा की।

डिजिटल बैंकिंग इकाइयाँ (DBU)

  • परिचय:
    • डिजिटल बैंकिंग इकाइयाँ अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों द्वारा स्थापित एक विशिष्ट फिक्स्ड पॉइंट बिजनेस यूनिट या हब है, जो डिजिटल बैंकिंग उत्पादों और सेवाओं को वितरित करने के साथ-साथ मौजूदा वित्तीय उत्पादों और सेवाओं को किसी भी समय डिजिटल रूप से स्वयं-सेवा मोड में सेवा देने के लिये कुछ न्यूनतम डिजिटल बुनियादी ढाँचे को स्थापित करता है।
    • DBU की स्थापना इस उद्देश्य से की जा रही है कि डिजिटल बैंकिंग का लाभ देश के कोने-कोने तक पहुँचे और यह सभी राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों को कवर करेगा।
  • लाभ:
    • DBU उन लोगों को सक्षम बनाएगा जिनके पास सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) बुनियादी ढाँचा नहीं है, वे बैंकिंग सेवाओं को डिजिटल रूप से एक्सेस कर सकते हैं।
    • वे उन लोगों की भी सहायता करेंगे जो डिजिटल बैंकिंग अपनाने के लिये तकनीकी रूप से सक्षम नहीं हैं।
  • DBU सेवाएँ:
    • इन डिजिटल बैंकिंग इकाइयों में ग्राहकों को अपना बचत खाता खोलने, खाते में शेष राशि पता करने, पासबुक प्रिंट कराने, पैसे भेजने, सावधि जमा निवेश के अलावा क्रेडिट-डेबिट कार्ड और कर्ज के लिये आवेदन जैसे काम करने के साथ ही कर व बिलों के भुगतान की पूरी सुविधा होगी।
    • DBU जन समर्थ पोर्टल के माध्यम से सरकारी क्रेडिट लिंक योजनाओं और एमएसएमई / खुदरा ऋणों के एंड-टू-एंड डिजिटल प्रसंस्करण की सुविधा भी प्रदान करेंगे।
  • DBU और पारंपरिक बैंकों के बीच अंतर:
    • DBU 24 x 7 नकद ज़मा और निकासी सहित बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करेगा।
    • DBU की सेवाएँ डिजिटल रूप से प्रदान की जाएँगी।
    • जिन लोगों के पास कनेक्टिविटी या कंप्यूटिंग डिवाइस नहीं हैं, वे DBU से पेपरलेस मोड में बैंकिंग लेनदेन कर सकते हैं।
    • बैंक कर्मचारी सहायता प्राप्त मोड में बैंकिंग लेनदेन के लिये उपयोगकर्त्ताओं की सहायता और मार्गदर्शन के लिये उपलब्ध रहेंगे।
    • DBU डिजिटल वित्तीय साक्षरता प्रदान करने और डिजिटल बैंकिंग अपनाने के लिये जागरूकता पैदा करने में मदद करेगा।

डिजिटल बैंकों और DBU के बीच अंतर:

  • बैलेंस शीट/कानूनी मान्यता:
    • DBU के पास कानूनी मान्यता नहीं है और उन्हें बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत लाइसेंस नहीं दिया गया है।
    • कानूनी रूप से वे "बैंकिंग आउटलेट" अर्थात्, शाखाओं के समकक्ष हैं।
    • डिजिटल बैंकों, बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 के तहत विधिवत लाइसेंस प्राप्त एक बैंक है, जिनके पास एक बैलेंस शीट और कानूनी अस्तित्व है।
  • नवाचार/प्रतिस्पर्द्धा का स्तर:
    • DBU डिजिटल चैनलों को नियामक मान्यता प्रदान करके मौजूदा चैनल बैंकिंग व्यवस्था में सुधार करते हैं। हालाँकि, वे प्रतिस्पर्द्धा पर चुप्पी साधे हुए हैं।
    • DBU दिशा-निर्देश स्पष्ट रूप से बताते हैं कि केवल मौज़ूदा वाणिज्यिक बैंक DBU स्थापित कर सकते हैं।
    • इसके विपरीत यहाँ प्रस्तावित डिजिटल बैंकों के लिये लाइसेंसिंग और नियामक ढाँचा प्रतिस्पर्द्धा/नवाचार आयामों के साथ अधिक सक्षम है।

वित्तीय समावेशन से संबंधित अन्य पहलें:

  • प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY)
  • यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI)
  • प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT)
  • फिनटेक
  • इंडिया स्टैक

बैंकों को आरटीआई से छूट

चर्चा में क्यों?
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न बैंकों द्वारा आरटीआई (सूचना का अधिकार) से छूट से संबंधित एक याचिका की जाँच करने पर सहमति व्यक्त की है।

  • सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के कई बैंक गैर-निष्पादित आस्तियों (NPA), व्यापारिक हानियों, कारण बताओ नोटिस और जुर्माने के संबंध में विभिन्न प्रकार के वित्तीय डेटा का खुलासा करने के मामले में छूट प्राप्त करना चाहते हैं।

मुद्दा क्या है?

  • निरीक्षण रिपोर्ट और डिफॉल्टरों की सूची के खुलासे के लिये कानूनी लड़ाई तब शुरू हुई जब आरटीआई कार्यकर्त्ता जयंतीलाल मिस्त्री ने आरटीआई अधिनियम, 2005 के तहत आरबीआई से गुजरात स्थित सहकारी बैंक के बारे में वर्ष 2010 में जानकारी मांगी। मामला सर्वोच्च न्यायलय तक गया क्योंकि मिस्त्री की अपील पर आरटीआई प्रक्रिया के विभिन्न चरणों में ख़ास ध्यान नहीं दिया गया था।
  • वर्ष 2015 में सर्वोच्च न्यायालय ने निरीक्षण रिपोर्ट और डिफॉल्टरों की सूची को गोपनीय रखने की कोशिश करने के लिये आरबीआई को फटकार लगाई थी, जिससे आरबीआई की ऐसी रिपोर्टों के सार्वजनिक प्रकटीकरण का मार्ग प्रशस्त हुआ था, जो बैंकिंग क्षेत्र की इच्छा के खिलाफ था।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि आरबीआई का किसी भी सार्वजनिक क्षेत्र या निजी क्षेत्र के बैंक के लाभ को अधिकतम करने का कोई कानूनी कर्तव्य नहीं है और इस प्रकार उनके बीच 'विश्वास' का कोई संबंध नहीं है। इसमें कहा गया है कि आरटीआई के तहत इन विवरणों का खुलासा करके जनहित को बनाए रखना आरबीआई का कर्तव्य है।
  • आरबीआई ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद इस तरह की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की अनुमति दी।
  • अब सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि वर्ष 2015 के फैसले में सूचना के अधिकार और निजता के अधिकार को संतुलित करने के पहलू को ध्यान में नहीं रखा गया था एवं इस प्रकार न्यायालय बैंकों को योग्यता के आधार पर अपने मामले पर बहस करने का अवसर देने के लिये बाध्य है।

बैंकों का तर्क:

  • चूँकि बैंक पैसे के लेन-देन में शामिल हैं, इसलिये उन्हें डर है कि विशेष रूप से नियामक RBI की ओर से कोई प्रतिकूल टिप्पणी उनके प्रदर्शन को प्रभावित करेगी और ग्राहकों को दूर रखेगी।
  • बैंक अपने ग्राहकों के "विश्वास और आस्था" से प्रेरित होते हैं जिन्हें सार्वजनिक नहीं किया जाना चाहिये।
  • बैंकों ने यह भी तर्क दिया कि गोपनीयता मौलिक अधिकार है और इसलिये ग्राहकों की जानकारी को सार्वजनिक करके इसका उल्लंघन नहीं किया जाना चाहिये।

RTI अधिनियम, 2005

परिचय:

  • सूचना का अधिकार अधिनियम या RTI केंद्रीय कानून है, जो नागरिकों को सार्वजनिक प्राधिकरण से जानकारी प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।
  • यह सार्वजनिक प्राधिकरण के नियंत्रण में सूचना प्राप्त करने के लिये तंत्र प्रदान करता है ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाई जा सके।
  • RTI अधिनियम की धारा 8: धारा 8 सूचना के प्रकटीकरण से छूट से संबंधित है। जैसे:
    • सूचना जो भारत की संप्रभुता और अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी।
    • सूचना जिसे किसी भी न्यायालय द्वारा प्रकाशित करने के लिये स्पष्ट रूप से मना किया गया है।
    • सूचना, जिसके प्रकटन से संसद या राज्य विधानमंडल के विशेषाधिकार का हनन होगा।
    • वाणिज्यिक विश्वास, व्यापार रहस्य या बौद्धिक संपदा सहित जानकारी, जिसका प्रकटीकरण तीसरे पक्ष की प्रतिस्पर्द्धी स्थिति को नुकसान पहुँचाएगा, जब तक कि सक्षम प्राधिकारी संतुष्ट न हो कि बड़े सार्वजनिक हित में ऐसी जानकारी के प्रकटीकरण की आवश्यकता है।
    • किसी व्यक्ति को उसके प्रत्ययी संबंध में उपलब्ध जानकारी, जब तक कि सक्षम प्राधिकारी संतुष्ट न हो कि व्यापक जनहित में ऐसी जानकारी का प्रकटीकरण आवश्यक है।

PM किसान सम्मान सम्मेलन

चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई दिल्ली में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में PM किसान सम्मान सम्मेलन 2022 का उद्घाटन किया।

PM किसान सम्मान सम्मेलन

  • प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-किसान/PM-KISAN) फंड की 12वीं किस्त जारी की। योजना के तहत 8.5 करोड़ से अधिक पात्र किसानों को 16,000 करोड़ रुपए हस्तांतरित किये गए।
  • प्रधानमंत्री ने रसायन और उर्वरक मंत्रालय के तहत 600 'प्रधान मंत्री किसान समृद्धि केंद्रों' (PMKSK) का भी उद्घाटन किया। इस योजना के तहत देश में 3 लाख से अधिक खुदरा उर्वरक दुकानों को चरणबद्ध तरीके से PMKSK में परिवर्तित किया जाएगा।
  • ये केंद्र कई किसान ज़रूरतों को पूरा करेंगे जैसे कृषि-आगतें (उर्वरक, बीज, उपकरण) प्रदान करना; मृदा, बीज, उर्वरक के लिये परीक्षण सुविधाएँ, किसानों के बीच जागरूकता पैदा करना, विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी प्रदान करना और ब्लॉक/ज़िला स्तर के आउटलेट पर खुदरा विक्रेताओं की नियमित क्षमता निर्माण सुनिश्चित करना।
  • प्रधानमंत्री ने 'प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना' एक राष्ट्र, एक उर्वरक भी लॉन्च किया।
  • इस योजना के तहत 'भारत यूरिया बैग' लॉन्च किये गए हैं। ये कंपनियों को एकल ब्राॅण्ड नाम "भारत" के तहत उर्वरकों के विपणन में मदद करेंगे।
  • प्रधानमंत्री द्वारा उर्वरक पर एक ई-पत्रिका 'इंडियन एज़' का भी शुभारंभ किया गया। यह घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय उर्वरक परिदृश्यों के बारे में जानकारी प्रदान करेगा, जिसमें हालिया विकास, मूल्य रुझान विश्लेषण, उपलब्धता और खपत, किसानों की सफलता की कहानियाँ आदि शामिल हैं।

PM किसान

  • परिचय:
    • भूमि धारक किसानों की वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करने के लिये 1 नवंबर, 2018 को पीएम-किसान शुरू किया गया था।
  • वित्तीय लाभ:
    • प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (DBT) मोड के माध्यम से देश भर के किसान परिवारों के बैंक खातों में हर चार महीने में तीन समान किस्तों में 6000 रुपए प्रतिवर्ष का वित्तीय लाभ हस्तांतरित किया जाता है।
  • योजना का दायरा:
    • यह योजना शुरू में उन छोटे एवं सीमांत किसानों (SMFs) के लिये थी, जिनके पास 2 हेक्टेयर तक की भूमि थी, लेकिन बाद में इस योजना का दायरा सभी भूमिधारक किसानों को कवर हेतु बढ़ा दिया गया।
  • वित्तपोषण और कार्यान्वयन:
    • यह भारत सरकार से 100% वित्त पोषण के साथ केंद्रीय क्षेत्रक योजना है।
    • इसे कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है।
  • उद्देश्य:
    • इसका उद्देश्य प्रत्येक फसल चक्र के अंत में प्रत्याशित कृषि आय के अनुरूप उचित फसल स्वास्थ्य और पैदावार सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न आदानों की खरीद संबंधी छोटे एवं सीमांत किसानों की वित्तीय ज़रूरतों को पूरा करना है।
    • इस तरह के खर्चों को पूरा करने के लिये उन्हें साहूकारों के चंगुल से बचाना तथा खेती की गतिविधियों में उनकी निरंतरता सुनिश्चित करना।
  • PM-KISAN मोबाइल एप: इसे इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सहयोग से राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र द्वारा विकसित और डिज़ाइन किया गया है।
  • बहिष्करण मापदंड: उच्च आर्थिक स्थिति के लाभार्थियों की निम्नलिखित श्रेणियाँ योजना के तहत लाभ के लिये पात्र नहीं होंगी।

सभी संस्थागत भूमि धारक।

  • वे किसान परिवार जो निम्नलिखित में से किसी एक या अधिक श्रेणियों से संबंधित हैं:
  • पूर्व और वर्तमान में संवैधानिक पदों के धारक
  • पूर्व और वर्तमान मंत्री / राज्य मंत्री और लोकसभा / राज्य सभा / राज्य विधान सभाओं / राज्य विधान परिषदों के पूर्व / वर्तमान सदस्य, नगर निगमों के पूर्व और वर्तमान महापौर, ज़िला पंचायतों के पूर्व और वर्तमान अध्यक्ष।
  • केंद्र/राज्य सरकार के मंत्रालयों/कार्यालयों/विभागों और इसकी क्षेत्रीय इकाइयों के सभी सेवारत या सेवानिवृत्त अधिकारी और कर्मचारी, साथ ही केंद्रीय या राज्य सार्वजनिक उपक्रम और सरकार के तहत जुड़े कार्यालयों/स्वायत्त संस्थानों के साथ-साथ स्थानीय निकायों के नियमित कर्मचारी (मल्टी-टास्किंग स्टाफ/वर्ग IV/ग्रुप डी कर्मचारी को छोड़कर) ।
  • उपरोक्त श्रेणी के सभी सेवानिवृत्त पेंशनभोगी जिनकी मासिक पेंशन 10,000/- रुपए या अधिक है (मल्टी-टास्किंग स्टाफ/वर्ग IV/ग्रुप डी कर्मचारियों को छोड़कर)।
  • विगत मूल्यांकन वर्ष में आयकर का भुगतान करने वाले सभी व्यक्ति।
  • ऐसे पेशेवर जो निकायों के साथ पंजीकृत हैं और सक्रिय रूप से अपने व्यवसायों का अभ्यास कर रहे हैं, जैसे कि डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, चार्टर्ड एकाउंटेंट और आर्किटेक्ट।

वैश्विक नवाचार सूचकांक, 2022

चर्चा में क्यों?
हाल ही में विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) द्वारा जारी वैश्विक नवाचार सूचकांक (GII), 2022 रैंकिंग में भारत 132 देशों में 40वें स्थान पर है।

  • भारत 2021 में 46वें और 2015 में 81वें स्थान पर था।

रिपोर्ट की मुख्य विशेषताएँ

देशों की रैंकिंग

  • सबसे नवाचारी अर्थव्यवस्था:
    • वर्ष 2022 में स्विट्ज़रलैंड दुनिया की सबसे नवाचारी अर्थव्यवस्था है- लगातार 12वें वर्ष- इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका, स्वीडन, यूनाइटेड किंगडम व नीदरलैंड का स्थान है।
    • चीन शीर्ष 10 के करीब है, जबकि तुर्की और भारत पहली बार शीर्ष 40 में शामिल हुए हैं।
  • भारत का प्रदर्शन:
    • भारत निम्न मध्यम आय वर्ग में नवोन्मेषी नेतृत्त्वकर्ता  है।
    • यह ICT सेवाओं के निर्यात में दुनिया के नेतृत्त्वकर्ता के साथ अन्य संकेतकों में शीर्ष रैंकिंग में शामिल है, जिसमें उद्यम पूँजी प्राप्ति मूल्य, स्टार्टअप और स्केलअप के लिये वित्त, विज्ञान एवं इंजीनियरिंग में स्नातक, श्रम उत्पादकता वृद्धि तथा घरेलू उद्योग विविधीकरण शामिल हैं।
  • अनुसंधान एवं विकास व्यय में वृद्धि:
    • शीर्ष वैश्विक कॉर्पोरेट R&D पर खर्च करने वालों ने अपने R&D खर्च को वर्ष 2021 में लगभग 10% बढ़ाकर 900 बिलियन अमेरिकी डाॅलर से अधिक कर दिया है जो महामारी से पहले वर्ष 2019 की तुलना में अधिक है।
  • वेंचर कैपिटल (VC) ग्रोथ:
    • वर्ष 2021 में 46% के साथ इसमें बेहतरीन वृद्धि हुई है, वर्ष 1990 के दशक के बाद से यह रिकॉर्ड स्तर रहा है। लैटिन अमेरिका और कैरिबियन तथा अफ्रीकी क्षेत्रों में VC की सबसे अधिक वृद्धि देखी जा रही है।

वैश्विक नवाचार सूचकांक (GII):

  • परिचय:
    • ‘वैश्विक नवाचार सूचकांक’(GII) देशों की क्षमता और नवाचार में सफलता के आधार पर तैयार किया जाने वाला एक वार्षिक सूचकांक है।
    • बड़ी संख्या में देश GII का उपयोग अपने नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का आकलन और सुधार करने के लिये करते हैं तथा GII को आर्थिक योजनाओं एवं/या नीतियों में संदर्भ के रूप में उपयोग करते हैं।
    • सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) के संबंध में नवाचार को मापने के लिये GII  को संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद द्वारा विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं विकास के लिये नवाचार पर 2019 के संकल्प में एक आधिकारिक बेंचमार्क के रूप में मान्यता दी गई है।
  • सूचकांक के संकेतक:
    • सूचकांक की गणना के मानकों में 'संस्थान', 'मानव पूंजी और अनुसंधान', 'आधारभूत ढाँचे', बाज़ार' संरचना', 'व्यापार संरचना', 'ज्ञान तथा प्रौद्योगिकी आउटपुट' शामिल हैं।  
  • 2022 की थीम: "नवाचार-संचालित विकास का भविष्य क्या है?"
  • दो नवीन नवाचारों का प्रभाव: GII 2022 दो नवीन नवाचार के सकारात्मक प्रभावों को भी रेखांकित करता है, हालाँकि यह इस बात पर ज़ोर देता है कि इस तरह के प्रभावों को महसूस होने में कुछ समय लगेगा:
    • सुपरकंप्यूटिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटोमेशन पर निर्मित डिजिटल युग नवाचार।
    • प्रभाव: वैज्ञानिक अनुसंधान के सभी क्षेत्रोंं में पर्याप्त उत्पादकता प्रभाव बनाना।
    • जैव प्रौद्योगिकी, नैनो प्रौद्योगिकी, नई सामग्री, और अन्य प्रौद्योगिकी सफलताओं पर निर्मित एक गहन विज्ञान नवाचार।
    • स्वास्थ्य, भोजन, पर्यावरण और गतिशीलता में क्रांतिकारी नवाचार (समाज के लिये महत्त्वपूर्ण चार क्षेत्र)।

विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO)

  • WIPO बौद्धिक संपदा (IP) सेवाओंनीतिसूचना और सहयोग के लिये वैश्विक मंच है।
  • यह 193 सदस्य देशों के साथ संयुक्त राष्ट्र की एक स्व-वित्तपोषित एजेंसी है।
  • इसका उद्देश्य संतुलित और प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय IP प्रणाली के विकास का नेतृत्व करना है जो सभी के लाभ के लिये नवाचार एवं रचनात्मकता को सक्षम बनाता है।
  • इसका जनादेश, शासी निकाय और प्रक्रियाएँ WIPO कन्वेंशन में निर्धारित की गई हैं, जिसने वर्ष 1967 में WIPO की स्थापना की थी।

भारत की संबंधित पहलें

  • डिजिटल इंडिया:
    • भारत ने वर्ष 2015 में 'डिजिटल इंडिया' यात्रा शुरू की और अगले कुछ वर्षों में एक ट्रिलियन-डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था का लक्ष्य निर्धारित किया है।
    • डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उपयोग कई क्षेत्रों में किया जाता है, जिसमें GIS प्रौद्योगिकी का उपयोग करके पूंजीगत संपत्तियों की मैपिंग और एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) के माध्यम से भुगतान में क्रांतिकारी बदलाव शामिल हैं।
    • वास्तव में वर्ष 2021 में वैश्विक वास्तविक समय डिजिटल लेनदेन का 40% भारत में हुआ।
  • राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020:
    • नवाचार को और मज़बूत करने के लिये राष्ट्रीय शिक्षा नीति पेश की गई जिसने ऊष्मायन एवं प्रौद्योगिकी विकास केंद्रों की स्थापना करके जानकारी को बढ़ावा दिया।
  • अटल टिंकरिंग लैब:
    • 9000 से अधिक अटल टिंकरिंग लैब्स युवाओं को समाज की समस्याओं के समाधान विकसित करने के लिये प्रोत्साहित करती हैं।
  • IPR में संरचनात्मक सुधार:
    • भारत ने बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) व्यवस्था को मज़बूत करने के लिये संरचनात्मक सुधार किये हैं जिसमें IP कार्यालयों का आधुनिकीकरणकानूनी अनुपालन को कम करना और स्टार्ट-अप, महिला उद्यमियोंछोटे उद्योगों एवं अन्य के लिये IP फाइलिंग की सुविधा शामिल है।
    • पेटेंट की घरेलू फाइलिंग में पिछले 5 वर्षों में 46% की वृद्धि दर्ज की गई है।
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FAQs on Economic Development (आर्थिक विकास): October 2022 UPSC Current Affairs - भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) for UPSC CSE in Hindi

1. यूनेस्को की 50 प्रतिष्ठित वस्त्र शिल्पों की सूची क्या है?
उत्तर: यूनेस्को ने 50 प्रतिष्ठित वस्त्र शिल्पों की सूची जारी की है, जिसमें विभिन्न देशों के पास की जाने वाली महत्वपूर्ण वस्त्र शिल्पों की सूची शामिल है।
2. भारत में 75 नई डिजिटल बैंकिंग इकाइयाँ कहाँ स्थापित की गई हैं?
उत्तर: भारत में 75 नई डिजिटल बैंकिंग इकाइयाँ स्थापित की गई हैं।
3. बैंकों को आरटीआई से छूट क्या होगी?
उत्तर: बैंकों को आरटीआई से छूट मिलेगी।
4. PM किसान सम्मान सम्मेलन कब आयोजित किया जाता है?
उत्तर: PM किसान सम्मान सम्मेलन का आयोजन वर्षित होता है।
5. वैश्विक नवाचार सूचकांक, 2022 क्या है?
उत्तर: वैश्विक नवाचार सूचकांक, 2022 एक आर्थिक मानक है जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास को मापता है।
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