प्राकृतिक आपदा सामान्य परिचय (महाविपदाएं एवं प्राकृतिक आपदाएं)
भौतिक भूगोल एवं भू-आकृति विज्ञान के विशेषज्ञ के लिए पर्यावरण तथा भौतिक आपदाएँ एक महत्वपूर्ण शोध का विषय है। मानव प्राचीन काल से ही प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित होता रहा है। प्राकृतिक आपदाएँ मानव के नियंत्रण के बाहर हैं। पर्यावरण आपदाओं में ज्वालामुखी भूकंप, बाढ़, सूखा, बर्फीले तूफान, सुनामी, महामारी, इत्यादि सम्मिलत हैं। इन प्राकृतिक आपदाओं के अतिरिक्त बहुत सी आपदाओं के लिए मानव स्वयं जिम्मेदार है।
महाविपदा/आपदा Aapda
प्राकृतिक आपदाओं तथा महाआपदाओं से मानव सदैव से पीड़ित रहा है। महाविपदा प्राकृतिक कारणों से आती है, परंतु मानव समाज एवं परिस्थितियों को भारी जान व माल का नुकसान पहुँचाती है। प्राकृतिक आपदाओं से मानव पीड़ित ही नहीं होता वह इनसे डरता भी है। महाविदाओं के बारे में प्रायः भविष्यवाणी संभव नहीं होती तथा इनसे भारी तबाही होती है। महाविपदा से निपटने के लिए कुशल प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
प्राकृतिक आपदाएँ (Natural Disasters)
- मानव के पूरे इतिहास में प्राकृतिक आपदाओं का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता रहा है। वास्तव में मानव सभ्यता के आरंभ से प्राकृतिक आपदाओं ने मानव समाज को बार-बार प्रभावित किया है। प्राकृतिक आपदाओं ने प्रायः महाविदाओं का रूप धारण किया है। जिससे भारी तबाही मचती रही है। महामारी, भूकंप तथा बाढ़ भी इसी प्रकार की महाआपदाओं में सम्मिलत हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ की
- रिपार्ट के अनुसार विश्व की बाढ़ से प्रभावित होने वाली जनसंख्या की 90 प्रतिशत जनसंख्या द. एशिया, दक्षिणी पूर्वी एशिया तथा एशिया प्रशांत महासागर के देशो में रहती है। बाढ़ से प्रभावित होने वाले देशों में भारत, बांग्लादेश, पाकिस्तान सम्मिलत हैं। विश्व | रिपोर्ट के अनुसार प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित हाने वाले देशों में चीन के पश्चात भारत का दूसरा स्थान है।
आपदाओं का प्रकार (Type of Disaster)
मानव समाज को प्रभावित करने वाली आपदाओं को निम्न वर्गों में| विभाजित किया जा सकता है
- भूगर्भीय आपदाएँ- ज्वालामुखी, भूकंप, सुनामी, भूस्खलन, हिमस्खलन भूगर्भीय आपदाओं की श्रेणी में आती हैं।
- जलवायु आपदाएँ- सागर का थल पर चढ़ना, जलाश्यों में खरपतवार, तूफान के कारण तटीय अपरदन, बाढ़, सूखा तथा जंगलों में आग लगना।
- जैविक आपदाएँ- महामारी तथा जनता की स्वास्थ्य संबंधी संकट |
- प्रतिकूल तत्व- युद्ध, उग्रवाद, अतिवाद, चरमपंथीवाद तथा विद्रोह |
- मूलभूत सुविधाओं का विघटन होना
- जनसमूह का नियंत्रण से बाहर होना
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अनुसार आपदा
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 में आपदा से तात्पर्य किसी क्षेत्र में हुए उस विध्वंस, अनिष्ट, विपत्ति या बेहद गंभीर घटना से है जो प्राकृतिक या मानवजनित कारणों से या दुर्घटनावश या लापरवाही से घटित होती है और जिसमें बहुत बड़ी मात्रा में मानव जीवन की हानि होती है या मानव पीड़ित होता है या संपत्ति को हानि पहंचती है या पर्यावरण का भारी क्षरण होता है। यह घटना प्रायः प्रभावित क्षेत्र के समुदाय की सामना करने की क्षमता से अधिक भयावह होती है।
आपदा का अर्थ
आपदा अचानक होने वाली विध्वंसकारी घटना को कहा जाता है, जिससे व्यापक भौतिक क्षति व जान माल का नुकसान होता है। यह वह प्रतिकूल स्थिति है जो मानवीय, भौतिक, पर्यावरणीय एवं सामाजिक क्रियाकलापों को व्यापक तौर पर प्रभावित करती है।
➤ भारत में आपदा को निम्न श्रेणियों में बाँटा गया है
जल एवं जलवायु से जुड़ी आपदाएँ
- चक्रवात, बवण्डर एवं तूफान, ओलावृष्टि, बादल फटना, लू व शीतलहर, हिमस्खलन, सूखा, समुद्र-क्षरण, मेघ-गर्जन व बिजली का कड़कना
- भूमि संबंधी आपदाएँ : भूस्खलन, भूकंप, बांध का टूटना, खदान में आग
दुर्घटना संबंधी आपदाएँ:
जंगलों में आग लगना, शहरों में आग लगना, खदानों में पानी भरना, तेल का फैलाव, प्रमुख इमारतों का ढहना, एक साथ र बम विस्फोट, बिजली से आग लगना, हवाई, सड़क एवं दुर्घटनाएँ।
जैविक आपदाएँ
महामारियों, कीटों का हमला, पशुओं की महामारियों, जहरी भोजन
रासायनिक आपदाएँ
रासायनिक, औद्योगिक एवं परमाणु संबंधी आपदाएं, रासायनि गैस का रिसाव, परमाणु बम गिरना।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण
- कानून का अधिनियम होने तक सरकार ने 30 मई, 2005 प्रधानमंत्री को अध्यक्ष के रूप में लेकर राष्ट्रीय आपदा प्रबा प्राधिकरण (एनडीएमए) का गठन किया।
- आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 लागू होने के बाद अधिनियम के उपबंधों के अनुरूप 27 सितंबर, 2006 को एनडीएमए का गठन किया गया जिसमें 9 सदस्य हैं जिनमें से एक सदस्य को उपाध्यक्ष के रूप में पदनामित किया गया है।
- प्राधिकरण को आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 में यथापरिकल्पित कार्य सौंपे गए हैं
आपदा प्रबंधन के लिए नीतियां, योजनाएं तथा दिशा-निर्देश निर्धारित करना राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन योजना तथा भारत सरकार के मंत्रालयों/विभागों द्वारा तैयार योजनाओं का अनुमोदन करना;राज्य योजना निर्मित करने के लिए राज्य प्राधिकरणों के लिए दिशा निर्देश निर्धारित करना - आपदाओं की रोकथाम अथवा उनकी विकास योजनाओं तथा परियोजनाओं में इसके प्रभावों को कम-से-कम करने के उद्देश्य से उपायों सरकार के मंत्रालयों/विभागों द्वारा पालन किए जाने के लिए दिशा-निर्देश निर्धारित करना
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान के कार्यकरण हेतु स्थूल नीतियों एवं दिशा-निर्देश का निर्धारण करना;प्रशमन के उद्देश्य से निधियों के प्रावधान की अनुशंसा करना
- आपदा प्रबंधन के लिए नीतियों और योजनाओं के प्रवर्तन और कार्यान्वयन का समन्वय करना
- बड़ी आपदाओं से प्रभावित दूसरे देशों को वैसी सहायता प्रदान करना जैसी केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाएं
- न्यनीकरण के प्रयोजनार्थ निधियों के प्रावधान की सिफारिश करने तथा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संसथान की कार्यप्रणाली के लिए व्यापक नीतियां और दिशा-निर्देश निर्धारित करना।
परामर्शकारी समिति
आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा-7 यह प्रावधान करती है कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एक सलाहकार समिति नियुक्ति कर सकता है जिसमें विभिन्न पहलुओं पर सिफारिश करने के लिए आपदा प्रबंधन के क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल होंगे। इसकी सहायता केंद्र सरकार द्वारा गठित की जाने वाली राष्ट्रीय कार्यकारी समिति द्वारा की जाएगी।
राष्ट्रीय कार्यकारी समिति
राष्ट्रीय कार्यकारी समिति, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और केंद्र सरकार की सभी योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में कार्य करेगी।
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण
आपदा प्रबंधन अधिनियम (धारा-14) सुनिश्चित करता है कि राज्य सरकार सरकारी राजपत्र में अध्यादेश जारी करके एक राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का गठन करेगी।
जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण
- राज्य सरकार (अधिनियम की धारा-25 के तहत) राजपत्र में अधिसूचना द्वारा प्रत्येक जिले में एक जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का गठन करेगी।
- जिन जिलों में जिला परिषद् है, वहां जिला प्रमुख ही सह अध्यक्ष होगा।
- अधिनियम में प्रावधान है कि राज्य सरकार अतिरिक्त जिला कलेक्टर स्तर के अधिकारी को जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का मुख्य कार्यकारी अधिकारी नियुक्त करेगी।
आपदाओं के प्रबंधन के तीन चरण
- रोकथाम के उपायों द्वारा क्षेत्र को आपदा शून्य करना
- आपदा से निपटने की तैयार
- आपदा पश्चात् राहत एवं बचाव तथा पुनर्वास।