भौतिक भूगोल एवं भू-आकृति विज्ञान के विशेषज्ञ के लिए पर्यावरण तथा भौतिक आपदाएँ एक महत्वपूर्ण शोध का विषय है। मानव प्राचीन काल से ही प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित होता रहा है। प्राकृतिक आपदाएँ मानव के नियंत्रण के बाहर हैं। पर्यावरण आपदाओं में ज्वालामुखी भूकंप, बाढ़, सूखा, बर्फीले तूफान, सुनामी, महामारी, इत्यादि सम्मिलत हैं। इन प्राकृतिक आपदाओं के अतिरिक्त बहुत सी आपदाओं के लिए मानव स्वयं जिम्मेदार है।
प्राकृतिक आपदाओं तथा महाआपदाओं से मानव सदैव से पीड़ित रहा है। महाविपदा प्राकृतिक कारणों से आती है, परंतु मानव समाज एवं परिस्थितियों को भारी जान व माल का नुकसान पहुँचाती है। प्राकृतिक आपदाओं से मानव पीड़ित ही नहीं होता वह इनसे डरता भी है। महाविदाओं के बारे में प्रायः भविष्यवाणी संभव नहीं होती तथा इनसे भारी तबाही होती है। महाविपदा से निपटने के लिए कुशल प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
मानव समाज को प्रभावित करने वाली आपदाओं को निम्न वर्गों में| विभाजित किया जा सकता है
आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 में आपदा से तात्पर्य किसी क्षेत्र में हुए उस विध्वंस, अनिष्ट, विपत्ति या बेहद गंभीर घटना से है जो प्राकृतिक या मानवजनित कारणों से या दुर्घटनावश या लापरवाही से घटित होती है और जिसमें बहुत बड़ी मात्रा में मानव जीवन की हानि होती है या मानव पीड़ित होता है या संपत्ति को हानि पहंचती है या पर्यावरण का भारी क्षरण होता है। यह घटना प्रायः प्रभावित क्षेत्र के समुदाय की सामना करने की क्षमता से अधिक भयावह होती है।
आपदा अचानक होने वाली विध्वंसकारी घटना को कहा जाता है, जिससे व्यापक भौतिक क्षति व जान माल का नुकसान होता है। यह वह प्रतिकूल स्थिति है जो मानवीय, भौतिक, पर्यावरणीय एवं सामाजिक क्रियाकलापों को व्यापक तौर पर प्रभावित करती है।
➤ भारत में आपदा को निम्न श्रेणियों में बाँटा गया है
जल एवं जलवायु से जुड़ी आपदाएँ
जंगलों में आग लगना, शहरों में आग लगना, खदानों में पानी भरना, तेल का फैलाव, प्रमुख इमारतों का ढहना, एक साथ र बम विस्फोट, बिजली से आग लगना, हवाई, सड़क एवं दुर्घटनाएँ।
महामारियों, कीटों का हमला, पशुओं की महामारियों, जहरी भोजन
रासायनिक, औद्योगिक एवं परमाणु संबंधी आपदाएं, रासायनि गैस का रिसाव, परमाणु बम गिरना।
आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा-7 यह प्रावधान करती है कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एक सलाहकार समिति नियुक्ति कर सकता है जिसमें विभिन्न पहलुओं पर सिफारिश करने के लिए आपदा प्रबंधन के क्षेत्र के विशेषज्ञ शामिल होंगे। इसकी सहायता केंद्र सरकार द्वारा गठित की जाने वाली राष्ट्रीय कार्यकारी समिति द्वारा की जाएगी।
राष्ट्रीय कार्यकारी समिति, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और केंद्र सरकार की सभी योजनाओं और कार्यक्रमों के लिए कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में कार्य करेगी।
आपदा प्रबंधन अधिनियम (धारा-14) सुनिश्चित करता है कि राज्य सरकार सरकारी राजपत्र में अध्यादेश जारी करके एक राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण का गठन करेगी।
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