UPSC Exam  >  UPSC Notes  >  Revision Notes for UPSC Hindi  >  प्रागेतिहासिक काल - इतिहास,यु.पी.एस.सी

प्रागेतिहासिक काल - इतिहास,यु.पी.एस.सी | Revision Notes for UPSC Hindi PDF Download

प्रागेतिहासिक काल

-   हिमालय के पूर्व में पत्कोई, नागा और लुशाई की पहाड़ियां स्थित है।
    -   हिमालय के पश्चिम में खैबर और बोलन के दर्रे हैं, जहां से होकर विदेशी आते थे।
    -   आदिम जाति आॅस्ट्रोलाॅयड की देन निषाद भाषा है जिसे मुण्डा कहते हैं।
    -   असम के किरातों (मंगलाॅयड़) से भारत ने दो भाषाएं ग्रहण की है- तिब्बती-बर्मी और मोन-रन्मेर (मंगोली)
    -   भूमध्यसागरीय और एल्पीनी आरमीनी लोगों की देन द्रविड़ भाषाएँ हैं।
    -   नोर्दिक लोगों की भारत को देन आर्य भाषा है।
    -   सोन संस्कृति का नामकरण पंजाब की एक छोटी नदी के नाम पर हुआ।
    -   विकसित कृषि और स्थायी ग्राम का जन्म संभवतः ई.पू. 5000 से पूर्व मध्यपूर्व में हुआ।
    -   भारत में स्थायी संस्कृति के प्राचीनतम अवशेष ई.पू. चैथी सहस्त्राब्दि के अंत में बलूचिस्तान और निचले सिंध के खेतिहर ग्रामों में प्राप्त हुए है।
    -   प्रागैतिहासिक काल में भारत के दक्षिणी ग्रामों की विशेषता महिषचयी (काले पात्रा) थी।
    -   मकरान में कुल्ली संस्कृति के लोग अपने मृतकों को जलाते थे।
    -   बाहुई पहाड़ियों में नाल संस्कृति के लोग आंशिक रूप से शव को भूमि में गाड़ते थे अथवा जलाकर या खुला छोड़कर कुछ भाग के क्षत-विक्षत होने के पश्चात् गाड़ते थे।
    -   कुल्ली संस्कृति और नाल संस्कृति के निवासियों का धर्म भूमध्यसागरीय क्षेत्रा तथा मध्य पूर्व की अन्य प्राथमिक किसान जातियों के धर्म के समान था, जो उपज-वृद्धि संबंधी यज्ञादि कृत्यों एवं देवियों की उपासना में केंद्रित था।
    -   क्वेटा के उत्तर में जोब संस्कृति से लिंग-पूजन से संबंधित अवशेष प्राप्त हुए हैं।
    -   मृत्तिका पात्रों के  शृंगार की लोकप्रिय प्रवृत्ति रही है कुल्ली और राणा घुण्डई में ।
    -   जोब संस्कृति से वृषमों की अल्पाकार मूर्तियां और वृषभ प्राप्त हुए हैं।
    -   मृदु प्रस्तरों से अल्पाकार मंजूषाएं, जिन पर ललित रेखा अनुकृतियां अंकित की जाती थी, कुल्ली संस्कृति में पाई जाती थी।
    -   पूर्व पाषाण युग के लोग नेग्रीटो समझे जाते थे।
    -   पूर्व पाषाण संस्कृति के प्रमुख स्थल है - i) नर्मदा घाटी, ii) कोंकण तट की पट्टी तथा iii) दक्षिण का पठार।
    -   मध्यपाषाण युग का प्रमुख लक्षण बहुत छोटा औजार (माइक्रोलिथ) है, जो प्रायः समस्त भारत में, विशेषतः उत्तरी गुजरात में पाए गए हैं। 
   -   इस युग में लघुपाषाणोंपकरणों के अतिरिक्त गाय, भैंस, जंगली घोड़े, कुत्ते, बैल, भेड़, बकरी, मछली, घड़ियाल तथा नीग्रो जाति के मनुष्यों के अवशेष भी मिले हैं।
   -   इस युग में मनुष्य आखेट जीवी था।
   -   नवपाषाणकालीन स्थल आदिचनल्लूर से ऐसी बहुत सी कब्रें प्राप्त हुई हैं, जिनमें पात्रों में रखकर शवों की हड्डियां दबाई गई है।
   -   नवपाषाणयुगीन लोग आदिम निषाद माने जाते हैं।
   -   प्राचीन सभ्यता के स्थल नाल से कुछ आकृतियां मिली है, जिनमें रेखाओं की सजावट और एक शिकारी पक्षी की आकृति प्रधान है।

नव-पाषाण युग

- इस युग के मनुष्यों ने सभ्यता के मामले में कापफी प्रगति की। औजार बेहतर ढंग से तराशे, घिसे तथा चिकने किए हुए थे।
-    प्रमुख उपकरण थे - सेल्ट, बसूले, छेनियां, मूसल, बाणाग्र, आरियां, तक्षणियां आदि।
-    तीन तरह की विशेष कुल्हाड़ियां प्रयोग में लाई जाती थी। ये थे- वक्र धार की तिकोनी कुल्हाड़ियां, पालिशदार पत्थर की कुल्हाड़ियां, नुकीले हत्थे व अंडाकार बगलों वाली कुल्हाड़ियां।
-    इस युग के अवशेष तमिलनाडु, कर्नाटक, हैदराबाद, कश्मीर, बंगाल, उड़ीसा और नागपुर से प्राप्त हुए हैं।
-    कुछ नई खोजों के साथ आदमी का रहन-सहन भी बदल गया। उसका खानाबदोशी जीवन समाप्त हो गया था और उसने  एक स्थान पर टिके रहने वाले किसान का जीवन शुरू कर दिया था। महत्वपूर्ण खोज       थे - कृषि की शुरूआत तथा पशुओं को पालतू बनाना।
-    उसने गेहूं, मक्का, जौ तथा सब्जियां उगाने की कला सीखीं।
-    पालतू पशुएं प्रतिदिन दूध देती थी और जरूरत पड़ने पर उनमें से कुछ खाई भी जा सकती थी।
-    ये लोग गर्त वाले घरों का निर्माण और चाक से बने बर्तनों का प्रयोग भी करते थे।
-    बड़ी-बड़ी शिलाओं के मकबरे और ऐसी कब्रें मिली हैं, जिनमें हड्डियां पात्रों में रखकर दबाई गई हैं। इस प्रकार की कब्र चनल्लूर आदि स्थानों से प्राप्त हुई हैं। इन्हें ‘डोलमेन’ कहा जाता है।
-    बेलन घाटी में विन्ध्य पर्वत के उत्तरी पृष्ठों पर लगातार तीनों अवस्थाएं एक के बाद एक पाई जाती हैं- पहले पुरापाषाण कालिक, तब मध्यपाषाण कालिक और तब नव-पाषाण कालिक, और यही बात    नर्मदा घाटी के मध्य भाग की है।
-    ‘प्रिंस आॅपफ वेल्स’ का भारत आगमन लाॅर्ड नार्थ बुक के शासनकाल के दौरान हुआ था।
-    1876 ई. में बिहार भीषण अकाल की चपेट में आ गया था।
- कुल्ली से स्त्राी की मिट्टी की पूर्ति (सम्भवतः गृह देवता) तथा कूबड़ सांड, बकरों और बिल्ली की आकृतियां प्राप्त हुई है।
    -    राणा घुण्डई से घोड़े की हड्डिया प्राप्त हुई है।
   -  जोब से धरतीमाता की मूर्ति और पत्थर के लिंग प्रकाश में आए हैं।
   -  भारतीय इतिहास के प्राचीन काल को तीन कालखण्डो में विभक्त किया जाता है - प्रागैतिहासिक काल, आदि ऐतिहासिक काल और पूर्ण ऐतिहासिक काल।
   -  सैंधव सभ्यता एवं )ग्वैदिक सभ्यता को आदि ऐतिहासिक काल के अंतर्गत रखा जाता है।
   -  पाषाणकाल को तीन खण्डों में विभक्त किया जाता है - पुरापाषाणकाल, मध्यपाषाणकाल और नवपाषाणकाल।
   -  पुरापाषाणकाल का समय 25 लाख वर्ष पूर्व से लेकर 10000 ई.पू. तक माना जाता है।
   -  पाषाणकालीन सभ्यता तथा संस्कृति का अन्वेषण सर्वप्रथम 1862 ई. में ब्रूसपूफट ने किया।
   -  भारत में आदिमानव का प्रादुर्भाव पंजाब में सिन्धु तथा झेलम नदियों के बीच स्थित क्षेत्रा में हुआ था।
   -  पुरापाषाण काल में मानव केवल पत्थरों के औजरों का ही प्रयोग करता था।
   -  पुरापाषाणकाल में शवाधान की दो पद्धति प्रचलित थीं- शवों को गाड़ा जाता था और शवों को खुले मैदान में छोड़ दिया जाता था।
   -  मध्यपाषाण काल का समय 1000 ई.पू. से 8000 ई.पू. के बीच माना जाता है।
   -  मध्यपाषाण काल में पशुओं के मांस के अतिरिक्त मछलियां भी आहार बन गई। 
    -  मध्यपाषाण काल में कठोर चट्टानों के साथ-साथ मुलायम चट्टानों से भी औजार बनने लगे।
    -  मध्यपाषाण काल में मानव-अस्थियों के साथ-साथ कुत्ते के भी अस्थि पंजर प्राप्त हुए हैं
    -  मध्यपाषाणकाल में पशुपालन की शुरूआत हुई।
    -  नवपाषाण काल में मानव ने पहली बार कृषि कार्य आरंभ किया। 
    -  गाय, बैल, भैंस, भेड़, बकरी, बिल्ली, कुत्ता, घोड़ा आदि नवपाषाण काल के प्रमुख पालतू पशु थे।
    -    नवपाषाण काल में मानव ने भवन निर्माण की शुरूआत कर दी थी। 
    -    भारत के संदर्भ में 2000 ई.पू. से 800 ई.पू. के बीच के कालखण्ड को ताम्रपाषाण काल कहा जाता है।
    -    आंध्रपदेश में कुरनूल जिले से विशिष्ट प्रकार के चित्रित लाल भाण्ड और नालीदार टोटी वाले प्याले मिले हैं।
    -    मध्य प्रदेश में चम्बल नदी की निकटवर्ती कयथा संस्कृति ताम्रपाषाणिक संस्कृतियों में प्राचीनतम थी।
    -    राजस्थान में घग्घर नदी की घाटी में सोठी संस्कृति अस्तित्व में थी।
    -    महाराष्ट्र में मालवा संस्कृति (नर्मदा तट) सवालदा संस्कृति और जोरवे संस्कृति अस्तित्व में थी।
    -    राजस्थान के उदयपुर जिले में अहर अथवा बनास संस्कृति ताम्रपाषाणिक संस्कृति थी।

The document प्रागेतिहासिक काल - इतिहास,यु.पी.एस.सी | Revision Notes for UPSC Hindi is a part of the UPSC Course Revision Notes for UPSC Hindi.
All you need of UPSC at this link: UPSC
137 docs|10 tests

FAQs on प्रागेतिहासिक काल - इतिहास,यु.पी.एस.सी - Revision Notes for UPSC Hindi

1. प्रागेतिहासिक काल क्या है?
Ans. प्रागेतिहासिक काल वह काल है जो मानव इतिहास से पहले आता है, जब मानव समुदाय अपरिपक्व थे और उनके पास लिखित रूप में कोई ऐतिहासिक यादें नहीं थीं। इस काल में मानव जीवन की जानकारी हमें अधिकांशतः प्राकृतिक वस्तुओं और पुरातात्विक अवशेषों से मिलती है।
2. प्रागेतिहासिक काल की विभाजन किस आधार पर किया जाता है?
Ans. प्रागेतिहासिक काल की विभाजन मुख्य रूप से उपयोग की जाने वाली उपकरणों के आधार पर किया जाता है। इस काल को तीन भागों में विभाजित किया जाता है - स्टोन एज, ब्रोंज एज, और आयरन एज। यह विभाजन उपकरणों की प्रगति को दर्शाता है और मानव समुदाय की तकनीकी विकास की प्रक्रिया को दर्शाता है।
3. प्रागेतिहासिक काल में मानवों की जीवनशैली कैसी थी?
Ans. प्रागेतिहासिक काल में मानवों की जीवनशैली मुख्य रूप से खाने की प्राथमिकता, शरीरिक आवास की व्यवस्था, और संगठनिक व्यवस्था के आधार पर आधारित थी। मानव उपकरणों का उपयोग करके वे खाना बनाते, शरीरिक आवास बनाते, और सामाजिक समूहों के साथ संगठित रहते थे। इनकी जीवनशैली को पुरातात्विक अवशेषों के आधार पर समझा जा सकता है।
4. प्रागेतिहासिक काल में मानवों के पास लिखित रूप में कोई यादें थीं?
Ans. नहीं, प्रागेतिहासिक काल में मानवों के पास लिखित रूप में कोई यादें नहीं थीं। उनकी जानकारी हमें अधिकांशतः प्राकृतिक वस्तुओं और पुरातात्विक अवशेषों से मिलती है। इस कारण से, हमें प्रागेतिहासिक काल के बारे में ज्ञाति प्राप्त करने के लिए अर्चियोलॉजी और अन्य पुरातात्विक विज्ञानों का सहारा लेना पड़ता है।
5. प्रागेतिहासिक काल के अवशेषों का महत्व क्या है?
Ans. प्रागेतिहासिक काल के अवशेषों का महत्व बहुत अधिक है। इन अवशेषों के आधार पर हम मानव समुदाय की जीवनशैली, उपकरणों का उपयोग, खाना बनाने की विधि, और उनकी संगठनिक व्यवस्था के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह अवशेष हमें अपने समुदाय के इतिहास को समझने में मदद करते हैं और इतिहास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को प्रकट करते हैं।
Related Searches

pdf

,

practice quizzes

,

mock tests for examination

,

यु.पी.एस.सी | Revision Notes for UPSC Hindi

,

Free

,

Semester Notes

,

MCQs

,

Important questions

,

Previous Year Questions with Solutions

,

Extra Questions

,

Objective type Questions

,

Viva Questions

,

Exam

,

प्रागेतिहासिक काल - इतिहास

,

प्रागेतिहासिक काल - इतिहास

,

ppt

,

यु.पी.एस.सी | Revision Notes for UPSC Hindi

,

past year papers

,

study material

,

shortcuts and tricks

,

video lectures

,

प्रागेतिहासिक काल - इतिहास

,

Summary

,

Sample Paper

,

यु.पी.एस.सी | Revision Notes for UPSC Hindi

;