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भौतिक एवं रसायन विज्ञान - सामान्य विज्ञानं | सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

  • बस में खड़ा व्यक्ति अचानक बस के चल देने पर पीछे की ओर गिर पड़ता है
     जड़त्व के नियम के अनुसार बस के अचानक चल देने से व्यक्ति के शरीर का ऊपरी भाग विराम की अवस्था में ही बना रहता है, जबकि बस के संपर्क में रहने के कारण पैर बस के साथ गति की अवस्था में आ जाते है , जिससे व्यक्ति पीछे की ओर गिर पड़ता है। 
  • चलती हुई बस के अचानक रुक जाने पर उसमें खड़ा व्यक्ति आगे की ओर गिर जाता है 
     जड़त्व के ही नियमानुसार शरीर का नीचे का भाग जो बस के सम्पर्क में है, अचानक विराम की अवस्था में आ जाता है जबकि शरीर का ऊपरी भाग गतिशील ही रहता है, जिससे व्यक्ति आगे की ओर गिर पड़ता है। 
  • काँके दरवाजे में गोली मारने से उसमें गोल छेद हो जाता है, परन्तु पत्थर मारने से कांटुकड़े-टुकड़े हो जाता है
     गोली का वेग अधिक होने के कारण वह काँके दरवाजे में क्षणिक प्रभाव उत्पन्ना करती है जिससे लक्ष्य बिन्दु के अतिरिक्त दरवाजे के अन्य भाग के कण विरामावस्था में ही रहते है , परिणामतः वहाँ सिर्फ एक छेद ही होता है जबकि पत्थर मारने में ऐसा नहीं होता है। 
  • घोड़ा ताँगागाड़ी को आसानी से खींलेता है
     ताँगागाड़ी को आगे की ओर खींचने पर परिणामी बल का वियोजित एक भाग ताँगागाड़ी के गुरुत्वबल के विरुद्ध कार्य करता है जबकि दूसरा वियोजित भाग ताँगागाड़ी को आगे बढ़ाता है, जिससे ताँगागाड़ी आसानी से आगे बढ़ती है। 
  • कुएँ से पानी खींचते समय रस्सी के टूट जाने से व्यक्ति पीछे की ओर गिर पड़ता है
     न्यूटन के गतिविषयक तृतीय नियम के अनुसार प्रत्येक क्रिया के बराबर एवं विपरीत प्रतिक्रिया होती है। (घड़े़ + पानी) पानी के भार के बराबर एवं विपरीत दिशा में रस्सी के अनुदिश एक प्रतिक्रिया बल कार्य करता है जो व्यक्ति को रस्सी टूटने की अवस्था में पीछे गिरने के लिए जिम्मेदार होता है। 
  • बन्दूक से गोली छोड़ने पर पीछे की ओर झटका लगता है
     संवेग संरक्षण के नियमानुसार गोली में जितना संवेग-परिवर्तन होगा, बंदूक में भी उतना ही संवेग-परिवर्तन विपरीत दिशा में होगा। परिणामस्वरूप बंदूक पीछे की ओर हटती है जिससे पीछे की ओर धक्का लगता है। 
  • पहाड़ों पर चढ़ता हुआ व्यक्ति आगे की ओर झुक जाता है
     आगे की ओर झुक जाने से शरीर का गुरुत्व-केन्द्र व्यक्ति के पैरों के बीमें पड़ता है, जिससे वह स्थायी संतुलन की अवस्था में आसानी से ऊपर चढ़ सकता है। 
  • पीसा की मीनार तिरछी होते हुए भी नहीं गिर रही है
     सम्पूर्ण मीनार के गुरुत्व केन्द्र से होकर जाने वाली रेखा उसके आधार से होकर गुजरी है, जिससे मीनार स्थायी संतुलन की अवस्था में बनी हुई है। 
  • लोहे का जहाज पानी पर तैरता है, लेकिन सुई डूब जाती है
     जहाज द्वारा हटाये गये पानी का भार जहाज के भार से अधिक होता है, जिससे लोहे का जहाज पानी पर तैरता रहता है। लेकिन सूई अपने भार के बराबर पानी नहीं हटा पाती जिससे वह डूब जाती है। 
  • तुषार वाली रातों में जल के नल कभी-कभी फट जाते है
     तुषार वाली रातों में जल के तापमान में काफी गिरावट आ जाती है जिससे जल जम जाता है। चूँकि जल के जमने से बनी बर्फ का आयतन जल से अधिक होता है, इसलिए नल फट जाते है । 
  • ठण्डे देशों में झीलों के जम जाने से भी जलीय जन्तु जिन्दा रहते है ।
     झीलों का जल ऊपरी भाग में तो जम जाता है लेकिन निचले तल म जल का तापमान 40C से नीचे नहीं गिरने पाता जिससे जलीय जन्तु आसानी से जिन्दा रहते है। 
  • रेल की पटरियों के बीजगह छोड़ दी जाती है
     धातुओं के तापमान बढ़ने पर प्रसार होता है, जिससे रेल की पटरियाँ गर्मियों में बढ़ने पर छोड़ी गई खाली जगह में प्रसारित होकर टेढ़ी-मेढ़ी होने से बजाती हैं। 
  • लकड़ी के पहिये पर लोहे की हाल चढ़ाने के पहले उसे गर्म करते है
     लोहे की हाल को पहले गर्म करके उसकी परिधि में वृद्धि कर लेते है तत्पश्चात पहिेये पर आसानी से चढ़ाकर हाल को ठंडा करके संकुचित कर देते है । 
  • जहाज जब नदी से समुद्र में प्रवेश करता है तो पानी का तल नीचे गिर जाता है
     चूँकि समुद्र के खारे पानी का घनत्व नदी के जल के घनत्व से अधिक होता है, इसीलिए समुद्र के जल में जहाज के प्रवेश करने पर अधिक उत्प्लावन बल का अनुभव होता है, जिससे पानी का तल नीचा हो जाता है। 
  • सफेद कपड़े गर्मियों व रंगीन कपड़े जाड़ों में पहनना लाभप्रद होता है।
     सफेद कपड़े ऊष्मा के बुरे अवशोषक एवं रंगीन या काले कपड़े ऊष्मा के अच्छे अवशोषक होते है ।  इसीलिए गर्मियों में सफेद कपड़े एवं जाड़ों में रंगीन या काले कपड़े पहनना लाभप्रद होता है। पहाड़ा पर खाना देर से पकता है
     पहाड़ों पर ऊंचाई बढ़ने के साथ-साथ क्वथनांक में गिरावट आती जाती है, जिससे खाना कम ताप पर ही उबलने लगता है। फलतः खाना वहाँ देर से पकता है। 
  • ऊंचे भवनों पर तड़ित चालक लगाये जाते है
     बादलों के घर्षण से उत्पन्ना स्थिर विद्युत से ऊंचे भवनों की सुरक्षा के लिए तड़ित चालक का प्रयोग किया जाता है। तड़ित चालक का सम्बन्ध पृथ्वी से कर दिया जाता है। 
  • सीसे को गर्म करने पर वह चटक जाता है, लेकिन धातुएं नहीं चटकती है ।
     सीसा ऊष्मा का कुचालक है जबकि धातुएं उष्मा-सुचालक। सीसे को गर्म करने पर इसके केवल ऊपरी भाग में प्रसार होता है जबकि निचला भाग अप्रभावित रहता है। इस असमांगी प्रसार के कारण सीसा गर्म करने पर चटक जाता है जबकि धातुएं ऊष्मा-सुचालक होने के कारण उनमें एक समान ताप का प्रसार होता है, जिससे वह चटकने से बजाती है । 
  • कम्बल में लपेटी हुई बर्फ जल्दी नहीं पिघलती है
     कम्बल बर्फ के लिए एक उष्मारोधी आवरण का कार्य करता है जिससे बाह्य ऊष्मा से बर्फ अप्रभावित रहने के कारण जल्दी नहीं पिघलती है। 
  • थर्मस-फ्लास्क में चाय गर्म रहती है
     थर्मस-फ्लास्क में एक उष्मारोधी दीवार होती है, जिससे ऊष्मा का मुक्त वातावरण से आदान-प्रदान नहीं हो पाता इसीलिए फ्लास्क में रखी चाय गर्म बनी रहती है।
  • बल्ब को तोड़ने पर तीव्र आवाज होती है
     बल्ब के अन्दर आंशिक निर्वात रहता है। अतः बल्ब के टूटने पर बाहर की वायु निर्वात की रिक्त जगह को भरने के लिए तेजी से अन्दर प्रवेश करती है, जिससे तीव्र आवाज होती है। 
  • पेट्रोल से लगी आग को पानी से नहीं बुझा सकते है
     पेट्रोल की आग में इतनी अधिक ऊष्मा होती है कि उसके ऊपर पानी डालने पर स्वतः पानी विघटित हो जाता है जिससे वह आग को बुझाने के लिए आवश्यक कवनिर्माण नहीं कर पाता। 
  • पंखे के नीचे हमें ठंडक प्रतीत होती है
     पंखे से हमारे शरीर में वाष्पीकरण की गति बढ़ जाती है। वाष्पीकरण के लिए आवश्यक ऊष्मा शरीर से ही प्राप्त होती है। इसी कारण पंखे के नीेचे हमें ठंडक महसूस होती है। 
  • सुराही का पानी गर्मियों में तो ठंडा रहता है, लेकिन बरसात में नहीं
     गर्मियों की अपेक्षा बरसात में वायुमण्डलीय आद्र्रता बढ़ जाती है जिससे वाष्पीकरण की दर भी घट जाती है। सुराही के पानी के ठंडे होने की दर वाष्पीकरण की दर पर निर्भर करती है। क्योंकि वाष्पीकरण के लिए आवश्यक ऊष्मा पानी से ही ली जाती है। इसी वाष्पीकरण की कमी के कारण बरसात में सुराही का पानी ठंडा नहीं हो पाता जबकि गर्मियों में यह ठंडा हो जाता है। 
  • उबलते हुए पानी की अपेक्षा भाप से जलना अधिक कष्टदायी होता है
     भाप में उबलते हुए पानी की अपेक्षा उसी ताप पर 536 कैलोरी/ग्राम उष्मा अधिक होती है। इसीलिए भाप से जलना अधिक कष्टप्रद होता है। 
  • किसी पत्थर को हवा की अपेक्षा पानी में उठाना आसान होता है
  • पानी में पत्थर पर ऊपर की ओर उत्प्लावन बल कार्य करता है जो पत्थर के वास्तविक भार (हवा में भार) को कम कर देता है। इसीलिए पत्थर को पानी में उठाना, हवा में उठाने की अपेक्षा आसान होता है। 
  • बादलों वाली रातें स्वच्छ रातों की अपेक्षा अधिक गर्म होती है
     बादल पृथ्वी के वायुमण्डल से ऊष्मा विकिरण को रोकते है । इसीलिए बादलों वाली रातें गर्म होती है । 
  • खाना बनाने वाले बर्तनों की पेंदी काली कर दी जाती है
     काली सतह ऊष्मा की अच्छी अवशोषक का कार्य करती है। इसीलिए बर्तनों की पेंदी काली कर दी जाती है। 
  • चन्द्रमा पर दिन व रात लगभग दो सप्ताह के होते है
     चन्द्रमा का परिक्रमण काल भौतिक एवं रसायन विज्ञान - सामान्य विज्ञानं | सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi दिन है। अतः चन्द्रमा पर दिन व रात लगभग 14 - 14 दिन के होते है । 
  • चन्द्रमा पर कोई वायुमण्डल नहीं है
     चन्द्रमा पर गैसीय अणुओं का वर्ग माध्य मूल वेग वहाँ पर पलायन वेग (2.4 किमी./ सेकेंड) से अधिक है। इसीलिए चन्द्रमा पर वायुमण्डल का अभाव है। 
  • किसी रोलर को खींचने की अपेक्षा लुढ़काना आसान है
     चूँकि घूर्णीय घर्षण बल (Rolling friction force) गतिक घर्षण बल  (Dynamic force of friction) से कम होता है। इसीलिए किसी रोलर को लुढ़काना आसान होता है, बजाय खींचने के। 
  • चमगादड़ अंधेरे में उड़ता है
     चमगादड़ उड़ते समय पराध्वनिक तरंगें (Ultrasonic waves)  छोड़ते है । यह तरंगें अवरोध से परावर्तित होकर पुनः उस तक पहुँचती है। इस प्रकार चमगादड़ को सही मार्ग का पता हो जाता है और अंधेरे में भी उड़ सकता है। 
  • सोडियम धातु को मिट्टी के तेल में रखा जाता है
     सोडियम पानी के साथ त्वरित क्रिया करके सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH) एवं हाइड्रोजन (H2) देता है जबकि यह पैराफिन हाइड्रोकार्बन के साथ कोई क्रिया नहीं करता। मिट्टी का तेल इसी वर्ग का हाइड्रोकार्बन है। इसीलिए सोडियम को मिट्टी के तेल में रखा जाता है। 
  • किसी वस्तु का भार भूमध्य रेखा पर ध्रुवों की अपेक्षा कुछ कम होता है
     भूमध्य रेखा पर गुरुत्वीय त्वरण (g) न्यूनतम् एवं ध्रुवों पर सर्वाधिक होता है क्योंकि पृथ्वी के केन्द्र से भूमध्य रेखा की दूरी सर्वाधिक एवं ध्रुवों से न्यूनतम् होती है। इसीलिए भूमध्य रेखा पर वस्तु का भार धु्रवों की अपेक्षा कम होता है। 
  • समुद्र के निकट के स्थान गर्मियों में ठण्डे व जाड़ों में गर्म रहते है
     समुद्र का पानी अपनी अधिक विशिष्ट ऊष्मा के कारण जल्दी से ठंडा या गर्म नहीं हो पाता। गर्मी के दिनों में इसी कारण समुद्रीय जल जल्दी से गर्म नहीं होता और समुद्री हवाएँ समीपवर्ती स्थान को ठंडा कर देती है। इसका ठीक उल्टा कारण जाड़े के दिनों में होता है। 
  • सुबह व शाम दोपहर की अपेक्षा कम गर्म रहते है
     चूँकि दोपहर को सूर्य की किरणें धरती पर सीधी पड़ती है जो कि सर्वाधिक ऊष्मा प्रदान करती है। इसीलिए दोपहर सुबह-शाम की अपेक्षा गर्म होता है। 
  • बादल में बिजली गरजने के समय गरजने की आवाज सुनने से पहले चमक दिखाई देती है
     चूँकि प्रकाश की चाल वायु (या निर्वात) में 3 × 108 मीटर (या लाख किमी/सेकेन्ड) एवं वायु में ध्वनि की चाल 332 मीटर/सेकेण्ड है। इस°लिए बादलों की चमक गरजने की आवाज सुनने के पहले दिखाई देती है।
  • बर्षा के बाद इन्द्रधनुष बनता है
     वर्षा के बाद भी वायुमण्डल मे वर्षा की कुछ बूँदे शेष रह जाती हैं जिन पर सूर्य की किरणें पड़ती है तो अपवर्तन एवं पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के पश्चात सात रंगों में विभाजित होकर इन्द्रधनुष का निर्माण करती है। 
  • आकाश नीला दिखाई देता है
     आकाश का नीला दिखाई देना वायुमण्डल में विद्यमान धूल  कणों द्वारा प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण है। प्रकीर्णन तरंग-दैध्र्य की चतुर्थ धात का व्युत्क्रमानुपाती होता है। इसी कारण कम तरंग दैध्र्य के प्रकाश (बैगनी-नीली किरणों) का प्रकीर्णन सर्वाधिक होता है और हम तक बबैगनी किरणें ही अधिकाधिक पहुँचती है, जिससे आकाश नीला दिखाई देता है।
  • हवाई जहाज में यात्रा करने के पहले पेन से स्याही को निकाल देते है।
     हवाई जहाज से जब हम ऊपर पहुँचते है तो वायुमण्डलीय दाब काफी कम हो जाता है और पेन के अन्दर स्याही का द्रव दाब बाहर के वायुमण्डलीय दाब से अधिक हो जाता है जिससे स्याही पेन से बाहर आ जाती है। 
  • पानी में मिट्टी का तेल डालने से मच्छर मर जाते है
     पानी में मिट्टी का तेल डालने से पानी का पृष्ठ तनाव कम हो जाता है, जिससे मच्छर पानी में डूब जाते है। 
  • पानी में पड़ी हुई लकड़ी तिरछी दिखाई देती है
     जब कोई लकड़ी आंशिक रूप से जल में डुबाई जाती है तो डुबे हुए भाग से चलने वाली प्रकाश की किरणें अपवर्तन के पश्चात अभिलम्ब से दूर हट जाती है। इसीलिए लकड़ी तिरछी दिखाई देती है।
  • तारे टिमटिमाते है
     तारों का प्रकाश हम तक विभिन्ना घनत्व वाली वायुमण्डलीय परतों से अपवर्तित होकर पहुँचता है जिससे कभी तो किसी तारे का प्रकाश हम तक पहुँचता है और दूसरे समय नहीं। इससे तारों के टिमटिमाने का अहसास होता है। 
  • रेगिस्तान में मृगमरीचिका बनती है
     रेगिस्तान में वायु गर्म होकर ऊपर उठती है, जिससे नीचे वायु विरल एवं ऊपर सघन माध्यम का निर्माण करती है। किसी पेड़ की चोटी से चलने वाली किरणें जब सघन वायु से विरल वायु में प्रवेश करती है तो उनका पूर्ण आन्तरिक परावर्तन हो जाता है और किरणें प्रतिबन्धित चोटी से आती प्रतीत होती है। इसीलिए थल के स्थान पर जल का भ्रम होता है। इसे ही हम मृगमरीचिका की संज्ञा देते है।
  • पीछे देखने के लिए गाड़ियों में उत्तल दर्पण का प्रयोग किया जाता है
     उत्तल दर्पण से पीछे आने वाले कई वाहनों के सूक्ष्म, वास्तविक चित्र चालक को प्राप्त होते है। इसीलिए वाहन में उत्तल दर्पण का प्रयोग किया जाता है। 
  • यदि पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति यकायक खत्म हो जाए, तो -
    यदि पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति यकायक समाप्त हो जाय तो सभी वस्तुएँ अन्तरिक्ष में तैरती नजर आएंगीं। मानव एवं जीव-जन्तुओं, सभी की गतिविधियाँ ठप्प हो जाएंगीं, क्योंकि उनकी चलने फिरने की शक्ति समाप्त हो जाएंगी। 
  • किसी गिलास में बर्फीला पानी रखने पर बाह्य सतह पर पानी की बूँदे इकट्ठी हो जाती है
    गिलास के पानी में वाष्पीकरण होने से आस-पास का तापमान काफी कम हो जाता है जिससे गिलास की बाहरी सतह पर आद्र्र वायु संघनित होकर छोटी-छोटी बूँदों के रूप में इकट्ठी हो जाती है। 
  • स्याही-सोख्ता (Blotting paper)  स्याही सोख लेता है
    सोख्ता पेपर में छोटी-छोटी केशनलियाँ पाई जाती है। स्याही में पृष्ठ-तनाव के गुण के कारण स्याही इन केशनलियों में चली जाती है। इस प्रकार स्याही सोखने में सोख्ता पेपर सहायक होता है। 
  • पानी की छोटी बूँदें गोल होती है
    द्रव की बूँदों की आकृति दो बलोंµपृष्ठ तनाव तथा गुरुत्व बलµसे निर्धारित होती है। बूँद वह आकृति धारण करती है जिसमंे उसकी स्थितिज ऊर्जा न्यूनतम होती है। छोटी बूँद के लिए केवल पृष्ठ तनाव ही कार्य करता है। इस स्थिति में स्थितिज ऊर्जा न्यूनतम तब होगी जब पृष्ठीय क्षेत्राफल न्यूनतम हो। अतः बूँद गोलाकार हो जायेगी। 
  • एक साईकिल सवार वक्राकार पथ पर अन्दर की ओर झुक जाता है
    क्योंकि वह इस क्रिया द्वारा आवश्यक अभिकेन्द्री बल, जो वक्र के केन्द्र की ओर दिष्ट होता है, उत्पन्न करता है जो अपकेन्द्री बल को संतुलित करता है जिसकी दिशा केन्द्र से बाहर की ओर होती है। 
  • मौत के कुएँ में मोटर-साईकिल चलाना सम्भव है
    मौत के कुएँ में जब चालक कुएँ की दीवार पर मोटर-साईकिल तेजी से दौड़ाता है तो वह स्वयं को मोटर साईकिल समेत कुछ झुकाये रखता है। इस दशा में दीवार द्वारा आरोपित बल का क्षैतिज घटक आवश्यक अभिकेन्द्री बल प्रदान करता है तथा ऊध्र्वाधर घटक मोटर-साईकिल व चालक के भार को संतुलित करता है। 
  • निर्वात में यदि एक पंख और एक लोहे की गोली समान ऊंचाई से गिरायी जाय तो दोनों पृथ्वी पर एक साथ पहुँचेगे
    दोनों पर एक ही त्वरण (गुरुत्वीय त्वरण) काम करता है, जो द्रव्यमान तथा आकार पर निर्भर नहीं करता। यदि यही क्रिया खुले वातावरण में की जाय तो गोली जमीन पर पहले पहुँचेगी। 
  • एक गलास में पानी है, उसमें बर्फ का एक टुकड़ा डाल दिया जाता है जिससे गिलास लबालब भर जाता है। बर्फ के पूरा-पूरा पिघल जाने के बाद भी गिलास से पानी नहीं छलकता।
    बर्फ के पिघलने पर उसमें बने पानी का आयतन वहीे होगा जो बर्फ द्वारा हटाये गये पानी का आयतन था। 
  • एक किलो पंख का भार, एक किलो शीशे के भार से कम होगा
    पंख के ढेर पर उत्प्लावन बल, शीशे के ढेर पर लगे उत्प्लावन बल से अधिक होता है, इसलिए एक किलो पंख का भार एक किलो शीशे के भार से कम होगा। 
  • गर्मियों में दोलक घड़ी सुस्त चलती है
    दोलक घड़ी का पेण्डुलम धातु का बना होने के कारण इसकी लम्बाई कुछ बढ़ जाती है। अतः उपरोक्त सूत्रा से ‘T’ का मान बढ़ जाता है, अर्थात् घड़ी सुस्त चलती है।
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FAQs on भौतिक एवं रसायन विज्ञान - सामान्य विज्ञानं - सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi

1. भौतिक एवं रसायन विज्ञान क्या होता है?
उत्तर: भौतिक एवं रसायन विज्ञान एक विज्ञान है जो प्राकृतिक और अप्राकृतिक वस्तुओं के स्वरूप, गुण, गतिविधियों और उपयोग का अध्ययन करता है। यह विज्ञान दर्शाता है कि पदार्थ कैसे बनते हैं, कैसे उन्हें पहचाना जा सकता है, उनके गुणों और विशेषताओं को कैसे मापा जा सकता है और उनका उपयोग कैसे किया जा सकता है।
2. रसायन विज्ञान क्या होता है?
उत्तर: रसायन विज्ञान एक विज्ञान है जो रसायनिक पदार्थों की संरचना, गुणधर्म, प्रक्रियाएं और उनके बीच के संबंधों का अध्ययन करता है। यह विज्ञान हमें रसायनिक प्रयोगों, उत्पादों, द्रव्यों और उनके रासायनिक प्रतिक्रियाओं को समझने में मदद करता है।
3. भौतिक विज्ञान क्या है?
उत्तर: भौतिक विज्ञान वह शाखा है जो माद्यम, ऊर्जा, गतिविधि, शक्ति, तापमान, आधुनिक यांत्रिकी और बहुत कुछ के अध्ययन के माध्यम से पदार्थों के गुणों और उनके अभिप्रेतान का अध्ययन करता है। यह विज्ञान हमें भौतिक विश्लेषण की विधियों के माध्यम से पदार्थों की गतिविधियों को समझने में मदद करता है।
4. रसायन विज्ञान में कौन-कौन से विषय शामिल होते हैं?
उत्तर: रसायन विज्ञान में निम्नलिखित विषय शामिल होते हैं: - रसायनिक अभिक्रियाएं और उनके माध्यम - रसायनिक संयोजन और उसकी विधियाँ - रसायनिक तत्व और उनकी संरचना - रसायनिक तत्वों के बीच के संबंध - रसायनिक उत्पादों का उत्पादन और उनका उपयोग
5. भौतिक विज्ञान और रसायन विज्ञान के बीच क्या अंतर है?
उत्तर: भौतिक विज्ञान और रसायन विज्ञान दो अलग-अलग विज्ञान हैं। भौतिक विज्ञान पदार्थों की गतिविधियों, ऊर्जा, शक्ति, तापमान, आधुनिक यांत्रिकी और बहुत कुछ का अध्ययन करता है, जबकि रसायन विज्ञान रसायनिक पदार्थों की संरचना, गुणधर्म, प्रक्रियाएं और उनके बीच के संबंधों का अध्ययन करता है। यहां पर्याप्त संबंध होते हैं, लेकिन ये दो अलग-अलग विज्ञान हैं।
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