मुगल साम्राज्य (1526.1707)
- भारत में मुगल साम्राज्य की स्थापना 1526 में बाबर ने दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी को पानीपत के प्रथम युद्ध में पराजित करके की।
- बाबर ने 1527 ई. में ”मेवाड़ के शासक“ राणा संग्राम सिंह को खानवा के युद्ध में पराजित किया।
- बाबर ने 1528 में चन्देरी को जीता तथा 1529 में घाघरा के युद्ध में अफगानों को पराजित किया।
- 1530 में बाबर की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्रा हुमायूँ आगरा के सिंहासन पर बैठा।
- हुमायूँ ने गुजरात, राजपुताना तथा बिहार के कुछ हिस्सों को जीतने का प्रयास किया परन्तु उसे पूर्ण सफलता न मिली।
- 1539 में चैसा के युद्ध तथा 1540 के कन्नौज के युद्ध में शेरशाह सूरी ने हुमायूँ को बुरी तरह पराजित कर दिया जिसके कारण हुमायूँ राजधानी छोड़कर सिंध भाग गया।
- सिन्ध में हुमायूँ ने स्थानीय मुस्लिम सिपहसालार की बेटी हमीदा बानो से विवाह किया जिससे 1542 में उसका प्रसिद्ध पुत्रा अकबर पैदा हुआ।
- हुमायूँ सिन्ध से फारस चला गया तथा अकबर को हुमायूँ का भाई व काबुल का शासक कामरान अपने साथ काबुल ले गया।
- फारस के शाह ने हुमायूँ का स्वागत किया तथा हर प्रकार से उसकी मदद की।
- फारस से एक सेना लेकर हुमायूँ भारत की ओर चला और 1545 में उसने कन्धार और काबुल जीत लिया जहाँ उसके भाइयों का शासन था।
- शेरशाह की मृत्यु के पश्चात् सूरी साम्राज्य कमजोर हो गया था और 1555 में हुमायूँ ने पुनः दिल्ली पर अधिकार प्राप्त करने में सफलता प्राप्त कर ली।
- 1556 ई. में दिल्ली के किले की पुस्तकालय की पहली मंजिल से गिर जाने के कारण हुमायूँ की मृत्यु हो गयी।
- हुमायूँ ने 1555 में अकबर को पंजाब का गवर्नर बना दिया था तथा बैरम खाँ को उसका संरक्षक नियुक्त किया था।
- हुमायूँ की मृत्यु के समय अकबर पंजाब में कालानोर नामक स्थान पर था। हुमायूँ की मृत्यु की सूचना पाते ही बैरम खाँ ने कालानोर में ही अकबर का राज्याभिषेक कर दिया और स्वयं उसका संरक्षक बना रहा।
- पानीपत के द्वितीय युद्ध में 1556 में बैरम खाँ ने हेमू को पराजित कर दिया जिससे दिल्ली और आगरा पर अकबर का पूर्ण अधिकार हो गया।
- 1560 ई. में अकबर ने बैरम खाँ को मक्का जाने की आज्ञा दी जिनकी रास्ते में किसी ने हत्या कर दी।
- अकबर ने मालवा, गोंडवाना, चित्तौड़, रणथम्भोर, कालिन्जर, बिहार तथा बंगाल पर आक्रमण करके अपने अधिकार में किया। जैसलमेर तथा बीकानेर ने अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली।
- 1571 में हल्दी घाटी के युद्ध में अकबर की सेनाओं ने मानसिंह तथा आसफ खाँ के नेतृत्व में मेवाड़ के शासक राणा प्रताप को पराजित किया।
- अकबर ने काबुल, कन्धार, सिन्ध, बलुचिस्तान, उड़ीसा, अहमदनगर तथा असीरगढ़ पर विजय प्राप्त की। खानदेश ने स्वयं अकबर की अधीनता स्वीकार कर ली।
- 1605 में अकबर की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्रा जहाँगीर गद्दी पर बैठा। जहाँगीर का जन्म 1569 में हुआ था। उसकी माँ का नाम जोधाबाई था।
- जहाँगीर ने मेवाड़ पर विजय प्राप्त की तथा अमर सिंह को अपनी अधीनता स्वीकार करवा दी।
- जहाँगीर के पुत्रा खुर्रम ने 1616 में अहमदनगर पर विजय प्राप्त की जिसके उपलक्ष्य में जहाँगीर ने उसे शाहजहाँ की उपाधि दी।
- जहाँगीर ने कांगड़ा तथा किण्टावर पर विजय प्राप्त की।
- 1627 में जहाँगीर की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्रा शाहजहाँ गद्दी पर बैठा।
- शाहजहाँ का जन्म 1592 में लाहौर में हुआ था।
- शाहजहाँ ने अहमदनगर, बीजापुर, गोलकुण्डा को जीतकर अपने राज्य में मिला लिया।
- शाहजहाँ के बीमार होने पर 1657 में उसके पुत्रा औरंगजेब ने उसे कैद कर लिया तथा आगरा पर अधिकार कर लिया।
- औरंगजेब ने अपने तीनों भाइयों का वध करवाकर 1658 में स्वयं को बादशाह घोषित कर दिया परन्तु उसका राज्याभिषेक 1659 में दिल्ली में हुआ।
- 1666 में शाहजहाँ की आगरा के किले में मृत्यु हो गई।
- औरंगजेब ने बीजापुर तथा गोलकुण्डा पर विजय प्राप्त की। मराठा शासक शिवाजी जीवनपर्यन्त उससे संघर्ष करते रहे।
- 1707 में औरंगजेब की मृत्यु हो गयी।
कृषि व्यवस्था
- मुगल काल में साम्राज्य की बहुसंख्यक जनता की जीविका का प्रमुख साधन कृषि था और साम्राज्य की आय का मुख्य स्त्रोत भू-राजस्व था।
- अकबर के शासनकाल के प्रारम्भ में मालगुजारी की रकम विभिन्न उपजों में लिखी जाती थी, रुपयों में नहीं तथा उस समय शेरशाह द्वारा चलाई गयी अनाज की पुरानी दरें प्रचलित थी।
- 1560 में अकबर ने ख्वाजा अब्दुल मजीद को आसिफ खाँ की उपाधि देकर वजीर नियुक्त किया और उसे भूमि-व्यवस्था को संगठित करने का भार सौंपा।
- एतमांद खाँ ने करोड़ी व्यवस्था लागू की जिसके अनुसार साम्राज्य की खालसा भूमि को ऐसे बराबर भागों में विभाजित किया गया जिससे प्रत्येक भाग की मालगुजारी एक करोड़ दाम (ढाई लाख रुपये) हो। इसका अधिकारी आमिल कहा जाता था, परन्तु वह जनसाधारण में करोड़ी के रूप में प्रसिद्ध हुआ।
- करोड़ी व्यवस्था से कुछ सुधार तो अवश्य हुआ परन्तु एक करोड़ मालगुजारी की आय के आधार पर खालसा भूमि का विभाजन अवैज्ञानिक था।
- 1567 में अकबर ने एतमांद खाँ के स्थान पर मुजफ्फर खाँ को नियुक्त किया जिसने उपज के रूप में निश्चित भूमि कर के स्थान पर नकद जमा की प्रथा का शुभारम्भ किया। उसने प्रत्येक परगने की फसलों के लिए अलग-अलग दरों की व्यवस्था की।
- 1573-74 में खालसा भूमि का विस्तार किया गया।
- अकबर ने सिकन्दरी गज स्वीकार किया जिसमें 41 अंगुल (31.75 इंच) का एक गज और 66 वर्ग मील गज का एक बीघा निश्चित किया गया। रस्सी के स्थान पर नपाई के लिए बांस के डंडे लोहे के छल्लों से जुड़वा दिये गये।
- भूमि की पैमाइश के लिए एक समिति बनाई गयी जिसके चार प्रमुख अधिकारी थे।
- मालगुजारी निर्धारित करने के लिए भूमि को चार वर्गों- पोलज, परती, चाचर और बंजर में विभाजित किया गया।
स्मरणीय तथ्य
• मुगल काल में कृषकों को ‘खुदकाश्त’, ‘पाहीकाश्त’ एवं ‘मुजारियान’ में बांटा गया था।
• अकबर जहांगीर को ‘शेखोबाबा’ के नाम से पुकारता था।
• जहाँगीर ने सिखों के पांचवें गुरु अर्जुन देव को फाँसी की सजा दी थी।
• नूरजहाँ गुट के प्रमुख सदस्य थे-अस्मत बेगम (नूरजहाँ की माँ), एत्मादुद्दोैला (नूरजहाँ के पिता), आसफ खाँ (नूरजहाँ का भाई) आदि।
• जहाँगीर के शासकाल की महत्वपूर्ण उपलब्धि उसकी मेवाड़ विजय थी।
• टामस रो जहाँगीर के समय में भारत आया।
• खुर्रम को दक्षिण भारत के सैन्य अभियानों में महत्वपूर्ण सफलता अर्जित करने के कारण खुश होकर जहाँगीर ने 1617 में ‘शाहजहाँ’ की उपाधि प्रदान की।
• शाहजहाँ के शासनकाल का वर्णन बर्नियर, मनूची एवं टेवर्नियर ने किया है।
• औरंगजेब को ‘जिंदापीर’ के नाम से भी जाना जाता था।
• औरंगजेब ने सिक्कों पर कलमा खुदवाना, नौरोज त्योैहार, भांग की खेती, गाने-बजाने आदि पर प्रतिबंध लगाया था।
• ओैरंगजेब ने अपने शासन काल के ग्यारहवें वर्ष में ‘झरोखा दर्शन’ एवं बारहवें वर्ष में ‘तुलादान’ जेैसी प्रथा को प्रतिबन्धित कर दिया। इसने 1679 में पुनः ‘जजिया कर’ लगाया।
• औरंगजेब ने सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर का इस्लाम धर्म न स्वीकार करने के कारण कत्ल करवा दिया।
• औरंगजेब ने ‘मुहतसिब’ (सार्वजनिक सदाचार निरीक्षक) नाम के अधिकारी की नियुक्ति की।
- पोलज भूमि प्रत्येक वर्ष बोयी जाती थी जबकि परती भूमि को कुछ समय बिना बोआई के छोड़ दिया जाता था। चाचर भूमि तीन-चार साल बिना बोआई के पड़ी रहती थी तथा बंजर भूमि में पाँच साल से अधिक समय तक कृषि नहीं होती थी।
- पोलज और परती भूमि को तीन श्रेणियों अच्छी, मध्य व खराब में विभाजित किया गया था। इन तीनों श्रेणियों की प्रति बीघा औसत उपज के आधार पर मालगुजारी निश्चित की जाती थी।
- 1580 में टोडरमल तथा ख्वाजाशाह मंसूर ने आइने दहशाला या दस साला बन्दोबस्त लागू किया। आइने अकबरी के अनुसार 1571 से 1580 के बीच की मालगुजारी की रकम का औसत निकाल कर इसी को सालाना नगद मालगुजारी निश्चित कर दिया गया। प्रत्येक परगने की पिछले दस साल की उपज और कीमतों की जानकारी प्राप्त करके उसका औसत वार्षिक मालगुजारी के रूप में निश्चित किया गया।
- 1582 में भू-राजस्व के लिए खालसा भूमि को चार भागों में विभाजित करके एक राजस्व अधिकारी के अन्तर्गत कर दिया गया।
- 1585 में पैमाइश के लिए गज-ए-इलाही का प्रयोग प्रारम्भ हुआ जो सिकन्दरी गज से थोड़ा बड़ा था। 60 गज लम्बी तथा 60 गज चैड़ी भूमि का एक बीघा होता था और बीघा का बीसवाँ भाग बिसवा कहलाता था।
- अकबर ने इलाही संवत चलाया जिसे फसली संवत भी कहते है। इससे किसानों को मालगुजारी देने तथा सरकार को अपने अभिलेखों को अंकित करने में सुविधा हुई।
- खेती योग्य भूमि जोतने वाले किसान का नाम, बोयी गयी फसल तथा उपज इत्यादि आंकड़ों को लिपिबद्ध किया जाने लगा। इसके आधार पर दस्तकरुल अलम का प्रवर्तन हुआ तथा जब्ती खसरे तैयार किये गये।
- साधारणतः मालगुजारी नकद वसूल की जाती थी किन्तु किसानों को उपज में लगान देने की छूट थी। मालगुजारी उपज की एक तिहाई ली जाती थी परन्तु पूरे साम्राज्य में इसमें एकरूपता नहीं थी।
- कठिनाइयों में किसानों को भू-राजस्व से छूट दी जाती थी तथा तकाबी बांटी जाती थी जिसे सामान किस्तों में सरकार को वापस किया जा सकता था।
- सिंचाई के लिए नहरों तथा कुओं का निर्माण किया गया। सैनिक अभियान में फसल नष्ट होने पर किसानों को मुआवजा देने की व्यवस्था थी।
- जहाँगीर के शासन के अन्तिम वर्षों में खालसा भूमि सम्पूर्ण जमा का 1/20 थी जो कि शाहजहाँ के समय में 1/7 तथा औरंगजेब के समय में 1/5 हो गई।
- जमींदार मालगुजारी के रूप में सरकार को एक निश्चित रकम अदा करता था और उसी के अनुपात में किसानों से लगान वसूल करता था। मालगुजारी वसूलने के एवज में जमींदार को मालगुजारी का एक भाग दिया जाता था। जमींदार सैनिक भी रखते थे।
- अकबर के शासन के प्रारम्भ से ही राज्य के उच्च अधिकारियों को वेतन के स्थान पर जागीर दी जाती थी जहाँ से वे भूमिकर वसूलते थे। 1568 में अकबर ने जागीरदारों का एक सूबे से दूसरे में स्थानान्तरण करना प्रारम्भ किया। जागीरदार मालगुजारी वसूल करने के अपने कर्मचारी रखते थे। जागीरदारी भूमि पर जागीरदार का पूर्ण नियंत्राण नहीं था अपितु उस पर सम्राट् का समानान्तर नियंत्राण रहता था।
- मदद-ए-माश भूमि कर मुक्त भू-क्षेत्रा होता था। अबुल फजल के अनुसार अकबर के समय मदद-ए-माश पाने वाले चार श्रेणी के लोग प्रमुख थे-(1) विद्वान, (2) धार्मिक सन्त, (3) विप्र जन जिनमें जीविकोपार्जन की सामथ्र्य नहीं थी, (4) श्रेष्ठ कुल के लोग जो नौकरी नहीं करते थे।
- जहाँगीर ने मदद-ए-माश के अनुरूप ही आलतमगा नाम से लोगों को जागीर प्रदान की।
- अकबर द्वारा सुव्यवस्थित भू-राजस्व व्यवस्था पूरे मुगलकाल में प्रचलित रही तथा यही व्यवस्था ब्रिटिश भू-राजस्व का आधार बनी।
स्मरणीय तथ्य
• 1507 में बाबर ने ‘पादशाह’ की उपाधि धारण की।
• पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर ने इब्राहिम लोदी के विरुद्ध ‘तुलुगमा नीति’ का प्रयोग किया था।
• पहली बार तोपों का इस्तेमाल बाबर ने पानीपत के प्रथम युद्ध में किया।
• बाबर ने ‘तुजुके बाबरी’ नाम से तुर्की भाषा में आत्मकथा लिखी।
• 23 जुलाई, 1555 को हुमायूँ एक बार पुनः दिल्ली के तख्त पर बैठा।
• हुमायूँ ने सप्ताह के सात दिन में सात रंग के कपड़े पहनने का नियम बनाया।
• चैेसा के युद्ध (1539) को जीतने के बाद शेरखाँ (अफगान) शेरशाह की उपाधि धारण कर दिल्ली के राजसिंहासन पर आसीन हुआ।
• भूमि पैमाइश के लिए शेरशाह ने 32 अंक वाले ‘सिकन्दरी गज’ एवं ‘सन की डंडी’ का प्रचलन करवाया।
• शेरशाह ने सिक्का ढलाई के क्षेत्र में चांदी का रुपया एवं तांबे का दाम जारी करवाया। शेरशाह ने दिल्ली के पुराने किले के अन्दर 1542 में ‘किला-ए-कुहना’ मस्जिद का निर्माण करवाया।
• अकबर का जन्म अमरकोट के राणा वीरसाल के महल में हुआ।
• अकबर को 9 वर्ष की अवस्था में पहली बार गजनी का सुबेदार बनाया गया।
• अकबर के अल्पायु होने के कारण 1556.1560 तक मुगल साम्राज्य के शासन की जिम्मेदारी बैरम खाँ के हाथों में रही।
• 13 वर्ष की कम आयु में अकबर का राज्याभिषेक 14 फरवरी, 1556 को कलानौर में हुआ।
• अकबर के समय आदिलशाही हिन्दू प्रधानमंत्री हेमू ने ‘विक्रमादित्य’ की उपाधि धारण की।
• बेैरम खाँ की एक लोहानी अफगान ने 1560 में छूरा घोप कर हत्या कर दी।
मुगल काल में कला और संस्कृति
- मुगलों के शासन-काल में कला और साहित्य के विकास का नया युग शुरू हुआ तथा भारत में बहुमुखी सांस्कृतिक विकास हुआ।
- औरंगजेब के अतिरिक्त सभी मुगल सम्राट् कला और साहित्य के प्रेमी तथा संरक्षक थे। उनके काल में वास्तुकला, चित्राकला, संगीत तथा साहित्य का खूब विकास हुआ।
- इस काल में भारतीय तथा मुगलों द्वारा लायी गयी तुर्की और ईरानी संस्कृतियों का समन्वय हुआ।
वास्तुकला
- मुगलों की वास्तुकला में विभिन्न शैलियों का मिश्रण है जिनमें से कुछ भारतीय है और कुछ विदेशी।
- मुगल स्थापत्य में प्रथम स्थान गुम्बद का है। जबकि मध्य एशिया की कला की विशेषता गुम्बद, ऊंची-ऊंची मीनारों तथा मेहराबों में थी और देशी हिन्दू शिल्प कला की विशेषता चैरस छत, छोटे खम्भों, नुकीली मेहराबों और तोड़ों में थीं। मध्य एशिया की कला मुगल काल में भारत की देशी कला पर पूर्णतः हावी नहीं हो सकी थी।
- मुगलों ने किलों, मस्जिदों, महलों, द्वारों, बावलियों आदि का निर्माण करवाया तथा उन्होंने बहते पानी तथा फव्वारों से सुसज्जित कई बाग लगवाए।
- बाबर ने आगरा तथा लाहौर के नजदीक कई बाग लगवाए। बाबर ने संभल की जामा मस्जिद तथा अयोध्या की मस्जिद बनवायी। हुमायूँ वास्तुकला से बहुत प्रेम करता था किन्तु उसे भवन बनवाने का पर्याप्त अवसर नहीं मिला।
- अकबर सभी कलाओं का महान संरक्षक था। उसने आगरा से 36 किलोमीटर दूर फतेहपुर सीकरी नामक नया नगर बसाया जिसमें उसने अनेक भव्य एव विशाल भवन बनवाये, जिनमें बुलन्द दरवाजा, जामा मस्जिद, सलीम चिश्ती का मकबरा तथा शाही महल विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। अकबर ने दिल्ली में हुमायूँ का मकबरा बनवाया।
स्मरणीय तथ्य
• मुगल काल में सोने की मुहर, चाँदी का रुपया एवं ताँबे का दाम प्रचलन में था। ‘इलाही’ सोने का सर्वाधिक प्रचलित सिक्का एवं ‘शंसब’ सोने का सबसे बड़ा सिक्का होता था।
• अकबर ने चैकोर आकार के ‘जलाली’ सिक्के चलवाये।
• शाहजहाँ ने ‘आना’ सिक्के का प्रचलन करवाया।
• कोवाड़ मुगलकाल में दक्षिण भारत में प्रचलित नाप की एक इकाई थी जिससे सूती एवं ऊनी वस्त्रो को मापा जाता था।
• मुगलकालीन सैन्य संगठन मनसबदारी व्यवस्था पर आधारित था।
• अकबर के शासनकाल के ग्यारहवें वर्ष (1567) में पहली बार मनसब प्रदान किये जाने का उल्लेख मिलता है।
• अबुल फजल के अनुसार अकबर ने अपने शासनकाल के अठारहवें वर्ष में दाग प्रथा का प्रचलन करवाया।
• मनसबदारी प्रथा के अन्तर्गत मराठे सर्वप्रथम जहाँगीर के समय में शामिल किये गये।
• सर्वाधिक हिन्दू मनसबदार औरंगजेब के समय में थे।
• मुगलकालीन सेना को ‘एक भारी चलायमान शहर’ की उपमा दी जाती थी।
• मनसबदारी व्यवस्था मेें दु-अस्पा एवं सिह-अस्पा प्रथा की शुरुआत जहाँगीर ने की।
• औरंगजेब ने मनसबदारी व्यवस्था में एक नयी प्रथा ‘मशरुत’ की शुरुआत की।
- अकबर ने फतेहपुर सीकरी में 1572 में एक किलेनुमा महल का निर्माण प्रारम्भ किया जिसे बनने में आठ वर्ष लगे। इस महल में एक बड़ी कृत्रिम झील थी।
- अकबर ने आगरा के किले में कई महलों का निर्माण करवाया।
- बुलन्द दरवाजा आधे गुम्बद की शैली में बना है तथा यह ईरानी शैली का है।
- अकबर ने सैकड़ों मस्जिद, सराय तथा मदरसे बनवाये।
- अकबर ने अपना मकबरा अपने जीवन काल में ही सिकन्दरा में बनवा डाला था।
- जहाँगीर ने दो प्रमुख इमारतों का निर्माण कराया। प्रथम आगरा में यमुना नदी के किनारे एतमादुद्दौला का मकबरा तथा दूसरा लाहौर में जहाँगीर का अपना मकबरा।
- भवन निर्माण कला का शौक शाहजहाँ में अत्यधिक था।
- शाहजहाँ के पहले के सम्राट् विशाल भवनों के निर्माण के लिए लाल पत्थरों का प्रयोग करते थे जबकि शाहजहाँ ने उसके स्थान पर संगमरमर का प्रयोग करवाना आरम्भ कर दिया।
- शाहजहाँ ने अपने शासनकाल में अनगिनत मस्जिद, महल तथा मकबरा बनवाया।
- शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज की स्मृति में आगरा में यमुना नदी के तट पर ताज महल बनवाया जिसकी गणना संसार के सुन्दरतम विशाल इमारतों में की जाती है।
- ताजमहल का मुख्य शिल्पी उस्ताद ईसा था जो शीराज से बुलाया गया था।
- शाहजहाँ ने आगरा के किले में 236 फीट लम्बा तथा 187 फीट चैड़ा मोती मस्जिद बनवाया। उसने दिल्ली में लाल पत्थर से जामा मस्जिद बनवाया।
- दिल्ली में शाहजहाँ ने लाल किया बनवाया जिसमें दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, रंग महल, मोती महल, इत्यादि सुन्दर इमारतें बनी है।
- शाहजहाँ ने अजमेर में जामा मस्जिद बनवाया। उसने लाहौर में शालीमार बाग, दिल्ली में तालकटोरा बाग तथा कश्मीर में वजीर बाग बनवाया।
- शाहजहाँ ने हीरे, जवाहरात तथा सोने से मयूर सिंहासन तख्त-ए-ताऊस बनवाया जिसे नादिरशाह फारस उठा ले गया था।
- औरंगजेब की वास्तुकला में रुचि नहीं थी और उसके समय में भवनों का निर्माण बहुत ही कम हुआ और जिनका निर्माण हुआ भी वे कला की दृष्टि से उतने महत्वपूर्ण नहीं थे।
चित्राकला
- मुगल सम्राटों ने चित्राकला को काफी प्रोत्साहन दिया। बाबर ने अपनी आत्मकथा में फारस के महान चित्राकार विजहाद का उल्लेख किया है। उसने अपने दरबार में कई चित्राकारों को आश्रय दिया था।
- हुमायूँ जब ईरान के शाह के दरबार में था तो उसका परिचय विहजाद के दो शिष्यों मीर सैय्यद अली तथा ख्वाजा अब्दुस समद से हुआ जो उत्कृष्ट चित्राकार थे। इन्हीं चित्राकारों के नेतृत्व में अकबर के काल में चित्राकला को एक राजसी कारखाने के रूप में संगठित किया गया।
- अकबर के राजदरबार में दो प्रसिद्ध चित्राकार जसवंत तथा दसावन थे। उसके यहाँ सैकड़ों चित्राकार थे जिनमें हिन्दू और मुसलमान दोनों थे।
- अकबर के समय में चित्राकला का काफी विकास हुआ। उसने एक चित्राशाला बनवाई जिसमें विभिन्न देशों में बने उत्कृष्ट चित्रों का संग्रह था। अकबर के समय चित्राकारों ने फारसी कहानियों को चित्रित करने के बाद महाभारत, अकबरनामा, बाबरनामा, रामायण आदि पुस्तकों की घटनाओं को चित्रित किया। इस समय चित्राकला में ईरानी शैली के सपाट प्रभाव का स्थान भारतीय शैली के वृत्ताकार प्रभाव ने ले लिया और इससे चित्रों में त्रिविमितीय प्रभाव आ गया।
- जहाँगीर चित्राकला का कुशल पारखी था और उसके समय में मुगल चित्राकला चरमोत्कर्ष पर पहुँच गयी।
- जहाँगीर के आश्रय में अनेक चित्राकार रहते थे जिनमें वादिर विशेष रूप से प्रसिद्ध था।
- जहाँगीर के काल में शिकार, युद्ध और राजदरबार के दृश्यों को चित्रित करने के अलावा मनुष्यों तथा जानवरों के चित्रा बनाने की कला में विशेष प्रगति हुई।
- शाहजहाँ का झुकाव स्थापत्य कला में अधिक था तथा चित्राकला में उसकी विशेष रुचि नहीं थी, फिर भी चित्राकला की परम्परा चलती रही।
- औरंगजेब की चित्राकला में दिलचस्पी न होने के कारण दरबार के कलाकार देश में दूर-दूर तक बिखर गये।
-मुगल काल में राजस्थान में चित्राकला की एक नयी शैली का विकास हुआ जिसे राजपूत शैली कहते है। राजपूत शैली अजन्ता, एलोरा, एलीफेन्टा आदि प्राचीन भारतीय चित्राशैलियों से प्रभावित थी और इस पर वैष्णव धर्म का गहरा प्रभाव था। राजपूत शैली के विषय में पौराणिक आख्यान, रामलीला, रासलीला आदि रहे।
संगीत
- औरंगजेब के अतिरिक्त सभी मुगल सम्राट् संगीत के प्रेमी थे। उन्होंने वाद्य तथा गीत दोनों प्रकार के संगीत को प्रोत्साहन दिया।
- बाबर एवं हुमायूँ ने गायकों को अपने यहाँ आश्रय प्रदान किया। प्रसिद्ध गायक बैजू बावरा हुमायूँ के दरबार में था जिसे वह मांडव से लाया था।
- अकबर ने गायकों तथा वादकों को संरक्षण प्रदान किया तथा वह स्वयं भी अच्छा गायक और संगीत मर्मज्ञ था। उसने अपने दरबार के संगीतकारों को सात टोलियों में बाँट दिया था और प्रत्येक टोली के संगीत के लिए एक दिन नियत रहता था।
- अकबर के दरबार में प्रसिद्ध गायक तानसेन रहता था जो कि ग्वालियर का का था। तानसेन पहले हिन्दू था तथा बाद में मुसलमान बन गया था। तानसेन ने कई रागों की रचना की। अत्यधिक मद्यपान के कारण 35 वर्ष की आयु में तानसेन की मृत्यु हो गयी।
- प्रसिद्ध गायक रामदास भी अकबर के दरबार में थे।
- मानसिंह, अब्दुर्रहीम खानखाना जैसे प्रमुख सरदारों ने भी अनेक संगीतकारों को आश्रय प्रदान किया।
- जहाँगीर स्वयं अच्छा गायक था।
- शाहजहाँ को संगीत का बेहद शौक था और वह स्वयं भी अच्छा गायक था।
- औरंगजेब ने गायकों को अपने दरबार से बहिष्कृत कर दिया था परन्तु वाद्य संगीत पर उसने कोई रोक नहीं लगायी थी। वह स्वयं एक कुशल वीणावादक था।
- संगीत के क्षेत्रा में सबसे महत्वपूर्ण विकास अठारहवीं शताब्दी में मोहम्मद शाह (1720.48) के शासन काल में हुआ।
मुगल काल में साहित्य
- मुगलकाल में साहित्य की काफी उन्नति हुयी। मुगल सम्राटों ने फारसी को राजभाषा बनाया और फारसी की मौलिक कृतियों तथा अनुवाद द्वारा उसका भंडार समृद्ध हुआ।
- मुगल काल हिन्दी साहित्य का स्वर्ण युग कहलाता है। हिन्दी साहित्य के इतिहास में इसे भक्ति काल का नाम दिया गया। इस काल में हिन्दी साहित्य में बहुत सी उत्कृष्ट रचनाएं हुई।
- बाबर ने बाबरनामा लिखा तथा हुमायूँ ने हुमायूँनामा लिखा। मिर्जा हैदर ने तुर्की में तारीख रशीदी लिखा।
- अकबर के समय में फारसी गद्य तथा पद्य अपने शिखर पर पहुँच गये।
- अकबर ने एक अनुवाद विभाग स्थापित किया था जिसका काम संस्कृत, अरबी तथा अन्य भाषाओं के महत्वपूर्ण ग्रन्थों का फारसी में अनुवाद करना था।
- महाभारत, रामायण, अथर्ववेद, राजतरंगिणी, लीलावती आदि संस्कृति के ग्रन्थों का फारसी में अनुवाद किया गया।
- अब्दुर रहीम खानखाना ने तुजुके बाबरी और बदायुंनी ने तारीख रशीदी का तुर्की से फारसी में अनुवाद किया।
- इस काल में बाइबिल और कुरान के भाष्यों का अरबी से फारसी में अनुवाद हुआ।
- मुगल काल के महान लेखक और विद्वान तथा प्रमुख इतिहासकार अबुलफजल ने गद्य की ऐसी शैली प्रचलित की जिसका कई पीढ़ियों ने अनुसरण किया।
- मुगल काल की निम्नलिखित रचनाएं हैंः
रचनाकार रचना का नाम
• अबुल फजल आइने अकबरी, अकबरनामा
• बंदायूनी मुन्तखाब-उल-तवारीख
• खफी खाँ मुन्तखाब उल लुवाब
• तारीख अल्की मुल्ला दाऊद
• निजामुद्दीन तबकात-ए-अकबरी
• जहाँगीर तुजुके जहाँगीरी
• मुतमाद खाँ इकबालनामा
• मुहम्मद कासिम तारीखे फरिश्ता
• ख्वाजा खाँ मुआसिरे जहाँगीरी
• अब्दुल हमीद बादशाहनामा लाहौरी
• इनायत खाँ शाहजहाँ नामा
• मुहम्मद साहिल आलमे साहिल
स्मरणीय तथ्य
• अकबर को अपने सैन्य अभियानों में सर्वाधिक सफलता राजस्थान में मिली।
• 1573 में अकबर द्वारा गुजरात पर किये गये दूसरे आक्रमण को इतिहासकार स्मिथ ने ‘ऐतिहासिक द्रुतगामी आक्रमण’ कहा।
• गुजरात में 1584 में हुए विद्रोह को सफलतापूर्वक दबाने के कारण अकबर ने अब्दुर्रहीम को ‘खान-खाना’ की उपाधि प्रदान की।
• युसुफजाहियों के विद्रोह को दबाते हुए 1585 में बीरबल की मृत्यु हो गयी।
• अबुल फजल ने बादशाह अकबर में आग, हवा, पानी एवं भूमि जैसे चार तत्वों के समावेश की बात कही।
• अकबर ने सूफी मत में आस्था जताते हुए ‘चिश्ती सम्प्रदाय’ को आश्रय दिया।
• अकबर की भू-राजस्व व्यवस्था का प्रवर्तक टोडरमल था, जिसे ‘जब्ती प्रणाली’ का जन्मदाता माना जाता है।
• अकबर ने अपने शासन काल के चैबीसवें वर्ष (1580) में आइने दहसालापद्धति को लागू किया।
• अकबर ने भूमि की पैमाइश हेतु 41 अंगुल के ‘इलाही गज’ का प्रचलन करवाया।
• अकबर की ‘आईने दहसाला प्रणाली’ को टोडरमल बन्दोबस्त भी कहा गया।
• मुगलकालीन स्थापत्य कला के क्षेत्र में पहली बार ‘आकार’ एवं ‘डिजाइन’ की विविधता का प्रयोग किया गया।
• संगमरमर के पत्थर पर जवाहरात से की गयी जड़ावट, जिसे पित्रा दुरा (च्पजतं क्नतं) के नाम से जाना जाता है, का प्रथम प्रयोग एत्मादुद्दौला के मकबरे में किया गया।
• सिकंदराबाद में बने अकबर के मकबरे में हिन्दू, बौद्ध, तैमूरी एवं फारसी शैली का अनोखा संगम देखने को मिलता है।
• अकबर द्वारा निर्मित अजमेर का किला सर्वाधिक दुर्गीकृत किला है।
• शाहजहाँ के शासनकाल को ‘स्थापत्य कला का स्वर्णकाल’ कहा जाता है।
• अकबर के समय में पहली बार भित्ति चित्रकारी की शुरुआत हुई; बसावन अकबर के समय का प्रमुख चित्रकार था।
• जहाँगीर के समय में चित्रकारी अपने चरमोत्कर्ष पर थी; मनोहर इस समय का प्रसिद्ध चित्रकार था।
• अकबर के समय में संगीत के क्षेत्र में गायन की ‘धु्रपद शैली’ एवं वाद्य यंत्र वीणा का प्रचार हुआ। सुप्रसिद्ध संगीतज्ञ तानसेन को अकबर ने ‘कण्ठाभरणवाणी’ की उपाधि प्रदान की।
• औरंगजेब ने संगीत पर प्रतिबन्ध लगाया, फिर भी इसके समय में ‘भारतीय शाóीय संगीत’ पर सर्वाधिक पुस्तकें छापी गयीं।
• मुहम्मद शाह पहला मुगल शासक था जिसने उर्दू भाषा के विकास के लिए कार्य किया। उर्दू को ‘रेख्ता’ भी कहा गया।
- शाहजहाँ का ज्येष्ठ पुत्रा दारा स्वयं बड़ा विद्वान था। उसने योगबासिष्ठ, गीता और उपनिषदों का फारसी में अनुवाद करवाया।
- औरंगजेब के काल में फतवा ए आलमगीरी नामक ग्रन्थ का संकलन किया गया जिसका न्याय विभाग के कार्य पर काफी प्रभाव पड़ा।
- शेरशाह के समय में मलिक मुहम्मद जायसी ने हिन्दी में पद्मावत की रचना की।
परवर्ती मुगल शासक
औरंगजेब (मृत्यु 1707)
बहादुरशाह प्रथम (1708.1712)
जहांदार शाह (1712.1713)
फर्रुखसीयर (1713.1719)
रफी-उद्-दरज़ात (मृत्यु 1719)
रफी-उद्-दौला (मृत्यु 1719)
मुहम्मद शाह (1719.1748)
अहमद शाह (1748.1754)
अजीजुद्दीन आलमगीर द्वितीय (1754.1759)
शाह आलम द्वितीय (1769.1806)
अकबरशाह द्वितीय (1806.1837)
बहादुरशाह द्वितीय (1837.1862)
- मुगल काल में हिन्दी साहित्य के तुलसीदास, सूरदास, भूषण, बिहारी, मीरा, केशव दास, सेनापति जैसे अनेक कवि हुए।
- अकबर के शासन काल में तुलसीदास ने रामचरित मानस, विनय पत्रिका आदि अनेक उत्कृष्ट काव्य रचनाएं लिखकर हिन्दी का भंडार भर दिया।
- सूरदास ने ब्रजभाषा में सूरसागर की रचना की जिसमें कृष्ण की लीलाओं का वर्णन है। मीराबाई, रसखान तथा नन्द दास ने भी कृष्ण भक्ति विषयक सुन्दर काव्य रचना की।
- नाभादास ने भक्तमाला नामक ग्रन्थ लिखा।
- मुगल दरबार में रहने वाले हिन्दी के कवियों में राजा बीरबल, महाकवि गंग, अब्दुर्रहीम खानखाना, चिन्तामणि, कवीन्द्राचार्य आदि के नाम उल्लेखनीय हैं।
- मुगलों के शासन के अंतिम काल में हिन्दी का रीतिकाल प्रारम्भ हुआ जिसके अधिकतर कवि दरबारी कवि थे। इन कवियों में केशवदास, बिहारी, सेनापति, मतिराम, पद्माकर देव और भूषण प्रमुख हैं।
- दादूदयाल, मलूकदास और सुन्दर दास मुगल काल के निर्गुण पंथी कवि थे जो निराकार भगवान के उपासक थे।
- इस काल में क्षेत्राीय भाषाओं में भी उत्कृष्ट संगीतमय काव्यों की रचनाएं हुई। बंगाली, उड़िया, राजस्थानी तथा गुजराती भाषाओं के काव्यों में राधा-कृष्ण तथा कृष्ण और गोपियों की लीला तथा भागवत की कहानियों का काफी प्रयोग किया गया।
- रामायण तथा महाभारत का क्षेत्राीय भाषाओं में अनुवाद किया गया।
- एकनाथ और तुकराम ने मराठी भाषा में रचनाएं की। दक्षिण भारत में मलयालम में साहित्यिक परम्परा प्रारम्भ हुयी।
- फारसी, अरबी और हिन्दी के मिश्रण से एक संकर भाषा उर्दू बनी जिसमें काफी रचनाएं हुयीं। यद्यपि उर्दू का जन्म उत्तर भारत में हुआ था परन्तु इसका प्रारम्भिक विकास दक्षिण भारत में हुआ।
- इस युग में गालिब, सौक, सौदा, बन्दी- साहब, ईशा जैसे उर्दू के शायर थे।
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1. मुगल साम्राज्य कब स्थापित हुआ था? |
2. मुगल साम्राज्य का क्या मतलब है? |
3. मुगल साम्राज्य के सबसे प्रमुख शासक कौन थे? |
4. मुगल साम्राज्य की सुरक्षा के लिए उन्होंने कौनसी नीतियाँ अपनाई थीं? |
5. मुगल साम्राज्य के अंतिम शासक कौन थे? |
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