मृदा
अम्लीय मृदा का दुष्प्रभाव
क्षारीय तथा लवणीय मृदायें
मृदा लवणीयता तथा क्षारीयता का दुष्प्रभाव
फल एवं सब्जियों का उत्पत्ति स्थल | ||
फल | ||
1 | आंवला | उष्ण कटिबंधीय एशिया (भारत) |
2 | एबोकाडो | उष्ण कटिबंधीय अमेरिका |
3 | केला | इन्डोचाइना |
4 | बेर | भारत |
5 | साइट्रस | उत्तरी पश्चिमी भारत |
6 | अंगूर | आर्मीनिया |
7 | अमरूद | अमेरिका उपोष्ण |
8 | कटहल | भारत |
9 | लीची | चीन |
10 | आम | भारत |
11 | पपीता | उपोष्ण अमेरिका |
12 | सेब | कैस्पियन सागर |
फल एवं सब्जियों का उत्पत्ति स्थल सब्जियाँ | ||
1 | फूलगोभी | इटली |
2 | प्याज | एशिया |
3 | लौकी | भारत (देहरादून) |
4 | कद्दू | अमेरिका |
5 | मूली | चीन |
6 | शकरकन्द | अमेरिका |
7 | लाल मिर्च | ब्राजील |
8 | बैंगन | भारत |
9 | भि डी | भारत |
10 | टमाटर | दक्षिणी अमेरिका |
लवणीय तथा क्षारीय मृदा सुधार
फसलों के प्रमुख रोग | ||||
| रोग का नाम | रोग का कारक | फैलने का माध्यम | रोग की पहचान |
1 | धान का झुलसा | फफूँदी | बीज, हवा, मृद | पत्तियाँ फूल टहनियां आदि मुरझाकर भूरी हो जाती है। |
2 | धान का पदगल | फफूँदी | बीज, हवा, मृदा | भूमि के पास तना सड़ जाता है और पौधा झुक जाता है। |
3 | धान का खैरा रोग | जिंक की कमी | भूमि | पत्तियाँ गहरे पीले रंग की हो जाती है। और वृद्धि अवरुद्ध हो जाती है। |
4 | धान का अंगमारी रोग | जीवाणु | मृदा | मध्य शिरा के साथ जलासिक्त पारभासक धब्बे |
5 | धान का झोंका | फफूँदी | बीज, हवा, मृदा | पत्तियों पर नाव के आकार का धब्बा जो बीच में सफेद धूसर रंग का तथा चारों ओर भूरे रंग से घिरा होता है। |
6 | धान का कूट | फफूँदी | बीज एवं हवा | बाली के कुछ दाने हरे रंग के हो जाते है। |
7 | गेहूँ का चूर्णिकासिता या चूर्णों फफूँद रोग | फफूँदी | हवा | पत्ती के दोनों भागों पर सफेद सतह जमा हो जाती है। |
8 | (I) गेहूँ का काला किट्ट | फफूँदी | हवा, मृदा |
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| (II) गेहूँ का भूरा किट्ट | |||
(III) गेहूँ का पीला किट्ट | ||||
9 | गेहूँ का कडवा रोग | फफूँदी | हवा | इसमें पूरी बाली काले चूर्ण में बदल जाती है। |
10 | गेहूँ का सेंहू रोग | कीट द्वारा | भूमि व बीज | |
11 | सरसों का श्वेत किट्ट या श्वेत फफोला रोग | फफूँदी | वायु ,जल एवं कीट | पत्तियों पर सफेद रंग के छोटे-छोटे धब्बे बन जाते है। तथा पुष्प का आकार अति वृद्धि के कारण बदल जाता है। |
12 | आलू का झुलसा | फफूँदी | मृदा ,हवा, बीज | पत्तियाँ पीले भूरे रंग की हो जाती है। |
13 | आलू का विलयन | |||
14 | आलू की पछेती अंगमारी | फफूँदी | भूमि - हवा | भूरे अथवा बैंगनी रंग के अनियमिताकर धब्बे पत्तियों पर दिखाई देते है। |
15 | आलू की अगेती अंगमारी | फफूँदी | मृदा हवा | गहरे भूरे अथवा काले रंग के धब्बे पत्तियों पर दिखाई पड़ते है |
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16 | आलू का ड्डकृष्ण कान्त रोग (भंडारन रोग) | निम्न आक्सीजन प्रबन्ध | आलू के मध्य में ऊतक काले रंग का हो जाता है। | |
17 | मक्का का झुलसा | फफूँदी | बीज- भूमि | पत्तियाँ भूरी होकर गिर जाती है। |
18 | मक्का का तुलासिका | फफूँदी | बीज-भूमि | इसमें पत्तियों पर पीली धारी पड़ जाती है तथा निचली सतह पर इनके चे सफेद चूर्ण के समान का धब्बा बन जाता है। |
19 | मूँगफली का टिक्का रोग | फफूँदी | बीज, हवा, वर्षा | पत्तियों पर अडाकार भूरे या कत्थई रंग के धब्बे दिखाई पड़ने लगते है। |
20 | गन्ना का लाल सड़न | फफूँदी | भूमि, पेड़ी | इसमें गन्ने के तने से एल्कोहल की तरह की गंध आती है तथा गांठों के पास पोर सूखकर सड़ जाते है। |
21 | मटर का बुकनी या चूर्ण रोग | फफूँदी | रोगी ठंठ | पत्तियों कलियों व तनों पर सफेद पाउडर जैसी फफूँदी दिखाई पड़ती है। |
22 | नींबू का कैन्कर या खर्रा रोग | जीवाणु | रोगी पौधे | इसमें पत्तियों कांटों टहनियों तथा फलों पर प्रारम्भ में पीला दाग बनता है जो बाद में भूरे रंग का हो जाता है। फलों पर खुरदरे भूरे रंग का दाग बन जाता है। |
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1. मृदा क्या है? |
2. मृदा के प्रमुख प्रकार कौन-कौन से हैं? |
3. मृदा का महत्व क्या है? |
4. मृदा संरक्षण क्यों जरूरी है? |
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