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विज्ञान से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ (भाग - 1) - सामान्य विज्ञान | सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi PDF Download

इटा कैरिनी

  • ‘इटा-कैरिनी’ आसमान में सबसे ज्यादा चमकने वाले कुछ नक्षत्रों में से एक है। इधर इसकी चमक अनायास ही दोगुनी हो गयी है। खगोलशास्त्राी इसे एक रहस्यमय व्यवहार बता रहे हैं। इस तारे को दूरबीन से देखने वाले खगोलशास्त्रिायों का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में इस नक्षत्रा से उत्सर्जन दोगुना-तिगुना हो गया है और यह जबरदस्त विस्फोटक स्थिति में पहुंचता जा रहा है।

वर्म एक्सप्लोरर जिप

  • यह एक कम्प्यूटर वायरस है, जिसका संक्रमण ‘मेलिसा’ वायरस की ही भांति ई-मेल के जरिये होता है। यह वायरस ई-मेल के जरिये इस मैत्राीपूर्ण संदेश के रूप में पहुंचता है “मुझे आपका ई-मेल मिला और मैं आपको इसका जवाब भेज रहा हूं। इस बीच आप संलग्न जिप फाइलों को देख लें।” 
  • जिप फाइलों को न देखा जाये तो इस वायरस से कोई खतरा नहीं होता, लेकिन जिप फाइल खुलते ही वह वायरस सक्रिय हो जाता है और कम्प्यूटर की हार्ड डिस्क की तलाशी लेकर कई साॅफ्टवेयर प्रोग्रामों में बनी फाइलों को नष्ट करना शुरू कर देता है। इतना ही नहीं, यह हर आने वाले ई-मेल के पते पर अपनी एक प्रति भी भेजना शुरू कर देता है।

 मलिस्सा

  • ‘मलिस्सा’ ई-मेल द्वारा फैलने वाला एक कम्प्यूटर वायरस है, जिसने अमेरिका में आतंक मचा रखा है। इसकी वजह से अनेक कपंनियों को अपनी ई-मेल प्रणाली बंद करनी पड़ी हैं। इस वायरस ने हजारों घरेलू और व्यावसायिक कम्प्यूटर प्रणालियों को ध्वस्त कर दिया है। 
  • यह वायरस एक बार किसी कम्प्यूटर में आने के बाद उसकी डायरेक्ट्री में घुसकर अपना जाल फैला लेता है और 50 पतों पर स्वयं को ई-मेल के माध्यम से प्रेषित करने लगता है।

 हेन्ड्रा एनफेलाइटिस

  • अमेरिकी विशेषज्ञों ने सुअरजनित उस वायरस का पता लगा लिया है, जो पिछले कुछ दिनों से मलेशिया में कई दर्जन लोगों की मौत का कारण बना। यह वायरस हेन्ड्रा एनसेफलाइटिस से मिलता-जुलता है। 
  • उल्लेखनीय है कि इस वायरस को फैलने से रोकने के लिए सिंगाुपर सरकार ने सुअरों के निर्यात पर रोक लगा दी है। पिछले दिनों कई लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार हेन्ड्रा वायरस के समान यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता है

 एनोमोसिफेलस अफ्रीकंस

  • ‘एनोमोसिफेलस अफ्रीकंस’ एक रेंगने वाले जीव का नाम है, जिसका अस्तित्व 26 करोड़ साल पहले था। 11 मार्च, 1999 को सिएन मोडेस्टो नामक शोधकत्र्ता ने जोहांसबर्ग में इसके जीवाश्म का प्रदर्शन किया। ऐसी आशा है कि इस जीवाश्म से यह पता लग सकेगा कि रेंगने वाले जीव, जिनकी त्वचा छिलकेदार होती है, कैसे रोएंदार स्तनधारी प्राणियों में परिवतित हुए।

 मीथेन जीन्स

  • मीथेनोजीन्स’ पृथ्वी का एक ऐसा जीवाणु है, जो ऑक्सीजन रहित स्थानों पर पाया जाता है। यह माइक्रोब उन जीवों के वर्ग से प्राप्त किया जाता है, जो पृथ्वी की या तो बहुत गहराई में अथवा समुद्री सतह पर रहते हैं। यह मंडल ग्रह जैसी प्रयोगशाला में बनायी गयी परिस्थतियों में विकसित होने में भी समर्थ है। इससे मंगल ग्रह पर जीवन पाये जाने की संभावनाएं बलवती हो गयी हैं।

 श्रेसिका जंसिया

  • ‘श्रेसिका जंसिया’ भारतीय सरसों की एक प्रजाति है। हाल ही में न्यूजीलैण्ड के मैसी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने अपने प्रयोगों में यह पाया कि भारतीय सरसों की इस प्रजाति के पौधे मिट्टी में उपस्थित स्वर्ण तत्वों को आसानी से अवशोधित कर अपने अंदर संग्रहित कर लेते हैं, जिन्हें पौधे को जलाकर प्राप्त किया जा सकता है।

 जेड.एम. 54 ईएफ 

  • ‘जेड.एम. 54 ईएफ’ एक नया शक्तिशाली पोतभेदी क्रूज मिसाइल है, जिसका विकास रूस ने किया है। यह प्रक्षेपास्त्रा 6.2 मीटर लंबा है तथा 300 किलोमीटर के दायरे में किसी भी लक्ष्य को भेद सकता है। इसकी लम्बाई पश्चिमी देशों की नौसेनाओं द्वारा प्रयुक्त टारपीडो की लम्बाई के बराबर है। यह 450 किलोग्राम के शक्तिशाली युद्धाग्र को लेकर जा सकता है, जो बहुत बड़े जलपोतों को भी नष्ट करने में सक्षम है।

 डाॅ. मिलेनियम

  • ‘डाॅ. मिलेनियम’ विश्व में अपनी किस्म का भारत से पहला प्रमुख नेटवर्क वाई-टू-के 2000 साॅल्यूशन है, जिसको सत्यम कम्प्यूटर ने वेब आधारित सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं के लिए जारी किया है। इसका इस्तेमाल बहुत ही आसान है तथा इसकी कीमत भी काफी कम है। इस साॅल्यूशन को स्कूलों एवं अस्पतालों को बिना किसी कीमत के मुहैया कराया जायेगा।
  • फाइब्रो - ‘फाइब्रो’ अमेरिका के हवाई विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा वयस्क कोशिकाओं से बनाये गये नर चूहे के प्रतिरूप (क्लोन) का नाम है। यह नर चूहा ‘फाइब्रोब्लास्ट’ नामक कोशिकाओं से विकसित किया गया है। वयस्क चूहे के पूंछ की कोशिकाओं से ‘क्लोन’ तैयार किया गया। इससे पहले जो भी ‘क्लोन’ विकसित किये गये थे, वे मादा जनन अंगों से जुड़ी वयस्क कोशिकाओं के थे।

 न्यू लिवफिट 

  • न्यू लिवफिट’ हेपेटाइटिस-बी की एक कारगर दवा है, जिसका विकास हाल ही में डाबर फर्मास्यूटिकल्स लिमिटेड ने किया है। 

विज्ञान से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ (भाग - 1) - सामान्य विज्ञान | सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi

  • यह दवा पूरी तरह स्वदेशी और आयुर्वेदिक है। इस दवा को गोलियों, सिरप और ड्राॅप्स के रूप में लिया जा सकता है।

 ट्रायोक्सिन

  • प्रतिदिन आयोडीनयुक्त नमक खाने से एक ऐसा हार्मोन बनता है, जिससे मस्तिस्क के विकास में मदद मिलती है तथा बौद्धिक स्तर (IQ) बढ़ जाने से व्यक्ति दिमागी रूप से और तेज हो जाता है। इस हार्मोन का नाम है- ‘ट्रायोक्सिन।’ यह हार्मोन मस्तिष्क पेशी तंत्रा और हृदय वाहिनी तंत्रा को विकसित करता है। 
  • ज्ञातव्य है कि आयोडीन की कमी से मस्तिष्कीय अव्यवस्था उत्पन्न हो सकती है अथवा मस्तिष्क को नुकसान पहुंच सकता है, शारीरिक विकास में रुकावट हो सकती है और बौद्धिक स्तर प्रभावित हो सकता है।

 फ्लोरोसिस

  • फ्लोरोसिस एक ऐसी बीमारी है, जो फ्लोराइड की अधिकता से होती है। इस बीमारी के फैलने का कारण फ्लोराइडयुक्त पानी का सेवन करना है। पानी के साथ अधिक मात्रा में लिया गया फ्लोराइड प्रायः रीढ़, घुटनों आदि की हड्यिों में एकत्रा हो जाता है। 
  • इसी कारण हड्डियां टेढ़ी हो जाती हैं अथवा उनमें अकड़न आ जाती है। फ्लोराइडयुक्त पानी पीने से स्नायु तंत्रा प्रभावित होता है, दांतों में विकास उत्पन्न होने लगता है और डिप्रेशन (अवसाद) भी तेजी से फैलता है।

 एम्बलिका ऑफिसिनैलिस

  • ‘एम्बलिका ऑफिसिनैलिस’ आवंला का वैज्ञानिक नाम है। इसके सेवन से हृदय में जमने वाले कोलेस्ट्राॅल की मात्रा में दो-तिहाई की कमी लायी जा सकती है। यह निष्कर्ष भारतीय शोध-छात्रों द्वारा जानवरों पर किये गये एक अध्ययन के नतीजे के रूप मेें सामने आया है।

 ब्ल्यू माउंटेन

  • ब्ल्यू माउंटेन एक तेज कम्प्यूटर है, जिसे सिलिकाॅन ग्राफिक्स कम्पनी (अमेरिका) ने बनाया है। यह कम्प्यूटर एक सेकेण्ड में 1.6 अरब आंकड़े एकत्रा कर सकता है।
  • जीडीएनएफ - जीडीएनएफ अर्थात् जेलियल सेल लाइन डिराइव्ड न्यूरोट्राॅपिक फैक्टर एक ऐसा अणु या जीन है, जो मृत या क्षतिग्रस्त तंत्रिका कोशिकाओं को पुनर्जीवित करने में सक्षम है। आशा है कि इस अणु से मस्तिष्क को प्रभावित करने वाले लगभग लाइलाज रोग पाकसन का उपचार संभव हो सकेगा।

 इक्वाइन इनफेक्शियस एनेमिया

  • इक्वाइन इनफेक्शियस एनेमिया घोड़ों को होने वाली एक लाइलाज बीमारी है। यह ‘रेट्रोवाइरस’ नामक विषाणु (वायरस) से होती है। इस वायरस से घोड़े की प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो जाती है और वह मर जाता है। 
  • यह बीमारी इधर चर्चा में तब आयी, जब हाल ही में जयपुर में ‘इक्स्टेस्सी’ नामक घोड़ी को उक्त वायरस के संक्रमण का पता चला और इसकी वजह से जयपुर एवं दिल्ली में होने वाली पोलो की सभी प्रतियोगिताएं रद्द कर दी गयीं। 

 वी.ए.आई.-3

  • ‘वी.ए.आई.-3’ भारत में हाल ही में विकसित हैजे का रिकम्बीनेन्ट टीका है। इसका विकास कलकत्ता स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट आफ कालरा एंड एन्टेरिक डिजीजेज के वैज्ञानिकों ने इंस्टीट्यूट आफ कालरा एंड एन्टेरिक डिजीजेज के वैज्ञानिकों ने इंस्टीट्यूट आफ केमिकल बायोलौजी के सहयोग से किया है। प्रारम्भिक परीक्षणों में इसको कारगर और सुरक्षित पाया गया है

 अलवाक 

  • अमेरिकी स्वास्थ्य संस्थान ने एड्स का एक टीका विकसित किया है, जिसका नाम ‘अलवाक’ रखा गया है। इस टीके का पहला परीक्षण हाल ही में अफ्रीकी देश युगाण्डा में किया गया। फिलहाल इस टीके से किसी गम्भीर ‘साइड इफेक्ट’ की शिकायत नहीं है।

 यंग लोंग 

  • दक्षिण कोरिया के वैज्ञानिकों ने गाय का क्लोन तैयार करने का दावाा किया है। ‘यंग लोंग’ नामक यह क्लोन विश्व का पांचवा पशु क्लोन है। इस क्लोन को तैयार करने में वही तकनीक अपनायी गयी है, जिससे 1997 में ब्रिटेन में डाॅली नामक भेड़ का क्लोन तैयार किया गया था। ‘यंग लोंग’ हू-ब-हू उस गाय की तरह है, जिसके डी.एन.ए. से इसकी रचना की गयी।

 ल्युनरसैट

  • यूरोप के वैज्ञानिक और शोध छात्रा चन्द्रमा पर ‘ल्युनरसैट’ नामक एक छोटा उपग्रह भेजने की योजना बना रहे हैं। इसका उद्देश्य चांद पर पानी की मौजूदगी का पता लगाना है। इस उपग्रह का वजन सिर्फ 100 किलोग्राम होगा। यह चन्द्रमा की कक्षा में जायेगा तथा उसके दक्षिण ध्रुव पर बर्फ की मौजूदगी के बारे में पता लगायेगा। इस उपगह का आकार मात्रा 60 × 60 × 80 सेंटीमीटर का होगा। इसे यूरोपियन ‘एरिस वी लांचर’ से चन्द्रमा की कक्षा में भेजा जायेगा।

 डेल्टा-टी प्रोब

  • ‘डेल्टा-टी प्रोब’ एक ऐसा कम्प्यूटर प्रोग्राम है, जो यह पता लगा पाने में सक्षम है कि कम्प्यूटर में लगा माइक्रोचिप 1 जनवरी, 2000 को कहीं फेल तो नहीं हो जायेगा। इस प्रोग्राम का विकास ब्रिटिश साॅफ्टवेयर विशेषज्ञ पैट्रिक कसंर्ट और उसकी टीम ने किया है।

 हाइपरथर्मिया

  • ‘हाइपरथमिया’ उच्च आवृत्ति की ध्वनि तरंगों के जरिये कैंसर संक्रमित तंतुओं को नष्ट करने की नयी तकनीक है, जिसका विकास राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला के वैज्ञानिक वेद राम सिंह ने किया है। कम्प्यूटर नियंत्रित इस स्वदेशी तकनीक से कैंसरग्रस्त तंतुओं को खोजने और नष्ट करने के लिए संकेन्द्रित अल्ट्रासाउंड तरंगों का प्रयोग किया जाता है। 
  • सामान्य कोशिकाओं की तुलना में कैंसरग्रस्त कोशिकाएं अल्ट्रासाउंड ऊर्जा को तीव्रता से सोखती हैं और इस प्रकार यह तकनीक कारगर रहती है। इस प्रणाली से ब्रेन ट्यूमर का तापमान मापने में भी वैज्ञाानिक कामयाब रहे हैं।

 पी.आर.-114

  • ‘पी.आर-114' चावल (धान) की एक नयी किस्म है, जिसका विकास पंजाब कृषि विश्वविद्यालय ने किया है। लम्बे चावल की इस नयी किस्म को स्वाद की दृष्टि से उम्दा माना जा रहा है। अनुसंधान के दौरान इसकी उपज औसतन 69 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पायी गयी। यह बैक्टीरिया जनित रोगों से अपनी रक्षा करने में सक्षम है।

 प्राणिक हीलिंग

  • प्राणिक हीलिंग एक चिकित्सा पद्धति है, लेकिन इसके तहत रोगों का उपचार बिना किसी औषधि के किया जाता है। यह पद्धति अध्यात्म और गुह्मविद्या का सम्मिलित रूप है। भारत के लिए यह विद्या नयी नहीं है। योगशास्त्राी यह मानते हैं कि प्राण इस जगत की मूल शक्ति है। प्रत्येक व्यक्ति, प्राणी और वस्तु में यह मौजूद है। 
  • इस प्राणशक्ति के आधार पर ही अच्छे-बुरे हर तरह के क्रियाकलाप चलते हैं। प्राणिक हीलिंग के जनक फिलीपीन्स के मास्टर चोवा कोक सुई हैं, जिन्होंने भारत की इस प्राणविद्या को अनुभव और आधुनिक ज्ञान से समृद्ध किया।

 बोलगार्ड कपास

  • ‘बालगार्ड’ अमेरिकी कंपनी मोनसैंटो द्वारा विकसित कपास का बीज है जिसका वह कर्नाटक और आंध्र प्रदेश में परीक्षण करना चाह रही थी। लेकिन इन राज्यों के किसानों के प्रबल विरोध के बाद आंध्र प्रदेश व कर्नाटक सरकार ने इसके परीक्षण पर रोक लगा दी है। 

विज्ञान से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ (भाग - 1) - सामान्य विज्ञान | सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi

कपास का बीज


  • ऐसा माना जा रहा है कि इन चीजों के परीक्षण के माध्यम से भारत में टमनेटर जीन लाने का प्रयास किया जा रहा था। यदि किसी बीज में टमनेटर जीन का विकास कर दिया जाता है तो उस बीज से सिर्फ एक ही फसल प्राप्त की जा सकती है, क्योंकि उसके बाद उस बीज की प्रजनन क्षमता नष्ट हो जाती है।

 एप्लीग्राफ

  • एप्लीग्राफ मैसाच्यूसेट्स स्थित आर्गेनोजेनेसिस द्वारा विकसित की गयी एक नवीनतम चिकित्सा विधि है, जिसके तहत खराब त्वचा के बदले नयी त्वचा बदलती जाती है। मियामी में इस विधि का प्रयोग करके चिकित्सकों ने आठ सप्ताह के नवजात शिशु टाॅकी केमरुन का, जिसकी त्वचा को छूते ही फफोले पड़े जाते थे, त्वचा बदलकर उसका कायाकल्प कर दिया है। 
  • टाॅकी एपीडरमोलिसस बुलोसा बीमारी से पीड़ित पहला शिशु है, जिस पर एप्लीग्राफ की तकनीक अपनाकर उसके छोटे से शरीर के 40 प्रतिशत भाग की त्वचा को बदल दिया गया है।

 फर्मेट का प्रमेय

  • नागपुर विश्वविद्यालय में गणित के प्रो. वी.के. गुर्टू ने दावा किया है कि उन्होंने 36 वर्ष पुराने एवं विश्वविख्यात फर्मेट के अंतिम प्रमेय (FLT) की गणितीय पहेली को सिद्ध करने का वैकल्पिक एवं आसान तरीका ढूंढ लिया है। 
  • सातवीं शताब्दी में फ्रांस के न्यायविद और गणितज्ञ पिउने डे फर्मेट ने पाइथागोरस प्रमेय के हाशिये पर एक नोट लिखा था, जिसमें कहा गया था कि किसी भी संख्या का वर्ग दो संख्याओं के वर्ग के जोड़ के बराबर होता है। इस प्रयोग का हल 1995 में अमेरिका के प्रिंस्टन विश्वविद्यालय के एंड्रयू विल्स ने 109 पृष्ठों में दिया था, जिसे समझना दुसाध्य था।

 मार्स पोलर लैंडर प्रोब

  • ‘मार्स पोलर लैंडर प्रोब’ मंगल ग्रह के अध्ययन के लिए भेजा गया अमेरिकी यान है।

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  • इसका प्रक्षेपण डेल्टा-2 नामक रॉकेट से 3 जनवरी, 1999 को किया गया। यह यान ग्यारह महीने की यात्रा के पश्चात् 3 दिसम्बर, 1999 को मंगल की सतह पर उतरेगा। उससे पहले वह मंगल की जमीन में दो छोटे प्रोब उपकरण भी छोड़ेगा।
  • लैंडर प्रोब मंगल की सतह पर पत्थरों और मिट्टी के नमूनों को एकत्रा करेगा और उन्हें गर्म करने के उपरांत उत्पन्न किसी गैस या भाप का विश्लेषण भी करेगा। दोनों छोटे उपकरण भी यही का
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FAQs on विज्ञान से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ (भाग - 1) - सामान्य विज्ञान - सामान्य विज्ञानं (General Science) for UPSC CSE in Hindi

1. विज्ञान से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ क्या हैं?
उत्तर: विज्ञान से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में प्राप्त की जाने वाली जानकारियों को संकलित करती हैं। इनमें उपलब्धि की प्रक्रिया, वैज्ञानिक अभिक्रियाएं, वैज्ञानिक सिद्धांत, वैज्ञानिक शोध और विज्ञान की उपयोगिता आदि शामिल हो सकती है।
2. विज्ञान सामान्य विज्ञान UPSC परीक्षा के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर: विज्ञान सामान्य विज्ञान UPSC परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह परीक्षा भारतीय प्रशासनिक सेवा (UPSC) के लिए आयोजित की जाती है और यह भारतीय संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सबसे प्रमुख परीक्षा है। इसमें विज्ञान से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं जिससे विद्यार्थियों को वैज्ञानिक ज्ञान, वैज्ञानिक सोच और वैज्ञानिक अभियांत्रिकी की समझ परीक्षित की जाती है।
3. विज्ञान से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ कौन-कौन सी होती हैं?
उत्तर: विज्ञान से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ विभिन्न विज्ञान क्षेत्रों में हो सकती हैं, जैसे कि भौतिकी, रसायन शास्त्र, जीवविज्ञान, जैव रसायन, गणित, भूगोल, भूविज्ञान, खगोल विज्ञान, मेटियोरोलॉजी, न्यूक्लियर विज्ञान, इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर विज्ञान आदि। ये जानकारियाँ विज्ञान की मूलभूत सिद्धांतों, वैज्ञानिक प्रयोगों, साइंटिफिक डिस्कवरीज़ और विज्ञान के आधुनिक उपयोगों के बारे में हो सकती हैं।
4. वैज्ञानिक अभिक्रियाएं क्या होती हैं और इनका महत्व क्या है?
उत्तर: वैज्ञानिक अभिक्रियाएं वैज्ञानिक मेथड का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती हैं। यह वैज्ञानिक अनुसंधान की प्रक्रिया होती है जिसमें प्रयोग, अवलोकन, प्रयोगशाला देखभाल, डेटा संग्रह और प्रविष्टियाँ, परिणामों का विश्लेषण, नतीजों की रिपोर्टिंग आदि शामिल होती है। वैज्ञानिक अभिक्रियाएं नई ज्ञान की प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और वैज्ञानिक समुदाय को नवीनतम उपयोगिता और आविष्कारों के बारे में जानकारी प्रदान करती हैं।
5. विज्ञान की शोध क्या होती है और इसका महत्व क्या है?
उत्तर: विज्ञान की शोध नई ज्ञान की प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह वैज्ञानिक मेथड की एक प्रक्रिया होती है जिसमें वैज्ञानिक विचार, प्रयोग, अवलोकन और विश्लेषण के माध्यम से नए ज्ञान की खोज की जाती है। विज्ञान की शोध द्वारा नई वैज्ञानिक सिद्धांत, न
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