शैलेंद्र को ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म बनाने में क्या मुश्किल आ रही थी?a)कोई न...
शैलेंद्र को ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म बनाने में सबसे बड़ी समस्या निर्माता ढूंढने की थी। उनकी अपनी कोई पूंजी नहीं थी और कोई बड़ा निर्माता उस समय ‘कला-फ़िल्म’ माने जाने वाली इस फ़िल्म में पैसा लगाने को तैयार नहीं था। अंततः उन्होंने खुद ही निर्माता बनने का जोखिम उठाया, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान भी झेलना पड़ा।
शैलेंद्र को ‘तीसरी कसम’ फ़िल्म बनाने में क्या मुश्किल आ रही थी?a)कोई न...
तीसरी कसम का निर्माण
‘तीसरी कसम’ एक महत्वपूर्ण फ़िल्म है, जो शैलेंद्र द्वारा बनाई गई थी। इस फ़िल्म का निर्माण करते समय शैलेंद्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिनमें से एक प्रमुख समस्या थी निर्माता का न मिलना।
कोई निर्माता नहीं मिल रहा था
- फ़िल्म के निर्माण के लिए धन की आवश्यकता होती है, और इसके लिए एक सक्षम निर्माता का होना अनिवार्य है।
- शैलेंद्र को इस फ़िल्म के लिए ऐसे निर्माता की तलाश थी जो कहानी की गहराई और महत्व को समझ सके।
- तत्कालीन समय में, फ़िल्म की विषय वस्तु और कहानी को समझने वाले निर्माता मिलना कठिन था।
कहानी की विशेषताएँ
- ‘तीसरी कसम’ की कहानी एक अनोखे प्रेम और त्याग की कहानी है, जो उस समय के सामान्य फ़िल्मी विषयों से भिन्न थी।
- इस कहानी में गहराई और संवेदनशीलता थी, जिसके कारण कई निर्माता इसे लेकर आशंकित थे।
शैलेंद्र की मेहनत
- शैलेंद्र ने अंततः अपनी मेहनत से एक निर्माता को राजी किया, जिसने फ़िल्म में निवेश किया।
- यह उनकी दृढ़ता और विश्वास का परिणाम था कि ‘तीसरी कसम’ को आखिरकार दर्शकों के सामने लाया जा सका।
निष्कर्ष
- ‘तीसरी कसम’ का निर्माण शैलेंद्र के लिए एक चुनौतीपूर्ण कार्य था, लेकिन अंततः उनकी मेहनत ने इसे सफल बनाया।
- यह फ़िल्म भारतीय सिनेमा में एक मील का पत्थर साबित हुई, जो आज भी लोगों के दिलों में जीवित है।